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राजनीतिक समाजीकरण/Political socialization

आलमंड और पॉवेल: राजनीतिक समाजीकरण

 

राजनीतिक समाजीकरण एक सतत प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति राजनीतिक प्रणाली के प्रति अपने दृष्टिकोण, व्यवहार और मूल्यों को प्राप्त करता है और विकसित करता है। यह सामान्य समाजीकरण का ही हिस्सा है, लेकिन इसका मुख्य ध्यान राजनीतिक परिवेश पर होता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति के जीवन के हर चरण में सक्रिय रहती है और उसे एक उत्तरदायी नागरिक में बदलने में सहायक होती है।

राजनीतिक समाजीकरण का अर्थ

राजनीतिक समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति समाज की राजनीतिक संस्कृति, मूल्यों और संस्थाओं के प्रति दृष्टिकोण प्राप्त करता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को केवल राजनीतिक जानकारी ही नहीं देती, बल्कि उसे सक्रिय भागीदार बनने के लिए प्रेरित भी करती है।

हर्बर्ट हायमन ने इसे “वह प्रक्रिया बताया है जिसके माध्यम से व्यक्ति राजनीतिक व्यवहार सीखता है और राजनीतिक जीवन के साथ तालमेल बैठाता है।”

उद्देश्य

  • नागरिकों को राजनीतिक संस्कृति से परिचित कराना।
  • लोगों में राजनीतिक वैधता और प्रभावकारिता (efficacy) की भावना विकसित करना।
  • व्यक्ति को समाज के राजनीतिक ढाँचे में शामिल करना।
  • राजनीतिक मूल्यों और व्यवहारों को अगली पीढ़ी तक पहुँचाना।
  • राजनीतिक संस्कृति को स्थायित्व देना या उसमें परिवर्तन लाना।

राजनीतिक समाजीकरण का दायरा व्यापक है। यह न केवल राजनीतिक विचारों और व्यवहारों के विकास तक सीमित है, बल्कि यह नागरिक जिम्मेदारियों, लोकतांत्रिक मूल्यों और समाज में सक्रिय भागीदारी को भी प्रभावित करता है।

प्रमुख विशेषताएँ

  • यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
  • यह एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जो धीरे-धीरे व्यक्ति की सोच को आकार देती है।
  • यह विभिन्न माध्यमों (एजेंट्स) के द्वारा संचालित होती है।
  • यह समाज की राजनीतिक स्थिरता और परिवर्तन दोनों में सहायक है।
  • व्यक्ति का राजनीतिक दृष्टिकोण उसके अनुभवों के आधार पर बदलता रहता है।

राजनीतिक समाजीकरण के प्रकार

  1. प्रत्यक्ष (Manifest) – जब राजनीतिक मूल्य स्पष्ट रूप से सिखाए जाते हैं (जैसे स्कूलों में लोकतंत्र की शिक्षा)।
  2. अप्रत्यक्ष (Latent) – जब गैर-राजनीतिक अनुभवों से राजनीतिक दृष्टिकोण स्वतः विकसित होते हैं (जैसे परिवार में होने वाली चर्चाएँ)।
  3. विशिष्ट (Specific) – केवल एक खास राजनीतिक विचारधारा को सिखाना (जैसे कम्युनिस्ट शिक्षा)।
  4. विशेषतावादी (Particularistic) – एक ही भूमिका पर ध्यान देना।
  5. सार्वभौमिक (Universalistic) – विविध भूमिकाओं को अपनाना सिखाना।
  6. भावात्मक (Affective) – राजनीतिक नेतृत्व और प्रणाली के प्रति भावनात्मक निष्ठा।
  7. उपयोगितावादी (Instrumental) – राजनीतिक प्रणाली से लाभ प्राप्त करने की रणनीति पर आधारित।

विकास के चरण

  1. प्रारंभिक बचपन – मुख्य प्रभाव परिवार से।
  2. किशोरावस्था – विचार बदलने की संभावना बढ़ती है।
  3. प्रौढ़ावस्था – स्थिर राजनीतिक दृष्टिकोण विकसित होता है।

राजनीतिक पीढ़ियाँ (Political Generations)

प्रत्येक पीढ़ी की राजनीतिक समझ उनके ऐतिहासिक अनुभवों से बनती है:

  • GI Generation – विश्व युद्ध और महामंदी।
  • Baby Boomers – वियतनाम युद्ध और नागरिक अधिकार आंदोलन।
  • Millennials (1981-2000) – 9/11, डिजिटल तकनीक।
  • Homeland Generation – आतंकवाद और तकनीकी सशक्तिकरण के बीच पले-बढ़े।

राजनीतिक समाजीकरण के एजेंट्स

  1. परिवार – सबसे प्रभावशाली प्रारंभिक एजेंट।
  2. विद्यालय एवं शिक्षण संस्थान – राजनीतिक ज्ञान और भागीदारी की भावना उत्पन्न करते हैं।
  3. सहपाठी / मित्र समूह (Peer Groups) – विचार और भागीदारी के स्तर को प्रभावित करते हैं।
  4. मास मीडिया (TV, रेडियो, इंटरनेट) – विचारों के आदान-प्रदान का मंच।
  5. राजनीतिक प्रणाली के साथ प्रत्यक्ष संपर्क – जैसे सरकारी सेवाओं के अनुभव।
  6. धर्म – राजनीतिक झुकाव को प्रभावित करता है।
  7. जाति – विशेष रूप से विकासशील देशों में विभाजनकारी एजेंट।
  8. राजनीतिक प्रतीक (झंडा, संविधान) – गर्व और सम्मान की भावना को प्रोत्साहित करते हैं।

राजनीतिक की पारंपरिक बनाम वैकल्पिक परिभाषाएं

पारंपरिक दृष्टिकोणवैकल्पिक / आलोचनात्मक दृष्टिकोण
राजनीति = राज्य, सरकार, चुनावराजनीति = सत्ता संबंध, पहचान, लिंग, वर्ग, जाति, संस्कृति
केवल औपचारिक संस्थाएंअनौपचारिक और रोज़मर्रा के अनुभव भी
‘सार्वजनिक’ ही राजनीतिक है‘निजी’ भी राजनीतिक हो सकता है (“The personal is political”)

उदाहरण: अब यदि एक महिला घर में घरेलू हिंसा का शिकार होती है, तो यह केवल ‘निजी’ मामला नहीं है, यह सत्ता और पितृसत्ता से जुड़ा राजनीतिक मुद्दा भी है।

राजनीतिक की परिभाषा

  • समाज के हाशिए पर खड़े लोगों की आवाज़ को शामिल करने के लिए – जैसे कि दलित, महिलाएं, LGBTQ+ समुदाय।
  • सत्ता के असमान वितरण को समझने और चुनौती देने के लिए।
  • राजनीति को केवल मतदान तक सीमित न रखकर एक व्यापक सामाजिक प्रक्रिया मानने के लिए।

राजनीतिक समाजीकरण केवल हमें राजनीति के बारे में सिखाता नहीं, बल्कि यह भी तय करता है कि हमें क्या ‘राजनीतिक’ मानना चाहिए। इसलिए यह ज़रूरी है कि हम ‘राजनीतिक’ की पारंपरिक परिभाषा को चुनौती दें

और उस पर पुनर्विचार करें। राजनीतिक केवल सत्ता का व्यवहार नहीं, बल्कि वह प्रक्रिया है जिसमें सत्ता निर्मित होती है, टिकती है, और कभी-कभी चुनौती दी जाती है, चाहे वह संसद में हो या हमारे घरों और दफ्तरों में।

गाएटानो मोसका के अनुसार, राजनीतिक समाजीकरण कोई निष्पक्ष या स्वाभाविक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य अभिजन वर्ग की सत्ता को बनाए रखना है। यह समाज को इस तरह प्रशिक्षित करती है कि लोग सत्ता की असमानता को स्वीकृत करें और उसे चुनौती न दें।

आलमंड और पॉवेल: राजनीतिक समाजीकरण

गेब्रियल आलमंड (Gabriel Almond) और सिडनी पॉवेल (Sidney Verba/Powell) ने राजनीतिक समाजीकरण (Political Socialisation) को राजनीति विज्ञान की व्याख्यात्मक परंपरा में एक महत्वपूर्ण अवधारणा के रूप में स्थापित किया। इन्होंने इस प्रक्रिया को लोकतांत्रिक राजनीतिक संस्कृति और राजनीतिक स्थिरता के निर्माण से जोड़ा।

राजनीतिक समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति समाज की राजनीतिक संस्कृति, मूल्यों, विश्वासों और व्यवहारों को सीखता है और अपनाता है।

“It is the process through which political values are passed from one generation to the next.” — Almond & Powell

प्रमुख घटक (Key Components)

घटकविवरण
एजेंट्स (Agents)परिवार, स्कूल, मीडिया, धर्म, सामाजिक समूह
प्रभाव की दिशा (Direction of Influence)ऊपर से नीचे (जैसे राज्य से नागरिकों की ओर) और नीचे से ऊपर (नागरिकों के अनुभव जो प्रणाली को प्रभावित करते हैं)
राजनीतिक संस्कृति से संबंधसमाजीकरण प्रक्रिया से ही व्यक्ति अपनी राजनीतिक संस्कृति (प्रजातांत्रिक, अधिनायकवादी, भागीदारी आदि) को विकसित करता है।

 

राजनीतिक संस्कृति से संबंध: आमण्ड और पॉवेल का मानना था कि राजनीतिक समाजीकरण से समाज की राजनीतिक संस्कृति तैयार होती है, जिसे इन्होंने तीन भागों में बाँटा:

प्रकारविशेषता
परोकियल (Parochial)लोग राजनीति से अनभिज्ञ और अलग-थलग रहते हैं (जैसे पारंपरिक जनजातीय समाज)
प्रजा-आधारित (Subject)लोग सत्ता को स्वीकारते हैं लेकिन भागीदारी नहीं करते (जैसे अधिनायकवादी राज्य)
भागीदारी (Participant)नागरिक सक्रिय रूप से राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेते हैं (जैसे लोकतंत्र)

समाजीकरण प्रक्रिया ही यह तय करती है कि व्यक्ति किस प्रकार की राजनीतिक संस्कृति का हिस्सा बनेगा।

आमण्ड एवं पॉवेल के अनुसार, यदि राजनीतिक समाजीकरण प्रक्रिया संतुलित और समावेशी हो, तो यह राजनीतिक स्थिरता और लोकतंत्र की मजबूती को बढ़ावा देती है। यदि समाजीकरण असंतुलित हो, तो यह राजनीतिक असंतोष और अस्थिरता को जन्म दे सकता है।

Books on Political Socialisation

Gabriel A. Almond & Sidney Verba – The Civic Culture (1963)

Gabriel A. Almond, G. Bingham Powell – Comparative Politics: A Developmental Approach (1966)

David Easton – A Systems Analysis of Political Life (1965)

Lucian Pye – Aspects of Political Development (1966)

Kenneth P. Langton – Political Socialization (1969)

Dennis Kavanagh – Political Socialization (1983)

Jean Blondel – An Introduction to Comparative Government

निष्कर्ष

राजनीतिक समाजीकरण एक ऐसा औजार है जो एक स्वस्थ, स्थिर एवं सक्रिय राजनीतिक संस्कृति के निर्माण और सुधार में सहायक होता है। यह प्रत्येक देश की राजनीतिक स्थिरता, नागरिक भागीदारी और लोकतांत्रिक चेतना के विकास के लिए आवश्यक है।

 

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