द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका वैश्विक आर्थिक नेतृत्व का केंद्र रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में उसकी नीतियों में बड़ा बदलाव देखा गया है। विशेष रूप से, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और वैश्विक नियम-आधारित प्रणाली को कमजोर किया। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक शून्य पैदा हुआ है, जिसे भरने की जिम्मेदारी अब यूरोप पर आ सकती है।
यूरोपीय संघ (EU) और ब्रिटेन को मिलकर इस चुनौती को एक अवसर में बदलना होगा और वैश्विक आर्थिक नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
अमेरिका की बदलती भूमिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के दौरान, अमेरिका ने एकतरफा व्यापार नीतियां अपनाई, जिससे वैश्विक व्यापार संतुलन प्रभावित हुआ। प्रमुख परिवर्तन निम्नलिखित थे:
- टैरिफ और व्यापार युद्ध – अमेरिका ने विभिन्न देशों, विशेष रूप से चीन और यूरोप के खिलाफ भारी टैरिफ लगाए, जिससे वैश्विक व्यापार प्रभावित हुआ।
- बहुपक्षीय सहयोग की उपेक्षा – अमेरिका ने कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों से दूरी बना ली, जिससे वैश्विक वित्तीय स्थिरता पर असर पड़ा।
- डॉलर पर निर्भरता में कमी की प्रवृत्ति – कई देश अब अमेरिकी डॉलर के बजाय अन्य मुद्राओं (जैसे यूरो) को प्राथमिकता देने लगे हैं।
- अमेरिकी अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता – अमेरिकी फेडरल रिजर्व की रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक विकास दर 1.7% तक गिरने की संभावना है, जिससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है।
यूरोप के लिए अवसर और चुनौतियाँ
यूरोप के पास एक संगठित, मजबूत और स्थिर आर्थिक संरचना है, जो उसे इस नई वैश्विक भूमिका के लिए उपयुक्त बनाती है। हालाँकि, उसे कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा:
- आंतरिक राजनीतिक मतभेद – EU के सदस्य देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर सहमति बनाना कठिन हो सकता है।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा – चीन, रूस और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाएँ भी वैश्विक आर्थिक प्रणाली को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं।
- ब्रिटेन के साथ तालमेल – ब्रेक्ज़िट के बाद ब्रिटेन और EU के बीच संबंधों में अनिश्चितता बनी हुई है, जिसे संतुलित करना आवश्यक होगा।
यूरोपीय संघ द्वारा उठाए गए कदम
- टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई – यूरोपीय आयोग ने अमेरिकी स्टील और एल्युमीनियम टैरिफ के खिलाफ मजबूत कदम उठाए हैं।
- यूरोपीय रक्षा नीति को मजबूत करना – अमेरिका पर निर्भरता कम करने के लिए EU स्वतंत्र रक्षा नीति विकसित कर रहा है।
- जर्मनी की आर्थिक रणनीति – जर्मनी अपने बुनियादी ढांचे और रक्षा खर्च को बढ़ाने के लिए नए वित्तीय उपाय लागू कर रहा है।
यूरोप को आगे क्या करना चाहिए?
यूरोप को वैश्विक आर्थिक नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए तीन प्रमुख कदम उठाने होंगे:
- नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की परिकल्पना
- यूरोपीय संघ को स्पष्ट करना होगा कि वह अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली को किस दिशा में ले जाना चाहता है।
- अमेरिका के साथ सहयोग बनाए रखते हुए अन्य देशों को अधिक भागीदारी देने के उपाय करने होंगे।
- यूरो की वैश्विक स्थिति को मजबूत करना
- यूरो को वैश्विक मुद्रा के रूप में अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए यूरोपीय वित्तीय बाजारों को गहरा और व्यापक बनाना होगा।
- यूरो पहले से ही वैश्विक मुद्रा भंडार का 20% हिस्सा है, जिसे और अधिक बढ़ाने की जरूरत है।
- अन्य देशों के साथ गठबंधन बनाना
- कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के साथ व्यापार और वित्तीय संबंध मजबूत करने होंगे।
- चीन जैसे उभरते हुए देशों के साथ व्यावसायिक हितों को संतुलित करना होगा।
ब्रिटेन और यूरोपीय संघ का परस्पर सहयोग
ब्रिटेन और EU के बीच घनिष्ठ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग आवश्यक होगा। कुछ प्रमुख प्राथमिकताएँ निम्नलिखित हैं:
- सुरक्षा समझौते – ब्रिटेन को यूरोपीय रक्षा उद्योग में भागीदार बनने देना चाहिए।
- यूक्रेन समर्थन – रूस के प्रभाव को संतुलित करने के लिए यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक सहायता देना आवश्यक होगा।
- व्यापारिक संरेखण – खाद्य सुरक्षा, उत्सर्जन व्यापार और वित्तीय विनियमन जैसे क्षेत्रों में एकजुट नीतियाँ बनानी होंगी।
निष्कर्ष
यूरोप के पास अमेरिका के पीछे हटने से बने आर्थिक नेतृत्व के खालीपन को भरने का एक ऐतिहासिक अवसर है। यूरोपीय संघ और ब्रिटेन को मिलकर एक नियम-आधारित वैश्विक आर्थिक प्रणाली को बनाए रखने और मजबूत करने के लिए आगे बढ़ना होगा। यदि यूरोप निर्णायक कदम उठाने में सफल होता है, तो यह न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करेगा बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।