दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू/Gyeongju में आयोजित एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन 2025 का समापन APEC नेताओं की ग्योंगजू घोषणा (2025) को अपनाने के साथ हुआ, जिसने क्षेत्रीय सहयोग, डिजिटल परिवर्तन और समावेशी आर्थिक विकास की पुन: पुष्टि की है।
APEC शिखर सम्मेलन 2025 के प्रमुख परिणाम
- ग्योंगजू घोषणा (2025) को अपनाना गया। इस घोषणा ने APEC नेताओं की समावेशी आर्थिक विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया गया, यह स्वीकार करते हुए कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों का श्रम बाजारों पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ रहा है।
इसमें तीन प्राथमिकताएँ रेखांकित की गईं:
- विश्व की सबसे गतिशील और परस्पर जुड़ी क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण।
- क्षेत्र को डिजिटल और AI परिवर्तन के लिए तैयार करना।
- साझा चुनौतियों का समाधान करना और यह सुनिश्चित करना कि विकास के लाभ सभी तक पहुँचें।
- APEC कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पहल (2026–2030): इस AI पहल का उद्देश्य नवाचार, सहयोग, क्षमता निर्माण, और सतत एवं ऊर्जा-कुशल AI विकास को बढ़ावा देकर समावेशी और लचीले विकास को संचालित करना है।
- जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के लिए रूपरेखा: APEC द्वारा अपनाई गई इस रूपरेखा में क्षेत्र की वृद्ध होती जनसंख्या, घटती जन्म दर, और तीव्र शहरीकरण जैसी चुनौतियों का समाधान किया गया है।
यह लोगों-केंद्रित और अंतर-पीढ़ीगत नीतियों का आग्रह करती है जो लचीले और समावेशी विकास को प्रोत्साहित करें। साथ ही यह साझा नीति प्रतिक्रियाओं, सामाजिक नवाचार, मजबूत रोजगार, राजकोषीय लचीलापन, और वृद्ध होती आबादी के लिए ‘सिल्वर इकॉनमी’ को बढ़ावा देती है। - आर्थिक और तकनीकी सहयोग को सुदृढ़ बनाना: चीन–दक्षिण कोरिया ने मुद्रा स्वैप समझौते का नवीनीकरण किया और एक साइबर सुरक्षा समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
शिखर सम्मेलन के दौरान हुई अमेरिका–चीन वार्ताओं ने तनाव में कमी के संकेत दिए, जिसमें व्यापार वार्ता पुनः शुरू करने और चुनिंदा टैरिफ घटाने की योजना बनाई गई। - समावेशी, नियम–आधारित बहुपक्षवाद के लिए समर्थन: नेताओं ने पुत्राजया विज़न 2040/Putrajaya Vision 2040 की पुनः पुष्टि की, जिसमें स्वतंत्र और निष्पक्ष व्यापार, पूर्वानुमानित निवेश, और विखंडन के बजाय बहुपक्षवाद के माध्यम से सहयोग पर बल दिया गया।
पुत्राजया विज़न 2040/Putrajaya Vision 2040 एक दीर्घकालिक रणनीतिक योजना है जिसे APEC ने वर्ष 2020 में अपनाया था, जिसका उद्देश्य एक खुला, गतिशील, लचीला और शांतिपूर्ण एशिया-प्रशांत समुदाय का निर्माण करना है।
एशिया–प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) क्या है?
एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) की स्थापना 1989 में की गई थी। यह 21 अर्थव्यवस्थाओं का एक क्षेत्रीय मंच है जिसका उद्देश्य संतुलित, समावेशी, सतत और नवोन्मेषी विकास को बढ़ावा देना है, साथ ही एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक एकीकरण को आगे बढ़ाना है।
उद्देश्य: क्षेत्र के लोगों के लिए अधिक समृद्धि सुनिश्चित करना।
संतुलित, समावेशी, सतत, नवोन्मेषी और सुरक्षित विकास को बढ़ावा देकर तथा
क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण (regional economic integration) को तेज़ी से आगे बढ़ाकर।
- APEC ‘देशों (countries)’ के बजाय ‘अर्थव्यवस्थाओं (economies)’ शब्द का प्रयोग करता है ताकि राजनीतिक प्रतिनिधित्व के बजाय आर्थिक सहयोग पर जोर दिया जा सके।
- यह मंच वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और लोगों के आवागमन को आसान बनाने के लिए सीमा शुल्क सरलीकरण, व्यापारिक परिस्थितियों में सुधार, और क्षेत्रीय नियमों एवं मानकों के संरेखण पर काम करता है ताकि व्यापार और एकीकरण को प्रोत्साहन मिल सके।
APEC के सदस्य (Members)
ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, कनाडा, चिली, चीन, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, मेक्सिको, न्यूज़ीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, पेरू, फ़िलीपींस, रूस, सिंगापुर, चीनी ताइपे, थाईलैंड, अमेरिका और वियतनाम।
- APEC की 21 सदस्य अर्थव्यवस्थाओं में लगभग 2.95 अरब लोग रहते हैं, जो 2021 में विश्व GDP का लगभग 62% और विश्व व्यापार का 48% प्रतिनिधित्व करती हैं।
- भारत APEC का सदस्य नहीं है, लेकिन इसके कई सदस्य देशों के साथ भारत के मजबूत राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंध हैं।

यह मंच सम्मति (consensus) और स्वैच्छिक भागीदारी (voluntary participation) के आधार पर कार्य करता है, जहां सभी सदस्यों की समान आवाज़ होती है और निर्णय संवाद के माध्यम से लिए जाते हैं।
इसकी प्रक्रिया को सिंगापुर स्थित स्थायी सचिवालय (Permanent Secretariat) द्वारा समर्थन प्राप्त है।
सतत और समावेशी एशिया–प्रशांत (Sustainable and Inclusive Asia-Pacific)
APEC एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सभी निवासियों को बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में भाग लेने में मदद करने के लिए काम करता है।
उदाहरण के लिए, APEC परियोजनाएँ ग्रामीण समुदायों के लिए डिजिटल कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती हैं और स्वदेशी महिलाओं को अपने उत्पादों का निर्यात करने में सहायता करती हैं।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को स्वीकार करते हुए, APEC सदस्य देश ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और वनों व समुद्री संसाधनों के सतत प्रबंधन को प्रोत्साहित करने वाली पहलों को लागू करते हैं।
यह मंच अपने सदस्यों को क्षेत्र की आर्थिक भलाई के लिए महत्वपूर्ण नई चुनौतियों से निपटने की अनुमति देने के लिए अनुकूलित होता है।
इसमें शामिल हैं:
- आपदा प्रतिरोधक क्षमता सुनिश्चित करना,
- महामारियों के लिए योजना बनाना, और
- आतंकवाद का सामना करना।
भारत की रुचि (India’s Interest in APEC)
- भारत ने 1991 में APEC में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी, यह वही समय था जब भारत ने आर्थिक उदारीकरण और वैश्वीकरण के सुधारों की शुरुआत की थी।
- भारत की APEC में रुचि उसके भौगोलिक स्थान, अर्थव्यवस्था के संभावित आकार, और एशिया–प्रशांत क्षेत्र के साथ उसके व्यापारिक संबंधों पर आधारित है।
- APEC ने अब तक सदस्यता विस्तार पर एक अनौपचारिक रोक (informal moratorium) बनाए रखी है, जिससे भारत की सदस्यता में बाधा आई है।
2015 में घोषित अमेरिका–भारत संयुक्त रणनीतिक दृष्टि (US–India Joint Strategic Vision for the Asia-Pacific and Indian Ocean Region) ने भारत की APEC में शामिल होने की इच्छा का स्वागत किया था, परंतु अब तक कोई औपचारिक प्रगति नहीं हुई है। - भारत APEC को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय एकीकरण को गहरा करने का प्रवेश द्वार मानता है।
- सदस्यता से भारत को वैश्विक व्यापार मानकों के साथ संरेखण, प्रक्रियाओं को सरल बनाने, और विदेशी निवेश को आकर्षित करने में सहायता मिलेगी।
- यह भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी राष्ट्रीय पहलों को भी पूरक करेगी।
- परन्तु APEC की सम्मति-आधारित सदस्यता प्रक्रिया, नए सदस्यों पर अस्थायी रोक (freeze), और भारत की संरक्षणवादी व्यापार नीतियों तथा जटिल विनियामक ढांचे को लेकर चिंताओं ने भारत की सदस्यता की संभावनाओं को प्रभावित किया है।
- हालांकि भारत ने अतिथि या पर्यवेक्षक (guest/observer) के रूप में APEC बैठकों में भाग लिया है, लेकिन सदस्यता फिलहाल विचाराधीन नहीं है।
APEC का विकसित होता एजेंडा भारत की इंडो–पैसिफिक दृष्टि से कैसे मेल खाता है?
- साझा दृष्टिकोण (Shared Vision): APEC और भारत की इंडो–पैसिफिक रणनीति दोनों एक स्वतंत्र, खुली और समावेशी क्षेत्रीय व्यवस्था पर बल देती हैं, जो पारदर्शिता, कनेक्टिविटी, और अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रति सम्मान पर आधारित है।
यह दृष्टिकोण आर्थिक सहयोग, समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को प्रोत्साहित करता है, जो भारत की ‘इंडो-पैसिफिक को एक साझा वैश्विक सार्वजनिक संपत्ति’ मानने की नीति के अनुरूप है। - कनेक्टिविटी और एकीकरण पर फोकस (Focus on Connectivity and Integration): APEC का एजेंडा सप्लाई चेन लचीलापन, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, और डिजिटल कनेक्टिविटी पर केंद्रित है; जो भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’, MAHASAGAR (Maritime Awareness and Security for All in the Great Asia Region) और इंडो–पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (IPOI) जैसी पहलों को पूरक करता है।
इन पहलों के माध्यम से भारत दक्षिण-पूर्व एशिया, ओशिनिया और प्रशांत द्वीपों के साथ आर्थिक एवं समुद्री संपर्क को सुदृढ़ कर रहा है। - डिजिटल और नवाचार सहयोग (Digital and Innovation Synergy): APEC की AI, डिजिटल अर्थव्यवस्था, और नवाचार–आधारित विकास पर नई प्राथमिकता भारत की घरेलू पहलों जैसे डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और IndiaAI से मेल खाती है।
यह भारत को क्षेत्र में एक डिजिटल सेतु (digital bridge) के रूप में स्थापित करता है, जो एशिया-प्रशांत के देशों के बीच तकनीकी साझेदारी और मानकीकरण को प्रोत्साहित करता है।
जैसे-जैसे APEC व्यापार से आगे बढ़कर प्रौद्योगिकी, जलवायु, और समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, भारत के लिए यह एक अवसर है कि वह अनौपचारिक रूप से भागीदारी बढ़ाए और इंडो–पैसिफिक की आर्थिक संरचना को आकार देने में योगदान करे।
निष्कर्ष
ग्योंगजू में आयोजित APEC शिखर सम्मेलन 2025 ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और भू-राजनीति के संगम (convergence) को रेखांकित किया। ग्योंगजू घोषणा और AI पहल के माध्यम से, इसने क्षेत्र में सतत, समावेशी और AI-चालित विकास की दिशा तय की है।
भारत के लिए, यह मंच अपनी इंडो-पैसिफिक दृष्टि को सशक्त करने और एशिया-प्रशांत में एक प्रमुख तकनीकी एवं आर्थिक भागीदार के रूप में उभरने का अवसर प्रदान करता है।
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