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गजा शांति समझौता : व्यवहारिक या मजबूरी

गजा मध्य पूर्व के सबसे ज्वलंत संकटों में से एक है, जो दशकों से क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बना हुआ है। सितंबर 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तुत 20-बिंदु शांति प्रस्ताव इस संघर्ष को शीघ्र समाप्त करने की कोशिश का नया प्रयास माना जा रहा है। यह प्रस्ताव इजरायल सरकार के समर्थन के बाद सामने आया है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती हमास की स्वीकृति बनी हुई है।

सबसे पहले यह समझना आवश्यक है कि ट्रंप की योजना में क्या प्रमुख बिंदु शामिल हैं। यह योजना गाजा में तुरंत युद्धविराम, सभी जीवित और मृत बंधकों की रिहाई, इजरायली सेना की चरणबद्ध वापसी, हमास का निरस्त्रीकरण, और एक अस्थायी शासकीय बोर्ड का गठन शामिल करती है। इस बोर्ड की अध्यक्षता स्वयं ट्रंप करेंगे, और इसमें पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी शामिल रहेंगे। गाजा में हमास या अन्य आतंकवादी समूहों को प्रशासन में कोई भूमिका नहीं दी जाएगी, और क्षेत्र के पुनर्निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग योजना बनाई गई है। इसके अलावा गाजा में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने और व्यापार में सहूलियतें देने का प्रस्ताव भी है ताकि रोजगार और विकास को प्रोत्साहन मिले।

इजरायल सरकार ने इस योजना का स्वागत किया है, विशेषकर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे ऐतिहासिक बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे फिलिस्तीन को एक राज्य के रूप में मान्यता नहीं देंगे और आतंकवाद को कभी सहन नहीं करेंगे। इजरायली वित्त मंत्री ने भी योजना की कतर की भागीदारी और गाजा में नई सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अपनी आपत्ति जताई है। याद रखें कि इजरायल की स्थिरता और सुरक्षा चिंता इस मसले पर इसकी सख्त प्रतिक्रिया का मूल कारण है।

अरब और मुस्लिम देशों का रुख इस योजना के प्रति मिश्रित है। कुछ देशों ने इसे जिम्मेदारी से अध्ययन करने का भरोसा दिया है जबकि ट्रंप ने दावा किया कि अरब और मुस्लिम राष्ट्रों ने इस शांति प्रस्ताव का समर्थन किया है। जब तक हमास की स्वीकृति नहीं मिलती, तब तक शांति की कोई गारंटी नहीं है। इस प्रस्ताव को न मानने की स्थिति में इजरायल सैन्य कार्रवाई तेज कर सकता है, जिससे इलाके की स्थिति और जटिल हो सकती है।

हमास की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन संकेत मिले हैं कि वह इस योजना को खारिज कर सकता है। ट्रंप ने हमास को धमकी दी है कि अगर वे तीन-चार दिनों के भीतर इस समझौते को स्वीकार नहीं करते हैं तो उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। इस दबाव का राजनीतिक और मानवीय दोनों स्तरों पर गंभीर प्रभाव होगा। हमास की सैन्य और राजनीतिक ताकत गाजा में एक बड़ा कारक है, और उसका निरस्त्रीकरण या प्रशासन से बाहर कर देना बहुत जटिल मुद्दा है।

इस योजना के सैद्धांतिक पक्ष को समझें तो यह मध्य-पूर्व में दशकों से चली आ रही हिंसा और आतंकवाद को समाप्त करने का प्रयास है। गाजा के पुनर्निर्माण, आर्थिक विकास, और स्थिरता को बढ़ावा देना इसके उद्देश्य में शामिल है। यह स्थानीय लोगों के लिए बेहतर भविष्य के अवसर प्रदान कर सकता है और क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए आवश्यक पूर्वाधार सुनिश्चित कर सकता है। साथ ही, इस प्रस्ताव से क्षेत्रीय देश भी जुड़े हुए हैं, जो विवादों को कम करने और सहयोग को बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं।

वहीं, इसके व्यवहारिक पक्ष में कई जटिलताएं हैं। पहले तो हमास का खारिज कर देना एक बड़ा व्यवधान है। हमास का अस्तित्व गाजा के अधिकांश हिस्सों पर प्रभावी है और उसने कई बार इसके विरुद्ध विद्रोह दिखाया है। दूसरा, इजरायल और फिलिस्तीनी क्षेत्र के बीच गहरे अविश्वास और दुश्मनी है, जिसे एक समझौते से शीघ्र समाप्त करना कठिन है। तीसरा, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अरब और मुस्लिम देशों का समर्थन अस्थिर और अवसरवादी हो सकता है। अतः इस योजना को टिकाऊ शांति में बदलना प्रत्याशित से अधिक कठिन हो सकता है।

इसके अतिरिक्त, ट्रंप की योजना में गाजा के निवासियों को विस्थापित किए बिना बेहतर जीवन की बात उचित है, लेकिन यह तब तक व्यावहारिक नहीं हो पाएगी जब तक सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित न हो। क्षेत्र में एक अंतरराष्ट्रीय शांति बोर्ड की स्थापना, जबकि तकनीकी रूप से आवश्यक लगती है, लेकिन इसका क्रियान्वयन और स्थानीय स्वीकार्यता चुनौतीपूर्ण होगी। यह बोर्ड गाजा के शासकीय कामकाज को नियंत्रित करेगा परंतु इसकी वास्तविक प्रभावशीलता परिस्थिति पर निर्भर करेगी।

अंतरराष्ट्रीय निगरानी तंत्र की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। इस प्रस्ताव में गाजा में अस्थायी शांति बल की तैनाती का सुझाव दिया गया है, जो सुरक्षा स्थिति को नियंत्रित करेगा। इसकी सफलता के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन और स्थानीय सहयोग जरूरी होगा। अंतत: यह प्रस्ताव सुरक्षा, राजनीतिक, और मानवीय तीनों आयामों को समेटने की कोशिश करता है, लेकिन यह सवाल बना रहता है कि क्या इसे लागू कर पाना संभव होगा।

इस प्रस्ताव की सबसे बड़ी मजबूरी हमास की प्रतिक्रिया है। यदि हमास इसे स्वीकार नहीं करता है, तो ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका इजरायल को समर्थन देगा ताकि इस आतंकवादी संगठन को समूल समाप्त किया जा सके। यह स्थिति एक गंभीर सैन्य संघर्ष को जन्म दे सकती है, जो पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है।

अतः यह कहा जा सकता है कि ट्रंप का गाजा शांति प्रस्ताव एक व्यवहारिक प्रयास होने के साथ-साथ एक मजबूरी भी है। यह शांति की दिशा में एक मौका प्रदान करता है, जिसमें वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय साथी शामिल हैं। किन्तु इस प्रस्ताव की सफलता इसके सभी संबद्ध पक्षों द्वारा सहयोग और स्वीकृति पर निर्भर करती है। फिलहाल, यह विवादास्पद और जटिल क्षेत्र में शांति की आस को पुनर्जीवित करने का पहला बड़ा कद है, पर इसे न्यायसंगत और स्थायी शांति की गारंटी नहीं माना जा सकता।

यह लेख इस बात को स्पष्ट करता है कि गाजा शांति समझौता केवल एक कूटनीतिक दस्तावेज नहीं, बल्कि मध्य-पूर्व की स्थिरता के लिए एक परीक्षण है। इसमें सफलता के संभावित मार्ग एवं खतरे दोनों विद्यमान हैं। इस प्रस्ताव को लागू किए बिना क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरणों और जन आकांक्षाओं के बीच संतुलन बैठाना आवश्यक होगा। वर्तमान में ट्रंप की पहल से उम्मीद तो जागी है, पर इसका अंतिम परिणाम विषयगत दबावों, हमास की भूमिका, और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं की कसौटी पर टिका होगा।

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