in

ग्रीन पॉलिटिक्स (Green Politics)

पर्यावरण-केंद्रित और मानव-केंद्रित सुधारवादी दृष्टिकोण

ग्रीन पॉलिटिक्स या हरित राजनीतिक सिद्धांत (Green Political Theory) एक ऐसी राजनीतिक विचारधारा है जो मानव और प्रकृति के बीच संतुलित संबंध स्थापित करने पर केंद्रित है।
इसका उद्देश्य न केवल मनुष्य की भलाई, बल्कि पूरे पारिस्थितिक तंत्र (ecosystem) के अस्तित्व और स्थायित्व को सुनिश्चित करना है।

ग्रीन थ्योरी यह मानती है कि राजनीति और अर्थव्यवस्था को इस तरह संचालित किया जाना चाहिए जिससे प्रकृति की रक्षा और मानव जीवन की निरंतरता बनी रहे।

मुख्य विचार

ग्रीन पॉलिटिकल थ्योरी पारंपरिक राजनीतिक विचारों से इसलिए अलग है क्योंकि यह:

  • केवल मानव-केंद्रित (anthropocentric) नहीं है,
  • बल्कि प्रकृति-केंद्रित (ecocentric) या पर्यावरण-केंद्रित (environmental) दृष्टिकोण अपनाती है।

ग्रीन पॉलिटिक्स का मूल सिद्धांत है कि मनुष्य प्रकृति का एक हिस्सा है, न कि उसका स्वामी।
इसलिए सभी राजनीतिक निर्णयों को पारिस्थितिक सीमाओं के भीतर लिया जाना चाहिए।

ग्रीन पॉलिटिक्स का विकास

हरित राजनीति एक राजनीतिक विचारधारा है जो पर्यावरणवाद, सामाजिक न्याय, अहिंसा और जमीनी स्तर के लोकतंत्र पर जोर देती है। यह अक्सर ग्रीन पार्टी से जुड़ा होता है, एक राजनीतिक समूह जो विभिन्न राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ विश्व स्तर पर काम करता है।

  • विचारधारा इस विश्वास में निहित है कि ये सिद्धांत परस्पर जुड़े हुए और अन्योन्याश्रित हैं, और सभी निर्णय पर्यावरण, समाज और भावी पीढ़ियों पर उनके प्रभाव को ध्यान में रखकर किए जाने चाहिए।
  • हरित राजनीति का इतिहास 1960 और 1970 के दशक के पर्यावरण आंदोलन से खोजा जा सकता है, जिसने प्रदूषण, वन्यजीव विलुप्त होने और वनों की कटाई जैसे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया। यह आंदोलन काफी हद तक 20वीं सदी के औद्योगीकरण और शहरीकरण की प्रतिक्रिया थी, जिसके कारण महत्वपूर्ण पर्यावरणीय गिरावट हुई थी। पहली ग्रीन पार्टी 1972 में तस्मानिया, ऑस्ट्रेलिया में स्थापित की गई थी, और उसके बाद 1970 के दशक के अंत में न्यूजीलैंड और यूनाइटेड किंगडम में इसी तरह की पार्टियों का गठन किया गया था।
  • 1980 के दशक में, हरित राजनीति को विशेष रूप से यूरोप में अधिक व्यापक मान्यता मिलनी शुरू हुई। जर्मन ग्रीन पार्टी, डाई ग्रुनेन, विशेष रूप से प्रभावशाली थी, जो राष्ट्रीय प्रमुखता हासिल करने वाली पहली ग्रीन पार्टी बन गई। उन्होंने “पारिस्थितिक यथार्थवाद” और “मौलिक विरोध” जैसी अवधारणाएं पेश कीं, जिन्होंने सतत विकास की आवश्यकता और पारंपरिक बाएं-दाएं राजनीति की अस्वीकृति पर जोर दिया।
  • तब से, हरित राजनीति का विकास और विस्तार जारी है। यह क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौते जैसे जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को आकार देने में प्रभावशाली रहा है। यह नवीकरणीय ऊर्जा, टिकाऊ कृषि और सामाजिक न्याय के आंदोलनों में भी सबसे आगे रहा है।
  • राजनीतिक हाशिये पर जाने और आंतरिक विभाजन जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, ग्रीन पॉलिटिक्स वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण ताकत बनी हुई है, जो एक स्थायी और न्यायसंगत भविष्य की वकालत करती है।

ग्रीन पॉलिटिक्स की दो प्रमुख धाराएँ

  1. Ecocentric (पर्यावरणकेंद्रित / गहराई वाली हरित सोच)
    • प्रतिनिधि विचारक: Arne Naess, Bill Devall, Warwick Fox, Robyn Eckersley
    • यह दृष्टिकोण मानता है कि सृष्टि में कोई स्थायी विभाजन नहीं है,
      यानी मानव और प्रकृति एक ही जैविक जाल (biospheric web) के हिस्से हैं।
    • Gaia Hypothesis के अनुसार, पूरी पृथ्वी एक जीवित जीव (organism) की तरह कार्य करती है।
    • इस विचार में प्रकृति को अपने आप में मूल्यवान (intrinsic value) माना गया है — उसे मनुष्य की मान्यता की आवश्यकता नहीं।
  2. Reformist / Anthropocentric (मानवकेंद्रित सुधारवादी दृष्टिकोण)
    • प्रतिनिधि विचारक: R.E. Goodin, John Dryzek, John Barry
    • यह दृष्टिकोण मानता है कि मनुष्य प्रकृति का हिस्सा है, लेकिन उसका मूल्यांकन मानव दृष्टि से किया जाता है।
    • यहाँ प्रकृति का महत्व मानव जीवन के सह-अस्तित्व और स्थिरता में देखा जाता है।
    • इसे “pliant anthropocentrism” कहा गया है — अर्थात एक लचीला मानव-केंद्रित दृष्टिकोण।

ग्रीन पॉलिटिक्स की प्रमुख थीम्स

  1. मानव और प्रकृति का पारस्परिक संबंध — मनुष्य और प्रकृति एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
  2. समग्र दृष्टिकोण (Holistic View) — संपूर्ण पृथ्वी एक एकीकृत जैविक तंत्र है।
  3. औद्योगिक सभ्यता की आलोचना — अनंत उत्पादन और उपभोग की प्रवृत्ति पृथ्वी को नष्ट कर रही है।
  4. नैतिक जिम्मेदारी — हर राजनीतिक क्रिया को पर्यावरणीय परिणामों के अनुसार मूल्यांकित करना चाहिए।

ग्रीन राजनीति बनाम पारंपरिक राजनीति

पहलूपारंपरिक राजनीतिहरित राजनीति
केंद्रमानव हितसमग्र प्रकृति और पारिस्थितिकी
मूल्यआर्थिक विकास, औद्योगिकतास्थायित्व (Sustainability) और संतुलन
उद्देश्यमनुष्य की भौतिक प्रगतिपृथ्वी की पारिस्थितिक सुरक्षा
दृष्टिकोणAnthropocentricEcocentric / Biocentric

महत्वपूर्ण सिद्धांतकार

  • Aldo Leopold: “एक चीज सही है जब वह संपूर्ण जैविक समुदाय की स्थिरता और सुंदरता को बनाए रखे।”
  • Arne Naess: “मनुष्य को स्वयं को जैविक जाल के एक नोड (knot) के रूप में देखना चाहिए।”
  • Murray Bookchin: “ग्रीन थ्योरी प्रकृति की आत्म-संवेदनशीलता है — प्रकृति स्वयं अपने माध्यम से बोलती है।”

समस्या और आलोचना

एंड्रयू विंसेंट के अनुसार, ग्रीन पॉलिटिक्स के सामने मुख्य दुविधा यह है कि:

  • यह “प्रकृति” की एक स्थिर और सर्वमान्य परिभाषा नहीं दे पाती।
  • कुछ विचारक इसे “प्रकृति की रक्षा” मानते हैं, तो कुछ “मानव के अस्तित्व की रक्षा” के रूप में।
  • इस वजह से ग्रीन पॉलिटिकल थ्योरी में एक अंतर्निहित विरोधाभास (internal tension) बना रहता है।
  • हरित राजनीति कई विचारधाराओं (नारीवाद, पर्यावरणवाद, सतत विकास आदि) को जोड़ती है, परंतु इसका कोई स्पष्ट मूल नहीं दिखता। कई बार यह केवल “विकास की सीमाओं” (Limits to Growth) जैसी निराशावादी सोच तक सीमित रह जाती है।

निष्कर्ष

ग्रीन पॉलिटिक्स का उद्देश्य है- “ऐसी राजनीति और अर्थव्यवस्था का निर्माण जो प्रकृति के साथ सामंजस्य रखे और मानव जीवन की निरंतरता को सुनिश्चित करे।”

यह केवल पर्यावरण संरक्षण नहीं, बल्कि एक नई राजनीतिक नैतिकता (ecological ethics) का आह्वान है- जहाँ विकास, न्याय, स्वतंत्रता और समानता के प्रश्नों को पर्यावरणीय संदर्भ में पुनर्परिभाषित किया जाता है।

 

 


Discover more from Politics by RK: Ultimate Polity Guide for UPSC and Civil Services

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

What do you think?

Lord Acton :”शक्ति भ्रष्ट करती है, और पूर्ण शक्ति पूर्ण रूप से भ्रष्ट करती है

शर्म अल-शेख Sharm-al-Sheikh