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ग्लोबल साउथ के विकास में कितना जरूरी अमेरिकी नेतृत्व

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर, अमेरिका के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था/नियमआधारित व्यवस्था को लेकर बहस तेज हो गई है। कई लोग इसेलोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक स्थिरता के लिए आवश्यक मानते हैं, जबकिकुछ इसे विकसित देशों के प्रभुत्व को बनाए रखने का साधन समझते हैं।वैश्विक दक्षिण, जो अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के कई देशों कोसमेटे हुए है, इस बहस का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। मुख्य प्रश्न यह उठ रहा हैकि मेरिकी नियमआधारित व्यवस्था क्यों आवश्यक है और वैश्विक दक्षिणपर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है?

नियमआधारित व्यवस्था:”अप्रचलितव्यवस्था

डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी को कई पर्यवेक्षकों ने एक युग के अंतके रूप में देखा है। जिसका आरम्भ उदार अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के रूप में  शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद हुआ। इसे अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो नेजनवरी मेंअप्रचलितव्यवस्था बताया था। अब केवल राष्ट्रीय हित हीअंतरराष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करता है।

ग्लोबल साउथ क्या है?

ग्लोबल साउथ की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है इन देशों की पहचान जी77 जो विकासशील देशों का एक समूह है सकी स्थापना 1960 के दशक मेंसंयुक्त राष्ट्र में अपने सामूहिक हितों को व्यक्त करने और बढ़ावा देने के लिएकी गई थी इस समूह में मध्य और दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, एशिया औरओशिनिया के 134 देश शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, गुटनिरपेक्ष आंदोलन मेंशामिल 120 देश भी इसमें शामिल हैं वैश्विक दक्षिण के देश वर्तमानअंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए सुधार करना चाहतेहैं। वे चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसी संस्थाओं में उनका अधिक प्रतिनिधित्व हो। लेकिन इस बदलाव मेंकई कठिनाइयाँ हैं, और निकट भविष्य में इसमें कोई बड़ा सुधार होता नहींदिख रहा। हांलाकि, कई देश अमेरिकी डॉलर के बजाय किसी अन्य मुद्रा कोवैश्विक व्यापार के लिए अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं। इसके विपरीत, कुछ देशपर्यावरण, मानवाधिकार और लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर चीन का समर्थन कर रहेहैं। इससे अंतरराष्ट्रीय संतुलन बदल सकता है, जो कुछ देशों के लिएफायदेमंद हो सकता है, लेकिन कई अन्य के लिए नुकसानदायक भी साबित होसकता है। अमेरिका के नेतृत्व वाली इस आर्थिक संरचना को पूरी तरहअस्वीकार करना एक जोखिम भरा कदम हो सकता है। वैश्विक दक्षिण कोअमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को बनाए रखते हुएअपनी स्वतंत्र आर्थिक नीतियां विकसित करनी चाहिए।

वैश्विक दक्षिण के लिए क्यों महत्वपूर्ण है अमेरिकी नेतृत्व?

वैश्विक दक्षिण के देशों को एक नई व्यवस्था बनाने के बजाय पहले से मौजूदअंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को अधिक प्रभावी और न्यायसंगत बनाने की दिशा मेंकाम करना चाहिए। यह वास्तविकता सही है कि नियमआधारित व्यवस्था मेंकुछ खामियाँ हैं, लेकिन इसमें स्पष्ट नियम और अंतरराष्ट्रीय संधियाँ मौजूद हैं, जो सभी देशों के लिए एक समान ढांचा तैयार करती हैं। जो अंतरराष्ट्रीयसंधियाँ व्यापार, मानवाधिकार, महिला अधिकार, पर्यावरण संरक्षण, निरस्त्रीकरण, श्रम अधिकारों और प्राकृतिक संसाधनों के निष्पक्ष उपयोग कोसुनिश्चित करती हैं। इन संधियों को बनाए रखना और मज़बूत करना हीवैश्विक दक्षिण के हित में है इसके लिए अमेरिका का नेतृत्व रहना आवश्यकहै। दुनिया को अमेरिका के कम सहयोग की नहीं, बल्कि अधिक सहयोग कीजरूरत है, ताकि अंतरराष्ट्रीय नियमों का सम्मान किया जाए और गरीब तथाछोटे देशों को भी समान अवसर मिलें।

चीन का प्रभाव और वैश्विक दक्षिण

चीन, जो खुद को विकासशील देशों का मित्र कहता है, हाल के वर्षों में वैश्विकदक्षिण के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार बनकर उभरा है। हालांकि, उसकीनीतियां हमेशा पारदर्शी और लाभकारी नहीं रही हैं। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव(BRI) के तहत चीन ने कई देशों को बुनियादी ढांचे के लिए ऋण दिए हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह ऋणजाल (Debt Trap) बन गया है। वैश्विकदक्षिण को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह केवल चीन की ओर झुके, बल्कि अमेरिका और यूरोप के साथ संतुलित कूटनीतिक और आर्थिक संबंधबनाए रखे।

निष्कर्ष

नियमआधारित व्यवस्था सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह छोटे और कमजोरदेशों को भी एक कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। इसके लिए आवश्यक है किग्लोबल साउथ के देश अमेरिका के साथ रचनात्मक सहयोग करे, लॉबिंग औरकूटनीति के माध्यम से अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों मेंअधिक भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करे अंत: वैश्विक दक्षिण को यहसमझना होगा कि नियमआधारित व्यवस्था को मज़बूत करने से ही सबसेअधिक लाभ होगा।

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