इस लेख में क्या है?
- मुद्दा क्या है?
- दक्षिण चीन सागर क्या है?
- विस्तारित प्रतिरोध (Extended Deterrence) क्या है?
- चीन क्या कर रहा है?
- विस्तारित प्रतिरोध पर चीन के विचार
- चीन की रणनीति: कूटनीति, अर्थव्यवस्था और सेना
- चीन की क्षेत्रीय प्रभुत्व की रणनीति
- अमेरिका की चुनौती क्या है?
- अमेरिका के लिए रणनीतिक दिशा
- भारत एवं दक्षिण चीन सागर
- भारत की रणनीतियां
- निष्कर्ष
दक्षिण चीन सागर और आस-पास के क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच रणनीतिक शक्ति-संतुलन की लड़ाई चल रही है। ऐसे में अमेरिका की ‘विस्तारित प्रतिरोध’ (Extended Deterrence) की कमजोर हो रही है। अब अमेरिका क समक्ष यह चुनौती है कि वह सुनिश्चित करे कि वह अपने सहयोगियों के साथ खड़ा रहेगा।
मुद्दा क्या है?
- दक्षिण चीन सागर में अमेरिका ने फिलीपींस में Typhon intermediate-range missile system/मिसाइल प्रणाली (Typhon) तैनात की। शीत युद्ध के बाद पहली बार अमेरिका ने किसी साथी देश को इतनी ताकतवर हथियार प्रणाली दी।
- इस पर चीन ने नाराज़गी जताई और कहा कि यह कदम शांति और स्थिरता को खतरे में डालता है, और दूसरे देशों की सुरक्षा के लिए भी नुकसानदायक है।
- चीन ने चेतावनी दी कि अगर फिलीपींस इस मिसाइल को नहीं हटाता, तो वो चुप नहीं बैठेगा।
- चीन की ये कार्रवाइयाँ अमेरिका की एक खास नीति पर हमला करने जैसी हैं, जिसे “विस्तारित प्रतिरोध” (Extended Deterrence) कहते हैं।
दक्षिण चीन सागर क्या है?
- एससीएस दक्षिण-पूर्व एशिया के आसपास पश्चिमी प्रशांत महासागर की एक शाखा है।
- यह चीन के दक्षिण में, वियतनाम के पूर्व और दक्षिण में, फिलीपींस के पश्चिम में और बोर्नियो के उत्तर में स्थित है।
- इसमें 200 से अधिक छोटे-छोटे निर्जन द्वीप, चट्टानें और चट्टानें हैं।
- चीन ने पश्चिमी हान राजवंश के समय से इस क्षेत्र पर अपने ऐतिहासिक अधिकार के आधार पर पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा पेश किया।
- वैश्विक समुद्री व्यापार का लगभग एक तिहाई हिस्सा प्रतिवर्ष 3.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर समुद्री मार्ग से होकर गुजरता है।
- हर वर्ष विश्व स्तर पर लगभग 40% पेट्रोलियम उत्पादों का व्यापार समुद्र के रास्ते होता है।
विस्तारित प्रतिरोध (Extended Deterrence) क्या है?
विस्तारित प्रतिरोध (Extended Deterrence) अमेरिका की एक सुरक्षा नीति है, जिसके तहत वह अपने सहयोगी देशों (जैसे जापान, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस) को यह भरोसा देता है कि अगर उन पर कोई हमला करता है, तो अमेरिका उनकी रक्षा करेगा और अगर ज़रूरत पड़ी तो परमाणु हथियारों से भी सहायता करेगा।
चीन क्या कर रहा है?
चीन यह नीति पसंद नहीं करता और अब उसे कमजोर करने की कोशिश कर रहा है:
- फिलीपींस पर दबाव डालकर अमेरिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है।
- अर्थव्यवस्था और धमकियों के ज़रिए अमेरिकी सहयोगियों को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहा है।
- सैन्य तनाव बढ़ाकर क्षेत्र में अमेरिका की मौजूदगी को चुनौती दे रहा है।
विस्तारित प्रतिरोध पर चीन के विचार
- चीन के अनुसार, विस्तारित प्रतिरोध वास्तव में सहयोगियों की माँग नहीं है बल्कि अमेरिका का उन पर थोपा गया दबाव है।
- चीन का कहना है कि अमेरिका की यह नीति परमाणु हथियारों के प्रसार को बढ़ावा देती है और क्षेत्रीय अस्थिरता का कारण बनती है।
- चीन को लगता है कि अमेरिका ऑस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को सुरक्षा देने के बहाने वह एशिया में चीन के प्रभाव को रोकने की कोशिश करता है।
- अमेरिका कहता है कि उसकी सुरक्षा नीति से अन्य देश खुद के परमाणु हथियार नहीं बनाते। लेकिन चीन कहता है कि यह उल्टा परमाणु हथियारों को और फैलाता है।
चीन की रणनीति: कूटनीति, अर्थव्यवस्था और सेना
- आर्थिक दबाव: दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाकर चीन ने दिखाया है कि वह अमेरिका से नज़दीकी बढ़ाने वालों को दंडित कर सकता है।
- ग्रे–ज़ोन (Gray-zone) युद्ध: समुद्र और साइबर क्षेत्र में चीन ऐसे हमले करता है जो सीधे युद्ध नहीं कहे जा सकते लेकिन तनाव बढ़ाते हैं। जैसे कि ताइवान पर साइबर हमले, समुद्री सीमा में घुसपैठ आदि।
- कूटनीतिक स्तर पर: चीन अमेरिकी नीति को अस्थिरता का स्रोत बताकर उसकी वैधता को चुनौती देता है।
- सैन्य अभ्यास और हथियारों में निवेश: चीन ने Joint Sword-2024 जैसे सैन्य अभ्यासों के ज़रिये आक्रामकता दिखाई है और अपने पारंपरिक व परमाणु हथियारों की ताकत में तेज़ी से वृद्धि की है।
- शी जिनपिंग के अनुसार, अमेरिका को एशिया के मामलों से दूर रहना चाहिए और एशियाई देशों को ही मिलकर अपने क्षेत्र की सुरक्षा करनी चाहिए।
- चीन ने एक प्रस्ताव रखा कि कोई भी देश पहले परमाणु हमला न करे। इसके ज़रिए उसने अमेरिका की extended deterrence नीति पर हमला किया।
चीन की क्षेत्रीय प्रभुत्व की रणनीति
- दक्षिण चीन सागर में चीन के क्षेत्रीय विवाद अलग-अलग घटनाएं नहीं हैं, बल्कि क्षेत्रीय प्रभुत्व स्थापित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं।
- इस क्षेत्र पर नियंत्रण बीजिंग को महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने, विशाल प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच बनाने और अपनी सैन्य पहुंच बढ़ाने की अनुमति देता है।
- स्कारबोरो शोल से लेकर नटुना द्वीप तक प्रत्येक क्षेत्रीय दावा, क्षेत्रीय आधिपत्य के चीन के भव्य डिजाइन में फिट बैठता है।
अमेरिका की चुनौती क्या है?
अगर अमेरिका अपने सहयोगियों को भरोसा नहीं दिला पाया कि वह उनके साथ है, तो उसकी साख, शक्ति और प्रभाव इस पूरे क्षेत्र (इंडो-पैसिफिक) में घट सकती है।
- रूस और चीन दोनों देश अमेरिका की विस्तारित प्रतिरोध नीति के खिलाफ हैं। 2022 में पुतिन और शी ने “सीमाहीन मित्रता” का ऐलान किया और अमेरिका को वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बताया।
- दोनों देशों ने मिलकर सैन्य अभ्यास किए हैं और तकनीकी सहयोग बढ़ाया है, जिससे अमेरिका के लिए खतरा बढ़ गया है।
अमेरिका के लिए रणनीतिक दिशा
- चीनी बयानबाज़ी का विरोध करे और सहयोगियों की सुरक्षा प्रतिबद्धता को मज़बूती से दोहराए।
- ग्रे-ज़ोन रणनीति का जवाब देने के लिए साइबर, सूचना और सैन्य क्षमताओं को बढ़ाए।
- फौजी तैयारियाँ करे जिससे वह क्षेत्र में चीनी आक्रमण का तुरंत और प्रभावी जवाब दे सके।
- मित्र देशों के साथ सैन्य समन्वय और परमाणु सहयोग को और गहराए, ताकि चीन के प्रभाव को संतुलित किया जा सके।
भारत एवं दक्षिण चीन सागर
- भारत ने अपनी पूर्वोन्मुखी नीति के माध्यम से एससीएस में अपने प्रभाव का विस्तार किया है , तथा चीन की अस्वीकृति के बावजूद दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक और रणनीतिक भागीदारी पर ध्यान केंद्रित किया है ।
- एससीएस मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से हिंद महासागर को पूर्वी चीन सागर से जोड़ता है, जो वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है।
- भारत का अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समुद्री मार्ग से होता है, जिसका आधा हिस्सा मलक्का जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है, जिससे यह क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बन गया है।
- महत्वपूर्ण संभावित ऊर्जा भंडार, जो भारत के लिए रुचिकर हैं क्योंकि वह बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए ऊर्जा स्रोतों को सुरक्षित करना चाहता है।
भारत की रणनीतियां
- आसियान देशों के साथआर्थिक और सामरिक संबंधों को गहरा करना ।
- क्षेत्रीय राज्यों (फिलीपींस को ब्रह्मोस) के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास, सैन्य प्रशिक्षण और हथियारों की बिक्री करना।
- दक्षिण चीन सागर में अपतटीय ऊर्जा विकासपरियोजनाओं में संलग्न होना।
- नीतिगत पहल:एक्ट ईस्ट, नेबरहुड फर्स्ट और क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास (सागर) नीतियां, साथ ही क्वाड में शामिल होकर रणनीतिक संरेखण।
निष्कर्ष
अगर अमेरिका अपने सहयोगियों की सुरक्षा की गारंटी देने में असफल रहता है, तो चीन का प्रभाव बढ़ सकता है और एशिया में अमेरिकी शक्ति कमज़ोर हो सकती है। ऐसे में अमेरिका को न केवल सैन्य रूप से बल्कि कूटनीतिक, आर्थिक और वैचारिक स्तर पर भी चीन के सामने एक मज़बूत विकल्प पेश करना होगा।
Source: The End of Extended Deterrence in Asia? (China Is Chipping Away at America’s Security Guarantees to Its Allies), Foreign Affairs