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जलवायु संकट और जेंडर आधारित हिंसा

Feminism

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र (UN) स्पॉटलाइट इनिशिएटिव ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन से विशेष रूप से गरीब और संवेदनशील समुदायों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा (जेंडर आधारित हिंसा या GBV) बढ़ रही है। रिपोर्ट का कहना है कि अगर हम अब भी इस समस्या को नजरअंदाज करते हैं, तो 2100 तक जलवायु परिवर्तन के कारण महिलाओं के खिलाफ हिंसा में 10 में से 1 मामला बढ़ सकता है। यह रिपोर्ट जलवायु और जेंडर पर आधारित हिंसा के खतरों को उजागर करती है, और यह बताती है कि यह सिर्फ एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक और राजनीतिक समस्या है।

संयुक्त राष्ट्र स्पॉटलाइट पहल

संयुक्त राष्ट्र की यह पहल यूरोपीय संघ (EU) और UN के बीच एक साझेदारी है, जिसका उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकना है। यह पहल दुनियाभर में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करती है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती है कि महिलाएं और लड़कियां हर क्षेत्र में सुरक्षित रहें, चाहे वह उनके घर हो या कार्यस्थल। जलवायु संकट के चलते महिलाओं को हिंसा का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए इस पहल ने इसे प्राथमिकता दी है।

संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  1. GBV में वृद्धि: जलवायु परिवर्तन के कारण महिलाओं के खिलाफ हिंसा में बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि तापमान 1°C बढ़ता है, तो IPV (Intimate Partner Violence) के मामलों में 4.7% का इज़ाफा हो सकता है। यदि तापमान में 2°C की वृद्धि होती है, तो 2090 तक हर साल 40 मिलियन महिलाएं IPV का शिकार हो सकती हैं।

  2. आपदा-जनित हिंसा: जलवायु आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा और गर्मी की लहरों के कारण महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है। उदाहरण के तौर पर, 2023 में जब जलवायु आपदाओं का सामना 93.1 मिलियन लोगों ने किया, तो 423 मिलियन महिलाएं IPV का शिकार हुईं। इस दौरान महिलाओं के खिलाफ हत्या (Femicide) और शोषण के मामले भी बढ़े। बाढ़, सूखा और विस्थापन के कारण बाल विवाह और मानव तस्करी जैसी घटनाएं बढ़ गईं।

  3. सुभेद्य समूहों पर अधिक खतरा: जो महिलाएं गरीब हैं, जो अनौपचारिक बस्तियों में रहती हैं, या जो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, उन्हें जलवायु परिवर्तन के कारण हिंसा का सबसे अधिक खतरा होता है। यह महिलाएं सीमित संसाधनों के साथ जीवन यापन करती हैं और जलवायु आपदाओं के बाद उनकी सुरक्षा बहुत कमजोर हो जाती है।

  4. जेंडर-क्लाइमेट फंडिंग में कमी: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जो धन (वित्तीय मदद) दिया जा रहा है, उसमें सिर्फ 0.04% हिस्सा ही जेंडर समानता के लिए निर्धारित किया गया है। इसका मतलब है कि जलवायु नीति बनाने में महिलाओं और उनके अधिकारों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें

  1. जलवायु नीति में GBV को शामिल करना: रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि जलवायु नीतियों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की रोकथाम को शामिल करना चाहिए। उदाहरण के लिए, जलवायु कार्यक्रमों में महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

  2. महिलाओं की सुरक्षा और नेतृत्व: महिलाओं को जलवायु परिवर्तन के समाधान में प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए। रिपोर्ट कहती है कि महिलाएं जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं, और उन्हें इस प्रक्रिया में नेतृत्व की भूमिका मिलनी चाहिए।

  3. अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम पद्धतियाँ अपनाना: रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कुछ देशों ने जलवायु परिवर्तन और महिलाओं के अधिकारों को एक साथ जोड़ने के लिए अच्छा काम किया है। जैसे, वानुअतु, लाइबेरिया और मोज़ाम्बिक जैसे देशों में जलवायु संकट के दौरान महिलाओं की रक्षा के लिए सर्वोत्तम उपाय अपनाए गए हैं।

महिलाओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को न्यूनतम करने के उपाय

  1. महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना: जलवायु नीति और निर्णय निर्माण में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना जरूरी है। जब महिलाएं निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा होंगी, तो वे अपने समुदायों की वास्तविक जरूरतों और समस्याओं को बेहतर ढंग से समझ सकेंगी।

  2. वित्तीय और संस्थागत समर्थन: महिलाओं को जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए वित्तीय मदद और संस्थागत समर्थन मिलना चाहिए। इसके साथ ही, महिलाओं के लिए ऐसे कार्यक्रमों का निर्माण किया जाना चाहिए जो उन्हें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने में मदद करें।

  3. सशक्तिकरण और शिक्षा: महिलाओं को जलवायु संकट और इसके प्रभावों से निपटने के लिए शिक्षित और सशक्त किया जाना चाहिए। जब महिलाएं जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक होंगी, तो वे अपने समुदायों में बेहतर बदलाव लाने में सक्षम होंगी।

निष्कर्ष

जलवायु संकट सिर्फ एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक जेंडर संकट भी है। जलवायु परिवर्तन के कारण महिलाओं को अधिक हिंसा और शोषण का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या को हल करने के लिए जलवायु नीतियों में महिलाओं के अधिकारों और जेंडर हिंसा की रोकथाम को शामिल करना जरूरी है। यदि हम जलवायु परिवर्तन से निपटना चाहते हैं, तो हमें महिलाओं को सुरक्षित और समान अवसर देना होगा, ताकि वे भी जलवायु समाधान में योगदान दे सकें।

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