21वीं सदी में विज्ञान और तकनीक ने जहाँ मानव जीवन को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है, वहीं इसने युद्ध और हिंसा के नए आयाम भी खोले हैं। परमाणु और रासायनिक हथियारों के बाद अब जैविक हथियार (Biological Weapons) अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे खतरनाक चुनौतियों में गिने जाते हैं। यह लेख इस प्रश्न का उत्तर खोजने का प्रयास करता है कि रोगजनकों (pathogens) का हथियार के रूप में प्रयोग किस प्रकार वैश्विक शांति और स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
जैविक हथियारों की परिभाषा और प्रकृति
जैविक हथियार वे होते हैं जिनमें वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या टॉक्सिन जैसे जीवाणु या रोगजनकों का प्रयोग कर मानव, पशु या पौधों को संक्रमित किया जाता है। इनकी कुछ विशेषताएँ हैं—
- अदृश्यता: इनका प्रभाव धीरे-धीरे दिखता है, तुरंत पता लगाना कठिन होता है।
- सस्ती तकनीक: इन्हें विकसित करने की लागत परमाणु हथियारों से कहीं कम है।
- तेज़ प्रसार क्षमता: एक बार फैलने पर ये सीमाओं को पार कर वैश्विक महामारी का रूप ले सकते हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ
जैविक हथियारों का प्रयोग कोई नई अवधारणा नहीं है।
- प्राचीन काल: सेनाएँ दुश्मन के कुओं में जहर मिलाती थीं या संक्रमित शवों को फैलाकर महामारी पैदा करती थीं।
- मध्यकालीन युद्ध: तातार सेना ने 1346 में कैफा (अब यूक्रेन) की घेराबंदी में प्लेग पीड़ित शवों को किले के अंदर फेंका।
- 20वीं सदी: जापान की यूनिट 731 ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन में घातक जैविक प्रयोग किए। शीत युद्ध में अमेरिका और सोवियत संघ ने गुप्त रूप से जैविक हथियार कार्यक्रम चलाए।
आधुनिक युग में खतरे
वर्तमान में जैव प्रौद्योगिकी (biotechnology) और आनुवंशिक विज्ञान (genetic engineering) की प्रगति ने इन हथियारों के खतरे को कई गुना बढ़ा दिया है।
- Dual-use dilemma: वही तकनीक जो जीवनरक्षक दवाइयाँ बना सकती है, घातक वायरस को हथियार में बदल सकती है।
- आतंकवाद का खतरा: अब गैर-राज्य कारक, जैसे आतंकी संगठन, भी इन हथियारों तक पहुँच बना सकते हैं।
- वैश्विक महामारी: कोविड-19 महामारी ने दिखा दिया कि संक्रमण कितनी तेज़ी से पूरी दुनिया में फैल सकता है। यदि ऐसा संक्रमण जान-बूझकर फैलाया जाए तो इसके परिणाम और भी विनाशकारी होंगे।
अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव
जैविक हथियार केवल स्वास्थ्य संकट पैदा नहीं करते, बल्कि ये बहुस्तरीय खतरे उत्पन्न करते हैं:
- मानव सुरक्षा:
- लाखों लोग बीमारी और मौत के शिकार हो सकते हैं।
- चिकित्सा व्यवस्था चरमरा सकती है।
- आर्थिक प्रभाव:
- यात्रा, व्यापार और उद्योग ठप हो जाते हैं।
- कृषि और खाद्य सुरक्षा प्रभावित होती है।
- राजनीतिक अस्थिरता:
- किसी भी देश की शासन व्यवस्था कमजोर हो सकती है।
- सामाजिक अशांति और घबराहट फैल सकती है।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में तनाव:
- यदि किसी देश पर जैविक हथियार इस्तेमाल करने का आरोप लगता है, तो यह कूटनीतिक संकट और युद्ध को जन्म दे सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रयास और सीमाएँ
- Biological Weapons Convention (BWC, 1972): यह पहली वैश्विक संधि थी जिसने जैविक हथियारों के विकास और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया।
- WHO और UN की भूमिका: स्वास्थ्य आपात स्थितियों पर निगरानी और सहयोग के लिए तंत्र मौजूद हैं।
लेकिन, इन प्रयासों की बड़ी कमजोरी यह है कि इनके पास कड़े प्रवर्तन और निगरानी तंत्र नहीं हैं। कोई भी देश गुप्त रूप से जैविक हथियार विकसित कर सकता है और इसे साबित करना कठिन होता है।
मुख्य चुनौतियाँ
- पहचान में कठिनाई: संक्रमण और प्राकृतिक महामारी में अंतर करना आसान नहीं होता।
- वैज्ञानिक रिसर्च का दुरुपयोग: वैध शोध भी हथियार में बदल सकता है।
- आतंकवाद और गुप्त नेटवर्क: गैर-राज्य अभिनेता इन हथियारों का उपयोग कर सकते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की कमी: बड़े देशों के बीच विश्वास की कमी से वैश्विक नियंत्रण मुश्किल हो जाता है।
थॉमस पोगे की तरह यहाँ भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है क्या अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था जैविक हथियारों को रोकने में सक्षम है?
- एक ओर विज्ञान ने उपचार और वैक्सीन की दिशा में संभावनाएँ खोली हैं।
- दूसरी ओर राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और सैन्य वर्चस्व की चाह ने इन तकनीकों को विनाशकारी दिशा में मोड़ दिया है।
जैविक हथियार इसलिए भी खतरनाक हैं क्योंकि ये deterrence (भय के आधार पर रोकथाम) की परंपरागत नीति को निष्प्रभावी कर देते हैं। परमाणु हथियारों की तरह ये तुरंत दिखाई नहीं देते, इसलिए “किसने हमला किया” यह स्पष्ट करना कठिन होता है।
निष्कर्ष
जैविक हथियार आज की दुनिया की सबसे जटिल और खतरनाक चुनौतियों में से एक हैं। ये न केवल स्वास्थ्य संकट उत्पन्न करते हैं बल्कि अर्थव्यवस्था, राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को भी हिला देते हैं।
इसलिए आवश्यक है कि;
- कड़े वैश्विक निरीक्षण तंत्र विकसित किए जाएँ।
- पारदर्शी वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा मिले।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और विश्वास को मजबूत किया जाए।
जैविक हथियार हमें यह याद दिलाते हैं कि विज्ञान एक दोधारी तलवार है, यह मानवता का रक्षक भी बन सकता है और विनाशक भी। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसे किस दिशा में ले जाते हैं।