जॉन लॉक : 10 प्रसिद्ध कथन
1️. “Where there is no law, there is no freedom.”
“जहाँ कानून नहीं होता, वहाँ स्वतंत्रता भी नहीं होती।”
लॉक इस कथन से बताते हैं कि असली स्वतंत्रता का अर्थ मनमानी करना नहीं है। स्वतंत्रता तभी संभव है जब प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार सुरक्षित हों और किसी की शक्ति असीमित न हो। कानून व्यक्ति को सुरक्षा देता है और दूसरों द्वारा उत्पीड़न से बचाता है। कानून नागरिक स्वतंत्रताओं का संरक्षक होता है, बाधा नहीं। लॉक के अनुसार, एक लोकतांत्रिक समाज में कानून और स्वतंत्रता एक-दूसरे के पूरक होते हैं। कानून की अनुपस्थिति अराजकता को जन्म देती है, जबकि न्यायपूर्ण कानून स्वतंत्रता का आधार बनता है। इसीलिए लॉक विधि-शासन (Rule of Law) को सर्वोच्च मानते हैं।
2️. “All men are naturally in… a state of perfect freedom.”
“सभी मनुष्य स्वभावतः पूर्ण स्वतंत्रता की अवस्था में होते हैं।”
लॉक प्राकृतिक अवस्था के सिद्धांत में कहते हैं कि मनुष्य जन्म से स्वतंत्र और समान है। किसी को किसी पर जन्म से अधिकार नहीं होता। प्राकृतिक अवस्था में लोग अपने जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा के लिए स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं। यह विचार लोकतंत्र, मानवाधिकार और समानता के आधुनिक सिद्धांतों की नींव है। ब्रिटिश और अमेरिकी संवैधानिक परंपराओं में इसका गहरा प्रभाव देखा गया। यह कथन तर्क देता है कि सत्ता जनता से उत्पन्न होती है, न कि राजा या चर्च से। मानव गरिमा और स्वतंत्रता का स्रोत स्वयं मनुष्य है।
3️. “Government has no other end but the preservation of property.”
“सरकार का मुख्य उद्देश्य केवल संपत्ति की रक्षा करना है।”
यहाँ संपत्ति का अर्थ केवल धन नहीं, बल्कि जीवन, स्वतंत्रता और निजी अधिकारों से भी है। लॉक बताते हैं कि सरकार जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए बनी है, न कि उन पर शासन करने के लिए। जन-समर्थन से बनी सरकार यदि नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा नहीं कर सके, तो उसकी वैधता समाप्त हो जाती है। यह विचार आधुनिक संवैधानिक शासन, आर्थिक स्वतंत्रता और निजी संपत्ति अधिकारों की नींव है। सरकार की सफलता इसी पर निर्भर करती है कि वह नागरिकों के हितों की रक्षा कितनी कुशलता से करती है। यही सामाजिक अनुबंध का मूल है।
4️. “The end of law is not to abolish or restrain, but to preserve and enlarge freedom.”
“कानून का उद्देश्य स्वतंत्रता को खत्म करना नहीं, बल्कि उसे सुरक्षित और विस्तृत करना है।”
लॉक कानून की सकारात्मक भूमिका पर जोर देते हैं। कानून नागरिकों के अधिकारों को संरक्षित करता है और अवसरों को बढ़ाता है। सीमाएँ इसलिए बनाई जाती हैं ताकि हर व्यक्ति सुरक्षित होकर अपनी स्वतंत्रता का आनंद उठा सके। यह विचार मानवाधिकार तथा आधुनिक विधिक-राज्य सिद्धांत का आधार है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में कानून मनुष्य के हितों का उपकरण है, दमन का साधन नहीं। जब कानून न्यायपूर्ण और समान होता है, तभी स्वतंत्रता सार्थक बनती है। लॉक का यह दृष्टिकोण स्वतंत्र और नैतिक समाज की स्थापना में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
5️. “No man has a right to take away the life of another.”
“किसी को भी दूसरे के जीवन को छीनने का अधिकार नहीं है।”
लॉक प्राकृतिक अधिकारों में ‘जीवन’ को सर्वोपरि मानते हैं। जीवन की रक्षा करना मनुष्य का मूल अधिकार है और इसे कोई भी व्यक्ति या सरकार छीन नहीं सकती। इस विचार ने आधुनिक मानवाधिकार, दंड विधान और राज्य की शक्ति पर नियंत्रण के सिद्धांत को जन्म दिया। हत्या या अत्यधिक कठोर दंड को लॉक अनुचित बताते हैं। सरकार का कर्तव्य जीवन की रक्षा करना है, न कि जीवन का विनाश करना। मानव जीवन की पवित्रता पर आधारित यह सिद्धांत आधुनिक उदारवादी राजनीति की महत्वपूर्ण नींव बन चुका है।
6️. “Man being by nature all free, equal, and independent…”
“मनुष्य स्वभाव से स्वतंत्र, समान और स्वतन्त्र है…”
यह कथन विरोधी-राजतंत्र विचार को पुष्ट करता है। लॉक कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति जन्म से श्रेष्ठ या अधीन नहीं होता। समानता का सिद्धांत राजनीतिक अधिकारों और अवसरों में समानता को बढ़ावा देता है। इस विचार ने दासता, सामंती व्यवस्था और धार्मिक प्रभुत्व को चुनौती दी। लोकतंत्र व उदारवाद का मूल यही है कि प्रत्येक नागरिक को समान कानून और समान अधिकार मिलें। इस सिद्धांत ने फ्रांसीसी और अमेरिकी स्वतंत्रता घोषणाओं को भी प्रभावित किया। समानता सामाजिक न्याय की आधारशिला है।
7️. “The people shall be judge.”
“निर्णय करने का अधिकार जनता को होगा।”
यह कथन जनता-समर्थित सरकार (Popular Sovereignty) का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। लॉक कहते हैं कि सत्ता का अंतिम स्रोत जनता है, और सरकार जनता की इच्छा से चलती है। यदि सरकार अत्याचार करे, तो जनता उसे हटाने का अधिकार रखती है। इस विचार ने क्रांति, चुनाव और संवैधानिक शासन को वैधता दी। जनता सर्वोच्च है — नेता नहीं। यह कथन नागरिकों की जागरूकता और राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देता है। लोकतंत्र का सार यही है कि जनता ही शासन की असली मालिक है और वही अंतिम निर्णायक।
8️. “Revolt is the right of the people when government fails.”
“जब सरकार असफल होती है, तो जनता को विद्रोह करने का अधिकार है।”
यह विचार क्रांतिकारी लोकतांत्रिक सोच का परिचायक है। लॉक बताते हैं कि सरकार जनता की सेवा के लिए बनी है। यदि सरकार अत्याचार करे, अधिकार छीने और न्याय न दे — तो नागरिकों का कर्तव्य है कि वे ऐसी सरकार को बदलें। इस सिद्धांत ने अमेरिकी और फ्रांसीसी क्रांतियों के लिए मार्गदर्शन दिया। आज भी यह विचार दमनकारी शासन के खिलाफ प्रतिरोध का वैधानिक आधार माना जाता है। विद्रोह अधिकारों की रक्षा का अंतिम साधन है, परन्तु जिम्मेदारीपूर्वक और न्याय के लिए।
9️. “New opinions are always suspected and usually opposed…”
“नए विचारों पर हमेशा संदेह किया जाता है और सामान्यतः उनका विरोध होता है…”
लॉक ज्ञान, तर्क और सुधार के पैरोकार थे। वे बताते हैं कि समाज अक्सर बदलाव से डरता है, इसलिए नए विचारों का विरोध करता है। परंतु प्रगति तभी संभव है जब लोग नए विचारों को सुनें, परखें और समझें। राजनीतिक सुधार, लोकतंत्र, वैज्ञानिक सोच—इन सभी में यह कथन प्रेरणास्रोत है। परंपरा और रूढ़िवादिता के खिलाफ लॉक का यह विचार लोकतांत्रिक चर्चा, सार्वजनिक बहस और बौद्धिक स्वतंत्रता का आधार माना जाता है। नए विचार समाज को आगे बढ़ाते हैं और बेहतर शासन संभव बनाते हैं।
10. “Education is the most important element in making good men.”
“अच्छे मनुष्य बनाने में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण तत्व है।”
लॉक राजनीति में शिक्षा की भूमिका को सर्वोच्च मानते हैं। उनका मानना है कि यदि नागरिक शिक्षित हों, तो वह न्यायपूर्ण, नैतिक और जागरूक समाज बनाते हैं। अज्ञानी नागरिक आसानी से दमन का शिकार हो जाते हैं और उनके अधिकार खो जाते हैं। शिक्षा राजनीतिक चेतना, स्वतंत्र चिंतन और जिम्मेदार व्यवहार विकसित करती है। उदारवादी लोकतंत्र में शिक्षित समाज ही सत्ता को जवाबदेह बनाता है। इसलिए लॉक शिक्षा को मानव विकास और राष्ट्र निर्माण की अनिवार्य शर्त मानते हैं।
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