in

नया लोक प्रबंधन – क्रिस्टोफर हुड (1991)

नया लोक प्रबंधन (New Public Management – NPM)

 1990 के दशक में लोक प्रशासन के विकास का एक नया प्रतिमान (Paradigm) उभरा, जिसे नया लोक प्रबंधन (NPM) कहा गया।

  • डेविड ओसबोर्न और टेड गेबलर की पुस्तक Reinventing Government (1992) ने इसकी शुरुआत की।
  • ‘New Public Management’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले क्रिस्टोफर हुड (1991) ने किया।

अन्य नाम

  • प्रबंधकीयवाद (Managerialism) – पोलेट द्वारा।
  • उद्यमी सरकार (Entrepreneurial Government) – ओसबोर्न और गेबलर द्वारा।
  • बाज़ारआधारित लोक प्रशासन (Market-based Public Administration) – लैन और रोसेनब्लूम द्वारा।
  • तीसरा रास्ता (Third Way) – यू.ए. गन द्वारा।

इसकी उत्पत्ति 1980 के दशक में थैचरवाद (ब्रिटेन) और रीगनवाद (अमेरिका) से हुई।

यह लोक प्रशासन और निजी प्रशासन (बिजनेस मैनेजमेंट) का संश्लेषण है।

  • यह लोक प्रशासन से क्या और क्यों तथा निजी प्रशासन से कैसे लेता है।

NPM के लक्ष्य (3E)

  1. अर्थव्यवस्था (Economy) – अपव्यय का उन्मूलन।
  2. दक्षता (Efficiency) – सेवाओं का सुव्यवस्थित प्रबंधन।
  3. प्रभावशीलता (Effectiveness) – उद्देश्यों को स्पष्ट कर संसाधनों का सही प्रयोग।

NPM का केंद्रीय विषय (Osborne & Gaebler)

‘हमें अधिक सरकार की ज़रूरत नहीं है, बल्कि बेहतर सरकार की ज़रूरत है।
शासन सामूहिक रूप से समस्याओं को हल करने का कार्य है। सरकार उसका साधन है, और अब इस साधन को नया रूप देने का समय है।’

सैद्धांतिक आधार

  1. सार्वजनिक चुनाव सिद्धांत (Public Choice Approach)
  2. नवटेलरवाद (Neo-Taylorism)

नया लोक प्रबंधन (NPM) के 10 सिद्धांत

  1. उत्प्रेरक सरकार (Catalytic Government): सरकार केवल सेवाएँ न दे, बल्कि सार्वजनिक, निजी और स्वैच्छिक क्षेत्रों को सक्रिय करे।
  • सरकार को ‘नाव चलाने’ (rowing) की बजाय ‘दिशा देने’ (steering) पर ध्यान देना चाहिए।
  1. समुदाय स्वामित्व वाली सरकार (Community-owned Government): नागरिकों, परिवारों और समुदायों को उनकी समस्याएँ स्वयं हल करने के लिए सशक्त बनाना।
  • सेवाओं को नौकरशाही के नियंत्रण से निकालना।
  1. प्रतिस्पर्धी सरकार (Competitive Government): वस्तुओं और सेवाओं के विभिन्न प्रदाताओं के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाना।
  • दक्षता और मितव्ययता को पुरस्कृत करना।
  1. मिशनउन्मुख सरकार (Mission-driven Government): सरकार का संचालन नियमों और प्रक्रियाओं से नहीं, बल्कि लक्ष्यों से होना चाहिए।
  • नियम-उन्मुख सरकार से लक्ष्य-उन्मुख सरकार की ओर परिवर्तन।
  1. परिणामउन्मुख सरकार (Results-oriented Government): केवल इनपुट पर नहीं बल्कि आउटपुट और परिणामों पर ध्यान देना।
  • लक्ष्यों की प्राप्ति और मिशन-निर्देशित प्रयासों को प्रोत्साहित करना।
  1. ग्राहकउन्मुख सरकार (Customer-driven Government): नागरिकों को ग्राहक के रूप में देखना।
  • उन्हें विकल्प देना, सेवाओं को सुविधाजनक बनाना और सुझाव स्वीकार करना।
  1. उद्यमशील सरकार (Enterprising Government): केवल पैसा खर्च करने की बजाय, संसाधन उत्पन्न करने पर ध्यान।
  • शुल्क, बचत और उद्यम कोष का प्रयोग करके वित्त जुटाना।
  1. प्रत्याशित सरकार (Anticipatory Government): समस्याओं के उत्पन्न होने के बाद समाधान करने के बजाय, पहले से रोकथाम पर ध्यान।
  2. विकेंद्रीकृत सरकार (Decentralised Government): अधिकारों का विकेंद्रीकरण – उच्च स्तर से निचले स्तर तक।
  • पदानुक्रम-आधारित नियंत्रण से सहभागिता आधारित प्रबंधन की ओर बदलाव।
  1. बाज़ारउन्मुख सरकार (Market-oriented Government): नौकरशाही की बजाय बाज़ार तंत्र का प्रयोग।
  • केवल नियंत्रण और आदेश से नहीं, बल्कि बाज़ार संरचना में सुधार से लक्ष्यों की प्राप्ति।

तृतीय मिनोब्रुक सम्मेलन (2008)

तृतीय मिनोब्रुक सम्मेलन (2008) का आयोजन रोज़मेरी ओ’लेरी की अध्यक्षता में किया गया और इसे दो चरणों में सम्पन्न किया गया। पहले चरण, जिसे Pre-conference Phase कहा गया, में युवा विद्वानों से लोक प्रशासन पर पाँच पृष्ठों की आलोचना प्रस्तुत करने को कहा गया।

पहला चरण (Pre-conference Phase)

  • युवा विद्वानों से लोक प्रशासन पर पाँच पृष्ठों की आलोचना लिखने को कहा गया।
  • लगभग 56 प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए।
  • इसमें लोकतांत्रिक प्रदर्शन प्रबंधन, वैश्वीकरण, प्रशासनिक नैतिकता, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतर्विषयक दृष्टिकोण आदि विषय उभरे।

दूसरा चरण (Round Table Format)

इस सम्मेलन में तीन मुख्य विषयों पर विशेष जोर दिया गया:

  1. तुलनात्मक अध्ययन – LPG (उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण) और IT के प्रभाव से कोई भी प्रशासन अलग-थलग नहीं रह सकता।
  2. कार्यात्मक अनुसंधान और पद्धतिगत बहुलवाद – लोक प्रशासन की पढ़ाई में अनुसंधान की पद्धतियाँ और उपकरण शामिल होने चाहिए।
  3. R&D पर जोर – जितना अधिक अनुसंधान होगा, लोक प्रशासन का अनुशासन उतना ही समृद्ध होगा।

सार्वजनिक चुनाव सिद्धांत (Public Choice Theory – PCT)

  • सार्वजनिक चुनाव सिद्धांत (Public Choice Theory – PCT) भी लोक प्रशासन के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण योगदान है। इसका प्रमुख आधार विलियम निस्कानेन (1971) का मॉडल है, जिसमें नौकरशाही को एक विक्रेता (Seller) और सरकार को एक खरीदार (Buyer) के रूप में प्रस्तुत किया गया।
  • इस दृष्टिकोण के अनुसार, ब्यूरोक्रेसी अपने आउटपुट के बदले केवल बजट चाहती है, न कि प्रति-इकाई मूल्य। इस मॉडल की मुख्य मान्यता यह है कि नौकरशाह बजट अधिकतमकरण (Budget Maximisation) की प्रवृत्ति रखते हैं और उनकी उपयोगिता वेतन, संरक्षण, शक्ति, सुविधा और विचारधारा जैसे तत्वों से जुड़ी होती है।
  • दूसरी ओर, सरकार का व्यवहार बहुमत के सिद्धांत और प्रतिनिधिक संस्थानों से प्रभावित होता है। निस्कानेन के अतिरिक्त, टलॉक (1965) और डाउन्स (1967) ने अप्रत्यक्ष रूप से इस विषय पर संकेत दिए थे, जबकि डनलीवी ने Bureau-shaping model प्रस्तुत किया जिसमें यह बताया गया कि वरिष्ठ नौकरशाह बजट अधिकतमकरण की बजाय गैर-आर्थिक लाभ, जैसे प्रतिष्ठा और शक्ति, को प्राथमिकता देते हैं।

समग्र रूप से देखा जाए तो, NPA ने प्रशासन को सामाजिक समानता और परिवर्तन उन्मुख बनाया, NPM ने दक्षता, बाज़ार और निजीकरण को बढ़ावा दिया, और PCT ने नौकरशाही और सरकार के संबंधों को आर्थिक दृष्टिकोण से समझाया। इस प्रकार ये तीनों दृष्टिकोण मिलकर लोक प्रशासन के अध्ययन और व्यवहार को नई दिशा प्रदान करते हैं।

NPM की प्रमुख विशेषताएँ

  • प्रदर्शन मूल्यांकन (Performance Appraisal)
  • प्रबंधकीय स्वायत्तता
  • लागत में कटौती
  • वित्तीय प्रोत्साहन
  • आउटपुट लक्ष्य
  • नवाचार और प्रतिस्पर्धा
  • जवाबदेही और गुणवत्ता सुधार
  • ठेकाकरण (Contracting out)
  • बाज़ार-उन्मुखता और निजीकरण
  • नौकरशाहीकरण का अंत (Debureaucratisation)
  • विकेंद्रीकरण और लचीलापन
  • नागरिक चार्टर और पारदर्शिता

NPM के प्रतिरोधी (Anti-Goals)

  • राजनीति–प्रशासन विभाजन का विरोध।
  • पदानुक्रम आधारित संगठन का विरोध।
  • अत्यधिक केंद्रीकरण का विरोध।
  • नियमों की सर्वोच्चता के स्थान पर परिणाम पर ध्यान।
  • तर्कसंगत निर्णय लेने की कठोरता का विरोध।
  • प्रशासन की अवैयक्तिक प्रकृति का विरोध।
  • आंतरिक कठोरता और अंदरमुखी दृष्टिकोण का विरोध।

 निष्कर्ष

  • NPA ने प्रशासन को सामाजिक समानता और परिवर्तन उन्मुख बनाया।
  • NPM ने बाज़ार, निजीकरण और दक्षता पर बल दिया।
  • PCT ने नौकरशाही और सरकार के संबंधों को आर्थिक दृष्टिकोण से समझाया।
  • तीनों मिलकर लोक प्रशासन के अध्ययन और व्यवहार को नई दिशा देते हैं।

What do you think?

लियो स्ट्रॉस (1899–1973)

भारत में व्हिप लोकतंत्र के लिए जरूरी या गैर-जरूरी