नवीन आप्रवासन विधेयक 2025 (आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025)
परिचय
नवीन आप्रवासन विधेयक, जिसे आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025 के नाम से जाना जाता है, भारत में विदेशियों के प्रवेश, निवास और प्रस्थान को नियंत्रित करने के लिए पेश किया गया एक महत्वपूर्ण कानून है। यह विधेयक पुराने और खंडित कानूनों को एकीकृत करने, राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और आप्रवासन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से लाया गया है। इसे 11 मार्च 2025 को लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा पेश किया गया, 27 मार्च 2025 को लोकसभा और 2 अप्रैल 2025 को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 4 अप्रैल 2025 को इसे मंजूरी दी, जिसके बाद यह कानून बन गया।
प्रमुख प्रावधान
- पुराने कानूनों का निरसन:
यह विधेयक निम्नलिखित पुराने कानूनों को निरस्त करता है:- पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920
- विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939
- विदेशी अधिनियम, 1946
- आप्रवासन (वाहक दायित्व) अधिनियम, 2000
इनका स्थान एक व्यापक और आधुनिक कानून लेगा, जो आप्रवासन से जुड़े मामलों को एकीकृत करेगा।
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर:
- कोई भी विदेशी, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता या अखंडता के लिए खतरा माने जाते हैं, को देश में प्रवेश करने या रहने की अनुमति नहीं होगी।
- विधेयक में राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है।
- जाली दस्तावेजों पर सजा:
- भारत में प्रवेश, निवास या प्रस्थान के लिए जाली पासपोर्ट या वीजा का उपयोग करने या आपूर्ति करने पर:
- न्यूनतम 2 वर्ष और अधिकतम 7 वर्ष तक की कैद।
- 1 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना।
- भारत में प्रवेश, निवास या प्रस्थान के लिए जाली पासपोर्ट या वीजा का उपयोग करने या आपूर्ति करने पर:
- आव्रजन ब्यूरो की स्थापना:
- विधेयक में एक आव्रजन ब्यूरो की स्थापना का प्रावधान है, जिसकी अध्यक्षता एक आयुक्त करेंगे।
- यह ब्यूरो विदेशियों के प्रवेश, निकास और आप्रवासन नियमों की निगरानी करेगा।
- केंद्र सरकार को अधिक अधिकार:
- प्रवेश और प्रस्थान बिंदुओं को निर्दिष्ट करने का अधिकार।
- विदेशियों को विशिष्ट क्षेत्रों में रहने या प्रवेश करने से रोकने की शक्ति।
- पहचान सत्यापन, बायोमेट्रिक डेटा और चिकित्सा जांच को अनिवार्य करना।
- सूचना प्रदान करने की अनिवार्यता:
- होटल, विश्वविद्यालय, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल और नर्सिंग होम जैसे संस्थानों को विदेशियों के बारे में जानकारी देना अनिवार्य होगा।
- इससे निर्धारित अवधि से अधिक समय तक ठहरने वाले विदेशियों पर नजर रखी जा सकेगी।
- आव्रजन अधिकारियों की शक्तियां:
- आव्रजन अधिकारियों को बिना वारंट के गिरफ्तारी का अधिकार दिया गया है।
- यह प्रावधान अवैध आप्रवासन और घुसपैठ को रोकने के लिए है।
- परिवहन वाहकों की जिम्मेदारी:
- यदि कोई विदेशी अवैध रूप से प्रवेश करता है, तो परिवहन वाहक (जैसे एयरलाइंस) पर उनके तत्काल प्रस्थान की जिम्मेदारी होगी।
- नियमों का उल्लंघन करने पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना और वाहन जब्ती हो सकती है।
उद्देश्य
- घुसपैठ रोकना: अवैध आप्रवासन और घुसपैठ को नियंत्रित करना।
- प्रक्रियाओं का सरलीकरण: वीजा, पंजीकरण और यात्रा दस्तावेजों से संबंधित प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता: देश की संप्रभुता और सुरक्षा को मजबूत करना।
- कानूनी स्पष्टता: पुराने और जटिल कानूनों को हटाकर एक स्पष्ट और आधुनिक ढांचा प्रदान करना।
विपक्ष की चिंताएं और आलोचनाएं
- मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने दावा किया कि यह विधेयक मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
- कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि विदेशियों के अस्पताल में भर्ती होने तक का ब्योरा मांगना मेडिकल एथिक्स के खिलाफ है।
- विपक्ष ने मांग की कि विधेयक को वापस लिया जाए या संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा जाए।
- पारदर्शी अपील तंत्र का अभाव: सरकार को दिए गए व्यापक अधिकारों और अपील तंत्र की कमी पर प्राकृतिक न्याय की चिंता।
- शरणार्थियों पर प्रभाव: यह तर्क दिया गया कि विधेयक शरण चाहने वालों और वैध यात्रियों को प्रभावित कर सकता है।
- विपक्ष का विरोध: विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने राज्यसभा से बहिर्गमन किया।
सरकार का पक्ष
- गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि यह विधेयक संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत केंद्र की विधायी क्षमता में है।
- यह देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और किसी भी विदेशी के प्रवेश या प्रस्थान को नियंत्रित करना सरकार का संप्रभु अधिकार है।
- गृह मंत्री अमित शाह के हवाले से कहा गया कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है; व्यापार, शिक्षा और पर्यटन के लिए आने वाले विदेशियों का स्वागत है, लेकिन देश को नुकसान पहुंचाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
- सामाजिक प्रभाव:
- यह विधेयक अवैध आप्रवासन, विशेष रूप से रोहिंग्या जैसे समूहों, को नियंत्रित करने के लिए लाया गया है, जिसे लेकर लंबे समय से बहस चल रही है।
- नागरिकों और वैध यात्रियों के लिए प्रक्रियाएं सरल होने की उम्मीद है, लेकिन शरणार्थी समुदायों पर इसका प्रभाव चिंता का विषय है।
- राजनीतिक प्रभाव:
- विधेयक ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस को जन्म दिया।
- सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इसे अवैध घुसपैठ रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया, जबकि अन्य ने इसे मानवाधिकारों के खिलाफ माना।
वर्तमान स्थिति
- विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित किया गया है, और यह अब कानून बन चुका है।
- इसके कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार नियम और दिशानिर्देश तैयार कर रही है।
निष्कर्ष
आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025 भारत की आप्रवासन नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाने का प्रयास करता है, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों, जैसे मौलिक अधिकारों और शरणार्थियों पर प्रभाव, को लेकर बहस जारी है। यह कानून भारत को वैश्विक मानकों के अनुरूप एक मजबूत आप्रवासन ढांचा प्रदान करने की दिशा में कदम है, लेकिन इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि इसे कैसे लागू किया जाता है।