न्यू लेफ्ट 1950 के दशक के अंत और 1960 के दशक की शुरुआत में पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में उभरा एक वामपंथी आंदोलन था, जो पारंपरिक मार्क्सवाद से अलग एक नए दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता था। यह आंदोलन मुख्यतः छात्रों, युवाओं और बौद्धिक वर्गों के बीच लोकप्रिय हुआ।
- यह आंदोलन शीत युद्ध, साम्राज्यवाद, और परमाणु हथियारों का विरोध करता था, साथ ही क्यूबा क्रांति और उपनिवेशवाद विरोधी संघर्षों से प्रेरित था।
- न्यू लेफ्ट ने मार्क्सवाद में संस्कृति, विचारधारा और पहचान की नई परतें जोड़ीं, जिससे वामपंथी राजनीति की समझ व्यापक और समावेशी हुई।
केंद्रीय बिंदु
- एकीकृत विचारधारा का अभाव – न्यू लेफ्ट कोई एक सुसंगठित वैचारिक सिद्धांत नहीं था, बल्कि विविध विचारों का एक समूह था।
- कार्यकर्ता केंद्रित आंदोलन – विशेष रूप से अमेरिका में यह एक सक्रियतावादी आंदोलन था, जबकि यूरोप (फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन) में सैद्धांतिक योगदान भी हुआ।
- हर्बर्ट मार्क्यूज़ – One-Dimensional Man (1964) में दिखाया कि आधुनिक पूंजीवाद ने अधिनायकवादी समाज बना दिया है।
- सी. राइट मिल्स – Letter to the New Left में छात्रों, अल्पसंख्यकों और तीसरी दुनिया के आंदोलनों की परिवर्तनकारी शक्ति को पहचाना।
राजनीतिक गतिविधियाँ और प्रदर्शन
- न्यू लेफ्ट ने कई स्थानों पर डायरेक्ट-एक्शन और सविनय अवज्ञा के माध्यम से समाज में हलचल पैदा की:
- प्रत्यक्ष-कार्रवाई, सीट-इन, बठक-प्रतिरोध जैसी सक्रियताएँ चलीं।
- दसियाँ यूरोप जैसे 1968 की फ्रांस की “मई की घटनाएँ”, पश्चिम जर्मनी में रेड आर्मी फैक्शन, तथा ब्रिटेन में छात्र विरोध, ये सब न्यू लेफ्ट के प्रभावों को दर्शाते हैं।
- अमेरिका में प्रमुख संगठन था SDS (Students for a Democratic Society), जिन्होंने पोर्ट ह्यूरन स्टेटमेंट (1962) लिखा और महाराष्ट्र में शांतिपूर्ण विरोध को आगे बढ़ाया।
- वियतनाम युद्ध के प्रति असहमति ने इसे और प्रभावशाली बनाया।यह विरोध शीत-युद्ध के साम्राज्यवाद की निंदा के रूप में उभरा।
प्रभावशाली वैचारिक स्रोत क्या है?
- दार्शनिक अस्तित्ववाद – जीन-पॉल सार्त्र
- तीसरी दुनियावाद – फ्रांटज़ फैनॉन
- संरचनावाद – लुइस अल्थूसर
- माओवाद और ट्रॉट्स्कीवाद
- नव-मार्क्सवाद व मानवीय मार्क्सवाद – अलगाव की अवधारणा प्रमुख
- राजनीतिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक बदलाव, नस्ल और लिंग समानता, तथा पारंपरिक वर्ग संघर्ष के बाहर भी सामाजिक न्याय की माँग।
- न्यू लेफ्ट ने प्रत्यक्ष कार्रवाई, सविनय अवज्ञा और भागीदारी लोकतंत्र को अपनाया।
- अमेरिका में इसका प्रतिनिधि संगठन स्टूडेंट्स फॉर ए डेमोक्रेटिक सोसाइटी (SDS) था, जिसने 1962 में पोर्ट ह्यूरन स्टेटमेंट जारी किया।
- फ्रांस में मई 1968 के छात्र विरोध, और जर्मनी में रेड आर्मी फैक्शन, इसकी चरम अभिव्यक्तियाँ थीं।
सांस्कृतिक विश्लेषण में योगदान
- स्टुअर्ट हॉल व रेमंड विलियम्स – संस्कृति को सक्रिय सामाजिक प्रक्रिया माना।
- विज्ञापन, मीडिया व उपसंस्कृति का विश्लेषण किया।
- सांस्कृतिक अध्ययन एक स्वतंत्र अनुशासन के रूप में विकसित हुआ।
- न्यू लेफ्ट आंदोलन का पतन आमतौर पर 1969 में अमेरिकी SDS के विघटन से जोड़ा जाता है।
सीमाएँ और विभाजन
- 60 के दशक के अंत में, कई न्यू लेफ्ट समूहों में आंतरिक मतभेद और हिंसात्मक रुझान उभरने लगे:
- कुछ सुधरे-मार्क्सवादी/सामाजिक उदार विचारकों ने आंदोलन को संस्थागत मार्ग पर ले जाने की कोशिश की।
- वहीं, रेडिकल समूह जैसे Weather Underground और Red Army Faction ने गुप्त हिंसात्मक ऑपरेशंस की शुरूवात की।
- ये विभाजन अंततः SDS के 1969 में विघटन और न्यू लेफ्ट के औपचारिक पतन की ओर ले गए।
निष्कर्ष
न्यू लेफ्ट कोई एकरूप वैचारिक धारा नहीं थी, बल्कि विविध सामूहिक और बौद्धिक प्रवृत्तियों का मिश्रण था। इस प्रकार, न्यू लेफ्ट मार्क्सवादी परंपरा में नयापन लेकर आया। नया विमर्श उत्पन्न किया और नागरिक अधिकार/शांतिपूर्ण विरोध के क्षेत्र में सशक्त भूमिका निभाई।