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पाकिस्तान और तालिबान युद्ध की आशंका

एक अंग्रेजी कहावत है… “You cant keep snakes in your backyard and expect them only to bite your neighbours.

पाकिस्तान के लिए यह कहावत तालिबान के संदर्भ में सच साबित हो रही है।पिछले कुछ दिनों और कुछ घंटों में तालिबान के विभिन्न लड़ाके पाकिस्तान पर हमला शुरू कर चुके हैं।

अब जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ है?

वर्तमान तनाव की शुरुआत पाकिस्तान के 16 जवानों की एक आतंकी हमले में हुई मौत से हुई,जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान द्वारा घोषित आतंकवादी समूह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने ली थी।

इसी टीटीपी के प्रशिक्षण केंद्र को अफगानिस्तान में निशाना बनाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी अफगानिस्तान में पक्तिका प्रांत में हवाई हमलों किए,जिसमें तालिबान अधिकारियों के अनुसार, लगभग 46 लोगों की मौत हुई, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल थे।

अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने इस हमले को “क्रूर” और आक्रामकता दिखाने वाला करार देते हुए प्रतिशोध लेने की प्रतिबद्धता जताई थी।

यही कारण है कि एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 15,000 तालिबान लड़ाके काबुल, कंधार और हेरात से पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से सटे मीर अली सीमा की ओर बढ़ रहे हैं।  

अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), जिसे पाकिस्तान एक खतरा मानता है, अलग-अलग लेकिन सहयोगी समूह हैं।

पाकिस्‍तान और तालिबान के बीच इस ताजा लड़ाई से एक बार फिर से अंग्रेजों की खींची हुई डूरंड लाइन का मुद्दा गरम हो गया है।

क्या है डूरंड लाइन?

पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान के बीच दशकों से डूरंड लाइन को लेकर विवाद बना हुआ है। अफगान सरकारों ने कभी भी अंग्रजों की खींची गई इस सीमा रेखा को स्‍वीकार नहीं किया है। वे इसे काल्‍पनिक रेखा करार देते हैं।

साल 1947 में पाकिस्‍तान बनने के बाद से अफगानिस्‍तान ने कभी भी डूरंड लाइन को सीमा रेखा नहीं माना। पिछली हामिद करजई सरकार हो या अभी तालिबानी कोई भी डूरंड लाइन को नहीं मानते हैं।

डूरंड लाइन औपनिवेशिक काल के दौर की है। इसे साल 1893 में ब्रिटिश इंडिया और अफगानिस्‍तान के अमीरात के बीच खींचा गया था। इसे सर हेनरी मोर्टिमेर डूरंड के नाम पर रखा गया था।डूरंड लाइन करीब 2600 किमी लंबी है।

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के बारे में?

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान आतंकवादी समूह, जो 2021 में तालिबान द्वारा काबुल पर नियंत्रण करने के बाद से अफगानिस्तान के भीतर से सुरक्षित रूप से काम कर रहा है, इस्लामाबाद के लिए एक कठिन सुरक्षा समस्या बन गया है।

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