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पाकिस्तान का WLFI के साथ क्रिप्टो समझौता: भारत की क्रिप्टो रणनीतियाँ

अमेरिका-पाकिस्तान में WLFI-क्रिप्टो सहयोग

इस लेख में क्या है?

मुद्दा क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

पाकिस्तान-WLFI क्रिप्टो सहयोग (Crypto Collaboration)

  • समझौता ज्ञापन (MoU) और रणनीतिक लक्ष्य
  • MoU उद्देश्य
  • चिंताएँ और व्यवहारिकता
  • WLF का क्‍या है?

ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की क्रिप्टो नीति

  • कार्यकारी आदेश-1
  • कार्यकारी आदेश-2

बाजार की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान का क्रिप्टो यू-टर्न

  • प्रवासी प्रभाव का लाभ उठाना

भारत के लिए रणनीतिक प्रभाव (Strategic Implications for India)

  • भारत में नीति का अभाव (Policy Vacuum)

भारत के लिए आगे का रास्ता

निष्कर्ष

 

मुद्दा क्या है?

पाकिस्तान की क्रिप्टोकरेंसी में बढ़ती रुचि, और अमेरिका की ट्रंप परिवार से जुड़ी कंपनी World Liberty Financial Inc. (WLFI) के साथ पाकिस्तान के संभावित अंतरराष्ट्रीय और तकनीकी समझौते ने भारत की चिंताओं को गहरा कर दिया है। भारत को आशंका है कि यह समझौता आतंकवादियों को नई डिजिटल फंडिंग के रास्ते खोल सकता है। इसलिए अब भारत इस मुद्दे को वैश्विक मंचों, विशेषकर FATF और G20 जैसे प्लेटफार्मों पर उठाने और डिजिटल करेंसी पर सख्त निगरानी की मांग करने की तैयारी कर रहा है।

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

  • क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है जो क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित है, जिससे इसे नकली बनाना लगभग असंभव है। ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर काम करते हुए, क्रिप्टोकरेंसी बैंकों जैसे बिचौलियों को खत्म कर देती है।
  • बिटकॉइन, पहली क्रिप्टोकरेंसी, 2009 में शुरू हुई, जिसने हजारों विकल्पों को प्रेरित किया। वे सुरक्षित, पारदर्शी और सीमाहीन वित्तीय लेनदेन को सक्षम करते हैं, पारंपरिक मौद्रिक प्रणालियों में क्रांतिकारी बदलाव करते हैं।
  • क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन को ब्लॉकचेन द्वारा ट्रैक किया जाता है, जो एक सार्वजनिक रूप से देखने योग्य, डिजिटल खाता बही है।
  • क्रिप्टोकरेंसी नेटवर्क की रीढ़ ‘माइनर्स’ से बनी है, अर्थात ऐसे व्यक्ति या सिंडिकेट जो लेनदेन शुल्क और कुछ मामलों में नव निर्मित क्रिप्टोकरेंसी के बदले में जटिल गणितीय अनुक्रमों को हल करने के लिए कंप्यूटर के अत्यधिक कुशल नेटवर्क का उपयोग करते हैं।

पाकिस्तानWLFI क्रिप्टो सहयोग (Crypto Collaboration)

समझौता ज्ञापन (MoU) और रणनीतिक लक्ष्य

  • वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल इंक. (WLFI) और पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल  समझौता ज्ञापन (MoU) में शामिल प्रमुख व्यक्ति प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ, सेनाध्यक्ष असीम मुनीर, और WLFI का प्रतिनिधिमंडल है।

MoU उद्देश्य

  • ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग वित्तीय समावेशन (financial inclusion) को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा।
  • देश में मौजूद लेकिन अब तक उपयोग न की गई खास संपत्तियों जैसे रेयर अर्थ मिनरल्स (दुर्लभ खनिजों) से कमाई की योजना है।
  • व्यापार और प्रवासी पाकिस्तानियों की रेमिटेंस (धन-प्रेषण) के लिए स्टेबलकॉइन पेश किए जाएंगे।
  • पाकिस्तान को दक्षिण एशिया में एक क्रिप्टो हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे।

चिंताएँ और व्यवहारिकता

  • पाकिस्तान की कमज़ोर अर्थव्यवस्था इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन पर सवाल खड़े करती है।
  • आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गलत इस्तेमाल की संभावनाएँ बनी हुई हैं, खासकर भारत के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय है।

WLF का क्‍या है?

  • डब्लूएलएफ वर्ष 2024 में स्थापित एक क्रिप्टोकरेंसी कंपनी है और इसके प्रमुख प्रवर्तकों में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी पारिवारिक मित्र शामिल हैं।
  • पाकिस्तान खुद को दक्षिण एशिया में क्रिप्टोकरेंसी का हब बनाना चाहता है। इसलिए पाकिस्तान सरकार ने व‌र्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशिएल (डब्लूएलएफ) के साथ समझौता किया।
  • पीसीसी और डब्लूएलएफ के बीच 26 अप्रैल, 2025 को यह समझौता हुआ है।

ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की क्रिप्टो नीति

ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल की क्रिप्टो को लेकर संशयपूर्ण नीति को पलटा और बाइडेन सरकार के क्रिप्टो-विरोधी रवैये को खत्म करने का वादा किया है। इसके साथ ही उन्होंने क्रिप्टो उद्योग का समर्थन भी हासिल किया है।

पुनः चुने जाने के कुछ ही दिनों के भीतर दो कार्यकारी आदेश (Executive Orders) जारी किए गए:

कार्यकारी आदेश1

  • नेशनल ब्लॉकचेन इनोवेशन स्ट्रैटेजी की शुरुआत की गई।
  • CBDC (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) पर प्रतिबंध लगाया गया।
  • डिजिटल एसेट मार्केट्स पर नज़र रखने और दिशा तय करने के लिए President’s Working Group बनाया गया, जिसकी अगुवाई David Sacks कर रहे हैं (जो व्हाइट हाउस में “AI और क्रिप्टो ज़ार” के नाम से जाने जाते हैं)।

कार्यकारी आदेश2

  • Strategic Bitcoin Reserve और US Digital Asset Stockpile की स्थापना की गई।
  • सरकार द्वारा ज़ब्त की गई क्रिप्टो संपत्तियाँ; जैसे Bitcoin, Ethereum, Solana को एकत्र और सुरक्षित किया गया।
  • उद्देश्य: स्टेबलकॉइन के ज़रिए अमेरिकी डॉलर की वैश्विक वर्चस्व को बनाए रखना।

बाजार की प्रतिक्रिया

  • प्रोक्रिप्टो नियुक्तियाँ: ट्रंप प्रशासन में दो बड़ी नियुक्तियाँ की गईं- एलन मस्क और David Sacks, दोनों ही क्रिप्टो और टेक्नोलॉजी के प्रभावशाली समर्थक हैं।
  • नियामक ढील: Securities and Exchange Commission (SEC) ने क्रिप्टो कंपनियों पर चल रहे मुकदमे स्थगित कर दिए और जस्टिस डिपार्टमेंट ने अपनी क्रिप्टो जांच टीम को भंग कर दिया।
  • बाजार में उछाल: बिटकॉइन की कीमत मार्च 2025 में $74,000 से बढ़कर $100,000 से ऊपर चली गई।
  • ट्रंप का सीधा दखल: ट्रंप ने अपना खुद का मीम कॉइन “$TRUMP” लॉन्च किया, जिससे वे सीधे इस बाजार में हिस्सेदार बन गए।

पाकिस्तान का क्रिप्टो यूटर्न

2024 तक, पाकिस्तान में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध या सख्त सीमाएँ थीं।

2025 में बदलाव:

    • बिलाल बिन साकिब को Pakistan Crypto Council का प्रमुख नियुक्त किया गया।
    • साकिब को प्रधानमंत्री का विशेष सलाहकार भी नियुक्त किया गया ताकि देश के लिए क्रिप्टो रेगुलेशन तैयार किए जा सकें।
    • रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में अब 2.5 करोड़ तक क्रिप्टो उपयोगकर्ता हो सकते हैं और इसका संभावित बाज़ार मूल्य 2 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।

प्रवासी प्रभाव का लाभ उठाना

  • इस रणनीति को भारत के प्रवासी भारतीय दिवस के मॉडल पर तैयार किया गया है।
  • इसका उद्देश्य पाकिस्तानी-अमेरिकी टेक उद्यमियों से जुड़ना है।
  • प्रवासी सम्मेलन का उपयोग पाकिस्तान की वैचारिक और रणनीतिक पहचान को मज़बूत करने के लिए किया गया।

भारत के लिए रणनीतिक प्रभाव (Strategic Implications for India)

  • यह स्थिति भारत द्वारा अतीत में पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को कम आंकने जैसी गलती की पुनरावृत्ति बन सकती है।
  • क्रिप्टो के ज़रिए आतंकवादी वित्तपोषण (terror financing) और सीमापार मनी लॉन्ड्रिंग जैसे जोखिम लगातार बने हुए हैं, और यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है।
  • भारत की चिंता इसलिए ज्‍यादा है क्योंकि क्रिप्टो जैसे डिजिटल करेंसी की वैश्विक निगरानी की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है।
  • बैंकिंग व्यवस्था के तहत गलत कारोबार पर एफएटीएफ और संयुक्त राष्ट्र जैसे एजेंसियां कदम उठा सकते हैं, लेकिन वर्चुअल करेंसी को लेकर कैसे किया जाएगा, इसका अभी तक रोडमैप नहीं बन पाया है।
  • वर्ष 2023 में भारत की अध्यक्षता में जी-20 की बैठक में क्रिप्टोकरेंसी के नियमन व्यवस्था के रोडमैप पर सहमति बनी थी। यह कब लागू होगा, स्पष्ट नहीं है।

भारत में नीति का अभाव (Policy Vacuum)

  • भारत में 10 करोड़ से अधिक क्रिप्टो उपयोगकर्ता हैं और यह बाजार लगभग 7 अरब डॉलर का है।
  • इसके बावजूद, अब तक कोई स्पष्ट नियमात्मक (regulatory) या रणनीतिक रूपरेखा मौजूद नहीं है।
  • शैलेश भट्ट केस में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप भी किया था, जिससे कई अहम बिंदु सामने आए।

जैसे;

    • बिना स्पष्ट नियमन के क्रिप्टो पर कर लगाना कानूनी रूप से विरोधाभासी है।
    • अदालत ने आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों को लेकर चेतावनी दी।

भारत के लिए आगे का रास्ता

राष्ट्रीय क्रिप्टो रणनीति: मौद्रिक, साइबर सुरक्षा और भू-राजनीतिक उद्देश्यों को मिलाकर एक केंद्रीकृत रणनीति विकसित करना चाहिए ।

विनियामक स्पष्टता: अनुपालन को सुव्यवस्थित करने, दुरुपयोग को रोकने और नवाचार का मार्गदर्शन करने के लिएएक डिजिटल परिसंपत्ति विनियामक प्राधिकरण की स्थापना करना चाहिए ।

वित्तीय खुफिया निगरानी: जोखिमों की पहचान करने और आतंकवाद के वित्तपोषण पर नज़र रखने के लिए क्रिप्टो-लिंक्ड लेनदेन की FIU-IND ट्रैकिंग को बढ़ाना चाहिए

वैश्विक संरेखण: वैश्विक क्रिप्टो मानकों और सीमा पार डेटा-साझाकरण के लिए G20, FATF और IMF के साथ समन्वय करना चाहिए

सीबीडीसी का प्रयास: आरबीआई की ई-रुपये परियोजना में तेजी लाना, जिससे बैंकिंग प्रणाली को कमजोर किए बिना भारत को डिजिटल मुद्रा में संप्रभुता प्राप्त हो सके।

जागरूकता अभियान: युवाओं और निवेशकों कोक्रिप्टो में कानूनी स्थिति, जोखिम और वित्तीय साक्षरता के बारे में शिक्षित करना चाहिए ।

निष्कर्ष

ट्रंप की क्रिप्टो कूटनीति के उदय और पाकिस्तान के डिजिटल पुनर्संरेखण (realignment) ने भारत के लिए नीतिगत आत्ममंथन को अनिवार्य बना दिया है।

भारत को तुरंत एक व्यापक राष्ट्रीय क्रिप्टो रणनीति विकसित करनी चाहिए, जो इन पहलुओं को समाहित करे:

  1. सुरक्षा जोखिमों की गंभीर समीक्षा
  2. आर्थिक नीतियों की स्पष्टता
  3. भू-राजनीतिक प्रभावों का समुचित मूल्यांकन

यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भारत एक बार फिर रणनीतिक उपेक्षा (strategic neglect) की वही पुरानी गलती दोहरा सकता है।

 

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