फ्रेड डब्ल्यू. रिग्स (1917-2008) एक प्रमुख राजनीति वैज्ञानिक थे, जिन्हें तुलनात्मक लोक प्रशासन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से उनके प्रिज्मेटिक साला मॉडल के लिए। उनका पारिस्थितिक दृष्टिकोण इस बात पर जोर देता है कि प्रशासनिक प्रणालियाँ अपने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पर्यावरण के साथ कैसे संनादति हैं।
प्रिज्मेटिक साला मॉडल
रिग्स ने प्रिज्मेटिक साला मॉडल विकसित किया ताकि विकासशील या संक्रमणकालीन समाजों (प्रिज्मेटिक समाज) में लोक प्रशासन को समझाया जा सके। ये समाज पारंपरिक (फ्यूज्ड) और आधुनिक (डिफ्रैक्टेड) प्रणालियों के बीच एक मध्यवर्ती स्थिति में होते हैं। “प्रिज्मेटिक” शब्द एक प्रिज्म की उपमा से लिया गया है, जिसमें एकल सफेद प्रकाश (पारंपरिक समाज) विभिन्न रंगों (आधुनिक समाज) में बंट जाता है। “साला” इन समाजों में प्रशासनिक उप-प्रणाली को दर्शाता है, जो फ्यूज्ड समाजों के “चैंबर” (जैसे, पारंपरिक ग्रामीण व्यवस्था) और डिफ्रैक्टेड समाजों के “ऑफिस” या “ब्यूरो” (जैसे, औद्योगिक देश) से अलग है।
प्रिज्मेटिक साला मॉडल की मुख्य विशेषताएँ
1. विषमता (Heterogeneity): प्रिज्मेटिक समाज में पारंपरिक और आधुनिक तत्वों का मिश्रण होता है। उदाहरण के लिए, शहरी क्षेत्रों में आधुनिक नौकरशाही हो सकती है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र पारंपरिक शासन पर निर्भर करते हैं। इससे असमान विकास और विविध प्रशासनिक प्रथाएँ उत्पन्न होती हैं।
2. औपचारिकता (Formalism): लिखित नियमों और वास्तविक प्रथाओं के बीच अंतर होता है। कानून और नियम कागज पर मौजूद हो सकते हैं, लेकिन उनका पालन अक्सर पारंपरिक मानदंडों, पक्षपात या अनौपचारिक दबावों के कारण टल जाता है। जैसे, योग्यता-आधारित भर्ती नीति को भाई-भतीजावाद कमजोर कर सकता है।
3. अतिव्यापी संरचनाएँ (Overlapping): प्रशासनिक व्यवहार गैर-प्रशासनिक कारकों जैसे परिवार, जाति या सामुदायिक संबंधों से प्रभावित होता है। आधुनिक संस्थाएँ (जैसे संसद) और पारंपरिक संरचनाएँ एक साथ मौजूद रहती हैं, जिससे भूमिकाएँ अस्पष्ट हो जाती हैं। रिग्स ने इसे समझाने के लिए “क्लेक्ट्स” की अवधारणा दी—ये समूह आधुनिक संगठनात्मक विशेषताओं (जैसे क्लब) और पारंपरिक संबद्धताओं (जैसे संप्रदाय) का मिश्रण होते हैं।
अन्य विशेषताएँ
• भाई-भतीजावाद और पक्षपात: साला प्रशासन में भर्ती और पदोन्नति में योग्यता से अधिक रिश्तेदारी या सामाजिक संबंधों को प्राथमिकता दी जाती है।
• बहु-सामुदायिकता (Poly-communalism): विभिन्न जातीय, धार्मिक या सांस्कृतिक समूह एक साथ रहते हैं, प्रत्येक के अपने मानदंड होते हैं, जिससे प्रशासनिक एकता जटिल हो जाती है।
• बाजार-कैंटीन अर्थव्यवस्था: रिग्स ने प्रिज्मेटिक समाजों की आर्थिक उप-प्रणाली को वर्णित किया, जहाँ कीमतें सामाजिक स्थिति या सौदेबाजी की शक्ति पर निर्भर करती हैं, जिससे भ्रष्टाचार, काला बाजार और असमानता बढ़ती है।
• प्राधिकार बनाम नियंत्रण: प्राधिकार केंद्रीकृत होता है, लेकिन नियंत्रण बिखरा हुआ, जिससे नौकरशाही का दबदबा और अक्षमता बढ़ती है।
रिग्स के कार्य का व्यापक संदर्भ
रिग्स का मॉडल पश्चिमी आधुनिकीकरण सिद्धांतों (जैसे, रोस्टो के आर्थिक विकास के चरण) की आलोचना से उभरा, जिन्हें वे विकासशील देशों की जटिलताओं को सरल करने वाला मानते थे। उनके फ्यूज्ड-प्रिज्मेटिक-डिफ्रैक्टेड (एफपीडी) ढांचे ने समाजों को वर्गीकृत किया:
• फ्यूज्ड: पारंपरिक, जहाँ एक ही संरचना कई कार्य करती है (जैसे, एक कबायली नेता शासन, न्याय और अनुष्ठान संभालता है)।
• डिफ्रैक्टेड: आधुनिक, जहाँ विशिष्ट संरचनाएँ होती हैं (जैसे, विधायिका, न्यायपालिका आदि के लिए अलग संस्थाएँ)।
• प्रिज्मेटिक: संक्रमणकालीन, दोनों का मिश्रण।
उनकी पुस्तक Administration in Developing Countries: The Theory of Prismatic Society (1964) ने इन विचारों को औपचारिक रूप दिया, जो थाईलैंड, फिलीपींस और भारत के अध्ययनों पर आधारित थी। रिग्स का पारिस्थितिक दृष्टिकोण इस बात पर बल देता है कि प्रशासन को अलग-थलग नहीं समझा जा सकता—यह सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक उप-प्रणालियों से प्रभावित होता है।
प्रासंगिकता और आलोचना
प्रिज्मेटिक साला मॉडल विकासशील देशों में प्रशासनिक चुनौतियों जैसे भ्रष्टाचार, अक्षमता और सांस्कृतिक तनावों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, बांग्लादेश जैसे प्रिज्मेटिक समाज में भाई-भतीजावाद और शहरी-ग्रामीण असमानताएँ साला की विशेषताओं को दर्शाती हैं।
हालाँकि, आलोचकों का कहना है:
• मॉडल अत्यधिक सैद्धांतिक है और पर्याप्त अनुभवजन्य आधार की कमी है।
• यह सीमित केस अध्ययनों के आधार पर बहुत सामान्यीकरण करता है।
• यह नकारात्मक है, भ्रष्टाचार जैसे नकारात्मक लक्षणों पर ध्यान देता है, सकारात्मक परिवर्तन की संभावनाओं को नजरअंदाज करता है।
• यह आज के वैश्वीकरण या तेज सामाजिक परिवर्तनों को पूरी तरह से समाहित नहीं करता।
निष्कर्ष
फ्रेड डब्ल्यू. रिग्स का प्रिज्मेटिक साला मॉडल संक्रमणकालीन समाजों में लोक प्रशासन को समझने के लिए एक सूक्ष्म ढांचा प्रदान करता है। विषमता, औपचारिकता और अतिव्यापी संरचनाओं पर प्रकाश डालकर यह विकासशील देशों में शासन की जटिलताओं को उजागर करता है। हालांकि इसमें कुछ कमियाँ हैं, रिग्स का कार्य तुलनात्मक लोक प्रशासन में एक आधारशिला है, जो प्रशासनिक प्रणालियों को संदर्भ में समझने के लिए प्रोत्साहित करता है।