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ब्रेटनवुड्स संगठन एवं भारत

  ब्रेटनवुड्स संगठन एवं भारत

  1. ब्रिटेनवुड्स से निकले संस्थान
  2. भारत और विश्व बैंक
  3. अतंर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) International Monetary Fund
  4. एशियाई विकास बैंक ( Asian Development Bank)
  5. भारत और एशियाई विकास बैंक
  6. ब्रिक्स बैंक (Brics Bank)
  7. ओ० ई० सी० डी० ( OECD)
  8. भारत और OECD
  9. भारत की द्विपक्षीय निवेश प्रोत्साहन और संरक्षण योजना (B.I.P.A.)
  10. ब्रेटनवुड्स संगठन एवं भारत : पिछले वर्षों के महत्वपूर्ण प्रश्न

 

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जहाँ एक तरफ संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) की स्थापना से विश्व में शांति की उम्मीद जगी। उसी समय विश्व के शक्तिशाली देशों जैसे अमेरिका, यूरोपीय देश तथा कुछ अन्य देश विश्व में एक स्थायी वितीय व्यवस्था को सही तौर पर स्थापित करने की सोचने लगे। इसी को ध्यान में रखते हुए जुलाई 1994 में अमेरिका, यू.के. तथा अन्य 42 देशों के प्रतिनिधियों ने अमेरिका के न्यू हैम्पशायर स्थित ब्रटेनवुड्स में एक सम्मेलन आयोजित किया था। इसका प्रमुख उद्देश्य एक नया अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली तैयार करना था। इसी सम्मेलन से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा विश्व बैंक (World Bank) की स्थापना की गई। विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष दोनों को ब्रुटनवुड्स का जुड़वा सदस्य भी कहा जाता है। इन दोनों संस्थाओं का मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. में है।

  1. ब्रिटेनवुड्स से निकले संस्थान

विश्व बैंक : विश्व बैंक 5 अंत: संबंधित आर्थिक संस्थानों का समूह बैंक है। इन्हीं 5 संस्थानों के द्वारा सदस्य राज्यों में विश्व बैंक में कार्यशील होता है।

  1. अतंर्राष्ट्रीय पुर्निर्माण एवं विकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development -IBRD)
  2. अंतर्राष्ट्रीय विकास निगम (International Development Agency-IDA) 3. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम ( International Finance Cooperative)
  3. बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (Multilateral Investment Guarantee Agency-MIGA)
  4. अंतर्राष्ट्रीय निवेश विवाद निपटारा केन्द्र (Internatioanl Investment Dispute Settlement Center-ICSID)
  5. अतंर्राष्ट्रीय पुर्निर्माण एवं विकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development -IBRD)
  • यह 1945 में स्थापित हुआ था ।
  • इसका उद्देश्य विश्व युद्ध के बाद फिर से अर्थव्यवस्था का उद्धार करना था जो युद्ध के कारण खत्म या जर्जर हो चुका था ।
  • अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण के लिए अन्य देशों के विकास के लिए ऋण उपलब्ध कराना था।
  • बहुत कम ब्याज दर पर कर्ज देने का मुख्य उद्देश्य मानव विकास था। प्रमुख क्षेत्रों में कृषि, सिंचाई, शहरी विकास, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, दुग्ध विकास इत्यादि थे।
  • विश्व बैंक का यह संगठन 1949 में भारत को कर्ज देना आरम्भ कर दिया था।

भारत वर्त्तमान में अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) में सातवां सबसे बड़ा शेयरधारक है। अब भारत के पास मतदान क्षमता 2.91% हो गई है जो पहले 2.77% थी।

  1. अंतर्राष्ट्रीय विकास निगम (International Development Agency IDA)
  • अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेन्सी की स्थापना 1960 में की गई थी।
  • इस एजेंसी को विश्व बैंक की उदार खिड़की भी कहा जाता है। इसके पीछे यह कारण है कि विश्व बैंक का कोई भी ऋण इस ऋण से सस्ता नहीं होता है।
  • इस एजेन्सी के द्वारा प्रदत्त ऋणों का उद्देश्य सदस्य देशों में आधारभूत संरचना आर्थिक सेवाओं का विकास है।
  • यह ऋण उस देश को मिलता है जिसका प्रति व्यक्ति आय 895 डॉलर से कम है।
  • जो सदस्य ऋण लेते हैं उन्हें पहली किश्त 11 वें वर्ष लौटानी होती है। विश्व बैंक से जितने भी ऋण प्राप्त होते हैं, उसमें यह ऋण सबसे अधिक आकर्षक ऋण होता है। स्थापना के वर्ष से ही भारत इस ऋण का सबसे बड़ा लाभकर्ता देश रहा है। अब अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) तथा अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA ) दोनों एक ही प्रकार के उद्देश्य से ऋण देती है।
  • भारत को अभी तक इस एजेंसी से लगभग 20 बिलियन डॉलर (IBRD + IDA) की सहायता मिल चुकी है।
  1. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (International Finance Corporation)
  • 1956 में अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम की स्थापना की गई।
  • इसे विश्व बैक की निजी शाखा भी कहा जाता है।
  • जहां एक तरफ IBRD और IDA द्वारा सदस्य राष्ट्रों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराये जाते है वहीं IDA सदस्य देशों के निजी क्षेत्रीय संगठनों को वाणिज्यिक ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
  • यह अपने सदस्य देशों को निजी क्षेत्र की कंपनियों को कम ब्याज पर कर्ज उपलब्ध कराता है। यह ब्याज दरें व्यावसायिक होती है। यह निजी सार्वजनिक उपक्रमों और परियोजनाओं को ही कर्ज और सलाह देता है। इसके साथ अपने परामर्श कार्य के लिए सदस्य देशों की सरकारों के लिए ऐसी स्थितियाँ बनाने में सहायता करता है जिससे घरेलू और विदेशी निजी बचत और निवेश के प्रवाह में तेजी आए।
  • यह निगम सदस्य देशों के आर्थिक विकास पर अधिक ध्यान केंन्द्रित करता है। यह निवेश में हस्तक्षेप उस समय ही करता है जब वह उसमें विशेष योगदान कर सके।
  1. अंतर्राष्ट्रीय निवेश गारंटी एजेंसी (Multilateral Investment Guarantee Agency)
  • इसका कार्य विकासशील देशों में अधिक से अधिक विदेशी निवेश को लाने के मकसद से मदद करना है ।
  • MIGA की स्थापना वर्ष 1998 में की गई थी।
  • MIGA विदेशी निवेशकों को विकासशील देशों में निवेश के बदले बीमा उपलब्ध कराती है जोगैर वाणिज्यिक जोखिम का वहन करता हैं
  • मुद्रा हस्तांतरण, उपद्रव, संपति की क्षति इत्यादि में यह बीमा विदेशी कंपनियों को लाभ पहुँचाता है।
  • उपरोक्त के अतिरिक्त यह सदस्य देशों को विदेशी निवेश के अवसरों संबंधी तकनीकी सहायता एवं सूचनाएँ उपलब्ध कराता है।
  • भारत MIGA का एक वरिष्ठतम सदस्य है।
  1. अंतर्राष्ट्रीय निवेश विवाद निपटारा केन्द्र (Internatioanl Investment Dispute Settlement Center-ICSID)
  • इसकी स्थापना 1996 ई. में की गई थी।
  • इसकी स्थापना का उद्देश्य किन्हीं दो देशों के बीच निवेश संबंधी विवादों के सम्मेलन के तहत स्थापित हुआ।
  • इसकी मदद लेना किन्हीं देशों के अपने इच्छा पर निर्भर करता है।
  • जब ICSID को मध्यस्थता के लिए कह दिया जाता है तो इसके फैसले को देनों पक्षों को मानना आवश्यक हो जाता है।
  • यह ICSID निवेशी और निवेशक दो पक्षों के विवाद पर अपना फैसला देती है।
  • भारत इस केंद्र का सदस्य नहीं है क्योंकि भारत इस केंद्र को सम्प्रभुत्ता पर खतरे को रेखांकित करता है।
  1. भारत और विश्व बैंक

भारत जैसे विकासशील देशों के लिए विश्व बैंक एक अच्छे तथा स्थायी कर्ज का देनदार है। भारत इसके द्वारा अपने निवेश की आवश्यकताओं को पूरी करता है। भारत अपने आंतरिक समस्याओं का ध्यान विश्व बैंक के सहायता से और अच्छे तरीके से रखता है। विश्व बैंक की मदद से भारत कृषि, सिंचाई, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि के लिए काफी अच्छी योजनाएँ चलाते आ रहा है।

भारत आरम्भ से ही विश्व बैंक से विभिन्न विकास योजनाओं के लिए लोन ले रहा है जैसे विनिर्माण, ग्रामीण विकास, मानव संसाधन इत्यादि के लिए। यह कह लें कि भारत सामाजिक सहायता कार्यक्रमों को प्रोजक्ट के तौर पर विश्व बैंक के संस्थाओं के माध्यम से चलाता आ रहा है। विश्व बैंक विभिन्न परिस्थितियों में भारत के राज्यों को भी मदद करता रहा है। कोसी बाढ़ राहत या फिर गंगा नदी स्वच्छता योजना के लिए विश्व बैंक काफी मदद करता रहा है। वैश्विक संकट से पार पाने के लिए भारत में 3 बिलियन डॉलर दिया गया। इसमें 2 बिलियन डॉलर पब्लिक सेक्टर के लिए था जिसमें बैंकों को अपने साख के फैलाव को पुंजीगत समर्थन मिल सके।

  1. अतंर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) International Monetary Fund
  • IMF की स्थापना 1944 में ही कर दी गई थी परन्तु 27 दिसम्बर 1945 को इसके विभिन्न अनुच्छदों को प्रवर्तित कर दिया गया था।
  • इसका मुख्यालय वाशिंगटन में है तथा इसके सदस्य देशों की संख्या लगभग 188 है। IMF अपना कार्य विधिवत् रूप से 1947 से आरम्भ किया था ।
  • IMF का संस्थायक सदस्यों में भारत भी शामिल है।
  • इसके सदस्य देशों को IMF के द्वारा लघु अवधि की विदेशी मुद्रा देनदारियों की खरीद की सुविधा प्राप्त होती है।
  • IMF सदस्य देशों को विशेष आवरण अधिकार (Global Depository Receipt ) आवंटित करता है। इसके अलावा महत्वपूर्ण भुगतान संतुलन संकट की स्थिति में सदस्य देशों की सहायता करता है तथा विभिन्न दर स्थिरता और विनिमय क्रम व्यवस्था को बढ़ावा देता है।

IMF के मुख्य कार्य

  • अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को प्रोत्साहन देना ।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का संतुलित विकास करना तथा विनिमय दरों का स्थिरीकरण करना ।
  • विनिमय प्रतिबंधों की समाहित तथा बहुपक्षीय भुगतान की व्यवस्था करना ।
  • भुगतान संतुलन की समस्या की स्थिति में सदस्य देशों को आर्थिक सहायता की उपलब्धि तथा अंतर्राष्ट्रीय भुगतान में आने वाले संकट का निपटारा तथा उनकी भविष्य में कमी।

IMF का कार्य प्रबंधन

  • IMF का कार्य संचालन ( Board of Governors) द्वारा किया जाता है।
  • यह राज्यपाल समिति (Board of Governors) प्रत्येक सदस्य देश से एक गवर्नर और एक वैकल्पिक गवर्नर से मिलकर बनता है।
  • भारत के तरफ से बोर्ड में वित्त मंत्री पदेन गवर्नर होता है जबकि RBI के गवर्नर वैकल्पिक गवर्नर होता है।
  • IMF का प्रबंध निदेशक प्रत्येक दिन का कामकाज देखता है जो कि कार्यकारी निदेशक मंडल का चेयरमैन होता है।
  • IMF का में भारत के तरफ से स्थायी प्रतिनिधित्व यहा के कार्यकारी निदेशक के हाथ में होता है। ये निदेशक बांग्लादेश, भूटान ओर श्री लंका का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।

भारत और IMF (India & IMF)

  • भारत IMF का एक संस्थापक सदस्य रहा है भारत का IMF से संबंध GDR से कोटे के बढ़ने घटने को लेकर चर्चित रहता है।

भारत का कोटा

  • भारत का IMF मे कोटा 75 प्रतिशत हो गया।
  • भारत का IMF में आठवां रैंक हो गया।
  • IMF के पास 24 क्षेत्र (Constituency) है तथा भारत के अंशदान / अंशभार में 3 अन्य देश भीशामिल हैं, जैसे- भूटान, बंग्लादेश तथा श्रीलंका ।
  • भारत के पास अब 13,144.4 मिलियन SDR है।
  • इसमें 25 प्रतिशत हिस्से का भुगतान नकद में किया जाता है।
  • 75 प्रतिशत का भुगतान प्रतिभूति के रूप में किया जाता है।

एक्सटेंडेड और फैसिलिटी (Extended & Facility)

  • यह IMF के द्वारा एक समझौता है।
  • जब इस समझौते पर कोई सदस्य देश कर्ज लेना प्रारम्भ करता है तो इसी पर हस्ताक्षर करना पड़ता है। इसका अर्थ यह हुआ कि Extended & Facility पर ही हस्ताक्षर करके कोई देश IMF से कर्ज ले सकता है।
  • भारत ने इस समझौते पर वित्त वर्ष 1981-82 में ही हस्ताक्षर कर दिया था।
  • भारत संकटकालीन स्थिति में जैसे भुगतान संतुलन की स्थिति में जैसे 1981-84 तथा 1991 में क्रमशः 9 अरब डॉलर तथा 3.56 अरब डॉलर का कर्ज लिया था।
  • भारत IMF में एक अंशदाता भी है। 2002 के बाद भारत IMF के वित्तीय लेन देन के योजना में भी शामिल है।

IME में सुधार की गुंजाइश

  • IMF के कुछ कारण से आलोचना का भी सामना करना पड़ता है तथा इसमें सुधार की बात कही जाती है। विश्व के सभी सदस्य देशों के साथ एक ही नीति का अनुसरण करना। यह एक चिंता के रूप में देशा जाता है। कहीं न कहीं विकासशील देश और विभाजित देश की समस्याएँ अलग-अलग है।
  • लोन के शर्तों की जटिलता से विकासशील देशों की समस्याएं विशेषकर गरीबों के प्रति योजनाएं प्रभावित होती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के स्रोत का आधार थोड़ा कम है जिससे निजी क्षेत्रों को वृहत्त तरीके से कार्य करने का अवसर मिल जाता है।
  • IMF का प्रमुख प्रबंध निदेशक हमेशा यूरोपीयन होता है। यह सच है कि भारत जैसे देशों के पासकई ऐसे विद्वान है जो सही तौर पर कार्य करने को योग्य होते हैं।
  • भारत एक आर्थिक शक्ति है। भारत को इस संस्था में वृहत्त तरीके से मताधिकार की शक्ति मिलनी चाहिए।
  • IMF 2008-09 में अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संकट को पहचानने में नाकमयाब रहा।

अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संगठन एवम् भारत ( International Economic Organization & India)

  1. एशियाई विकास बैंक
  2. ब्रिक्स बैंक
  3. OECD (ओ० ई० सी० डी० )
  4. भारत का बी० आई० पी० ए०
  5. अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली
  6. एशियाई विकास बैंक ( Asian Development Bank)
  • एशियाई विकास बैंक की स्थापना 1968 में प्रारम्भ की गई थी।
  • भारत इसके संस्थापक सदस्यों में से एक रहा है।
  • इसके सदस्यों की संख्या 67 है। जिसमें एशिया और प्रशांत क्षेत्र से 48 सदस्य देश हैं।
  • 19 सदस्य एशियाई विकास बैंक के एशिया प्रशांत क्षेत्र / भाग से है।
  • इसका मुख्यालय फिलीपीन्स की राजधानी मनीला में है।

एशियाई विकास बैंक का उद्देश्य

एशियाई विकास बैंक (ADB) का उद्देश्य है एशिया तथा सुकन पूर्व के देशों को आर्थिक विकास तथा योजना में सहयोग देना तथा बढ़ावा देना। यह बैंक विकासशील देशों को सामूरिक और व्यक्तिगत दोनों रूप से योग्य देता है।

बैंक के कार्य

  • विकासशील देशों में सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देना तथा सामंजस्यपूर्ण क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना ।
  • विकास की नीतियें एवम् योजनाओं का समन्वयन करना अगर कोई सदस्य देश आग्रह करे तो विकासशील सदस्य देशों को अंतरक्षेत्रीय व्यापार में प्रोत्साहन देना, वित्त पोषण देना तथा परियोजनाओं में सहायता प्रादान करना ।
  • VHO निजी, सार्वजनिक सभी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सहयोग तथा इसके उद्देश्यों को आगे बढ़ाने वाली अन्य गतिविधियों को बढ़ावा देना एवम् जरूरी सेवाएँ प्रदान करना ।
  1. भारत और एशियाई विकास बैंक
  • भारत एशियाई विकास बैंक का एक प्रमुख साझेदार है। बैंक की पूंजी में भारत की हिस्सेदारी 190 प्रतिशत है जबकि मताधिकार में 6.050 प्रतिशत हिस्सा है।
  • भारत इस बैंक से विभिन्न योजनाओं के लिए सामान्य पूंजी संसाधनों (OCR) के तहत ऋण लेना 1986 में प्रारम्भ किया। इस बैंक से मुख्य रूप से ऊर्जा, परिवहन और संचार उद्योग और सामाजिक ढांचा क्षेत्र के लिए राशि उधार की गयी।
  • एशियाई विकास बैंक भारत को तकनीकी सहायता भी उपलब्ध कराता रहा है। इसके अंतर्गत संस्थाओं के सुदृढ़ करना, प्रभावकारी परियोजना कार्यान्वयन और नीति सुधारों तथा परियोजना के तैयारी के लिए सहायता शामिल है।
  • भारत एशियाई विकास बैंक के निर्देशक मण्डल में भी शामिल है तथा इसे कार्यकारी निदेशक का पद मिला हुआ है। इसके अधिकार क्षेत्र में भारत भूटान, बांग्लादेश, लाओस, ताजिकिस्तान तथा  बांग्लादेश भी शामिल है।
  • IMF की तरह इसके भी राज्यपाल समिति (Board of Governor ) भारत के वित्तमंत्री गवर्नर होते हैं तथा सचिव (आर्थिक मामले) इसके वैकल्पिक गवर्नर होते हैं।
  1. ब्रिक्स बैंक (Brics Bank)

BRICS : Brazil, Russia, India, China, South Africa

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय गठबंधन है जो अपने अति विकासशील तथा तीव्र GDP के लिए जाना जाता है।
  • फोर्टालेजा घोषणा के तहत ब्रिक्स के सदस्य देशों ने इस बैंक की स्थापना की थी।

ब्रिक्स बैंक की विशेषताएं

  • बैंक का आधार प्रारम्भिक पूँजी 50 अरब डॉलर की होगी जिसमें सभी 5 देशों का समान अंश होगा।
  • इसके पूँजीगत आधार का इस्तेमाल प्रारम्भी में ब्रिक्स (Brics ) देशों में आधारभूत ढांचे और दीर्घकालिक विकास परियाजनाओं को पैसा देने के लिए किया जाएगा।
  • कुछ समय के बाद इस बैंक से गरीब देश भी पैसा प्राप्त करने वाले हो जाएंगे।
  • इस बैंक में एक आकस्मिक संचित प्रावधान भी तैयार किया गया है जो भुगतान समस्याओं के समय संतुलन बनाए रखने के लिए सदस्य देशों की तरलता की रक्षा के लिए किया जाएगा। इसमें 100 अरब डॉलर रखा गया है।
  • आकस्मिक संचित प्रावधान में 40 फीसदी चीन और भारत, ब्राजील तथा रूस 18, 18 तथा 18 प्रतिशत तथा 5 प्रतिशत दक्षिण अफ्रीका का योगदान है।
  • इस घोषणा के अनुसार CRA भुगतान दबाव की वास्तविक संभावित स्थिति में अल्पकालिन संतुलन बनाने के लिए मुद्रा के विनिमय की व्यवस्था का आधार है।
  • इसमें सभी सदस्य देशों का मताधिकार समान रूप में से है। ” एक देश एक वोट “
  • ब्रिक्स को ब्रेटनवुड संस्थाओं के एक विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। यदि यह सदस्य देशों के आपसी विवादों के निपटारे की व्यवस्था तैयार कर लेता है तो तृतीय व द्वितीय विश्व का प्रतिनिधित्व कर सकता है। साथ ही आबादी के अनुपात में देशों की जरूरत के अनुसार साख (Credit) की व्यवस्था करना तथा प्रभावी निरीक्षण प्रणाली की स्थापना करने की जरूरत है।
  1. ओ० ई० सी० डी० ( OECD)

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation & Development -OECD)

  • इसका मुख्यालय पेरिस में है।
  • OECD पूर्ण रूप से यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन (OECD) का उत्तरोत्तर भाग है। यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना 1947 में हुई 14 दिसंबर 1960 ई० को OECD को एक औपचारिक रूप से स्वीकार किया जब अमेरिका और कनाडा इसका सदस्य बना।
  • विधिवत रूप से OECD की स्थापना 30 सितम्बर 1961 को हुई ।
  • इसके कुल 40 सदस्य देश हैं। वर्तमान में विकास के मामले में इस संगठन ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
  • वर्तमान समय में OECD के 40 सदस्य देशों का विश्व व्यापार और निवेश में योगदान 80 प्रतिशत से भी अधिक है। यही कारण है कि भारत सहित विश्व के अन्य देश इसकी सदस्य लेने की कोशिश करते रहते है।

 

  1. भारत और OECD
  • भारत 2007 ई० से OECD की प्रत्येक बैठक में भाग लेता आ रहा है। इसका अर्थ हुआ कि भारत इसी 2007 से OECD का मुख्य भागीदार है।
  • वर्ष 2017 से ही भारत 21 OECD निकायों में सहयोगी तथा प्रतिभागी के तौर पर शामिल होता रहा है और OECD के 9 विधि निवेश (Legal Investment) का समर्थन करता रहा है। यहां OECD के कई महत्वपूर्ण मामलों, कॉरपोरेट गवर्नर से लेकर राजकोषीय मामलों एवम् परमाणु ऊर्जा मामालों तक में अहम योगदान करने वाले देश के रूप में भारत की मान्यता है।

 

  1. भारत की द्विपक्षीय निवेश प्रोत्साहन और संरक्षण योजना (B.I.P.A.)

(Bilateral Investment Promotion & Pro section Agreement – BIPA)

  • उदारीकरण के बाद भारत में निवेश की संभावता को देखते हुए “द्विपक्षीय निवेश प्रोत्साहन और संरक्षण योजना” (I.P.A.) को बढ़ावा दिया गया।
  • भारत अभी तक लगभग 80 से ऊपर देशों के साथ BIPA समझौते पर हस्ताक्षर कर चुका है।
  • अभी तक लगभग 70 BIPA लागू भी हो चुके हैं।
  • IP.A. का प्रमुख उद्देश्य अपने देश में दूसरे देश के निवेशकों के हितों का संरक्षण और प्रोत्साहन देना है।
  • इस तरह के समझौते निवेशक को सभी मामलों में व्यवहार के न्यूनतम मानकों का भरोसा देते हुए उनकी सहायता का स्तर बढ़ाते हैं और मेजबान देश के साथ विवादों की न्याय संगतता प्रदान करते है।
  • वैश्विक स्तर पर यह कार्य ICSID करती है।
  • भारत ICSID का सदस्य देश नहीं है।

Chapter End

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चीन और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव: दक्षिण चीन सागर

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका