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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका

समग्र दृष्टिकोण

  • उत्तर भारत: रानी लक्ष्मीबाई, सरोजिनी नायडू

  • दक्षिण भारत: दुर्गाबाई देशमुख, मृणालिनी साराभाई

  • पूर्वी भारत: कमला देवी चट्टोपाध्याय, सुचेता कृपलानी

  • उत्तर-पूर्व: रानी गाइदिन्लिउ

  • समाज सुधारक पृष्ठभूमि: सावित्रीबाई फुले, पंडिता रमाबाई

  • अंतरराष्ट्रीय प्रभाव: अन्नी बेसेन्ट (आयरलैंड से)

 

1. क्रांतिकारी महिलाएं (सशस्त्र संघर्ष में भागीदारी)

इन महिलाओं ने हथियार उठाकर ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह किया।

रानी लक्ष्मीबाई (झांसी की रानी) – 1857 की क्रांति की सबसे प्रमुख चेहरा, जिन्होंने अंग्रेजों से वीरता से युद्ध किया।

बेगम हज़रत महल – अवध की बेगम, जिन्होंने 1857 में लखनऊ में ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ मोर्चा संभाला।

उदा देवी – दलित वीरांगना, जिन्होंने 1857 की क्रांति में अंग्रेज सैनिकों को मार गिराया।

कनकलता बरुआ – असम की युवा स्वतंत्रता सेनानी, जिनकी मृत्यु झंडा फहराने के दौरान हुई।

2. राजनीतिक नेतृत्व व असहयोग आंदोलन

महिलाओं ने गांधीजी के आंदोलनों में भाग लेकर ब्रिटिश शासन को चुनौती दी।

सरोजिनी नायडू – “नाइटिंगेल ऑफ इंडिया”, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष और स्वतंत्रता संग्राम की सशक्त आवाज़।

कस्तूरबा गांधी – महात्मा गांधी की पत्नी, जिन्होंने कई आंदोलनों में भाग लिया, जेल भी गईं।

अन्नी बेसेन्ट – होमरूल लीग की स्थापना की, भारत में स्वशासन की मांग को मज़बूती दी।

अरुणा आसफ अली – 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की प्रमुख नेता, जिन्होंने बंबई में कांग्रेस का झंडा फहराया।

3. सामाजिक सुधारक एवं विचारक महिलाएं

इन महिलाओं ने समाज में सुधार के माध्यम से स्वतंत्रता की नींव मजबूत की।

सावित्रीबाई फुले – महिलाओं की शिक्षा की नींव रखी, दलित व स्त्री अधिकारों की पुरोधा।

पंडिता रमाबाई – विधवाओं और दलित स्त्रियों के लिए शिक्षा संस्थान स्थापित किए।

दुर्गाबाई देशमुख – सामाजिक सुधार, महिला अधिकारों व संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका।

4. संस्कृति, साहित्य और मीडिया में योगदान

इन महिलाओं ने राष्ट्रवादी विचारों को जन-जन तक पहुँचाया।

कमला देवी चट्टोपाध्याय – हस्तशिल्प और महिला सशक्तिकरण को आज़ादी से जोड़ा।

मृणालिनी साराभाई – नृत्य व कला के माध्यम से स्वतंत्रता की चेतना को बढ़ाया।

5. आदिवासी और ग्रामीण पृष्ठभूमि से महिलाएं

अनेक ग्रामीण व आदिवासी महिलाओं ने स्थानीय स्तर पर विद्रोह किए।

झलकारी बाई – झांसी की रानी की सेनापति, जिन्होंने अंग्रेजों को चकमा दिया।

रानी गाइदिन्लिउ (मणिपुर) – नागा स्वतंत्रता संग्राम की युवती नेता।

सारांश:

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने सशस्त्र क्रांति, अहिंसात्मक आंदोलन, सामाजिक सुधार, राजनीतिक नेतृत्व और सांस्कृतिक पुनर्जागरण – सभी मोर्चों पर लड़ाई लड़ी। उनका योगदान एकतरफा नहीं बल्कि बहुआयामी था.

टाइमलाइन चार्ट: स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगनाएँ

वर्ष / कालखंडप्रमुख महिलाएंयोगदान / भूमिका
1857रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हज़रत महल, उदा देवी, झलकारी बाई1857 की क्रांति में सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व, लड़ाइयाँ लड़ीं
1870–1890sसावित्रीबाई फुले, पंडिता रमाबाईस्त्री शिक्षा, विधवा कल्याण, समाज सुधार
1900–1920अन्नी बेसेन्टहोमरूल लीग, स्वराज की मांग, थियोसोफिकल आंदोलन
1920–1930कस्तूरबा गांधी, सरोजिनी नायडूअसहयोग आंदोलन, विदेशी कपड़ों की होली, महिला जागरण
1930–1940कमला देवी चट्टोपाध्याय, दुर्गाबाई देशमुखसविनय अवज्ञा आंदोलन, महिला संगठनों की स्थापना
1942अरुणा आसफ अली, सुचेता कृपलानीभारत छोड़ो आंदोलन में प्रमुख भूमिका, भूमिगत आंदोलन
1940s के अंत मेंरानी गाइदिन्लिउउत्तर-पूर्व भारत में आदिवासी स्वतंत्रता संघर्ष

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