in , , , ,

भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों का नया दौर

The Union Minister for Defence, Shri Rajnath Singh visits HMAS Kuttabul in Sydney, Australia on October 10, 2025.

21वीं सदी के बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंध एक नए रणनीतिक युग में प्रवेश कर चुके हैं। दोनों देश जो कभी उपनिवेशवादी अतीत, भौगोलिक दूरी और सीमित व्यापारिक आदान-प्रदान से बंधे थे, आज एक साझा लोकतांत्रिक, आर्थिक और सामरिक दृष्टि से एक-दूसरे के पूरक बन चुके हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के उदय और वैश्विक भू-राजनीतिक अस्थिरता ने इस संबंध को नई प्राथमिकता दी है। “नया भारत-ऑस्ट्रेलिया सहयोग चाप (New Arc of Collaboration)” वास्तव में इस गहरी साझेदारी का आधुनिक प्रतीक है, जो सुरक्षा, तकनीक, व्यापार, शिक्षा, ऊर्जा और पर्यावरण जैसे विविध क्षेत्रों में नई संभावनाओं का द्वार खोलता है।

साझेदारी के विकसित चरण:

भारत-ऑस्ट्रेलिया साझेदारी प्रारंभ में राष्ट्रमंडल सहयोग और क्रिकेटीय सौहार्द तक सीमित थी। किंतु 1990 के दशक के बाद आर्थिक उदारीकरण, वैश्वीकरण और हिंद-प्रशांत भू-राजनीति के पुनर्संयोजन ने द्विपक्षीय संबंधों को गति प्रदान की। 2009 में दोनों देशों ने सुरक्षा सहयोग रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसने रक्षा और सामरिक साझेदारी के लिए नींव रखी। 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के बीच हुई बैठकों ने इस संबंध को गहराई दी। 2020 में Comprehensive Strategic Partnership (CSP) की स्थापना के साथ यह संबंध अब ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर पर पहुँच चुका है। इससे रक्षा अभ्यास (जैसे AUSINDEX), खुफिया सहयोग, संवेदनशील प्रौद्योगिकी साझा करने और इंडो-पैसिफिक सुरक्षा ढाँचे में साझी भूमिका तय हुई।

सहयोग के ढांचे और व्यावहारिक प्रेरक:

भारत-ऑस्ट्रेलिया सहयोग का आधुनिक स्वरूप कई संरचनात्मक और व्यावहारिक कारकों पर आधारित है। दोनों देशों की समुद्री सीमाएँ हिंद-प्रशांत महासागर से जुड़ी हैं, और इस क्षेत्र की स्थिरता पर दोनों का समान हित है। ऑस्ट्रेलिया का प्राकृतिक संसाधन-समृद्ध अर्थतंत्र और भारत की युवा जनसंख्या तथा उत्पादन क्षमता एक-दूसरे को पूरक बनाते हैं। 5G, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, समुद्री निगरानी, साइबर सुरक्षा और उभरते तकनीकी क्षेत्र (जैसे AI, सेमीकंडक्टर, ग्रीन हाइड्रोजन) इस साझेदारी को नया रूप दे रहे हैं। इसके अलावा क्वाड गठबंधन (Quad: India, Australia, Japan, USA) के माध्यम से लोकतांत्रिक देशों की समान विश्व दृष्टि और क्षेत्रीय स्थिरता का साझा एजेंडा आकार ले रहा है।

पूरकता और औद्योगिक सामंजस्य:

भारत और ऑस्ट्रेलिया की आर्थिक और औद्योगिक संरचनाएँ पूरक हैं। ऑस्ट्रेलिया जहां लौह-अयस्क, लिथियम, दुर्लभ धातुएँ और ऊर्जा संसाधनों में अग्रणी है, वहीं भारत विनिर्माण और सूचना तकनीक के क्षेत्र में सशक्त है। यह प्राकृतिक तालमेल दोनों देशों को ग्रीन ट्रांजिशन और नेट-जीरो लक्ष्यों में साझेदारी का अवसर देता है। 2022 में भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ECTA) ने मुक्त व्यापार की नई दिशा दी, जिससे द्विपक्षीय व्यापार 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना बनी। शिक्षा क्षेत्र में भी हजारों भारतीय छात्र ऑस्ट्रेलिया में अध्ययन कर रहे हैं, जिससे ‘ज्ञान कूटनीति’ संबंधों की नई श्रेणी बनी है।

राजनीतिक, आर्थिक और संस्थागत आधार:

भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों उदार लोकतंत्र हैं जिनके राजनीतिक मूल्य, संस्थागत ढांचे और पारदर्शी शासन व्यवस्था में समानता है। यह समानता विश्व स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के संरक्षण के लिए सहयोग को सहज बनाती है। दोनों देश संयुक्त राष्ट्र, G20, ASEAN और EAS जैसे बहुपक्षीय मंचों पर एक-दूसरे के साझीदार हैं। आर्थिक दृष्टि से, निवेश, पर्यटन और शिक्षा तीन प्रमुख स्तंभ बन चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया भारत के खनन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में दीर्घकालिक निवेश बढ़ा रहा है, वहीं भारत ऑस्ट्रेलिया के कृषि और सेवा क्षेत्र में सहयोग विस्तारित कर रहा है। यह संबंध अब ‘पुरानी मित्रता’ नहीं, बल्कि ‘आधारभूत साझेदारी’ के रूप में विकसित हो चुका है।

सामरिक गहराई और हिंद-प्रशांत की रणनीति:

भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों का परिवर्तन केवल द्विपक्षीय नहीं बल्कि क्षेत्रीय संतुलन का हिस्सा है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की सैन्य और आर्थिक आक्रामकता ने दोनों देशों को साझा सुरक्षा ढाँचा बनाने की प्रेरणा दी है। AUSINDEX नौसैनिक अभ्यास, मालाबार अभ्यास में संयुक्त भागीदारी, तथा लॉजिस्टिक एक्सचेंज एग्रीमेंट जैसी व्यवस्थाएँ सामरिक विश्वास का परिचायक हैं। समुद्री डोमेन अवेयरनेस को सुदृढ़ करने के लिए ऑस्ट्रेलिया हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के साथ निगरानी डेटा साझा कर रहा है। यह रणनीतिक एकता ‘नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था (Rules-based Order)’ के संरक्षण की दिशा में योगदान देती है।

उभरते क्षेत्र और भविष्य की दिशा:

21वीं सदी के तकनीकी परिवर्तनों ने भारत-ऑस्ट्रेलिया सहयोग को नई गति दी है। दोनों देश हरित ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल अर्थव्यवस्था और शिक्षा नवाचार जैसे क्षेत्रों में मिलकर कार्य कर रहे हैं। भारतीय कंपनियाँ ऑस्ट्रेलिया के लिथियम निवेश में साझेदार हैं, वहीं ऑस्ट्रेलियाई संस्थान भारत के स्किल डेवेलपमेंट और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में योगदान दे रहे हैं। पर्यावरण और जलवायु संरक्षण में संयुक्त प्रतिबद्धता ‘Indo-Pacific Oceans Initiative’ जैसे मंचों के माध्यम से विकसित हुई है। यह सहयोग भविष्य की टिकाऊ और समावेशी प्रगति का प्रतीक है।

निष्कर्ष:

भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंध अब केवल राजनयिक या आर्थिक नहीं रहे, बल्कि यह रणनीतिक साझेदारी के एक नये युग का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह संबंध लोकतंत्र, स्वतंत्रता, पारदर्शिता और पारस्परिक सम्मान के मूल्यों पर आधारित है। दोनों देशों के बीच सहयोग विश्व राजनीति में शक्ति संतुलन को नया आकार देगा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति तथा स्थिरता का मार्ग प्रशस्त करेगा। जैसे-जैसे वैश्विक व्यवस्थाएँ गतिशील होती जाएँगी, भारत और ऑस्ट्रेलिया एक दूसरे के विश्वसनीय सहयोगी और वैश्विक साझेदार के रूप में उभरेंगे, जो केवल क्षेत्रीय सुरक्षा नहीं, बल्कि मानवता के समग्र कल्याण की दिशा में अग्रसर होंगे।


Discover more from Politics by RK: Ultimate Polity Guide for UPSC and Civil Services

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

What do you think?

भारत- तालिबान संबंध: आदर्शवाद और ब्यावहारिकता के बीच संतुलन

संविधान सभा की बहसें (Constituent Assembly debates)