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भारत का पर्यटन क्षेत्र: $32 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने की ओर

पर्यटन और भारतीय अर्थव्यवस्था

हाल ही में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सीआईआई एंटरप्रेन्योरशिप समिट 2025 में भारत सरकार के देश की अर्थव्यवस्था और उसमें पर्यटन की भागीदारी के रोडमैप (विजन 2047) पर चर्चा करते हुए बताया कि सरकार 2047 तक देश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन की हिस्सेदारी को वैश्विक स्तर के अनुरूप 10 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रख रही है।विदित है कि वर्तमान में पर्यटन क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में 5 से 6 प्रतिशत तक योगदान देता है।

उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था सामान्यतः हर आठ वर्षों में दोगुनी होती है। ऐसे में अगर देश की अर्थव्यवस्था का आकार वर्तमान में लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर माना जाए तो यह वर्ष 2047 तक बढ़कर 32 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है।भारत सरकार का लक्ष्य है कि इसमें से दस प्रतिशत योगदान पर्यटन से आए, जो वैश्विक मानकों के अनुरूप हो।

भारत में पर्यटन की वर्तमान स्थिति : आंकड़े और रिपोर्ट्स

अब अगर बात करें कि भारत में पर्यटन की वर्तमान स्थिति क्या है,जैसा कि हम जानते हैं कि वर्तमान में पर्यटन भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग 5-6% का योगदान देता है।विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में अंतर्राष्ट्रीय आगंतुक खर्च 2024 में रिकॉर्ड 3.1ट्रिलियन ₹ पर पहुंच गया है,जोकि रिकॉर्ड स्तर है।
भारत का पर्यटन क्षेत्र एक मज़बूत सुधार का अनुभव कर रहा है, जहाँ अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों का आगमन महामारी-पूर्व के स्तर से अधिक हो गया है और घरेलू पर्यटन समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। 2023 में विदेशी पर्यटकों का आगमन 9.52 मिलियन तक पहुँच गया, जो महामारी-पूर्व के स्तर का 87.09% और 2022 से 47.89% की वृद्धि दर्शाता है ।
2023 में पर्यटन प्राप्तियों के मामले में भारत विश्व स्तर पर 14वें स्थान पर था।पिछले वर्ष भारत ने वैश्विक पर्यटन प्राप्तियों का लगभग 1.8% अर्जित किया।इस क्षेत्र में 24% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से वृद्धि होने की उम्मीद है ।

भारतीय पर्यटन की संभावनाएं और क्षमता:

इन आकंड़ों में सकारात्मक ट्रेंड के बावजूद भारत अभी अपनी क्षमता से काफी कम पर्यटकों को आकर्षित कर पाता है।थाईलैंड,यूएई, स्विट्जरलैंड जैसे छोटे भौगोलिक देश अपने यहां अपेक्षाकृत अधिक पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। केंद्रीय मंत्री ने इस कमी को रेखांकित करते हुए ही विजन 2047 और उसमें पर्यटन के योगदान को बढ़ाने की बात कही है।

यह इसलिए भी संभव है क्योंकि ये पर्यटक गंतव्य (थाईलैंड,यूएई, स्विट्जरलैंड आदि) भारत से घरेलू पर्यटकों को आकर्षित करने या आध्यात्मिक पर्यटन की संभावनाओं के मामले में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते, क्योंकि भारत के प्रत्येक राज्य में विविधता और विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है, जो विश्वभर के पर्यटकों को विविध अनुभव प्रदान करता है।

साथ ही भारत में टूरिज्म के कई आयाम हैं यथा- नेचर टूरिज्म, वाइल्डलाइफ टूरिज्म,स्प्रिचुअल टूरिज्म,मेडिकल टूरिज्म आदि।वाराणसी, अमृतसर, हम्पी, अजंता-एलोरा और चारधाम जैसे स्थलों के माध्यम से भारत आध्यात्मिक पर्यटन के लिए वैश्विक आकर्षण है।वहीं भारत के मेट्रो सिटीज में उच्च गुणवत्ता वाली, कम लागत वाली चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध हैं, जो पश्चिम एशिया, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के रोगियों को आकर्षित करती हैं।तो दूसरी तरफ केरल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में आयुर्वेद और योग के पारंपरिक रूपों को आधुनिक देखभाल के साथ जोड़ते हैं।पश्चिमी हिमालय,पश्चिमी घाट,पूर्वोत्तर राज्य, कच्छ के रण से लेकर सुंदरबन तक सभी भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट ट्रेकिंग, वाइल्डलाइफ सफारी और इकोटूरिज्म की पेशकश करते हैं।

भारत के पर्यटन क्षेत्र के समक्ष बाधाएं:

भारत की इस असीमित क्षमता को अपनी पूर्णता प्राप्त करने के मार्ग में कुछ बाधाएं हैं जैसे कि भारत में कई पर्यटन स्थल अपर्याप्त बुनियादी ढांचे से ग्रस्त हैं, जिनमें खराब सड़क की स्थिति, अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन और लोकप्रिय पर्यटन क्षेत्रों में अपर्याप्त सुविधाएं शामिल हैं।इसके अलावा पर्यटन क्षेत्र में होटलों और रेस्टोरेंट से लेकर टूर ऑपरेटरों तक, विभिन्न सेवाओं में मानकीकृत गुणवत्ता नियंत्रण का अभाव है। यह असंगति समग्र पर्यटक अनुभव को प्रभावित करती है।कई स्थानों पर अभी भी कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दे,विदेशी पर्यटकों के साथ अपराधों से जुड़े मुद्दे प्रायः समाचारों में रहते हैं,जिसको तुरंत खत्म करने की आवश्यकता है।

वैश्विक पर्यटक अब निर्बाध डिजिटल अनुभव की अपेक्षा करते हैं—बुकिंग, नेविगेशन, भुगतान और समीक्षा तक। भारत के कई पर्यटन स्थलों में अब भी मजबूत डिजिटल एकीकरण की कमी है।ये समस्याएँ न केवल पर्यटकों की संतुष्टि को प्रभावित करती हैं, बल्कि भारत की वैश्विक क्षवि और इस क्षेत्र से जुड़ी ट्रैवल एंड टूरिज्म डेवलपमेंट इंडेक्स जैसे पैरामीटर्स पर भारत की रैंकिंग को प्रतिकूल ढंग से प्रभावित करती हैं।

सरकारी प्रयास:

हालांकि इन बाधाओं को दूर करने के लिए सरकार ने कई पुरानी चली आ रही योजनाओं/पहलों को और तार्किक बनाया है साथ ही नई योजनाओं की भी शुरुआत की है।पुरानी योजनाओं में स्वदेश दर्शन योजना,प्रसाद योजना,अतुल्य भारत योजना हैं तो वहीं केंद्रीय बजट 2025 में राज्य भागीदारी के साथ 50 प्रतिष्ठित स्थलों के विकास की योजना बनाई है।इस पहल का उद्देश्य पर्यटन अवसंरचना को उन्नत करना, यात्रा को सुगम बनाना तथा प्रमुख स्थलों तक सम्पर्क को मजबूत करना है।चिकित्सा पर्यटन के लिए हील इन इंडिया पहल शुरू की है।साथ ही कई देशों के लिए ई-वीजा ,वीजा ऑन अराइवल की सुविधा शुरू की है।

भारत ने आध्यात्मिक पर्यटन विशेषकर हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म से जुड़े स्थलों के विकास को और बेहतर करके ,रामायण सर्किट और बौद्ध सर्किट जैसी पहलों को ‘देखो अपना देश’ अभियान के साथ जोड़कर सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है।

भारत सरकार ने वर्ष 2022 में धर्मशाला घोषणापत्र एवं राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2022 के मसौदे को जारी कर भारत की पर्यटन को लेकर आधिकारिक नीति को वैश्विक मंच पर रखा।राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2022 के मसौदे में अगले 10 वर्षों में महत्वपूर्ण ध्यान दिए जाने वाले 5 प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई है – हरित पर्यटन, डिजिटल पर्यटन, गंतव्य प्रबंधन, आतिथ्य क्षेत्र को कुशल बनाना और एमएसएमई से संबंधित पर्यटन को समर्थन देना।पर्यटन क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए, इस क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देने के साथ-साथ होटलों को औपचारिक रूप से बुनियादी ढांचे का दर्जा देने का प्रस्ताव भी रखा गया।इस प्रकार भारत सरकार पर्यटन और इससे जुड़े पर्यटन इंडस्ट्री के विकास के लिए “No stone unturned” की वैचारिक प्रेरणा पर कार्य कर रही है।

 

हील इन इंडिया (Heal in India)

 

यह भारत सरकार की एक पहल है जिसका उद्देश्य चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देना है। यह पहल भारत में चिकित्सा उपचार चाहने वाले विदेशी मरीजों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल के रूप में काम करेगी, जिससे उन्हें अस्पतालों, डॉक्टरों और उपचार पैकेजों के बारे में जानकारी मिलेगी।
इसके साथ ही, यह पहल भारतीय स्वास्थ्य पेशेवरों को विदेशों में काम करने और वैश्विक स्तर पर मरीजों की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
हील इन इंडिया का मुख्य लक्ष्य भारत को चिकित्सा पर्यटन के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
इस पहल के तहत, वीज़ा प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा, जिससे विदेशी मरीजों को भारत में उपचार के लिए आने में आसानी होगी।
चिकित्सा पर्यटन से विदेशी मुद्रा की आमद होगी और इससे देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

 

 

आगे की रा:

ऐसे में अगर सरकार इन बाधाओं को अगर जल्द दूर करती है तो भारत बुनियादी ढाँचे के विकास, रोज़गार सृजन और आध्यात्मिक, चिकित्सीय और सतत पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करके 2047 तक पर्यटन को एक प्रमुख आर्थिक स्तंभ के रूप में स्थापित कर सकता है ।‘वसुधैव कुटुम्बकम’ और अतिथि देवों भवः’ का भारत का दर्शन भारत में पर्यटन के विस्तार को दार्शनिक और नैतिक समर्थन प्रदान करता है।

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रंजीत गुहा

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