in

भारत-फ़्रांस सहयोग: एक नई वैश्विक व्यस्था की ओर कदम

    भारत और फ्रांस दुनिया की अनिश्चित स्थिति में भी अपनीअलग पहचान बना रहे हैं। हाल ही में पेरिस और मार्सिले मेंहुई मुलाकातों में, दोनों देशों ने रक्षा, परमाणु ऊर्जा औरखासतौर पर AI जैसी तकनीकों में सहयोग को मजबूतकरने पर जोर दिया है। जैसेजैसे वैश्विक अर्थव्यवस्थाऔर राजनीति नई करवट ले रही है, भारत और फ्रांस खुदको स्वतंत्र ताकतों के रूप में उभरते देखना चाहते हैं। साथही, वे अमेरिका और चीन के साथ संतुलित और समझदारीभरे रिश्ते बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

    भारत और फ्राँस के बीच सहयोग क्षेत्र  
    भारत और फ्रांस नैतिक AI विकास पर जोर देते हुएआर्थिक और रणनीतिक उन्नति के लिए इसे अपनारहे हैं। हाल ही में दोनों देशों ने सुरक्षित और भरोसेमंदAI के लिए संयुक्त रोडमैप पेश किया। फ्रांस नेभारतीय स्टार्टअप्स की स्टेशन F में भागीदारी कास्वागत किया और UPI के उपयोग के लिए नएअवसरों को स्वीकार किया।
    भारतफ्रांस रक्षा सहयोग संयुक्त सैन्य परियोजनाओं, तकनीक हस्तांतरण और समुद्री साझेदारी से मजबूतहुआ है। फ्रांस, राफेल जेट, स्कॉर्पीन पनडुब्बियों औरनौसैनिक सहयोग से भारत के सैन्य आधुनिकीकरणमें अहम भूमिका निभा रहा है। भारत के हथियारआयात में फ्रांस और अमेरिका की संयुक्त हिस्सेदारी46% है। दिसंबर 2024 में पेरिस में FRIND-X (फ्रांसभारत रक्षा स्टार्टअप उत्कृष्टता) के शुभारंभ केलिए दोनों देशों ने समर्थन दिया है।
    फ्रांस भारत के शीर्ष यूरोपीय निवेशकों में है, जोविनिर्माण, स्वच्छ ऊर्जा और वित्तीय सेवाओं पर ध्यानदेता है। दोनों देशों का व्यापार, खासकर हाईटेकऔर मोबिलिटी में बढ़ रहा है। फ्रांस ने IMEC केलिए मार्सिले को केंद्र बनाने का प्रस्ताव दिया है।2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 13.38 बिलियन डॉलरतक पहुँचा।
    भारत और फ्रांस अंतरिक्ष तकनीक, प्रक्षेपण वाहनऔर जलवायु निगरानी में लंबे समय से साझेदार हैं।सहयोग में तृष्णा उपग्रह मिशन और अंतरिक्ष सुरक्षापर संयुक्त शोध शामिल हैं। भारतीय स्टार्टअप AI-आधारित उपग्रहों में फ्रांस की विशेषज्ञता से लाभउठा रहे हैं। 2021 में ISRO और CNES ने बैंगलोरमें मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC) के लिए नयासमझौता किया।
    भारत और फ्रांस ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु लक्ष्यों केलिए परमाणु सहयोग बढ़ा रहे हैं। अब फोकस9,900 मेगावाट की जैतापुर परियोजना से हटकरछोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) पर है, जो सस्ते औरजल्दी लगने वाले हैं। फ्रांस की विशेषज्ञता भारत की2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा योजना मेंमदद करेगी। 2024-25 के बजट में घोषित 20,000करोड़ रुपये का परमाणु ऊर्जा मिशन SMR पर शोधको बढ़ावा देगा।
    भारत और फ्रांस हिंदप्रशांत में स्वतंत्र औरनियमआधारित समुद्री व्यवस्था का समर्थन करते हैं।वे संयुक्त नौसैनिक अभ्यास (वरुण) करते हैं औरतीसरे देशों में जलवायु कनेक्टिविटी परियोजनाएँविकसित कर रहे हैं। उनका त्रिकोणीय सहयोगसंधारणीय परियोजनाओं के वित्तपोषण पर केंद्रितहै।
    भारतफ्रांस के विवाद
    फ्रांस EU के GDPR मॉडल का समर्थन करता है, जबकि भारत नवाचारअनुकूल नीति चाहता है।ओपनसोर्स AI और साइबर सुरक्षा पर मतभेद हैं।
    उच्च टैरिफ और नियामक बाधाओं के चलते व्यापारमें चुनौतियाँ हैं। फ्रांस लक्ज़री गुड्स रक्षा उत्पादोंके लिए बाजार चाहता है, जबकि भारत IT औरदवाओं के लिए। राफेल, स्कॉर्पीन पनडुब्बी और जेटइंजन सहयोग जैसे प्रोजेक्ट्स अनुबंध और नीतिगतकारणों से अटके हैं। प्रोजेक्ट 75(I) भी 2017 सेलंबित है।
    जैतापुर संयंत्र (9,900 MW) को ऊँची लागत, स्थानीय विरोध और कानूनी अड़चनों का सामनाकरना पड़ रहा है। 2010 का परमाणु दायित्व कानूनभी सहयोग में रुकावट है।
    फ्रांस NATO समर्थक है, जबकि भारत गुटनिरपेक्षनीति अपनाता है। रूस के साथ भारत के संबंध औरयूक्रेन पर उसकी तटस्थता फ्रांस को असहज करतीहै।
    भारत को फ्राँस की आश्यकता क्यों है?
    फ्राँस यूरोपीय रक्षा सहयोग में भारत के प्रवेश बिंदु केरूप में कार्य कर सकता है, विशेष रूप से OCCAR (संयुक्त आयुध सहयोग संगठन) के साथ।
    फ्राँस यूरोप में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा पहलों कासमर्थन कर सकता है तथा भारत की सौर, पवन औरहाइड्रोजन परियोजनाओं के लिये यूरोपीय संघआधारित अधिक वित्तपोषण को प्रोत्साहित करसकता है।
    फ्राँस का रणनीतिक बंदरगाह मार्सिले भारतमध्यपूर्वयूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) में एक प्रमुखकेंद्र के रूप में काम कर सकता है।
    फ्राँस भारत की डेटा गवर्नेंस और AI नीतियों कोयूरोपीय संघ के मानकों के अनुरूप बनाने में मदद करसकता है, जिससे सुचारू तकनीकी सहयोगसुनिश्चित हो सके।
    फ्राँस, एक प्रमुख यूरोपीय संघ सदस्य के रूप में, भारत और यूरोपीय संघ के बीच विनियामक औरव्यापार मानक संरेखण में मध्यस्थता कर सकता है।
    फ्राँस का रणनीतिक बंदरगाह मार्सिले भारतमध्यपूर्वयूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) में एक प्रमुखकेंद्र के रूप में काम कर सकता है।
    भारत हेतु आगे की राह  
    भारत को फ्राँस के साथ मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स, स्मार्ट पोर्ट और डिजिटल व्यापार सुविधा से IMEC का शीघ्र कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिये।
    भारत को रक्षा प्रौद्योगिकियों के संयुक्त विकास औरउत्पादन पर बल देना चाहिये।
    भारत को फ्राँस के AI नैतिकता कार्यढाँचे के साथअपने AI नियमों को संतुलित कर डेटा इंटिग्रिटी औरसाइबर रेज़िलिएंस सुनिश्चित करना चाहिये।
    भारतफ्राँस को अंतरिक्ष तकनीकों, प्रारंभिक चेतावनीप्रणालियों और सुरक्षित संचार नेटवर्क कासहविकास करना चाहिये।
    व्यापार विषमताओं को संतुलित करने के लिये भारतको फार्मास्यूटिकल्स, कृषि व्यवसाय औरउच्चस्तरीय विनिर्माण में फ्राँस के साथ बाज़ारअभिगम समझौतों पर बल देना चाहिये।
    भारत और फ्राँस को हिंद महासागर और दक्षिणप्रशांत में स्थायी सागरीय कार्य बलों की स्थापनाकरनी चाहिये।
    भारत को इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण, हाइड्रोजन ईंधनसेल और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिये फ्राँस केसाथ प्रौद्योगिकी अंतरण समझौतों को सुविधाजनकबनाना चाहिये।

What do you think?

ट्रम्प युग में व्यापारिक शक्ति संतुलन और पारस्परिकता का खेल

अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में Bargaining Strategies क्या होती है?