in ,

भारत-ब्रिटेन सांस्कृतिक सहयोग कार्यक्रम (POCC)  

नवयुग में भारत-ब्रिटेन संबध

मई 2025 में भारत-ब्रिटेन सांस्कृतिक सहयोग कार्यक्रम (Programme of Cultural Cooperation – POCC) एक रणनीतिक सांस्कृतिक समझौता है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, रचनात्मक और श软 कूटनीति (soft diplomacy) को मज़बूती देना है। यह केवल सांस्कृतिक आयोजनों का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को गहराई से प्रभावित करने वाला एक ढांचा है।

POCC क्या है?

2 मई 2025 को, ब्रिटेन की संस्कृति सचिव माननीय लिसा नैंडी (Rt Hon Lisa Nandy) और भारत के संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने Programme of Cultural Cooperation (POCC) पर हस्ताक्षर किए। यह एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक समझौता है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रचनात्मक सहयोग को मज़बूती देना है।

यह कार्यक्रम पाँच प्रमुख क्षेत्रों में संरचित है, जो समकालीन सांस्कृतिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है।

POCC की पाँच प्रमुख विशेषताएँ

क्षेत्रविवरण
डिजिटल प्रौद्योगिकी और संस्कृतिसांस्कृतिक विरासत को डिजिटाइज़ करना, वर्चुअल रियलिटी, एआई और इंटरैक्टिव मीडिया के ज़रिये संग्रहालय और सांस्कृतिक अनुभवों को जनसुलभ बनाना।
प्रदर्शनियाँ और संग्रहदोनों देशों के संग्रहालयों और आर्ट गैलरियों के बीच कला संग्रहों, प्रदर्शनों और घुमंतू (traveling) प्रदर्शनी परियोजनाओं का आदान-प्रदान।
प्रदर्शन और सांस्कृतिक आयोजनसह-निर्मित रंगमंच, संगीत, नृत्य और फिल्म परियोजनाएं; उत्सवों और सांस्कृतिक समारोहों में भागीदारी।
सांस्कृतिक संपदा (Cultural Property)सांस्कृतिक विरासत की रक्षा, अवैध रूप से ले जाई गई वस्तुओं की पहचान और उनकी वापसी पर सहयोग।
सततता (Sustainability)पर्यावरण-संवेदनशील सांस्कृतिक कार्यक्रम, हरित संग्रहालय प्रथाएं, और सतत सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देना।

रणनीतिक महत्व

  • ब्रिटेन के लिए यह उसकी creative economy strategy को पूरक बनाता है, जहाँ सांस्कृतिक उद्योग GDP और निर्यात में अहम भूमिका निभाते हैं।
  • भारत के लिए यह एक soft power framework तैयार करता है जिससे भारत अपनी सांस्कृतिक पहचान को विश्व पटल पर प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत कर सके।

सॉफ्ट पॉवर की अवधारणा

  • ‘सॉफ्ट पॉवर’ शब्द का प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में किया जाता है जिसके तहत कोई राज्य परोक्ष रूप से सांस्कृतिक अथवा वैचारिक साधनों के माध्यम से किसी अन्य देश के व्यवहार अथवा हितों को प्रभावित करता है।
  • इसमें आक्रामक नीतियों या मौद्रिक प्रभाव का उपयोग किये बिना अन्य राज्यों को प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है।
  • ‘सॉफ्ट पॉवर’ की अवधारणा का सर्वप्रथम प्रयोग अमेरिका के प्रसिद्ध राजनीतिक विशेषज्ञ जोसेफ न्ये (Juseph Nye) द्वारा किया गया था।
  • जहाँ एक ओर पारंपरिक ‘हार्ड पॉवर’ राज्य के सैन्य और आर्थिक संसाधनों पर निर्भर करती है, वहीं ‘सॉफ्ट पॉवर’ अनुनय के आधार पर कार्य करती है, जिसका लक्ष्य देश के ‘आकर्षण’ को बढ़ाना होता है।
  • ‘सॉफ्ट पॉवर’ ज़्यादातर अमूर्त चीजों जैसे- योग, बौद्ध धर्म, सिनेमा, संगीत, आध्यात्मिकता आदि पर आधारित होती है।
  • ‘सॉफ्ट पॉवर’ की अवधारणा प्रस्तुत करने वाले जोसेफ न्ये के अनुसार, ‘सॉफ्ट पॉवर’ किसी भी देश के तीन प्रमुख संसाधनों- संस्कृति, राजनीतिक मूल्य और विदेश नीति पर निर्भर करती है।
  • मौजूदा समय में अधिकांश देश ‘सॉफ्ट पॉवर’ और ‘हार्ड पॉवर’ के संयोजन का प्रयोग करते हैं, जिसे राजनीतिक विश्लेषकों ने ‘स्मार्ट पॉवर’ की संज्ञा दी है।

हाल के कुछ वर्षों में भारत ने भी ‘स्मार्ट पॉवर’ के प्रयोग पर बल दिया है, परंतु इसमें ‘सॉफ्ट पॉवर’ पर ही अधिक ध्यान दिया गया है।

सॉफ्ट पॉवर बनाम हार्ड पॉवर

जहाँ एक ओर ‘सॉफ्ट पॉवर’ का अर्थ बिना संघर्ष या शक्ति प्रयोग के किसी के व्यवहार में परिवर्तन करने से है, जबकि ‘हार्ड पॉवर’ में सैन्य या आर्थिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए किसी के व्यवहार में परिवर्तन की वकालत की जाती है। ‘सॉफ्ट पॉवर’ की अवधारणा का महत्त्व शीत युद्ध (1945-1991) के पश्चात् काफी अधिक बढ़ गया, जबकि ‘हार्ड पॉवर’ का प्रयोग काफी लंबे समय से चलता आ रहा है। ‘हार्ड पॉवर’ मुख्यतः हथियारों और प्रतिबंधों पर निर्भर करती है, जबकि ‘सॉफ्ट पॉवर’ सांस्कृतिक गतिविधियों, अध्यात्म तथा योग जैसी अमूर्त चीज़ों पर निर्भर करती है।

POCC के प्रमुख संस्थागत भागीदार

  • भारत: ICCR, IGNCA, राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, FTII, Sangeet Natak Akademi
  • ब्रिटेन: British Council, V&A Museum, BBC Arts, Tate Modern, Royal Shakespeare Company

POCC: नवाचार और वैश्विक संवाद की ओर एक कदम

  • यह समझौता इस बात की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है कि संस्कृति केवल विरासत नहीं, बल्कि आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय सद्भाव का प्रेरक तत्व है।
  • POCC पर हस्ताक्षर करके दोनों सरकारों ने यह स्पष्ट संकेत दिया है: सांस्कृतिक कूटनीति अब हाशिये का विषय नहीं रही, बल्कि 21वीं सदी की अंतरराष्ट्रीय रणनीति के केंद्र में है।

वैश्विक विकास: रचनात्मक अर्थव्यवस्था

  • Programme of Cultural Cooperation (POCC) ऐसे समय में सामने आया है जब वैश्विक रचनात्मक अर्थव्यवस्था तेज़ी से उभर रही है। यह अनुमान है कि 2030 तक यह वैश्विक GDP का 10% हिस्सा बनेगी।
  • इस क्षेत्र में फिल्म, संगीत, डिजिटल सामग्री, विरासत पर्यटन, डिज़ाइन आदि शामिल हैं, ऐसे उद्योग जो केवल आर्थिक मूल्य नहीं पैदा करते, बल्कि नवाचार, समावेशन और सांस्कृतिक पहचान को भी मज़बूत करते हैं।
  • 2023 में नई दिल्ली में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन में भारत और ब्रिटेन सहित विश्व के नेताओं ने इस क्षेत्र की संभावनाओं को पहचाना और इसमें बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
  • भारत द्वारा पहले World Audio Visual & Entertainment Summit (WAVES) की मेज़बानी मुम्बई में करना इस दिशा में एक ठोस कदम था।

इस आयोजन में ब्रिटेन की संस्कृति सचिव लिसा नैंडी की उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि ब्रिटेन इस वैश्विक रचनात्मक विमर्श को भारत के साथ मिलकर आकार देना चाहता है।

भारत की रचनात्मक शक्ति और ब्रिटेन

भारत की रचनात्मक शक्ति की जड़ें एक अनोखे संतुलन में हैं: परंपरा और प्रौद्योगिकी के मेल

  • भारत की सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था का मूल्य लगभग $35 बिलियन आँका गया है और यह क्षेत्र देश की कुल कार्यबल का लगभग 8% रोजगार देता है; कृषि के बाद यह दूसरे नंबर का सबसे बड़ा रोज़गार क्षेत्र है।
  • यह विकास केवल महानगरों तक सीमित नहीं है। भारत के शीर्ष 10 रचनात्मक हब में से 6 गैरमहानगरीय क्षेत्रों में स्थित हैं; जो देश की सांस्कृतिक विविधता और जमीनी प्रतिभा को उजागर करते हैं।
  • भारत में 300 से अधिक विश्वविद्यालय और 3,000 से अधिक कॉलेज डिज़ाइन, कला और वास्तुकला में डिग्रियाँ प्रदान करते हैं; जो एक वैश्विक स्तर की रचनात्मक कार्यबल तैयार कर रहे हैं।
  • भारत की सबसे बड़ी शक्ति है उसकी युवा जनसंख्या, जो दुनिया में सबसे अधिक है। यह भारत को एक उभरती हुई रचनात्मक महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर करती है।

भारतब्रिटेन सहयोग संस्थाएँ और तकनीक

POCC के तहत गहरे संस्थागत सहयोग की संभावना है; जिसमें केवल सरकारी मंत्रालय ही नहीं, बल्कि ब्रिटिश लाइब्रेरी, ब्रिटिश म्यूज़ियम और साइंस म्यूज़ियम ग्रुप जैसी प्रसिद्ध सांस्कृतिक संस्थाएँ भी शामिल हैं।

  • ब्रिटेन में 1,700 से अधिक मान्यता प्राप्त संग्रहालय हैं, जिससे डिजिटलीकरण, प्रदर्शनी और संयुक्त सांस्कृतिक आयोजनों के लिए असीम संभावनाएँ खुलती हैं।
  • भारत की G-20 अध्यक्षता के दौरान ब्रिटेन की भागीदारी स्पष्ट दिखी, जैसे कि “Wales in India” नामक सांस्कृतिक कार्यक्रम, जो 2024 में नागालैंड के हॉर्नबिल महोत्सव में समाप्त हुआ।
  • ये परियोजनाएँ केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि एक नई सांस्कृतिक अवसंरचना का निर्माण कर रही हैं, जो कलाकारों, शिक्षाविदों और दर्शकों को जोड़ती हैं।

 

उदाहरण: Royal Enfield का हिमालय प्रोजेक्ट

Royal Enfield का Himalayan Project, जिसे UNESCO के साथ साझेदारी में चलाया जा रहा है, रचनात्मक सहयोग का एक जीवंत उदाहरण है।

यह परियोजना:

  • हस्तशिल्प समुदायों का समर्थन करती है
  • अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करती है
  • व्यवसाय, स्थायित्व और कहानी कहने की ताकत को आपस में जोड़ती है।

यह मॉडल दर्शाता है कि निजी क्षेत्र कैसे एक सशक्त सांस्कृतिक भागीदार बन सकता है।

मुख्य चुनौतियाँ

  • प्रशिक्षित मानव संसाधनों की कमी
  • पर्याप्त प्रशिक्षण अवसंरचना का अभाव
  • तेज़ी से बदलती प्रौद्योगिकियाँ, विशेषकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल रियलिटी (VR) के साथ तालमेल बैठाने की ज़रूरत

British Council की रिपोर्टArts and Technologies in India: Reimagining the Future” में सुझाव दिया गया है कि रचनात्मक शिक्षा में उभरती तकनीकों को समाहित करना आवश्यक है।

प्रधानमंत्री मोदी कावैश्विक रचनात्मक केंद्रदृष्टिकोण

भारत को वैश्विक रचनात्मक हब बनाने के लिए एक तीनआयामी दृष्टिकोण (Tri-sectoral Approach) आवश्यक है:

क्षेत्रभूमिका
सरकारेंशिक्षा में निवेश करें, समकालीन नीतियाँ बनाएं, तकनीकी इकोसिस्टम को बढ़ावा दें
उद्योग जगतसतत (sustainable) और समावेशी व्यवसाय मॉडल विकसित करें
शिक्षण संस्थानइंटरडिसिप्लिनरी और भविष्यकेंद्रित प्रशिक्षण प्रदान करें

निष्कर्ष

POCC केवल एक द्विपक्षीय समझौता नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक संधि है, जो 21वीं सदी की बदलती कूटनीतिक परिभाषा को दर्शाती है जहाँ कहानियाँ, कला और साझा विरासत, रणनीति और अर्थव्यवस्था जितने ही मूल्यवान माने जा रहे हैं।

आज के संघर्षों और अनिश्चितताओं से भरे विश्व में, सांस्कृतिक सहयोग एक ऐसा उपकरण है जो लोगों को जोड़ता है, घावों को भरता है और भविष्य को आकार देता है। जैसे-जैसे भारत और ब्रिटेन इस साझेदारी के नए अध्याय में आगे बढ़ते हैं, हिमालय के कारीगरों से लेकर लंदन के क्यूरेटरों तक, रचनात्मक ऊर्जा एक साझा भविष्य का निर्माण करेगी। जो नवाचार, समावेशन और कल्पनाशीलता से परिपूर्ण होगा।

 

What do you think?

यूडेमोनिया क्या है?