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भारत-भूटान संबंधों की विवेचना

भारत और भूटान के बीच ऐतिहासिक और द्विपक्षीय संबंध गहरे और बहुआयामी हैं, जो केवल भौगोलिक निकटता से परे, एक समृद्ध सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक साझेदारी का रूप लेते हैं। दोनों देशों की मित्रता सदैव सहयोग, विश्वास और पारस्परिक सम्मान पर आधारित रही है। इस लेख में भारत-भूटान संबंधों के प्रमुख पहलुओं जैसे कूटनीति, सुरक्षा, आर्थिक साझेदारी, जलविद्युत विकास, क्षेत्रीय एवं वैश्विक राजनीतिक संदर्भ, चीन का प्रभाव, सांस्कृतिक साझा विरासत तथा वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी।

कूटनीतिक संबंध  

भारत-भूटान कूटनीतिक संबंध सदियों पुराने हैं, जिनकी नींव पारंपरिक मित्रता और हितसंबंधों पर आधारित रही है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने भूटान के साथ विशेष और अनौपचारिक समझौतों के माध्यम से संबंधों को मजबूत किया। आज भी दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय वार्तालाप और द्विपक्षीय यात्राएँ नियमित रूप से होती रहती हैं, जिनसे साझेदारी और बढ़ती है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की नवंबर 2025 में भूटान यात्रा ने इस द्विपक्षीय संवाद को और व्यापक बनाया है, जहां सुरक्षा, व्यापार, और विकास सहयोग के महत्वपूर्ण विषयों पर सहयोग बढ़ाने पर बल दिया गया। कूटनीति के जरिए भारत भूटान के विकास में सहायता प्रदान करता रहा है, जिससे भूटान की आर्थिक प्रगति को बल मिला है।

सुरक्षा सहयोग  

सुरक्षा क्षेत्र में भारत-भूटान संबंध बेहद महत्वपूर्ण हैं। भूटान की सीमाएं चीन के साथ लगती हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील है। भारत और भूटान के बीच सैन्य और खुफिया सहयोग गहरा है, जो सीमा सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रयासों में सहायक है। दोनों ने सीमा विवादों के बावजूद सामंजस्य स्थापित किया है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति का सामना किया जा सके। भूटान की सैन्य प्रशिक्षण और उपकरणों में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिससे भूटान की रक्षा क्षमताएं मजबूत होती हैं। इस सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका क्षेत्रीय स्थिरता में भी विद्यमान है।

आर्थिक साझेदारी और जलविद्युत विकास

भारत-भूटान आर्थिक सहयोग का सबसे बड़ा स्तंभ जलविद्युत परियोजनाएँ हैं। संसाधनों के प्रचुरता वाले भूटान में जलविद्युत विकास को लेकर भारत की पूंजी और तकनीकी सहायता अहम है। दोनों देशों ने कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर सहयोग किया है, जिससे न सिर्फ भूटान को आर्थिक लाभ हुआ है बल्कि भारत को स्थिर और स्वच्छ ऊर्जा भी मिली है। इसके अतिरिक्त, भारत भूटान के लिए व्यापार का प्रमुख बाजार है और दोनों के बीच व्यापारिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। भारत-भूटान आर्थिक साझेदारी क्षेत्रीय विकास, कनेक्टिविटी और शिक्षा-स्वास्थ्य परियोजनाओं तक भी विस्तारित है।

क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीतिक संदर्भ  

भारत-भूटान संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीतिक समीकरणों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दक्षिण एशिया के राजनीतिक भू-भाग में भूटान भारत का रणनीतिक साझेदार है। सीमा विवादों और क्षेत्रीय असंतुलन के बीच भारत ने भूटान के साथ दोस्ताना और सहयोगी संबंध बनाए रखे हैं। वैश्विक स्वरूप लेते चीन-भारत प्रतिस्पर्धा में भूटान की भूमिका रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भूटान की सीमाएं चीन से लगती हैं। इसके कारण भारत और भूटान दोनों के लिए सीमा सुरक्षा तथा चीन के प्रभाव का मुकाबला करना प्रमुख चुनौतियां बनी हुई हैं।

चीन का प्रभाव और चुनौतियाँ  

चीन की बढ़ती राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियाँ भूटान के लिए चुनौतियां उत्पन्न करती हैं। भूटान-चीन सीमा विवाद और चीन द्वारा भूटान के क्षेत्रीय दावों के चलते दोनों देश सावधानीपूर्वक कदम उठा रहे हैं। भारत, भूटान का मुख्य सुरक्षा साझेदार होने के नाते इस स्थिति को लेकर सतर्क है। दोनों देशों को मिलकर इस चुनौती का सामना करना पड़ता है जिसमें समझौते और कूटनीतिक प्रयास शामिल हैं। इसके अलावा, आर्थिक निर्भरता और विकास संबंधी अपेक्षाएं भी चुनौतियों का हिस्सा हैं जिनका समाधान करने के लिए दोनों देश लगातार प्रयासरत हैं।

सांस्कृतिक एकता और सहयोग  

भारत और भूटान की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराएं भी संबंधों को गहरा करती हैं। दोनों देशों में बौद्ध धर्म और सांस्कृतिक उत्सवों का साझा महत्व है। भाषा, कला, त्योहारों और जीवनशैली में समानताएं दोनों राष्ट्रों को भावनात्मक रूप से जोड़ती हैं। सांस्कृतिक आदान-प्रदान और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग ने इन्हें आपस में और भी करीब किया है। इस साझा विरासत ने द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है।

समसामयिक पहल और भविष्य की दिशा  

हाल की प्रधानमंत्री मोदी की भूटान यात्रा ने कई नई पहल और सौदों का मार्ग प्रशस्त किया है, जिनमें विशेष रूप से जलविद्युत परियोजनाएं, व्यापार विस्तार, तकनीकी शिक्षा और सुरक्षा सहयोग शामिल हैं। दोनों देश एक दूसरे की स्थिरता, समृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण कड़ी हैं। भविष्य की चुनौतियों में चीन की बढ़ती हस्तक्षेप, पर्यावरण संरक्षण, जल संसाधनों का सतत उपयोग और बढ़ते वैश्विक प्रभावों के बीच संतुलन बनाए रखना शामिल है।

निष्कर्ष

भारत-भूटान संबंध एक आदर्श साझेदारी हैं, जो ऐतिहासिक विश्वास, सह-निर्भरता, और समर्पित सहयोग पर टिकी है। कूटनीति, सुरक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में गहरी समझ और सहयोग की बदौलत यह संबंध समय के साथ और भी प्रगाढ़ हुआ है। क्षेत्रीय और वैश्विक बदलते परिदृश्यों के बावजूद, दोनों देशों ने समान हितों और साझा मूल्यों के आधार पर अपने रिश्तों को मजबूत रखा है, जो आगामी वर्षों में भी दोनों देशों की क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

यह संबंध न केवल दोनों देशों के नागरिकों के लिए लाभकारी है, बल्कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में शांति और विकास का भी एक स्तंभ है। भारत और भूटान की मित्रता एक जीवंत उदाहरण है कि कैसे क्षेत्रीय सहयोग, विश्वास, और साझा लक्ष्य वैश्विक अमन और प्रगति के लिए आवश्यक हैं।


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