भारत में चुनाव केवल शासन परिवर्तन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि यह लोकतंत्र की आत्मा हैं। यहाँ जनता सीधे तौर पर अपने प्रतिनिधियों का चयन करती है और शासन की दिशा तय करती है। भारतीय लोकतंत्र में चुनाव वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से नागरिक अपनी राजनीतिक इच्छा और भागीदारी व्यक्त करते हैं। यही प्रक्रिया लोकतांत्रिक व्यवस्था को सजीव और उत्तरदायी बनाती है।
चुनाव का अर्थ केवल मत देना या उम्मीदवार चुनना नहीं होता, बल्कि यह नागरिकों की सक्रिय भूमिका, राजनीतिक दलों की प्रतिस्पर्धा, और नीतिगत निर्णयों की दिशा निर्धारित करने की प्रक्रिया भी है। इस प्रकार चुनाव लोकतांत्रिक शासन के संचालन का सबसे महत्वपूर्ण तंत्र (mechanism) है।
भारत में चुनाव व्यवस्था
भारत में चुनाव व्यवस्था का संचालन भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) करता है। यह एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत की गई है। इसका मुख्य कार्य लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों का संचालन निष्पक्ष और पारदर्शी रूप में सुनिश्चित करना है।
चुनाव व्यवस्था का संवैधानिक आधार
भारतीय संविधान ने चुनाव प्रणाली की रूपरेखा तैयार करते समय यह सुनिश्चित किया कि हर नागरिक को समान मताधिकार (Universal Adult Franchise) प्राप्त हो और चुनावों का संचालन निष्पक्ष रूप से हो।
मुख्य संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 324 से 329 तक – चुनाव आयोग (Election Commission) की स्थापना और अधिकारों का उल्लेख।
- अनुच्छेद 325 – धर्म, जाति, लिंग या भाषा के आधार पर मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
- अनुच्छेद 326 – सार्वजनिक वयस्क मताधिकार (Universal Adult Suffrage) के आधार पर चुनाव होंगे।
- अनुच्छेद 327-329 – संसद और राज्य विधानमंडलों के चुनाव से संबंधित विधियों का निर्माण करने का अधिकार।
संविधान के भाग XV (Part XV) में चुनाव से संबंधित सभी प्रावधान शामिल हैं।
भारत में चुनाव व्यवस्था की संरचना (Formation of Election System in India)
भारत में चुनाव व्यवस्था मुख्यतः निम्नलिखित चार स्तंभों पर आधारित है;
| क्रम | घटक (Component) | विवरण (Details) |
| 1 | भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) | स्वतंत्र संवैधानिक संस्था, जो पूरे देश में चुनावों का संचालन करती है। |
| 2 | राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commissions) | राज्य स्तर पर स्थानीय निकायों – पंचायतों और नगरपालिकाओं के चुनाव करवाते हैं। |
| 3 | निर्वाचन क्षेत्र (Constituencies) | जनसंख्या के आधार पर तय किए गए क्षेत्र जिनसे प्रतिनिधि चुने जाते हैं। |
| 4 | मतदाता सूची (Electoral Rolls) | पात्र मतदाताओं का पंजीकरण, जिसे समय-समय पर अद्यतन किया जाता है। |
भारत में निर्वाचन आयोग की स्थापना (Formation of Election Commission)
- अनुच्छेद 324(1) के तहत भारत निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) और दो चुनाव आयुक्त (Election Commissioners) होते हैं।
- वर्तमान में यह एक तीन–सदस्यीय आयोग है।
- चुनाव आयोग को संसद, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों की पूरी जिम्मेदारी दी गई है।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters’ Day)– प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को मनाया जाता है, ताकि मतदाता जागरूकता बढ़ाई जा सके।
भारत में चुनाव सुधार और पारदर्शिता
भारत निर्वाचन आयोग ने चुनावों को निष्पक्ष व पारदर्शी बनाने हेतु कई सुधार किए हैं:-
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT का उपयोग।
- इलेक्टोरल बॉन्ड्स (2018) से चुनावी फंडिंग को नियंत्रित करने का प्रयास।
- SVEEP (Systematic Voters’ Education and Electoral Participation) कार्यक्रम से मतदाता जागरूकता।
- Model Code of Conduct (MCC) का सख्त पालन।
- NOTA (None of the Above) विकल्प 2013 से लागू।
भारतीय चुनावों की प्रमुख विशेषताएँ
- भारतीय चुनाव प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता सार्वजनिक वयस्क मताधिकार (Universal Adult Franchise) है। इसका अर्थ है कि हर भारतीय नागरिक, जिसकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है, उसे बिना किसी भेदभाव के मतदान करने का अधिकार प्राप्त है। यह समानता का प्रतीक है और लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ करता है।
- भारत में चुनाव गुप्त मतदान (Secret Ballot) के माध्यम से संपन्न होते हैं, जिससे मतदाता स्वतंत्र रूप से अपने मत का प्रयोग कर सकें। इसके अतिरिक्त एकल–सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र प्रणाली (Single-Member Constituency System) अपनाई गई है, जहाँ प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का प्रयोग
भारतीय चुनावों में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का उपयोग किया जाता है। इससे मतगणना शीघ्र और त्रुटिरहित होती है। चुनाव आयोग ने मतदाताओं के विश्वास को और सुदृढ़ करने के लिए VVPAT प्रणाली (Voter Verifiable Paper Audit Trail) भी लागू की है, जिससे मतदाता अपने मत की पुष्टि कर सकता है।
- भारत में EVM के प्रयोग की संकल्पना 1977-78 में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा की गई थी।
- भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स निगम लिमिटेड (ECIL), हैदराबाद और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), बेंगलुरु ने मिलकर इन मशीनों को विकसित किया।
- पहली बार EVM का प्रयोग 1982 में केरल के परूर विधानसभा क्षेत्र के कुछ मतदान केंद्रों में प्रयोगात्मक तौर पर किया गया था।
- इसके बाद 1998 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में इसका सीमित उपयोग हुआ।
- 2004 के लोकसभा चुनावों में पहली बार पूरे देश में EVM का व्यापक रूप से प्रयोग किया गया।
- पहली बार VVPAT का प्रयोग 2013 में नगालैंड विधानसभा चुनाव में हुआ था।
- 2019 के आम चुनावों में सभी 543 लोकसभा सीटों पर VVPAT प्रणाली का उपयोग किया गया।
चुनाव अभियान और राजनीतिक दल
चुनाव प्रक्रिया में राजनीतिक दलों (Political Parties) की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है। ये दल अपने विचारों, नीतियों और घोषणापत्रों के माध्यम से मतदाताओं को आकर्षित करते हैं। चुनाव अभियान के दौरान सभाएँ, रैलियाँ, सोशल मीडिया प्रचार और जनसंपर्क के विविध माध्यमों का उपयोग किया जाता है।
हाल के वर्षों में चुनाव अभियानों की प्रकृति में बदलाव आया है। पारंपरिक जनसभाओं के साथ-साथ अब डिजिटल मीडिया, टीवी-विज्ञापन और सोशल प्लेटफॉर्म भी निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।
राजनीतिक दलों की भूमिका
- जनमत का निर्माण (Formation of Public Opinion): दल विभिन्न मुद्दों पर जनता के विचारों को दिशा देते हैं और लोकतांत्रिक संवाद को आगे बढ़ाते हैं।
- उम्मीदवारों का चयन (Selection of Candidates): हर दल अपने विचारों के अनुरूप योग्य प्रत्याशियों का चयन करता है जो मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करें।
- नीति निर्माण (Policy Formulation): दल अपने घोषणापत्रों और विचारधाराओं के माध्यम से शासन के लिए नीतिगत दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं।
- सरकार और विपक्ष का गठन (Government and Opposition Formation): चुनाव परिणाम के आधार पर बहुमत प्राप्त दल या गठबंधन सरकार बनाता है, जबकि अन्य दल विपक्ष की भूमिका निभाते हैं।
चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को आचार संहिता (MCC) का पालन करना अनिवार्य होता है।
इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि:-
- कोई भी दल जाति, धर्म या भाषा के आधार पर वोट न मांगे।
- सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग प्रचार के लिए न किया जाए।
- मतदाताओं को रिश्वत या प्रलोभन न दिया जाए।
- प्रचार में असंवैधानिक या भड़काऊ भाषा का प्रयोग न हो।
यह संहिता 1951 के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of People Act, 1951) पर आधारित है और इसके उल्लंघन पर आयोग कार्रवाई कर सकता है।
राजनीतिक दल एवं चुनाव चिह्न (Political Parties and Election Symbols)
चुनाव आयोग के अनुसार भारत में दल तीन प्रकार के होते हैं:-
- राष्ट्रीय दल (National Parties)
- राज्य दल (State Parties)
- पंजीकृत अप्रमाणित दल (Registered Unrecognised Parties)
भारत में प्रमुख राजनीतिक दल और उनके चुनाव चिह्न (Major Political Parties and Their Election Symbols)
| क्रम | राजनीतिक दल का नाम | स्थापना वर्ष | प्रमुख नेता / अध्यक्ष (2024 के अनुसार) | चुनाव चिह्न | चिह्न का विवरण |
| 1 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) | 1885 | मल्लिकार्जुन खड़गे | 🖐️ हाथ | खुला दाहिना हाथ – एकता, अहिंसा और विश्वास का प्रतीक |
| 2 | भारतीय जनता पार्टी (BJP) | 1980 | जे.पी. नड्डा | 🌸 कमल | कमल का फूल – पवित्रता, भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद का प्रतीक |
| 3 | बहुजन समाज पार्टी (BSP) | 1984 | मायावती | 🐘 हाथी | सामाजिक शक्ति और स्थिरता का प्रतीक |
| 4 | कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (CPI) | 1925 | डी. राजा | 🔨🌾 हथौड़ा और हंसिया | मजदूर-किसान एकता का प्रतीक |
| 5 | कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) CPI(M) | 1964 | सीताराम येचुरी | 🌾🔨 हंसिया और हथौड़ा | श्रमिक वर्ग के संघर्ष का प्रतीक |
| 6 | राष्ट्रीय जनता दल (RJD) | 1997 | लालू प्रसाद यादव / तेजस्वी यादव | 🚜 हल | ग्रामीण भारत और किसान शक्ति का प्रतीक |
| 7 | राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) | 1999 | शरद पवार / सुप्रिया सुले | ⏰ घड़ी | समय, प्रगति और कर्मठता का प्रतीक |
| 8 | आम आदमी पार्टी (AAP) | 2012 | अरविंद केजरीवाल | 🧹 झाड़ू | स्वच्छ राजनीति और भ्रष्टाचार-उन्मूलन का प्रतीक |
| 9 | समाजवादी पार्टी (SP) | 1992 | अखिलेश यादव | 🚲 साइकिल | जन-साधारण की सादगी और संघर्ष का प्रतीक |
| 10 | शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) | 1966 (विभाजन 2022) | उद्धव ठाकरे | 🔥 ज्वाला | मराठी अस्मिता और आक्रोश का प्रतीक |
| 11 | शिवसेना (शिंदे गुट – शिवसेना पार्टी) | 2022 | एकनाथ शिंदे | 🔷 धनुष–बाण | वीरता और संघर्ष का प्रतीक |
| 12 | तृणमूल कांग्रेस (TMC) | 1998 | ममता बनर्जी | 🌾🌼 फूल और घास का फूल | ग्रामीण जीवन और लोक-शक्ति का प्रतीक |
| 13 | बीजू जनता दल (BJD) | 1997 | नवीन पटनायक | 🥒 शंख | ओडिशा की सांस्कृतिक पहचान और धर्म का प्रतीक |
| 14 | द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) | 1949 | एम. के. स्टालिन | 🌅 उगता सूरज | नए युग और सामाजिक न्याय का प्रतीक |
| 15 | अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) | 1972 | ई. पलानीस्वामी | 🌿 दो पत्ते | एकता और सामाजिक सेवा का प्रतीक |
| 16 | जनता दल (यूनाइटेड) JD(U) | 2003 | नीतीश कुमार | 🌾 तीर | जनशक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक |
| 17 | लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) | 2000 (विभाजन 2021) | चिराग पासवान | 🎾 हेलीकॉप्टर | नई दिशा और ऊँचाई का प्रतीक |
| 18 | YSR कांग्रेस पार्टी (YSRCP) | 2011 | वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी | 🌀 पंखा | जनता की सेवा और ऊर्जा का प्रतीक |
| 19 | तेलंगाना राष्ट्र समिति (BRS) | 2001 | के. चंद्रशेखर राव | 🚜 हल की जुताई करता किसान | तेलंगाना आंदोलन और किसान संघर्ष का प्रतीक |
| 20 | जनता दल (सेक्युलर) JD(S) | 1999 | एच. डी. देवगौड़ा | 🌾 नारियल का पेड़ | ग्रामीण आत्मनिर्भरता का प्रतीक |
चुनाव चिह्न का महत्व (Significance of Election Symbols)
- भारत जैसे विशाल और बहुभाषिक देश में चिह्न मतदाताओं की पहचान का माध्यम हैं।
- चुनाव चिह्न साक्षरता की कमी वाले मतदाताओं के लिए सहज पहचान बनाते हैं।
- चुनाव आयोग (Election Commission of India) सभी मान्यता प्राप्त दलों को स्थायी चुनाव चिह्न प्रदान करता है।
- स्वतंत्र उम्मीदवारों या नए दलों को अस्थायी चुनाव चिह्न (Temporary Symbols) दिए जाते हैं।
निष्कर्ष
भारतीय चुनाव व्यवस्था लोकतंत्र की मज़बूत नींव है। यद्यपि इसमें कुछ चुनौतियाँ हैं; जैसे धनबल, अपराधीकरण और मतदाताओं की उदासीनता परंतु इसके बावजूद यह व्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी और सफल लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली के रूप में स्थापित है।
निरंतर सुधार और नागरिकों की सजग भागीदारी से भारत की चुनावी राजनीति न केवल मजबूत हो रही है, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को और गहरा बना रही है।
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