भारतऔरयूरोपीयसंघ (ईयू) केबीचसंबंधोंमेंहालकेवर्षोंमेंउल्लेखनीयप्रगतिहुईहै।दोनोंपक्षबदलतीवैश्विकपरिस्थितियोंऔरभू–राजनीतिकचुनौतियोंकेबीचव्यापार, सुरक्षाऔरतकनीकीसहयोगकोमज़बूतकरनेकेलिएलगातारप्रयासरतहैं।यूरोपीयआयोगकेअध्यक्षऔरउच्चस्तरीयआयुक्तमंडलकीहालियाभारतयात्राइसबढ़तीसाझेदारीकेमहत्वकोरेखांकितकरतीहै।
भारत–यूरोपीयसंघसाझेदारीकीआवश्यकता क्यों है?
1. आर्थिकऔरव्यापारिकसहयोग
▪ यूरोपीयसंघभारतकासबसेबड़ाव्यापारिकसाझेदारहै, जिसकावर्ष2023 मेंभारतकेकुलव्यापारमें 12.2% हिस्साथा, जोअमेरिकाऔरचीनसेअधिकहै।पिछलेएकदशकमेंदोनोंपक्षोंकेबीचवस्तुओंकेव्यापारमें 90% और2020 से2023 केबीचसेवाओंकेव्यापारमें 96% कीवृद्धिहुईहै।
▪ यूरोपीयसंघसेभारतकोपर्याप्तप्रत्यक्षविदेशीनिवेश (FDI) प्राप्तहोताहै, जिससेऔद्योगिकविकास, रोज़गारसृजनऔरप्रौद्योगिकीहस्तांतरणकोबढ़ावामिलताहै।मुक्तव्यापारसमझौते (FTA) कीवार्ता, जोवर्षोंसेअवरुद्धथी, 2021 मेंफिरसेशुरूहुई।इसमेंटैरिफकटौती, निवेशसंरक्षण, औरनियामकसंरेखणपरमुख्यरूपसेध्यानकेंद्रितकियागयाहै।
2. सुरक्षाऔररक्षासहयोग
▪ भारतऔरयूरोपीयसंघकेबीचसुरक्षासहयोगधीरे–धीरेमज़बूतहोरहाहै।यूरोपीयसंघनेगुरुग्रामस्थितभारतीयनौसेनाकेसूचनासंलयनकेंद्रमेंसंपर्कअधिकारीतैनातकियाहै, जिससेसमुद्रीसुरक्षाऔरसूचनासाझाकरणकोबढ़ावामिलाहै।
▪ हिंद–प्रशांतक्षेत्रमेंचीनकीविस्तारवादीनीतियोंकामुकाबलाकरनेकेलिएभारतऔरयूरोपीयसंघएक–दूसरेकेसाथरणनीतिकसहयोगबढ़ारहेहैं।यूरोपीयसंघकीएशियाकेसाथसुरक्षासहयोगबढ़ाने (ESIWA) पहलइसक्षेत्रमेंसुरक्षाव्यवस्थाकोसुदृढ़करतीहैऔरहिंदमहासागरकेमहत्वपूर्णसमुद्रीमार्गोंकीसुरक्षासुनिश्चितकरतीहै।
3. प्रौद्योगिकी, डिजिटलऔरबुनियादीढांचासहयोग
▪ भारतऔरयूरोपीयसंघकेबीचव्यापारऔरप्रौद्योगिकीपरिषद(TTC) डिजिटलगवर्नेंस, कृत्रिमबुद्धिमत्ता (AI), अर्द्धचालक(Semiconductors), औरस्वच्छऊर्जाप्रौद्योगिकियोंपरध्यानकेंद्रितकरतीहै।
▪ भारत–मध्यपूर्व–यूरोपआर्थिकगलियारा (IMEC) एकप्रमुखपहलहै, जिसकाउद्देश्यवैश्विकव्यापारमार्गोंऔरऊर्जासुरक्षाकोमजबूतकरनाहै।डिजिटलभुगतानऔरफिनटेकक्षेत्रमेंभीदोनोंपक्षोंकेबीचसहयोगलगातारबढ़रहाहै, जिससेसीमा–पारलेनदेनकोआसानबनायाजारहाहै।
4. रणनीतिकस्वायत्तताऔरबहु–संरेखण
▪ बदलतीवैश्विकव्यवस्थाकेबीचभारतऔरयूरोपीयसंघदोनोंहीरणनीतिकस्वायत्तताकीदिशामेंबढ़रहेहैं।यूरोपीयसंघअमेरिकापरअपनीनिर्भरताकोकमकरनाचाहताहै, जबकिभारतअपनीबहु–संरेखणनीतिकोआगेबढ़ाकरविभिन्नवैश्विकशक्तियोंकेसाथसंतुलनबनाएरखनाचाहताहै।
5. वैश्विकशासनऔरभू–राजनीतिकपुनर्संरेखण
▪ भारतऔरयूरोपीयसंघ, दोनोंहीबहुपक्षीयसंस्थाओंजैसे G20, विश्वव्यापारसंगठन (WTO) औरसंयुक्तराष्ट्रसुरक्षापरिषदमेंनियम–आधारितवैश्विकव्यवस्थाकासमर्थनकरतेहैं।ट्रान्स–अटलांटिकतनावबढ़नेकेकारणयूरोपीयसंघअधिकस्वतंत्रविदेशनीतिकीओरबढ़रहाहै, जिससेभारतकेसाथउसकेरणनीतिकसंबंधऔरमजबूतहोरहेहैं।
भारत–यूरोपीयसंघकीप्रमुखपहलें
रणनीतिकसहयोगएवंवैश्विकशासन
▪ यूरोपीयसंघ–भारतरणनीतिकसाझेदारी2025 रोडमैप: इसपहलकाउद्देश्यव्यापार, निवेश, डिजिटलीकरण, जलवायुपरिवर्तन, सुरक्षा, औरसतत्विकासमेंसहयोगकोबढ़ानाहै।
▪ यूरोपीयसंघ–भारतस्वच्छऊर्जाऔरजलवायुसाझेदारी: यहअक्षयऊर्जा, स्मार्टग्रिड, औरस्वच्छप्रौद्योगिकीवित्तपोषणमेंसहयोगकोबढ़ावादेतीहै।
संधारणीयशहरीकरणऔरकनेक्टिविटी
▪ यूरोपीयसंघ–भारतकनेक्टिविटीसाझेदारी: डिजिटलऔरभौतिकबुनियादीढांचेकोमजबूतकरआपूर्तिशृंखलाओंमेंसुधारकरतीहै।
▪ भारत–यूरोपीयसंघशहरीमंच: संधारणीयशहरीविकासकेलिएसर्वोत्तमप्रथाओंऔरनीतियोंकाआदान–प्रदानकरताहै।
भारत–यूरोपीयसंघसंबंधोंकीचुनौतियाँ
अवरुद्ध मुक्त व्यापार समझौता (FTA)
निवेश बाधाएँ और नियामक मुद्देअवरुद्ध मुक्त व्यापार समझौता (FTA)
▪ यूरोपीय संघ ऑटोमोबाइल, स्पिरिट्स और डेयरी पर टैरिफ कटौतीचाहता है, जबकि भारत अपने कृषि उत्पादों और IT सेवाओं के लिएअधिक बाजार पहुंच की मांग करता है।
▪ कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) भारतीय निर्यातकों के लिएअतिरिक्त चुनौतियाँ पैदा करता है।
निवेश बाधाएँ और नियामक मुद्दे
▪ भारत के व्यापार में तकनीकी बाधाएँ (TBT) और स्वच्छता एवंफाइटोसैनिटरी (Sp) उपाय यूरोपीय व्यवसायों के लिए प्रमुखचिंताएँ हैं।
▪ डेटा गोपनीयता पर यूरोपीय संघ के सख्त कानून भारत के डिजिटलनिर्यात को कठिन बनाते हैं।
भारत–यूरोपीय संघ संबंधों को कैसे सुदृढ़ करें?
निष्कर्ष
भारत–यूरोपीय संघ साझेदारी एक निर्णायक मोड़ पर है। आर्थिक, सुरक्षाऔर तकनीकी सहयोग में गहराई लाना दोनों पक्षों के लिए लाभकारीहोगा। व्यापार बाधाओं, नियामक अवरोधों और भू–राजनीतिक मतभेदोंको सुलझाकर यह गठबंधन वैश्विक स्थिरता को बढ़ावा देगा और भारतकी वैश्विक भूमिका को और सशक्त बनाएगा।
भारत–यूरोपीयसंघसाझेदारीकीआवश्यकता क्यों है?
1. आर्थिकऔरव्यापारिकसहयोग
▪ यूरोपीयसंघभारतकासबसेबड़ाव्यापारिकसाझेदारहै, जिसकावर्ष2023 मेंभारतकेकुलव्यापारमें 12.2% हिस्साथा, जोअमेरिकाऔरचीनसेअधिकहै।पिछलेएकदशकमेंदोनोंपक्षोंकेबीचवस्तुओंकेव्यापारमें 90% और2020 से2023 केबीचसेवाओंकेव्यापारमें 96% कीवृद्धिहुईहै।
▪ यूरोपीयसंघसेभारतकोपर्याप्तप्रत्यक्षविदेशीनिवेश (FDI) प्राप्तहोताहै, जिससेऔद्योगिकविकास, रोज़गारसृजनऔरप्रौद्योगिकीहस्तांतरणकोबढ़ावामिलताहै।मुक्तव्यापारसमझौते (FTA) कीवार्ता, जोवर्षोंसेअवरुद्धथी, 2021 मेंफिरसेशुरूहुई।इसमेंटैरिफकटौती, निवेशसंरक्षण, औरनियामकसंरेखणपरमुख्यरूपसेध्यानकेंद्रितकियागयाहै।
2. सुरक्षाऔररक्षासहयोग
▪ भारतऔरयूरोपीयसंघकेबीचसुरक्षासहयोगधीरे–धीरेमज़बूतहोरहाहै।यूरोपीयसंघनेगुरुग्रामस्थितभारतीयनौसेनाकेसूचनासंलयनकेंद्रमेंसंपर्कअधिकारीतैनातकियाहै, जिससेसमुद्रीसुरक्षाऔरसूचनासाझाकरणकोबढ़ावामिलाहै।
▪ हिंद–प्रशांतक्षेत्रमेंचीनकीविस्तारवादीनीतियोंकामुकाबलाकरनेकेलिएभारतऔरयूरोपीयसंघएक–दूसरेकेसाथरणनीतिकसहयोगबढ़ारहेहैं।यूरोपीयसंघकीएशियाकेसाथसुरक्षासहयोगबढ़ाने (ESIWA) पहलइसक्षेत्रमेंसुरक्षाव्यवस्थाकोसुदृढ़करतीहैऔरहिंदमहासागरकेमहत्वपूर्णसमुद्रीमार्गोंकीसुरक्षासुनिश्चितकरतीहै।
3. प्रौद्योगिकी, डिजिटलऔरबुनियादीढांचासहयोग
▪ भारतऔरयूरोपीयसंघकेबीचव्यापारऔरप्रौद्योगिकीपरिषद(TTC) डिजिटलगवर्नेंस, कृत्रिमबुद्धिमत्ता (AI), अर्द्धचालक(Semiconductors), औरस्वच्छऊर्जाप्रौद्योगिकियोंपरध्यानकेंद्रितकरतीहै।
▪ भारत–मध्यपूर्व–यूरोपआर्थिकगलियारा (IMEC) एकप्रमुखपहलहै, जिसकाउद्देश्यवैश्विकव्यापारमार्गोंऔरऊर्जासुरक्षाकोमजबूतकरनाहै।डिजिटलभुगतानऔरफिनटेकक्षेत्रमेंभीदोनोंपक्षोंकेबीचसहयोगलगातारबढ़रहाहै, जिससेसीमा–पारलेनदेनकोआसानबनायाजारहाहै।
4. रणनीतिकस्वायत्तताऔरबहु–संरेखण
▪ बदलतीवैश्विकव्यवस्थाकेबीचभारतऔरयूरोपीयसंघदोनोंहीरणनीतिकस्वायत्तताकीदिशामेंबढ़रहेहैं।यूरोपीयसंघअमेरिकापरअपनीनिर्भरताकोकमकरनाचाहताहै, जबकिभारतअपनीबहु–संरेखणनीतिकोआगेबढ़ाकरविभिन्नवैश्विकशक्तियोंकेसाथसंतुलनबनाएरखनाचाहताहै।
5. वैश्विकशासनऔरभू–राजनीतिकपुनर्संरेखण
▪ भारतऔरयूरोपीयसंघ, दोनोंहीबहुपक्षीयसंस्थाओंजैसे G20, विश्वव्यापारसंगठन (WTO) औरसंयुक्तराष्ट्रसुरक्षापरिषदमेंनियम–आधारितवैश्विकव्यवस्थाकासमर्थनकरतेहैं।ट्रान्स–अटलांटिकतनावबढ़नेकेकारणयूरोपीयसंघअधिकस्वतंत्रविदेशनीतिकीओरबढ़रहाहै, जिससेभारतकेसाथउसकेरणनीतिकसंबंधऔरमजबूतहोरहेहैं।
भारत–यूरोपीयसंघकीप्रमुखपहलें
रणनीतिकसहयोगएवंवैश्विकशासन
▪ यूरोपीयसंघ–भारतरणनीतिकसाझेदारी2025 रोडमैप: इसपहलकाउद्देश्यव्यापार, निवेश, डिजिटलीकरण, जलवायुपरिवर्तन, सुरक्षा, औरसतत्विकासमेंसहयोगकोबढ़ानाहै।
▪ यूरोपीयसंघ–भारतस्वच्छऊर्जाऔरजलवायुसाझेदारी: यहअक्षयऊर्जा, स्मार्टग्रिड, औरस्वच्छप्रौद्योगिकीवित्तपोषणमेंसहयोगकोबढ़ावादेतीहै।
संधारणीयशहरीकरणऔरकनेक्टिविटी
▪ यूरोपीयसंघ–भारतकनेक्टिविटीसाझेदारी: डिजिटलऔरभौतिकबुनियादीढांचेकोमजबूतकरआपूर्तिशृंखलाओंमेंसुधारकरतीहै।
▪ भारत–यूरोपीयसंघशहरीमंच: संधारणीयशहरीविकासकेलिएसर्वोत्तमप्रथाओंऔरनीतियोंकाआदान–प्रदानकरताहै।
भारत–यूरोपीयसंघसंबंधोंकीचुनौतियाँ
अवरुद्ध मुक्त व्यापार समझौता (FTA)
निवेश बाधाएँ और नियामक मुद्देअवरुद्ध मुक्त व्यापार समझौता (FTA)
▪ यूरोपीय संघ ऑटोमोबाइल, स्पिरिट्स और डेयरी पर टैरिफ कटौतीचाहता है, जबकि भारत अपने कृषि उत्पादों और IT सेवाओं के लिएअधिक बाजार पहुंच की मांग करता है।
▪ कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) भारतीय निर्यातकों के लिएअतिरिक्त चुनौतियाँ पैदा करता है।
निवेश बाधाएँ और नियामक मुद्दे
▪ भारत के व्यापार में तकनीकी बाधाएँ (TBT) और स्वच्छता एवंफाइटोसैनिटरी (Sp) उपाय यूरोपीय व्यवसायों के लिए प्रमुखचिंताएँ हैं।
▪ डेटा गोपनीयता पर यूरोपीय संघ के सख्त कानून भारत के डिजिटलनिर्यात को कठिन बनाते हैं।
भारत–यूरोपीय संघ संबंधों को कैसे सुदृढ़ करें?
निष्कर्ष
भारत–यूरोपीय संघ साझेदारी एक निर्णायक मोड़ पर है। आर्थिक, सुरक्षाऔर तकनीकी सहयोग में गहराई लाना दोनों पक्षों के लिए लाभकारीहोगा। व्यापार बाधाओं, नियामक अवरोधों और भू–राजनीतिक मतभेदोंको सुलझाकर यह गठबंधन वैश्विक स्थिरता को बढ़ावा देगा और भारतकी वैश्विक भूमिका को और सशक्त बनाएगा।