भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच संबंध हाल के वर्षों मेंएक नई गति पकड़ चुके हैं। बदलती वैश्विक भू–राजनीतिकपरिस्थितियों, व्यापारिक प्रतिस्पर्धा, और तकनीकी नवाचार केइस दौर में भारत–ईयू साझेदारी न केवल आर्थिक समृद्धि कोबढ़ावा दे रही है, बल्कि वैश्विक स्थिरता में भी महत्वपूर्णभूमिका निभा रही है।
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भारत–यूरोपीय संघ संबंध का विवरण
भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच राजनयिक संबंधों कीस्थापना 1962 में हुई थी, जब भारत ने यूरोपीय आर्थिकसमुदाय (ईईसी) के साथ संपर्क स्थापित किया। 1993 मेंयूरोपीय संघ की औपचारिक स्थापना के बाद, 1994 में भारतऔर ईयू ने एक सहयोग अनुबंध पर हस्ताक्षर किए, जिसनेउनके राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को नई गति दी। 2004 में भारत–ईयू रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसके बाद 2005 के शिखर सम्मेलन में संयुक्त कार्य योजनाबनाई गई। इस योजना में प्रमुख रूप से राजनीतिक, आर्थिक, और विकासपरक सहयोग के क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करनेके लक्ष्य निर्धारित किए गए। भारत–ईयू संबंधों की बुनियादमजबूत है, लेकिन इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिएरणनीतिक सहयोग, व्यापार समझौते, और तकनीकी नवाचारके क्षेत्र में प्रगति आवश्यक है।
रणनीतिक साझेदारी और भू–राजनीति
▪ भारत और ईयू के बीच रणनीतिक साझेदारी 2004 मेंऔपचारिक रूप से स्थापित हुई थी, लेकिन हाल के वर्षोंमें इसमें अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। अमेरिका कीसंरक्षणवादी नीतियों, चीन के बढ़ते प्रभाव, औररूस–यूक्रेन युद्ध जैसी परिस्थितियों ने भारत और ईयू कोएक–दूसरे के करीब लाने का काम किया है। यूरोपीयआयोग की अध्यक्ष उर्सुला वान डर लेयेन की हालियाभारत यात्रा इस सहयोग को और मजबूत करने की दिशामें एक महत्वपूर्ण कदम रही।
▪ भारत–मध्यपूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) इससाझेदारी का एक अहम पहलू है। यह पहल चीन के ‘बेल्टएंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) का एक संतुलनकारीविकल्प बन सकती है, जो व्यापार और आपूर्ति श्रृंखलाओंको अधिक विविध और स्थिर बनाने में सहायक होगी।
व्यापारिक संबंध
▪ यूरोपीय संघ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिकभागीदार है। दोनों के बीच 2022-23 में कुल व्यापारलगभग 130 बिलियन यूरो तक पहुँच गया। भारत औरईयू मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर भीसक्रियता से वार्ता कर रहे हैं, जिससे निवेश और व्यापारके नए अवसर खुल सकते हैं। यह समझौता भारत कीविनिर्माण शक्ति और ईयू के तकनीकी कौशल कोजोड़कर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को अधिक स्थायित्वप्रदान करेगा।
▪ यूरोपीय संघ (ईयू) भारत का सबसे बड़ा व्यापारिकभागीदार है, 2023 में €124 बिलियन मूल्य के वस्तुव्यापार के साथ। यह भारत के कुल व्यापार का 12.2% है, जो अमेरिका (10.8%) और चीन (10.5%) सेअधिक है।
▪ भारत के निर्यात के लिए ईयू दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य(17.5%) है, जबकि अमेरिका (17.6%) पहले स्थानपर है। चीन केवल चौथे स्थान (3.7%) पर है।
▪ दूसरी ओर, भारत ईयू का 9वां सबसे बड़ा व्यापारिकभागीदार है, जो 2023 में ईयू के कुल व्यापार का 2.2% था। यह अमेरिका (16.7%), चीन (14.6%) और यूके(10.1%) से काफी पीछे है।
▪ पिछले दशक में भारत–ईयू वस्तु व्यापार लगभग 90% बढ़ा है, जो बढ़ते द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को दर्शाताहै।
▪ भारत–ईयू सेवाओं का व्यापार 2023 में €59.7 बिलियनतक पहुंच गया, जो 2020 में €30.4 बिलियन था।
▪ ईयू का विदेशी निवेश स्टॉक 2022 में €108.3 बिलियनतक पहुंच गया, जो 2019 में €82.3 बिलियन था।
▪ हालांकि, यह निवेश चीन (€247.5 बिलियन) औरब्राजील (€293.4 बिलियन) में किए गए ईयू निवेश सेकाफी कम है।
▪ भारत में करीब 6,000 यूरोपीय कंपनियाँ सक्रिय हैं, जोविभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं।
▪ ट्रंप प्रशासन की संरक्षणवादी नीतियों और ब्रेक्जिट केबाद के आर्थिक परिदृश्य ने भारत–ईयू व्यापारिकसहयोग की संभावनाओं को और बढ़ा दिया है। एकप्रभावी एफटीए न केवल व्यापारिक बाधाओं को कमकरेगा, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी स्थिरता लानेका कार्य करेगा।

Source: https://policy.trade.ec.europa.eu/eu-trade-relationships-country-and-region/countries-and-regions/india_en
तकनीकी और डिजिटल सहयोग
▪ भारत और ईयू के बीच डिजिटल और तकनीकी क्षेत्रों मेंसहयोग लगातार बढ़ रहा है। भारत एक नवाचार औरस्टार्टअप हब के रूप में उभर रहा है, जबकि ईयू डिजिटलसंप्रभुता के अपने लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध है। कृत्रिमबुद्धिमत्ता (AI), साइबर सुरक्षा, 5G प्रौद्योगिकी, और डेटासुरक्षा के क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच साझेदारी गहरा रहीहै।
नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरणीय सहयोग
▪ ईयू और भारत के बीच हरित ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़रहा है। भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीयऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, और ईयू इसमें एकमहत्वपूर्ण भागीदार बन सकता है। दोनों पक्ष सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में संयुक्तनिवेश और तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा दे रहे हैं।
भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ
▪ भारत और ईयू की यह रणनीतिक साझेदारी आने वाले वर्षोंमें और अधिक गहराएगी। हालाँकि, कुछ प्रमुख चुनौतियाँभी हैं, जैसे कि मुक्त व्यापार समझौते पर लंबी वार्ता, मानवाधिकार और श्रम नीतियों पर मतभेद, तथा वैश्विकआपूर्ति श्रृंखलाओं में संतुलन बनाए रखने कीआवश्यकता।
▪ फिर भी, लोकतांत्रिक मूल्यों और नियम–आधारित वैश्विकव्यवस्था के प्रति साझा प्रतिबद्धता, व्यापारिक सहयोग, और तकनीकी नवाचार इस साझेदारी को एक नई ऊँचाईपर ले जाने के लिए तैयार हैं। भारत–ईयू संबंध केवलद्विपक्षीय सहयोग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह वैश्विकस्थिरता और समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
Source: पॉयनियर