भारत–यूरोप संघ (EU) संबंध एक नए दौर में प्रवेश कर चुके हैं। ब्रुसेल्स ने एक रणनीति पेश की है जिसमें नई दिल्ली को व्यापार, तकनीक और सुरक्षा के क्षेत्र में एक अहम साझेदार के रूप में माना गया है। जहाँ एक ओर मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और नवाचार साझेदारी में अवसर आशाजनक हैं, वहीं दूसरी ओर रूस पर अलग-अलग रुख और व्यापार में संरचनात्मक असंतुलन जैसी चुनौतियाँ सावधानीपूर्वक पुनर्मूल्यांकन और दूरदर्शी दृष्टिकोण की मांग करती हैं।
यूरोपीय संघ (EU) के बारे में
विषय | विवरण |
परिचय | यूरोपीय संघ (EU) 27 यूरोपीय देशों का राजनीतिक और आर्थिक संघ है, जो साझा संस्थाओं, कानूनों और नीतियों से जुड़े हैं। |
स्थापना (Creation) | मास्ट्रिख़ संधि (Maastricht Treaty) द्वारा; 1 नवम्बर 1993 से लागू। |
उद्देश्य (Objectives) | – एकल मुद्रा (Euro) – साझा विदेशी एवं सुरक्षा नीति – साझा नागरिकता अधिकार – आव्रजन, शरण और न्यायिक सहयोग |
उत्पत्ति (Origins) | – 1951: पेरिस संधि पर हस्ताक्षर (6 देश: बेल्जियम, फ़्रांस, इटली, लक्समबर्ग, नीदरलैंड, पश्चिम जर्मनी) – 1952: यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय (ECSC) की स्थापना – आगे चलकर विभिन्न संधियों से EU का गठन |
वर्तमान सदस्य देश (Current Member States) | कुल 27 देश: ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, क्रोएशिया, साइप्रस, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, फ़िनलैंड, फ़्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आयरलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्समबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन |
ब्रेक्ज़िट (Brexit) | यूनाइटेड किंगडम (UK) ने 2020 में EU से बाहर होने का निर्णय लिया। |
मुख्य संस्थाएँ (Main Institutions) | 1. यूरोपीय संसद (European Parliament)2. यूरोपीय परिषद (European Council)3. यूरोपीय आयोग (European Commission)4. न्यायालय (Court of Justice)5. लेखा परीक्षक न्यायालय (Court of Auditors) |
जनसांख्यिकी (Demography) | – सबसे बड़ी जनसंख्या: जर्मनी- सबसे बड़ा क्षेत्रफल: फ़्रांस- सबसे छोटा देश: माल्टा |
खुले बॉर्डर – शेंगेन क्षेत्र (Schengen Area) | – अधिकांश EU देशों में मुक्त आवागमन- अपवाद: साइप्रस, आयरलैंड- 4 गैर-EU देश भी सदस्य: आइसलैंड, नॉर्वे, स्विट्ज़रलैंड, लिकटेंस्टीन |
एकल बाज़ार (Single Market) | EU में वस्तुएँ, सेवाएँ, पूंजी और लोग स्वतंत्र रूप से आ-जा सकते हैं। |
पुरस्कार (Awards) | 2012: यूरोप में शांति और लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार। |
जलवायु लक्ष्य (Climate Goals) | – 2050 तक: कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य- 2030 तक: उत्सर्जन 55% घटाने का संकल्प |
भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच प्रमुख सामंजस्य के क्षेत्र
- आर्थिक, व्यापार एवं प्रौद्योगिकी सहयोग
- व्यापार और निवेश:
- 2023 में भारत, EU का 9वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा।
- 2022 में भारत-EU सेवा क्षेत्र का व्यापार €50.737 अरब रहा, जो 2021 की तुलना में 23.7% अधिक है।
- EU से भारत में भारी मात्रा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आता है, जो औद्योगिक विकास, रोजगार और तकनीकी हस्तांतरण को प्रोत्साहित करता है।
- FTA वार्ता:
- 2021 में भारत और EU के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ता फिर शुरू हुई।
- EU को भारत में बाजार तक अधिक पहुँच चाहिए, जबकि भारत व्यापार बाधाओं को कम कर निर्यात और निवेश बढ़ाना चाहता है।
- प्रौद्योगिकी और डिजिटल सहयोग:
- भारत-EU Trade and Technology Council (TTC) सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्वच्छ ऊर्जा तकनीक पर केंद्रित है।
- India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEC) से वैश्विक व्यापार मार्ग और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।
- डिजिटल पेमेंट्स और फिनटेक में सहयोग बढ़ रहा है।
- सुरक्षा, सामरिक और वैश्विक शासन सहयोग
- सुरक्षा और रक्षा सहयोग:
- EU ने भारत के Information Fusion Centre (Gurugram) में नौसेना संपर्क अधिकारी तैनात किया है।
- दोनों पक्ष आतंकवाद-रोधी रणनीतियों, संयुक्त सैन्य अभ्यास और रक्षा तकनीक सहयोग की दिशा में बढ़ रहे हैं।
- Enhancing Security Cooperation in and with Asia (ESIWA) पहल से हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को मजबूती मिल रही है।
- सामरिक स्वायत्तता और बहु–संरेखण (Strategic Autonomy & Multi-alignment):
- EU, भारत को एक स्थिर और पूर्वानुमेय साझेदार के रूप में आर्थिक और तकनीकी सहयोग देता है, जिसमें सुरक्षा निर्भरता नहीं है।
- भारत और EU दोनों ही अमेरिका और चीन पर अधिक निर्भरता कम करना चाहते हैं।
- वैश्विक शासन और भू–राजनीतिक पुनर्संरेखण:
- दोनों पक्ष G20, WTO और UN Security Council में नियम-आधारित व्यवस्था का समर्थन करते हैं।
- EU का चीन पर निर्भरता कम करना भारत की व्यापार विविधीकरण नीति से मेल खाता है।
इस प्रकार, भारत और EU के बीच दो मुख्य convergence क्षेत्र हैं:
- आर्थिक, व्यापार एवं प्रौद्योगिकी सहयोग
- सुरक्षा, सामरिक और वैश्विक शासन सहयोग
भारत और यूरोपीय संघ (EU) के समक्ष चुनौतीयां
भू–राजनीतिक अंतर (Geopolitical Differences)
भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच सबसे बड़ी चुनौती उनके भू-राजनीतिक दृष्टिकोण में असमानता है। यूरोपीय संघ एक व्यापक साझेदारी की परिकल्पना करता है जिसमें व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकार सभी को समान रूप से महत्व दिया जाता है। दूसरी ओर, भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और किसी भी गहरे सैन्य या राजनीतिक गठबंधन से बचता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण रूस-यूक्रेन युद्ध में दिखाई देता है। भारत ने रूस के विरुद्ध प्रतिबंध लगाने से परहेज़ किया और तटस्थ रुख बनाए रखा, जबकि EU ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए और इसे लोकतंत्र पर हमले के रूप में देखा। इस भिन्नता के कारण भारत और EU के बीच विश्वास की कमी (Trust Deficit) और नीति-निर्माण स्तर पर समन्वय की कठिनाई उत्पन्न होती है।
इसके अलावा, भारत और EU की चीन को लेकर दृष्टि भी अलग है। भारत चीन को सीमा विवादों और आर्थिक प्रतिस्पर्धा के कारण एक रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानता है, जबकि यूरोप अब भी चीन के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार करता है, भले ही उसके मानवाधिकार उल्लंघन और आक्रामक नीतियों पर चिंताएँ हों। यह अंतर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा नीतियों को लागू करने में बाधा डालता है। साथ ही, भारत की मल्टी-अलाइनमेंट नीति — रूस, अमेरिका और यूरोप सभी के साथ संबंध संतुलित रखने की कोशिश — कभी-कभी EU के साथ नीतिगत असंगतियाँ पैदा करती है।
आर्थिक और व्यापार अवरोध (Economic and Trade Barriers)
भारत और EU के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ता 2007 से चल रही है, लेकिन लगातार विवादों के कारण यह अब तक पूर्ण नहीं हो सकी। EU की बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) संबंधी सख्त नीतियाँ भारत के लिए चुनौती हैं क्योंकि भारत सस्ती जेनेरिक दवाओं के उत्पादन और निर्यात पर ज़ोर देता है। इसके अलावा, EU श्रम और पर्यावरण मानकों को लेकर भी कड़ा रुख अपनाता है। Carbon Border Adjustment Mechanism (CBAM) इसका प्रमुख उदाहरण है, जो भारत की घरेलू उद्योगों पर दबाव डालता है। यद्यपि भारत के CBAM-प्रभावित निर्यात GDP का केवल 0.2% हैं, परंतु इनमें से 90% निर्यात लोहा और इस्पात क्षेत्र से आते हैं, जिससे यह क्षेत्र अत्यधिक संवेदनशील बन जाता है।
रक्षा और सामरिक असमानताएँ (Defence and Strategic Divergences)
रक्षा क्षेत्र में भी भारत और EU के बीच कई सीमाएँ मौजूद हैं। भारत अभी भी बड़ी मात्रा में रूसी रक्षा प्रणालियों पर निर्भर है, जिसके कारण यूरोप के साथ उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकी सहयोग गहराई से विकसित नहीं हो पा रहा है। हालाँकि फ्रांस के साथ Rafale जेट और पनडुब्बी परियोजनाएँ, तथा स्पेन के साथ C-295 विमान परियोजना जैसी साझेदारियाँ मौजूद हैं, फिर भी भारत-EU रक्षा संबंध अमेरिका या रूस की तुलना में पीछे हैं। एक और बड़ी चुनौती यह है कि EU के पास भारत के साथ कोई समर्पित सामरिक संवाद (Strategic Dialogue) नहीं है और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर भी EU का रुख काफी सतर्क रहता है। इसके विपरीत, रूस भारत को संयुक्त उत्पादन (Joint Manufacturing) का विकल्प प्रदान करता है, जिससे भारत को अधिक लचीलापन मिलता है।
प्रौद्योगिकी और नवाचार की खाई (Technology and Innovation Gaps)
भारत और यूरोपीय संघ के बीच तकनीकी दृष्टिकोण में भी अंतर दिखाई देता है। भारत का ध्यान ऐसी तकनीक पर है जो सस्ती और व्यावहारिक हो, जबकि यूरोप स्थिरता (sustainability) और उन्नत विनिर्माण (advanced manufacturing) पर बल देता है। इस बीच, चीन कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे उभरते क्षेत्रों में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। भारत और EU के बीच किसी साझा दीर्घकालिक योजना की कमी के कारण वे इन नए क्षेत्रों में चीन से प्रतिस्पर्धा करने में पीछे छूट रहे हैं।
निवेश अवरोध और नियामकीय चुनौतियाँ (Investment Barriers & Regulatory Hurdles)
भारतीय व्यापार नीतियों में अब भी कई प्रतिबंधात्मक प्रावधान हैं, जैसे Technical Barriers to Trade (TBT) और Sanitary & Phytosanitary (SPS) मानक, जो यूरोपीय कंपनियों के लिए कठिनाई पैदा करते हैं। यूरोपीय निवेशक भारत में अधिक पूर्वानुमेय और सुरक्षित नीतिगत वातावरण की माँग करते हैं, विशेषकर निवेश सुरक्षा समझौतों के संदर्भ में।
डेटा गोपनीयता और डिजिटल व्यापार अवरोध (Data Privacy and Digital Trade Barriers)
EU के कड़े डेटा सुरक्षा कानून, विशेष रूप से GDPR (General Data Protection Regulation), भारतीय IT कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। भारत को अभी तक EU से Data Adequacy Status प्राप्त नहीं हुआ है, जिसके कारण दोनों के बीच डेटा का सहज आदान-प्रदान संभव नहीं हो पाता। इसके चलते भारतीय कंपनियों को EU बाज़ार तक पहुँचने के लिए महंगे अनुपालन (compliance) उपाय अपनाने पड़ते हैं। छोटे और मध्यम IT फर्मों के लिए यह विशेष रूप से कठिन है, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता घटती है। हाल ही में European Data Protection Supervisor (EDPS) ने यूरोपीय निवेश बैंक (EIB) द्वारा भारत को व्यक्तिगत डेटा स्थानांतरित करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, यह कहते हुए कि भारत का डेटा सुरक्षा स्तर EU के बराबर नहीं है। यह स्थिति डिजिटल सहयोग में बड़ी बाधा बनी हुई है।
इस प्रकार, भारत और यूरोपीय संघ के बीच संबंधों को गहराने में कई संरचनात्मक और रणनीतिक चुनौतियाँ बनी हुई हैं — भू-राजनीतिक असमानताएँ, व्यापार और पर्यावरण मानक, रक्षा सहयोग की सीमाएँ, प्रौद्योगिकी खाई, निवेश अवरोध और डेटा सुरक्षा से जुड़ी जटिलताएँ।
भारत–EU रणनीतिक एजेंडा 2025–2029 के मुख्य फोकस क्षेत्र
फोकस क्षेत्र | विवरण |
व्यापार और निवेश (Trade and Investment) | 2025 के अंत तक FTA (मुक्त व्यापार समझौता) को अंतिम रूप देने के प्रयास। आपूर्ति श्रृंखलाओं को मज़बूत करना और India-EU Trade and Technology Council (TTC) के माध्यम से महत्वपूर्ण उभरती प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना। EU-India स्टार्टअप साझेदारियों और भारत का Horizon Europe अनुसंधान कार्यक्रम से जुड़ाव। |
स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु सहयोग (Clean Energy and Climate Cooperation) | नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन, अपतटीय पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा और ग्रीन फाइनेंस में सहयोग। FOWIND (Facilitating Offshore Wind in India) जैसी परियोजनाओं और स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना। |
विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग (Science and Technology Collaboration) | स्वच्छ ऊर्जा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), दूरसंचार, जैव प्रौद्योगिकी, जल और समुद्री विज्ञान, जलवायु अनुसंधान और टीका विकास जैसे क्षेत्रों में संयुक्त वित्तपोषण और वैज्ञानिक आदान-प्रदान। EU का Choose Europe for Science कार्यक्रम 2027 तक भारतीय शोधकर्ताओं के लिए खुला। |
सुरक्षा और रक्षा (Security and Defence) | संकट प्रबंधन, समुद्री सुरक्षा, साइबर रक्षा, आतंकवाद-रोधी रणनीतियाँ और रक्षा औद्योगिक सहयोग। उत्पादन क्षमता और आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा पर फोकस। EU का Security of Information Agreement प्रस्तावित। मुख्य क्षेत्र: इंडो-पैसिफिक सहयोग, हाइब्रिड खतरे, अंतरिक्ष सुरक्षा, रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े प्रयास। |
प्रतिभा गतिशीलता और साझेदारी (Talent Mobility and Partnership) | प्रतिभा गतिशीलता (Talent Mobility) में सहयोग। साझा प्राथमिकताओं पर आधारित संयुक्त व्यापक रणनीतिक एजेंडा, जिसे EU Foreign Affairs Council बैठकों में औपचारिक रूप दिया जाएगा। |
भारत यूरोपीय संघ (EU) के साथ अपने संबंधों को कैसे मज़बूत करे?
- Fast-Track the FTA & Address Trade Barriers
भारत को चाहिए कि वह EU के साथ Free Trade Agreement (FTA) वार्ताओं को तेजी से आगे बढ़ाए।
- शुल्क विवाद समाधान: विशेषकर ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल और डिजिटल व्यापार क्षेत्रों में।
- आपूर्ति श्रृंखला सुदृढ़ीकरण: वैकल्पिक आर्थिक लिंक विकसित होंगे, जिससे चीन पर निर्भरता कम होगी।
- निवेश आकर्षण: यूरोपीय निवेशकों को भारत के मैन्युफैक्चरिंग हब और स्टार्टअप इकोसिस्टम में निवेश हेतु प्रोत्साहित करना।
- संयुक्त उपक्रम (Joint Ventures): फार्मा, प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, और Critical Raw Materials में सहयोग।
- Negotiating a Data-Sharing Framework
- Privacy Shield जैसी व्यवस्था: EU–U.S. Privacy Shield की तर्ज पर भारत और EU को डेटा फ्लो हेतु व्यवस्था करनी चाहिए।
- नियामकीय सामंजस्य (Mutual Recognition Framework): भारतीय कंपनियों के अनुपालन लागत कम होगी।
- साइबर सुरक्षा कानूनों की मज़बूती: भारत की Global Digital Trade Credibility बढ़ेगी।
- Strengthen Defence & Security Ties
- संयुक्त नौसैनिक अभ्यास और Cyber Defence Partnerships को बढ़ावा।
- फ्रांस के साथ रक्षा उत्पादन का सह–विकास (Co-Development)।
- इंडो–पैसिफिक रणनीति का यूरोपीय रक्षा प्राथमिकताओं के साथ सामंजस्य।
- रूस, अमेरिका और QUAD के साथ भारत की भागीदारी को EU निवेश और तकनीक से पूरक बनाना।
- Develop Alternative Supply Chains
- Semiconductors और AI पर गहन सहयोग (India-EU TTC के अंतर्गत)।
- IMEC (India-Middle East-Europe Corridor) और INSTC (International North-South Transport Corridor) को सशक्त करना ताकि चीन पर निर्भरता घटे।
- Enhance Digital & Green Technology Partnerships
- नवीकरणीय ऊर्जा, फिनटेक, और डेटा प्राइवेसी में तालमेल।
- Green Hydrogen, EVs और Carbon-Neutral Tech पर सहयोग।
- TTC (Trade and Technology Council) के माध्यम से US-India iCET जैसी उच्च स्तरीय टेक्नोलॉजी साझेदारी।
- Reform Domestic Trade & Investment Policies
- नियामकीय ढांचे को सरल बनाना और Ease of Doing Business सुधार।
- IPR संरक्षण को मजबूत करना।
- यूरोपीय टेक कंपनियों के लिए R&D हब को आकर्षित करना।
- Position India as a Global Diplomatic Balancer
- G20 और UNSC सुधार पर EU के साथ साझेदारी।
- लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा: भारत, EU और अमेरिका एक साझा मंच पर आ सकते हैं।
- Trans-Atlantic और Indo-Pacific समन्वय: वैश्विक लोकतंत्रों का सहयोग authoritarian regimes के खिलाफ।
निष्कर्ष
भारत और EU की साझेदारी वर्तमान समय में परिवर्तनकारी (Transformative Moment) पर खड़ी है।
- यह न केवल वैश्विक आर्थिक मजबूती और प्रौद्योगिकी नवाचार को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि सुरक्षा सहयोग को भी गहरा बनाएगी।
- जैसा कि Shishir Priyadarshi (पूर्व WTO निदेशक) कहते हैं: “यह नया रणनीतिक एजेंडा विश्व की दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक और आर्थिक शक्तियों को साझा समृद्धि और वैश्विक स्थिरता के लिए मजबूत ढांचा प्रदान करता है।”
- भारत के लिए यह अवसर है कि वह Multipolar World में एक Global Balancer और Responsible Stakeholder के रूप में अपनी स्थिति को और मज़बूत करे।