मिशेल फूको (1926–1984) 20वीं सदी के दर्शनशास्त्र में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे, जिन्हें सत्ता, ज्ञान और सामाजिक संस्थानों पर उनके काम के लिए जाना जाता है। उनके प्रमुख विचार निम्नलिखित हैं:
• सत्ता और ज्ञान: फूको ने तर्क दिया कि सत्ता और ज्ञान आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। अपनी किताब डिसिप्लिन एंड पनिश (1975) में, उन्होंने बताया कि कैसे संस्थान (जेल, स्कूल, अस्पताल) निगरानी और मानदंडों के माध्यम से व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए ज्ञान का उपयोग करते हैं।
• प्रवचन (Discourse): द आर्कियोलॉजी ऑफ नॉलेज (1969) में, उन्होंने विश्लेषण किया कि प्रवचन—विचार और भाषा की प्रणालियाँ—किसी युग में “सत्य” को आकार देती हैं।
• बायोपावर: द हिस्ट्री ऑफ सेक्सुअलिटी (1976–1984) में, उन्होंने बायोपावर की अवधारणा पेश की, जिसमें बताया गया कि आधुनिक राज्य शरीर और जीवन (जैसे स्वास्थ्य, कामुकता) के नियमन के माध्यम से जनसंख्या को नियंत्रित करते हैं।
• संस्थानों की आलोचना: फूको ने जांच की कि कैसे शरणार्थी गृह (मैडनेस एंड सिविलाइजेशन, 1961) और जेलें सामाजिक श्रेणियाँ (जैसे “पागलपन,” “अपराध”) बनाती हैं ताकि व्यवस्था बनी रहे।
उनके प्रमुख कार्य:
• मैडनेस एंड सिविलाइजेशन (1961)
• द बर्थ ऑफ द क्लिनिक (1963)
• द ऑर्डर ऑफ थिंग्स (1966)
• डिसिप्लिन एंड पनिश (1975)
• द हिस्ट्री ऑफ सेक्सुअलिटी (3 खंड, 1976–1984)
फूको के विचार समाजशास्त्र, सांस्कृतिक अध्ययन और आलोचनात्मक सिद्धांत में प्रभावशाली बने हुए हैं, हालांकि आलोचक कहते हैं कि उनका काम कभी-कभी अत्यधिक अमूर्त या सामाजिक परिवर्तन के प्रति निराशावादी हो सकता है।
मिशेल फूको के राजनीतिक विचार उनके दर्शनशास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो सत्ता, ज्ञान, और सामाजिक नियंत्रण के इर्द-गिर्द घूमते हैं। फूको पारंपरिक राजनीतिक सिद्धांतों से हटकर सत्ता को एक गतिशील, सर्वव्यापी, और सूक्ष्म प्रक्रिया के रूप में देखते हैं, जो केवल सरकार या कानून तक सीमित नहीं है। उनके प्रमुख राजनीतिक विचार निम्नलिखित हैं:
1. सत्ता का सूक्ष्म दृष्टिकोण (Microphysics of Power):
• फूको का मानना था कि सत्ता केवल राज्य, सरकार, या कानून जैसे बड़े ढांचों में नहीं, बल्कि रोजमर्रा के सामाजिक संबंधों, संस्थानों, और व्यक्तिगत व्यवहारों में भी मौजूद होती है।
• उदाहरण: स्कूल, अस्पताल, कार्यस्थल, और परिवार जैसे स्थान सत्ता के सूक्ष्म रूपों के माध्यम से व्यक्तियों को नियंत्रित करते हैं।
• सत्ता “ऊपर से नीचे” (top-down) नहीं, बल्कि समाज में हर स्तर पर फैली हुई है। यह लोगों के व्यवहार, सोच, और शरीर को आकार देती है।
2. बायोपावर और बायोपॉलिटिक्स:
• जैसा कि पहले चर्चा की गई, बायोपावर सत्ता का वह रूप है जो जनसंख्या के जीवन (जन्म, मृत्यु, स्वास्थ्य, कामुकता) को नियंत्रित करता है।
• राजनीतिक प्रासंगिकता: बायोपॉलिटिक्स आधुनिक राज्यों की नीतियों में दिखाई देता है, जैसे स्वास्थ्य देखभाल, जनसंख्या नियंत्रण, और सामाजिक कल्याण योजनाएँ। ये नीतियाँ जनता को “स्वस्थ” और “उत्पादक” बनाने के लिए बनाई जाती हैं।
• उदाहरण: भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रम, टीकाकरण अभियान, या आधार कार्ड डेटा संग्रह बायोपावर के रूप हैं।
3. सर्विलांस और अनुशासन (Discipline and Surveillance):
• फूको ने पैनोप्टिकन के रूपक के माध्यम से बताया कि कैसे निगरानी (surveillance) के जरिए सत्ता व्यक्तियों को आत्म-अनुशासित बनाती है।
• राजनीतिक निहितार्थ: आधुनिक राज्य निगरानी के माध्यम से नागरिकों को नियंत्रित करते हैं, जैसे सीसीटीवी, डिजिटल ट्रैकिंग, या सरकारी डेटाबेस।
• यह विचार आज के डिजिटल युग में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहाँ डेटा संग्रह और सोशल मीडिया निगरानी सत्ता का एक नया रूप है।
4. ज्ञान और सत्ता का संबंध (Power-Knowledge):
• फूको का कहना था कि ज्ञान सत्ता का साधन है। जो “सत्य” को परिभाषित करता है, वह सत्ता को नियंत्रित करता है।
• राजनीतिक संदर्भ: वैज्ञानिक, चिकित्सकीय, और सामाजिक ज्ञान का उपयोग करके सरकारें और संस्थान “सामान्य” और “असामान्य” की श्रेणियाँ बनाते हैं। उदाहरण के लिए, मानसिक स्वास्थ्य या अपराध की परिभाषाएँ सत्ता को लागू करने में मदद करती हैं।
• यह विचार राजनीति में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दिखाता है कि कैसे नीतियाँ और कानून “वैज्ञानिक” या “तटस्थ” तर्कों के आधार पर बनाए जाते हैं, जो वास्तव में सत्ता को मजबूत करते हैं।
5. प्रतिरोध (Resistance):
• फूको का मानना था कि जहाँ सत्ता है, वहाँ प्रतिरोध भी है। सत्ता के खिलाफ व्यक्तिगत और सामूहिक प्रतिरोध संभव है।
• राजनीतिक महत्व: सामाजिक आंदोलन, जैसे नारीवादी आंदोलन, मजदूर आंदोलन, या नागरिक अधिकार आंदोलन, सत्ता के ढांचों को चुनौती देते हैं।
• फूको का यह विचार प्रेरणादायक है, क्योंकि यह लोगों को सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने और वैकल्पिक दृष्टिकोण बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
6. शासन और स्वतंत्रता (Governmentality):
• फूको ने गवर्नमेंटैलिटी की अवधारणा पेश की, जो शासन की कला और तकनीकों को दर्शाती है। यह सत्ता का वह तरीका है जिसके द्वारा व्यक्ति स्वयं को शासित करने के लिए प्रेरित होते हैं।
• राजनीतिक प्रासंगिकता: उदाहरण के लिए, नवउदारवादी नीतियाँ (neoliberal policies) व्यक्तियों को “स्वतंत्र” और “जिम्मेदार” नागरिक के रूप में देखती हैं, जो स्वयं अपनी शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक स्थिति का प्रबंधन करते हैं। यह सत्ता का एक सूक्ष्म रूप है, जो प्रत्यक्ष नियंत्रण के बजाय आत्म-प्रबंधन पर निर्भर करता है।
7. कामुकता और सामाजिक नियंत्रण:
• द हिस्ट्री ऑफ सेक्सुअलिटी में, फूको ने बताया कि कैसे कामुकता को नियंत्रित करके समाज में सत्ता लागू की जाती है। यह राजनीतिक है, क्योंकि यह व्यक्तिगत जीवन को सामाजिक और सरकारी नीतियों से जोड़ता है।
• उदाहरण: समलैंगिकता या प्रजनन जैसे मुद्दों पर सरकारी नीतियाँ और सामाजिक मानदंड सत्ता के अभ्यास को दर्शाते हैं।
फूको के राजनीतिक विचारों की प्रासंगिकता:
• आधुनिक राजनीति: फूको के विचार आज के डिजिटल युग, डेटा निगरानी, और सरकारी नीतियों के विश्लेषण के लिए बहुत प्रासंगिक हैं। उदाहरण के लिए, डिजिटल सर्विलांस और डेटा गोपनीयता के मुद्दे फूको के सत्ता और निगरानी के विचारों से समझे जा सकते हैं।
• सामाजिक आंदोलन: फूको के विचार नारीवाद, क्वीर सिद्धांत, और उपनिवेशवाद-विरोधी आंदोलनों में प्रभावशाली रहे हैं, क्योंकि वे सत्ता के सूक्ष्म रूपों को उजागर करते हैं।
• आलोचना: कुछ आलोचक कहते हैं कि फूको का सत्ता का दृष्टिकोण बहुत व्यापक है और यह स्पष्ट समाधान या वैकल्पिक व्यवस्था प्रस्तुत नहीं करता।
उदाहरण:
• भारत में संदर्भ: भारत में आधार कार्ड, स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में सीसीटीवी, या कोविड-19 के दौरान कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग जैसे उपाय फूको के बायोपावर और सर्विलांस के विचारों को दर्शाते हैं।
• सामाजिक नियंत्रण: सोशल मीडिया पर सेंसरशिप या “उचित” व्यवहार को बढ़ावा देना फूको की सत्ता और अनुशासन की अवधारणा का हिस्सा है।
मिशेल फूको की बायोपावर (Biopower) की अवधारणा उनके दर्शनशास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे उन्होंने विशेष रूप से अपनी किताब द हिस्ट्री ऑफ सेक्सुअलिटी (खंड 1, 197 6)और सोसायटी मस्ट बी डिफेंडेड (1975-76 के व्याख्यान) में विस्तार से प्रस्तुत किया। यहाँ बायोपावर पर अधिक जानकारी हिंदी में दी गई है:
बायोपावर क्या है?
फूको के अनुसार, बायोपावर सत्ता का वह रूप है जो आधुनिक समाजों में व्यक्तियों और समूहों के जीवन को नियंत्रित करने पर केंद्रित है। यह सत्ता न केवल व्यक्तियों को दंडित करने या उनकी आज्ञाकारिता सुनिश्चित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन प्रक्रियाओं—जैसे जन्म, मृत्यु, स्वास्थ्य, प्रजनन, और कामुकता—को नियंत्रित और प्रबंधित करती है। बायोपावर दो स्तरों पर काम करती है:
1. वैयक्तिक स्तर (Disciplinary Power): यह व्यक्तिगत शरीर पर केंद्रित है, जैसे स्कूलों, अस्पतालों, या जेलों में अनुशासन के माध्यम से व्यवहार को नियंत्रित करना।
2. सामूहिक स्तर (Biopolitics): यह पूरी जनसंख्या पर केंद्रित है, जैसे स्वास्थ्य नीतियाँ, जनसंख्या नियंत्रण, या महामारी प्रबंधन।
बायोपावर की मुख्य विशेषताएँ:
• जीवन पर नियंत्रण: पारंपरिक सत्ता (जैसे राजशाही) “मृत्यु देने” (जैसे युद्ध, फाँसी) पर केंद्रित थी, लेकिन बायोपावर “जीवन को बढ़ावा देने” और “प्रबंधन” करने पर जोर देती है। उदाहरण: टीकाकरण अभियान, जनगणना, या परिवार नियोजन नीतियाँ।
• ज्ञान और सत्ता का मेल: बायोपावर को लागू करने के लिए वैज्ञानिक ज्ञान (जैसे चिकित्सा, जनसांख्यिकी) का उपयोग होता है। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य डेटा इकट्ठा करके सरकारें बीमारियों को नियंत्रित करती हैं।
• नॉर्मलाइजेशन: बायोपावर सामाजिक मानदंडों (norms) को स्थापित करती है, जैसे “स्वस्थ” या “सामान्य” व्यवहार क्या है, और लोगों को इन मानदंडों के अनुरूप ढालती है।
• संस्थागत ढाँचा: अस्पताल, स्कूल, और सरकारी नीतियाँ बायोपावर को लागू करने के लिए मुख्य उपकरण हैं।
उदाहरण:
• स्वास्थ्य नीतियाँ: सरकार द्वारा टीकाकरण, स्वच्छता अभियान, या धूम्रपान विरोधी कानून बायोपावर के उदाहरण हैं, जो जनसंख्या के स्वास्थ्य को प्रबंधित करते हैं।
• कामुकता का नियमन: फूको ने द हिस्ट्री ऑफ सेक्सुअलिटी में बताया कि कैसे 19वीं सदी में कामुकता को नियंत्रित करने के लिए चिकित्सा और मनोविज्ञान का उपयोग किया गया, जैसे “सामान्य” और “असामान्य” कामुकता की श्रेणियाँ बनाना।
• जनसंख्या नियंत्रण: जन्म दर को नियंत्रित करने के लिए नीतियाँ (जैसे भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रम) बायोपावर का हिस्सा हैं।
बायोपावर का महत्व:
• आधुनिक शासन: फूको का मानना था कि बायोपावर आधुनिक राज्यों की विशेषता है, जो नागरिकों के जीवन को सूक्ष्म स्तर पर प्रबंधित करते हैं।
• सामाजिक नियंत्रण: यह दिखाता है कि सत्ता केवल दमनकारी नहीं है, बल्कि यह “उत्पादक” भी है, क्योंकि यह लोगों को स्वेच्छा से मानदंडों का पालन करने के लिए प्रेरित करती है।
• आलोचना: कुछ आलोचकों का कहना है कि फूको की बायोपावर की अवधारणा बहुत व्यापक है और यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कमतर आंकती है।
समकालीन प्रासंगिकता:
आज के संदर्भ में, बायोपावर को कोविड-19 महामारी के दौरान देखा जा सकता है, जहाँ सरकारों ने लॉकडाउन, मास्क नियम, और टीकाकरण अभियानों के माध्यम से जनसंख्या के स्वास्थ्य को नियंत्रित किया। डिजिटल निगरानी (जैसे कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप्स) भी बायोपावर का एक आधुनिक रूप है।
मिशेल फूको के दर्शन में सर्विलांस (निगरानी) और सत्ता (Power) का गहरा संबंध है, जिसे उन्होंने विशेष रूप से अपनी किताब डिसिप्लिन एंड पनिश (1975) और अन्य कार्यों में विस्तार से बताया। फूको के लिए, सर्विलांस सत्ता के प्रयोग का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो आधुनिक समाजों में व्यक्तियों और समूहों को नियंत्रित करने में मदद करता है। यहाँ इन दोनों अवधारणाओं के बीच संबंध को हिंदी में समझाया गया है:
सर्विलांस और सत्ता का संबंध:
1. पैनोप्टिकन मॉडल:
• फूको ने जेरेमी बेंथम के पैनोप्टिकन (Panopticon) के विचार को सत्ता और सर्विलांस के लिए एक रूपक के रूप में इस्तेमाल किया। पैनोप्टिकन एक ऐसी जेल संरचना है जिसमें एक केंद्रीय टावर से सभी कैदियों पर नजर रखी जा सकती है, लेकिन कैदी यह नहीं जानते कि उनकी निगरानी हो रही है या नहीं।
• इस मॉडल में, व्यक्ति स्वयं को लगातार देखे जाने की भावना के कारण अपने व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। यह आत्म-अनुशासन (self-discipline) पैदा करता है, जो सत्ता का एक प्रभावी और सूक्ष्म रूप है।
• फूको का कहना है कि आधुनिक समाज पैनोप्टिकन की तरह काम करता है, जहाँ स्कूल, कार्यस्थल, अस्पताल, और डिजिटल तकनीकें (जैसे सीसीटीवी, इंटरनेट ट्रैकिंग) निरंतर निगरानी के माध्यम से व्यवहार को नियंत्रित करती हैं।
2. सत्ता का उत्पादक स्वरूप:
• फूको के लिए, सत्ता केवल दमनकारी (repressive) नहीं है, बल्कि यह उत्पादक (productive) भी है। सर्विलांस के माध्यम से, सत्ता व्यक्तियों को “सामान्य” (normal) व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
• उदाहरण: स्कूलों में बच्चों की निगरानी (उपस्थिति, होमवर्क, अनुशासन) उन्हें “अच्छे नागरिक” के रूप में ढालती है। इसी तरह, कार्यस्थलों में कर्मचारियों की उत्पादकता की निगरानी सत्ता का एक रूप है।
3. ज्ञान और सत्ता का मेल:
• सर्विलांस ज्ञान इकट्ठा करने का साधन है। उदाहरण के लिए, जनगणना, स्वास्थ्य रिकॉर्ड, या सोशल मीडिया डेटा के माध्यम से सरकारें और निगम व्यक्तियों और जनसंख्या के बारे में जानकारी एकत्र करते हैं।
• यह ज्ञान सत्ता को लागू करने में मदद करता है, क्योंकि यह निर्धारित करता है कि कौन “सामान्य” है और कौन “असामान्य” (जैसे अपराधी, बीमार, या विद्रोही)।
• फूको ने इसे “पावर-नॉलेज” (Power-Knowledge) का संबंध कहा, जहाँ निगरानी से प्राप्त ज्ञान सत्ता को मजबूत करता है।
4. बायोपावर और सर्विलांस:
• जैसा कि पिछले जवाब में बताया गया, बायोपावर जनसंख्या के जीवन को नियंत्रित करने पर केंद्रित है। सर्विलांस इस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उदाहरण के लिए:
• कोविड-19 के दौरान कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप्स और क्वारंटीन निगरानी बायोपावर का हिस्सा थीं।
• स्वास्थ्य नीतियों में, व्यक्तियों की निगरानी (जैसे टीकाकरण की स्थिति) जनसंख्या के स्वास्थ्य को प्रबंधित करने के लिए की जाती है।
आधुनिक संदर्भ में सर्विलांस और सत्ता:
• डिजिटल सर्विलांस: आज के युग में, सोशल मीडिया, स्मार्टफोन, और डेटा ट्रैकिंग (जैसे Google, Facebook) पैनोप्टिकन का एक नया रूप हैं। लोग अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के बारे में जानते हैं कि उनकी निगरानी हो सकती है, जिससे वे अपने व्यवहार को स्वयं नियंत्रित करते हैं।
• राज्य और निगम: सरकारें और निगम डेटा एकत्र करके (जैसे आधार कार्ड डेटा, क्रेडिट स्कोर) व्यक्तियों को वर्गीकृत और नियंत्रित करते हैं।
• सामाजिक मानदंड: सर्विलांस के माध्यम से समाज में “सामान्य” और “असामान्य” की परिभाषाएँ बनाई जाती हैं, जैसे सोशल मीडिया पर क्या स्वीकार्य है या नहीं।
फूको की नजर में इसका महत्व:
• फूको का मानना था कि सर्विलांस आधुनिक सत्ता का एक केंद्रीय तत्व है, जो व्यक्तियों को बिना प्रत्यक्ष बल प्रयोग के नियंत्रित करता है।
• यह प्रक्रिया इतनी सूक्ष्म है कि लोग इसे स्वाभाविक मान लेते हैं और स्वेच्छा से इसका पालन करते हैं, जैसे कार्यस्थल पर समय पर काम करना या सोशल मीडिया पर “उचित” पोस्ट करना।
• हालांकि, फूको यह भी कहते हैं कि जहाँ सत्ता है, वहाँ प्रतिरोध (resistance) भी संभव है। लोग निगरानी के खिलाफ नए तरीकों से अपनी स्वतंत्रता का दावा कर सकते हैं।
आलोचनाएँ:
• कुछ आलोचकों का कहना है कि फूको का सर्विलांस और सत्ता का दृष्टिकोण बहुत निराशावादी है, क्योंकि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कमतर आंकता है।
• दूसरों का मानना है कि डिजिटल युग में सर्विलांस इतना व्यापक हो गया है कि फूको का पैनोप्टिकन मॉडल पूरी तरह लागू नहीं होता, क्योंकि निगरानी अब केंद्रीकृत नहीं, बल्कि विकेंद्रित (decentralized) है।
उदाहरण:
• शिक्षा: स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति, परीक्षा परिणाम, और व्यवहार की निगरानी उन्हें अनुशासित बनाती है।
• कार्यस्थल: कर्मचारियों की उत्पादकता ट्रैक करने के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग।
• डिजिटल युग: सोशल मीडिया पर लोगों की पोस्ट और गतिविधियों की निगरानी, जिससे विज्ञापन लक्षित किए जाते हैं या सामाजिक मानदंड लागू होते हैं।