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माओत्से-तुंग : चीन का लाल सितारा

बीसवीं सदी में विश्व राजनीति में कई बड़े नेताओं ने अपनी-अपनी छाप छोड़ी। इनमें रूस के लेनिन और स्टालिन, भारत के गांधी, अमेरिका के रूजवेल्ट, वियतनाम के हो ची मिन्ह, क्यूबा के फिदेल कास्त्रो और चीन के माओत्से-तुंग के नाम प्रमुख हैं। माओ ने चीन को गरीबी, असमानता और अव्यवस्था से निकालकर एकीकृत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्हें चीन का “लाल सितारा” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने साम्यवाद (Communism) और समाजवाद (Socialism) की राह पर चलते हुए चीन को नई पहचान दी।

1. प्रारंभिक जीवन

माओ का जन्म 26 दिसम्बर 1893 को हुनान प्रांत के एक साधारण किसान परिवार में हुआ।
परिवार खेती करता था। माओ को स्कूल जाने के लिए रोज़ लगभग20 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था।
इस यात्रा ने उन्हें चीन की गरीबी और सामाजिक असमानताओं से परिचित कराया।
1911 में जब डॉ. सन यात-सेन की अगुवाई में राजतंत्र का तख्तापलट हुआ, तो इसका गहरा प्रभाव माओ पर पड़ा।

2. कम्युनिस्ट आंदोलन में प्रवेश

1921 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का गठन हुआ और माओ इसमें शामिल हो गए।
माओ ने किसानों और मजदूरों को क्रांति की असली ताकत माना।
1924-28 के बीच उन्होंने पार्टी को संकीर्णतावाद और अवसरवाद से बचाया और सही दिशा दी।
उनका प्रसिद्ध कथन था:
सत्ता बंदूक की नली से निकलती है।”

3. गुरिल्ला युद्ध और माओ की सैन्य रणनीति

माओ ने चीन की आज़ादी और गृहयुद्ध के समय गुरिल्ला युद्ध (Guerrilla Warfare) को सफलतापूर्वक अपनाया।

प्रमुख सिद्धांत

1. जनता का समर्थन ही असली ताकत है।
2. छोटे-छोटे हमले करो और तुरंत पीछे हट जाओ।
3. लंबी लड़ाई लड़ो, दुश्मन को थकाओ।
4. राजनीति और युद्ध को साथ लेकर चलो।

चीन की क्रांति में महत्व

जापानी आक्रमण और च्यांग काई शेक की सेनाओं के खिलाफ माओ की रणनीति निर्णायक साबित हुई।
लांग मार्च (1934-35), लगभग 9,000 किलोमीटर की ऐतिहासिक यात्रा, माओ की नेतृत्व क्षमता का प्रतीक बनी।

4. सत्ता में आगमन

1949 में चीनी कम्युनिस्टों ने जीत हासिल की और 1 अक्टूबर 1949 को बीजिंग में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना हुई।
माओ इसके पहले अध्यक्ष बने।
उन्होंने भूमि सुधार, शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग को प्राथमिकता दी।

5. माओ की नीतियाँ और योजनाएँ

(क) भूमि सुधार

ज़मींदारों से ज़मीन लेकर किसानों को बाँट दी गई।
ग्रामीण इलाकों में साम्यवाद की नींव रखी गई।

(ख) पीपुल्स कम्यून

1958 में “महान उछाल (Great Leap Forward)” के दौरान पीपुल्स कम्यून बनाए गए।
इसमें खेती, उद्योग, शिक्षा और सेना सबको मिलाकर एक सामुदायिक जीवन का मॉडल अपनाया गया।
परंतु जल्दबाजी और गलत नीतियों के कारण भुखमरी फैली और करोड़ों लोगों की मृत्यु हुई।

(ग) चार कीट अभियान

माओ ने चूहे, मक्खी, मच्छर और खटमल को कृषि का दुश्मन घोषित किया।
इस अभियान से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ा और फसल को और नुकसान हुआ।

(घ) सांस्कृतिक क्रांति (1966-76)

युवाओं को “रेड गार्ड्स” बनाकर पुराने विचारों, परंपराओं और “बुर्जुआ संस्कृति” के खिलाफ खड़ा किया।
इससे अराजकता, हिंसा और शिक्षा संस्थानों का विनाश हुआ।
लाखों लोग उत्पीड़न का शिकार हुए।

6. माओ का व्यक्तित्व

माओ को कविता लिखने और तैरने का शौक था।
उनका विश्वास था: “अगर तैरते वक्त डूबने के बारे में सोचोगे तो डूब जाओगे, लेकिन अगर डूबने का विचार छोड़ दो तो तैरते रहोगे।”
यही जज़्बा उन्होंने राजनीति और क्रांति में दिखाया।
वे बेहद आत्मविश्वासी थे लेकिन बाद में व्यक्तिवाद और तानाशाही की ओर झुक गए।

7. माओ की सफलताएँ

1. चीन को उपनिवेशवाद, सामंती व्यवस्था और गृहयुद्ध से निकालकर एकीकृत राष्ट्र बनाया।
2. महिलाओं को अधिकार दिए और शिक्षा को प्रोत्साहन दिया।
3. विदेशी आक्रमणों (जापान, अमेरिका समर्थित ताकतों) का डटकर मुकाबला किया।
4. किसानों और मजदूरों को संगठित कर समाजवादी व्यवस्था की नींव रखी।
5. चीन को विश्व की महाशक्ति बनने की राह पर डाला।

8. माओ की गलतियाँ और आलोचनाएँ

1. महान उछाल (Great Leap Forward) की असफलता से अकाल पड़ा और लाखों लोग भूख से मरे।
2. सांस्कृतिक क्रांति ने शिक्षा और संस्कृति को गहरी क्षति पहुँचाई।
3. तानाशाही प्रवृत्ति: उन्होंने अपने विचारों को सर्वोच्च मान लिया और आलोचना सहन नहीं की।
4. जनता पर कठोर नियंत्रण और दमनकारी नीतियों के कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ।

9. माओ का ऐतिहासिक महत्व

माओ ने चीन की राजनीति, समाज और संस्कृति को पूरी तरह बदल दिया।
उन्होंने चीन को आत्मनिर्भर बनाया और पश्चिमी ताकतों पर निर्भरता घटाई।
आज भी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी माओ को राष्ट्रपिता जैसी स्थिति देती है।
हालांकि उनकी गलतियों को भी स्वीकार किया जाता है, लेकिन उनका योगदान चीन के आधुनिकीकरण की नींव माना जाता है।

10. निष्कर्ष

माओत्से-तुंग का जीवन विरोधाभासों से भरा था। उन्होंने चीन को गरीबी और विभाजन से निकालकर एक मजबूत राष्ट्र बनाया। उनकी सैन्य रणनीति और राजनीतिक दृष्टि ने चीन को “लाल सितारा” बनाया। परंतु उनकी कुछ नीतियों ने भारी जनहानि और सांस्कृतिक अराजकता पैदा की।
फिर भी, बीसवीं सदी के इतिहास में माओ का स्थान अनोखा और विशिष्ट है। वे न केवल चीन के, बल्कि विश्व के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं।

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