वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में बहुपक्षीयता का दायरा लगातार संकुचित हो रहा है, जिससे नए वैकल्पिक नेतृत्व की संभावनाएँ प्रबल हो रही हैं। अमेरिका अपनी पारंपरिक जिम्मेदारियों से पीछे हटता दिख रहा है, जबकि चीन को लेकर वैश्विक समुदाय में अविश्वास की भावना बनी हुई है। ऐसे में भारत एक स्वाभाविक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर सकता है। इन परिस्थितियों में रायसीना डायलॉग जैसे मंच की प्रासंगिकता और प्रभावशीलता आने वाले समय में और अधिक बढ़ेगी।
रायसीना डायलॉग क्या है?
यह एक वार्षिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है जो भू–राजनीति और भू–अर्थशास्त्र से जुड़े विषयों पर केंद्रित होता है। वैश्विक स्तर पर उत्पन्न चुनौतियों का समाधान खोजना और विभिन्न राष्ट्रों के बीच विचार-विमर्श को बढ़ावा देना इसका प्रमुख उद्देश्य है। इसका प्रारूप शांगरी–ला डायलॉग से प्रेरित है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा से संबंधित चर्चाओं के लिए प्रसिद्ध है।
- यह भारत की “आसूचना कूटनीति“ का हिस्सा है, जो प्रत्यक्ष रूप से प्रदर्शित नहीं होता लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा एवं कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सम्मेलन हर वर्ष नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है। ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) इसे विदेश मंत्रालय के सहयोग से आयोजित करता है।
- यह बहु–हितधारक और अंतर–क्षेत्रीय संवाद मंच है, जिसमें राज्य एवं स्थानीय सरकारों के साथ-साथ नागरिक समाज की भागीदारी होती है।
- इसमें राजनीतिक नेता, कैबिनेट मंत्री, राजनयिक, सैन्य अधिकारी, निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि, मीडिया विशेषज्ञ और शिक्षाविद् शामिल होते हैं।
- यह मंच अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने और वैश्विक चुनौतियों पर विचार-विमर्श के एक प्रभावी मंच के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। इस दसवें संस्करण में न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा कर इसकी गरिमा को और बढ़ाया।
रायसीना डायलॉग 2024: थीम और प्रमुख विषयगत स्तंभ
थीम: “चतुरंग: संघर्ष, प्रतियोगिता, सहयोग, निर्माण” इस वर्ष की थीम वैश्विक शक्ति संतुलन के चार प्रमुख आयामों—संघर्ष, प्रतिस्पर्धा, सहयोग और निर्माण—पर केंद्रित थी, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों और भू-राजनीतिक परिदृश्य को परिभाषित करते हैं।
विषयगत स्तंभ: इस संवाद के दौरान प्रतिभागियों ने छह प्रमुख विषयगत स्तंभों पर गहन विचार-विमर्श किया।
- टेक फ्रंटियर्स: विनियम और वास्तविकताएँ
- उभरती तकनीकों के नियमन और उनकी वास्तविक प्रभावशीलता पर चर्चा।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और डेटा गवर्नेंस की वैश्विक चुनौतियाँ।
- ग्रह के साथ शांति: निवेश और नवप्रवर्तन
- सतत विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नवाचार और निवेश की भूमिका।
- नवीकरणीय ऊर्जा और हरित अर्थव्यवस्था पर वैश्विक सहयोग।
- युद्ध और शांति: शस्त्रागार और विषमताएँ
- वैश्विक सुरक्षा, सैन्य आधुनिकीकरण और हथियारों की होड़ के प्रभाव।
- रणनीतिक स्थिरता और परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रयास।
- उपनिवेशवाद से मुक्ति बहुपक्षवाद: संस्थाएँ और समावेशन
- वैश्विक संस्थानों के लोकतंत्रीकरण और समावेशन पर विचार।
- नव-उपनिवेशवाद की चुनौतियाँ और विकासशील देशों के लिए नए अवसर।
- वर्ष 2030 के बाद का एजेंडा: लोग और प्रगति
- सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के बाद की वैश्विक प्राथमिकताएँ।
- समावेशी आर्थिक नीतियाँ और सामाजिक उत्थान के उपाय।
- लोकतंत्र की रक्षा: समाज और संप्रभुता
- लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और अधिनायकवाद के खिलाफ वैश्विक रणनीति।
- स्वतंत्र मीडिया, मानवाधिकार और नागरिक स्वतंत्रता की चुनौतियाँ।
रायसीना डायलॉग 2024 ने इन स्तंभों के माध्यम से वैश्विक मुद्दों पर बहुआयामी चर्चा को बढ़ावा दिया, जिससे अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और नीति-निर्माण को नई दिशा मिली।
रायसीना डायलॉग जैसे वैश्विक संवाद मंचों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय राजनीति, सुरक्षा, भू-राजनीति, व्यापार और वैश्विक चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना है। दुनिया भर में कई ऐसे हाई-प्रोफाइल संवाद और सम्मेलन आयोजित होते हैं, जो विभिन्न मुद्दों पर देशों, विशेषज्ञों और नीति-निर्माताओं को एक मंच प्रदान करते हैं।
रायसीना डायलॉग 2024: वैश्विक समीकरणों में परिवर्तन
- रायसीना डायलॉग 2024 में इस बात पर चर्चा हुई कि कई वैश्विक संस्थान वर्तमान वैश्विक चुनौतियों से निपटने में अक्षम हो रहे हैं। विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य संस्थाओं की भूमिका पर सवाल उठे। इस संदर्भ में, भारत जैसे देशों के लिए इन संस्थाओं में अधिक प्रभावी भागीदारी और सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया।
- अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी घटनाओं ने वैश्विक समीकरणों को बदल दिया है। इस परिवर्तनशील परिदृश्य में भारत को अपनी नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करना होगा, ताकि वह अपने हितों की रक्षा करते हुए वैश्विक शक्ति संतुलन में अपनी भूमिका को सुदृढ़ कर सके।
- वैश्विक आपूर्ति शृंखला को अधिक लचीला और भरोसेमंद बनाने पर चर्चा की गई। भारत को अपनी विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाकर और व्यापार बाधाओं को कम करके वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को मजबूत करने का अवसर मिलेगा।
- न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री की उपस्थिति से दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता तेज होने की संभावना बढ़ी है। यह समझौता भारत के लिए आर्थिक और व्यापारिक अवसरों को बढ़ाने में सहायक होगा।
- भारत और न्यूजीलैंड ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। यह भारत को क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और अपनी सामरिक स्थिति मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगा।
- अस्थिरता और हिंसा से ग्रस्त वैश्विक परिदृश्य में, भारत ने शांति और समावेशी विकास पर जोर दिया। “वसुधैव कुटुंबकम्” और “विश्व कल्याण” जैसे भारतीय मूल्यों को रायसीना डायलॉग के एजेंडे में प्रमुखता से शामिल किया गया।
- पिछले एक दशक में भारत की अंतरराष्ट्रीय साख में वृद्धि हुई है, और रायसीना डायलॉग ने इसे और मजबूती दी है। भारत को अब अपने अनुकूल वैश्विक नैरेटिव तैयार करने का बेहतर अवसर प्राप्त हो रहा है।
रायसीना डायलॉग जैसे प्रमुख वैश्विक संवाद मंच:
- म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (Munich Security Conference – MSC, जर्मनी): इसकी स्थापना 1963, में म्यूनिख, जर्मनी में हुई। इसका मुख्य विषय वैश्विक सुरक्षा, रक्षा, कूटनीति, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग था। यह सम्मेलन रक्षा और सुरक्षा नीति पर केंद्रित है और इसमें विश्व के प्रमुख नेता, सैन्य अधिकारी, कूटनीतिज्ञ और विशेषज्ञ भाग लेते हैं।
- शांगरी-ला डायलॉग (Shangri-La Dialogue, सिंगापुर): इसकी स्थापना 2002 में सिंगापुर में हुई। इसका मुख्य विषय एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा और सुरक्षा था। यह संवाद एशियाई देशों के रक्षा मंत्रियों और विशेषज्ञों को क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
- दावोस विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum – WEF, स्विट्ज़रलैंड): इसकी स्थापना 1971 में दावोस, स्विट्ज़रलैंड में हुई। इसका मुख्य विषय वैश्विक आर्थिक मुद्दे, व्यापार, जलवायु परिवर्तन, चौथी औद्योगिक क्रांति था। इस मंच पर विश्व के प्रमुख राजनीतिक, औद्योगिक और सामाजिक नेता वैश्विक आर्थिक विकास और नीतियों पर चर्चा करते हैं।
- वल्दाई डिस्कशन क्लब (Valdai Discussion Club, रूस): इसकी स्थापना 2004 में रूस में हुई। इसका मुख्य विषय रूस और वैश्विक राजनीति थी। यह मंच रूस के भू-राजनीतिक दृष्टिकोण को स्पष्ट करने और वैश्विक नीतियों पर चर्चा के लिए बनाया गया है।
- बोआओ फोरम फॉर एशिया (Boao Forum for Asia – BFA, चीन): इसकी स्थापना 2001 में बोआओ, चीन में हुई। इसका मुख्य विषय एशियाई देशों की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियाँ थी। इसे “एशियाई दावोस” भी कहा जाता है और यह एशिया के आर्थिक सहयोग और व्यापारिक नीतियों पर केंद्रित है।
- अस्पेन सिक्योरिटी फोरम (Aspen Security Forum, अमेरिका): इसकी स्थापना 2010 में कोलोराडो, अमेरिका में हुई। इसका मुख्य विषय राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और भू-राजनीतिक रणनीति थी। यह मंच अमेरिका और उसके सहयोगियों के बीच सुरक्षा और रक्षा नीति पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।
- ग्लोबल गवर्नेंस समिट (Global Governance Summit, यूके): इसकी स्थापना लंदन, यूके में हुई। इसका मुख्य विषय वैश्विक शासन, लोकतंत्र, अंतरराष्ट्रीय व्यापार था। यह सम्मेलन वैश्विक शासन और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के प्रभाव पर केंद्रित है।
- फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव (Future Investment Initiative – FII, सऊदी अरब): इसकी स्थापना 2017 में रियाद, सऊदी अरब में हुई। इसका मुख्य विषय वैश्विक निवेश, आर्थिक सुधार और नवाचार था। इसे “दावोस इन द डेजर्ट” भी कहा जाता है और यह मध्य पूर्व के आर्थिक विकास और निवेश को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जाता है।
- त्रैक 5 डायलॉग्स (Track 1.5 Dialogues): इसको विभिन्न देशों में आयोजित किया गया। इसका मुख्य विषय सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के बीच संवाद करना था। इसमें सरकारी अधिकारी और थिंक टैंक के विशेषज्ञ मिलकर सुरक्षा और रणनीति पर चर्चा करते हैं।
- इंडो-पैसिफिक बिजनेस फोरम (Indo-Pacific Business Forum – IPBF): इसको विभिन्न इंडो-पैसिफिक देशों में आयोजित किया गया। इसका मुख्य विषय आर्थिक सहयोग, व्यापार और निवेश करना था अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के बीच व्यापारिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित मंच है।
निष्कर्ष
रायसीना डायलॉग की तरह दुनिया भर में कई उच्च-स्तरीय संवाद होते हैं, जो वैश्विक चुनौतियों, सुरक्षा, आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करते हैं। रायसीना डायलॉग 2024 भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ, जहां उसने वैश्विक राजनीति, व्यापार, सुरक्षा और बहुपक्षीय संस्थानों में अपनी भूमिका को परिभाषित करने का अवसर प्राप्त किया। यह भारत के कूटनीतिक, आर्थिक और सामरिक स्थिति को और सशक्त करने में सहायक सिद्ध होगा।