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राल्स के न्याय सिद्धांत में ‘सामाजिक अनुबंध

Rawls के न्याय सिद्धांत में ‘सामाजिक अनुबंध’

1. सामाजिक अनुबंध की प्रेरणा और आधार

जॉन रॉल्स का न्याय सिद्धांत पारंपरिक सामाजिक अनुबंध सिद्धांत (Social Contract Theory) से गहराई से प्रभावित है, जैसा कि इमैनुएल कांट, लॉक और रूसो ने प्रतिपादित किया था। रॉल्स ने इस अनुबंध की अवधारणा को आधुनिक संदर्भ में पुनर्परिभाषित किया और इसे न्याय के सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया।

2. मूल स्थिति (Original Position) और अज्ञान का पर्दा (Veil of Ignorance)

रॉल्स ने न्याय के सिद्धांत को स्थापित करने के लिए ‘मूल स्थिति’ (Original Position) और ‘अज्ञान का पर्दा’ (Veil of Ignorance) की कल्पना की। इसमें सभी व्यक्ति अपनी सामाजिक, आर्थिक, जातीय, लिंग आदि पहचान से अनभिज्ञ रहते हैं। इस स्थिति में वे ऐसे न्याय के सिद्धांत चुनेंगे, जो निष्पक्ष और सभी के लिए स्वीकार्य हों।

3. न्याय के सिद्धांतों का चयन – अनुबंध की प्रक्रिया

रॉल्स के अनुसार, जब व्यक्ति ‘मूल स्थिति’ में होते हैं, वे अपने-अपने हितों के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए न्यायपूर्ण सिद्धांतों का चयन करते हैं। यह चयन एक काल्पनिक सामाजिक अनुबंध के माध्यम से होता है, जिसमें सभी व्यक्ति स्वतंत्र और विवेकी होते हैं।
इस प्रक्रिया में दो मुख्य सिद्धांत सामने आते हैं:

  • समान स्वतंत्रता का सिद्धांत: सभी को समान मौलिक स्वतंत्रता प्राप्त हो।

  • भेदमूलक सिद्धांत (Difference Principle): सामाजिक-आर्थिक असमानता तभी उचित है जब वह सबसे कमजोर वर्ग के लिए अधिकतम लाभकारी हो।

4. न्याय का वितरणात्मक दृष्टिकोण और अनुबंध

रॉल्स के अनुसार, न्याय का अर्थ है – समाज में प्राथमिक वस्तुओं (जैसे अधिकार, स्वतंत्रता, अवसर, संपत्ति, आत्मसम्मान) का न्यायपूर्ण और निष्पक्ष वितरण। यह वितरण तभी संभव है जब समाज के सभी सदस्य एक काल्पनिक अनुबंध के तहत उन सिद्धांतों को स्वीकार करें, जो सभी के लिए लाभकारी हो।

5. उपयोगितावाद की आलोचना और अनुबंध का महत्व

रॉल्स ने उपयोगितावादी (Utilitarian) दृष्टिकोण की आलोचना की, क्योंकि उसमें अल्पसंख्यकों के अधिकारों की अनदेखी हो सकती है। इसके विपरीत, सामाजिक अनुबंध का सिद्धांत सभी व्यक्तियों की स्वतंत्रता और समानता को प्राथमिकता देता है।

6. निष्पक्षता (Fairness) की अवधारणा

रॉल्स के अनुसार, सामाजिक अनुबंध के आधार पर चुने गए न्याय के सिद्धांत निष्पक्षता को सुनिश्चित करते हैं। यह निष्पक्षता तभी संभव है जब सभी लोग बिना किसी पूर्वाग्रह के, समान स्थिति में, न्याय के सिद्धांतों का चयन करें।

           रॉल्स के न्याय सिद्धांत में सामाजिक अनुबंध का केंद्रीय महत्व है। यह सिद्धांत मानता है कि न्याय के सिद्धांतों का चयन एक काल्पनिक अनुबंध के माध्यम से, सभी के लिए निष्पक्ष और स्वीकार्य तरीके से होना चाहिए। इससे समाज में समानता, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय की स्थापना संभव होती है।

महत्वपूर्ण प्रश्न

जॉन रॉल्स के अनुसार न्याय के दो सिद्धांत क्या हैं?

रॉल्स के अनुसार, न्याय का पहला सिद्धांत यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को उन अधिकारों और स्वतंत्रताओं का अधिकार है जो अन्य सभी के समान हैं, जहाँ तक संभव हो (असमानता पैदा किए बिना)। दूसरा सिद्धांत यह है कि सामाजिक-आर्थिक असमानता तभी स्वीकार्य है जब यह उन पदों से जुड़ी हो जो सभी के लिए खुले हों और समाज में सबसे कम संपन्न लोगों के लिए लाभकारी हों।

जॉन रॉल्स के अनुसार न्याय क्या है?

रॉल्स के अनुसार, न्याय की सहज धारणा यह है कि समाज में व्यक्ति समान हैं, जो स्वयं निष्पक्ष सहयोग की व्यवस्था है। इस प्रकार, उनका मानना ​​है कि, कम से कम, न्याय का अर्थ एक निश्चित प्रकार की समानता होगी जो समाज के सदस्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है।

न्याय के सिद्धांत का उद्देश्य क्या है?

राजनीतिक दर्शन के एक कार्य के रूप में, रॉल्स न्याय के सिद्धांत को विमर्श के लिए सहमत आधार स्थापित करने के रूप में देखते हैं। उन्हें यह भी उम्मीद थी कि यह नागरिकों को अपने सामाजिक संसार में खुद को उन्मुख करने में मदद करेगा ताकि उन्हें न्यायपूर्ण तरीके से कार्य करने के तरीके के बारे में स्पष्ट तस्वीर मिल सके। इसके अलावा, यह लोगों को अपने संस्थानों में निहित तर्कसंगतता को देखने के लिए एक मार्गदर्शक देकर उन्हें अपने संस्थानों के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद करेगा, बशर्ते कि वे न्यायपूर्ण हों।

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