in

रेंसिस लिकर्ट प्रबंधन प्रणाली के सिद्धांत

चार प्रबंधन प्रणालियाँ (Systems 1-4)

रेंसिस लिकर्ट (Rensis Likert) एक प्रसिद्ध अमेरिकी सामाजिक मनोवैज्ञानिक (Social Psychologist) और संगठनात्मक सिद्धांतकार (Organizational Theorist) थे। उनका शोध कार्य विशेष रूप से मानव व्यवहार, नेतृत्व शैली, और संगठनात्मक प्रबंधन प्रणालियों पर केंद्रित था। लोक प्रशासन और प्रबंधन शास्त्र (Public Administration & Management) में उनका योगदान अत्यंत प्रभावशाली रहा है।

लिकर्ट का दर्शन (Philosophy)

“संगठन की सफलता उसकी मानव संसाधन की गुणवत्ता और उसमें भागीदारी पर निर्भर करती है।”

  • लिकर्ट ने यह माना कि कर्मचारियों की भागीदारी से संगठन की उत्पादकता और नवाचार क्षमता बढ़ती है।
  • उन्होंने मानवकेंद्रित नेतृत्व (Human-Centric Leadership) को बढ़ावा दिया।

रेंसिस लिकर्ट की चार प्रबंधन प्रणालियाँ (Systems 1-4)

रेंसिस लिकर्ट (1961) ने प्रबंधन की चार प्रणालियों का प्रतिपादन किया जो प्रबंधकीय नेतृत्व और संगठनात्मक प्रभावशीलता को दर्शाती हैं:

  1. शोषकअधिकारिक (Exploitive-Authoritative)
    • कर्मचारी भय और सजा के आधार पर कार्य करते हैं।
    • निर्णय पूरी तरह ऊपर से होते हैं।
    • यह प्रणाली प्रबंधन की सबसे निचली (System 1) और तानाशाही रूप है।
    • सार्वजनिक प्रशासन दृष्टिकोण से यह प्रणाली वाइबर (Max Weber) के कठोर नौकरशाही मॉडल के करीब है, जहाँ नियमों की प्रधानता होती है, मानवीय पक्ष की नहीं।
  2. परोपकारीअधिकारिक (Benevolent-Authoritative)
    • थोड़ी सहानुभूति और सीमित भागीदारी होती है।
    • लेकिन फिर भी नियंत्रण ऊपर से ही होता है।
    • यह प्रणाली ह्यूमन रिलेशन स्कूल के कुछ सिद्धांतों से मिलती-जुलती है, जैसे कि एल्टन मेयो के प्रयोग जिनमें कर्मचारियों की भावनाओं की भूमिका मानी गई थी।
    • यह System 2 है।
  3. परामर्शी प्रणाली (Consultative System)
    • अधीनस्थों से सुझाव लिए जाते हैं।
    • निर्णयों में कुछ हद तक भागीदारी होती है।
    • यह System 3 है।
  • क्रिस अर्जीरिस जैसे विचारकों की “परिपक्वता” अवधारणा से मेल खाती है, जहाँ कर्मचारियों को परिपक्व समझा जाता है और उनकी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाता है।
  1. सहभागी प्रणाली (Participative System)
    • निर्णय निर्माण में कर्मचारियों की पूरी भागीदारी होती है।
    • सबसे लोकतांत्रिक और प्रभावी प्रणाली मानी जाती है।
    • यह System 4 है।
  • क्रिस अर्जीरिस जैसे विचारकों की ‘परिपक्वता’ अवधारणा से मेल खाती है, जहाँ कर्मचारियों को परिपक्व समझा जाता है और उनकी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाता है।

लिकर्ट का System 4 (Participative System) मानव केन्द्रित दर्शन पर आधारित है।

  • सभी कर्मचारियों को निर्णय निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल किया जाता है।
  • “Linking Pin” मॉडल के ज़रिए हर स्तर पर संवाद और उत्तरदायित्व सुनिश्चित किया जाता है।
  • संगठन में “सिर्फ टॉप-डाउन” आदेश प्रणाली नहीं होती, बल्कि सहयोग और सलाह का माहौल होता है।

लोक प्रशासन के परिप्रेक्ष्य में लिकर्ट दर्शन का प्रभाव

  • पारंपरिक नौकरशाही मॉडल, जो नियमों और आदेशों पर आधारित था, उसे लोकतांत्रिक, सहभागी प्रशासन में बदलने की प्रेरणा दी।
  • यह दर्शन New Public Administration (NPA) और Governance through Participation जैसी अवधारणाओं में झलकता है।
  • इसमें नागरिक और अधिकारी दोनों को निर्णय प्रक्रिया में सहभागी मानने की वकालत की जाती है।

लिकर्ट दर्शन का सार

सिद्धांतविवरण
मानव-केंद्रिततासंगठन में कर्मचारियों को केवल संसाधन नहीं, बल्कि मूल्यवान भागीदार माना जाए
भागीदारीनिर्णय लेने की प्रक्रिया में कर्मचारियों की भागीदारी ज़रूरी है
संवादप्रभावी संचार संगठनात्मक स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है
प्रेरणाआंतरिक प्रेरणा (Intrinsic Motivation) अधिक टिकाऊ और प्रभावी होती है
नेतृत्वप्रभावी नेतृत्व वही है जो कर्मचारियों को सशक्त बनाए

महत्वपूर्ण पुस्तकें

  1. A Technique for the Measurement of Attitudes (1932)
    यह पुस्तक उनके प्रसिद्ध “लिकर्ट स्केल” की नींव रखती है, जिसमें उन्होंने मानव दृष्टिकोणों (attitudes) को मापने के लिए पाँच-बिंदु पैमाने की तकनीक विकसित की।
  2. New Patterns of Management (1961)
    इस पुस्तक में लिकर्ट ने प्रबंधन की चार प्रणालियों (System 1–4) का प्रतिपादन किया और बताया कि संगठनात्मक प्रभावशीलता कैसे नेतृत्व की शैली पर निर्भर करती है।
  3. The Human Organization: Its Management and Value (1967)
    इस कृति में लिकर्ट ने संगठन में मानवीय संबंधों की भूमिका, सहभागिता आधारित नेतृत्व, और टीम आधारित निर्णय-निर्माण की गहराई से व्याख्या की।

 

 

 

 

What do you think?

चोल वंश का इतिहास: भारत की सॉफ्ट पॉवर का इतिहास

थाइलैंड बनाम कंबोडिया:एक नया संघर्ष