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विदेश नीति के निर्धारक तत्व

विदेश नीति किसी भी राष्ट्र की बाहरी दुनिया से संबंधों को संचालित करने वाली नीति है। इसके निर्धारण में अनेक कारक (Determinants) प्रभाव डालते हैं। प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं—

1.भौगोलिक परिस्थितियाँ (Geographical Factors)

किसी देश का स्थान, सीमा, जलवायु, समुद्र से निकटता, पर्वत, प्राकृतिक संसाधन आदि उसकी विदेश नीति पर प्रभाव डालते हैं।

उदाहरण:भारत की विदेश नीति पर हिमालय का होना (रक्षा नीति) और हिंद महासागर से जुड़ाव (समुद्री नीति) का बड़ा असर है।रूस का विशाल क्षेत्र और ठंडा मौसम उसकी सुरक्षा और रक्षा-केन्द्रित विदेश नीति को प्रभावित करता है।

2. राजनीतिक तत्त्व (Political Factors)

किसी देश की राजनीतिक व्यवस्था, शासन प्रणाली, नेतृत्व, राजनीतिक स्थिरता आदि विदेश नीति के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उदाहरण:

भारत में लोकतंत्र होने के कारण उसकी विदेश नीति शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और पंचशील पर आधारित रही।

शीत युद्ध के समय सोवियत संघ की साम्यवादी विचारधारा ने उसकी विदेश नीति को अमेरिका-विरोधी बनाया।

3. आर्थिक तत्त्व (Economic Factors)

किसी देश की आर्थिक क्षमता, प्राकृतिक संसाधन, उद्योग, व्यापार, तकनीकी विकास, ऊर्जा संसाधन आदि विदेश नीति को प्रभावित करते हैं।

उदाहरण:खाड़ी देशों की विदेश नीति उनके तेल-निर्यात पर आधारित है।चीन की “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव” उसकी आर्थिक शक्ति और निवेश नीति को दर्शाती है।भारत भी ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से ईरान और खाड़ी देशों से संबंध बनाए रखता है।

4. अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियाँ (International Situation / World Conditions)वैश्विक शक्ति संतुलन, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, मित्रता और शत्रुता के संबंध, युद्ध या शांति, आतंकवाद, जलवायु संकट आदि भी विदेश नीति को प्रभावित करते हैं।उदाहरण:शीत युद्ध के समय भारत ने “गुटनिरपेक्ष आंदोलन” (NAM) अपनाया।9/11 हमलों के बाद अमेरिका ने आतंकवाद-निरोधी विदेश नीति को प्राथमिकता दी।जलवायु परिवर्तन के कारण आज कई देशों की विदेश नीति ग्रीन एनर्जी सहयोग की ओर बढ़ रही है।
5 आर्थिक परिस्थितियाँ (Economic Factors)
किसी भी राष्ट्र की आर्थिक स्वावलंबन क्षमता विदेश नीति का मुख्य आधार होती है।

यदि कोई राष्ट्र आर्थिक रूप से मज़बूत है, तो वह स्वतंत्र विदेश नीति चला सकता है।

इसके विपरीत, कमज़ोर अर्थव्यवस्था वाले राष्ट्र को दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।

उदाहरण:अमेरिका और चीन की मज़बूत अर्थव्यवस्था उन्हें विश्व राजनीति में निर्णायक भूमिका देती है।

दूसरी ओर नेपाल या भूटान जैसे छोटे देश अपनी विदेश नीति में काफी हद तक भारत या अन्य शक्तिशाली देशों पर निर्भर रहते हैं।

6 शासन पर चरित्र (Nature of Government)

किसी राष्ट्र की शासन-व्यवस्था उसकी विदेश नीति को प्रभावित करती है।

लोकतांत्रिक देशों की विदेश नीति में जनमत, संसद, मीडिया और मानवाधिकारों की भूमिका होती है।

साम्यवादी अथवा अधिनायकवादी देशों में विदेश नीति अक्सर शासक वर्ग या दल के हितों पर केंद्रित होती है।

उदाहरण:भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में संसद और जनमत विदेश नीति के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

वहीं उत्तर कोरिया जैसे अधिनायकवादी देश में विदेश नीति केवल शासक की विचारधारा और हितों से संचालित होती है।

7 सामाजिक आवश्यकताएँ (Social Factors)

किसी राष्ट्र की सामाजिक संरचना, धार्मिक मान्यताएँ, सांस्कृतिक धरोहर और मूल्य प्रणाली भी विदेश नीति पर असर डालते हैं।

यदि समाज उदार और प्रगतिशील है तो उसकी विदेश नीति भी सहयोगात्मक होगी।

वहीं अगर समाज रूढ़िवादी या अलगाववादी है तो विदेश नीति भी उसी दिशा में झुकी होगी।

उदाहरण:

भारत की विदेश नीति पर “अहिंसा और सह-अस्तित्व” जैसे सांस्कृतिक मूल्यों का प्रभाव है।

सऊदी अरब जैसे इस्लामी देशों की विदेश नीति में धार्मिक-सांस्कृतिक कारकों की गहरी छाप है।

8 वैज्ञानिक व तकनीकी आवश्यकताएँ (Scientific & Technological Factors)

आज की दुनिया में किसी भी देश की विदेश नीति उसके वैज्ञानिक और तकनीकी विकास से प्रभावित होती है।

तकनीकी प्रगति रक्षा, अंतरिक्ष, संचार, ऊर्जा और औद्योगिक क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभाती है।

उदाहरण:

भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम (ISRO) और परमाणु तकनीक ने उसकी विदेश नीति को मज़बूती दी है।

अमेरिका की तकनीकी श्रेष्ठता उसे वैश्विक राजनीति में नेतृत्व की स्थिति देती है।

चीन का 5G और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में विकास उसकी विदेश नीति का अहम हिस्सा है।

 

9 वैचारिक तत्व (Ideological Factors)

किसी देश की विदेश नीति उसकी विचारधारा और मूल्यों से भी निर्धारित होती है।

लोकतंत्र, समाजवाद, साम्यवाद, धार्मिक मूल्य आदि विदेश नीति के निर्णयों में झलकते हैं।

उदाहरण:

भारत की विदेश नीति गुटनिरपेक्षता और पंचशील पर आधारित रही।

शीत युद्ध के समय सोवियत संघ की विदेश नीति साम्यवाद की विचारधारा से संचालित थी।

अमेरिका लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा को अपनी विदेश नीति में प्राथमिकता देता है।

निष्कर्ष

विदेश नीति का निर्धारण किसी एक तत्व से नहीं होता, बल्कि अनेक कारकों के सम्मिलन से होता है—

भौगोलिक,

राजनीतिक,

आर्थिक,

सामाजिक-सांस्कृतिक,

वैज्ञानिक-तकनीकीऔर वैचारिक।

इन सभी कारकों के संतुलन और आपसी प्रभाव से ही कोई भी राष्ट्र अपनी विदेश नीति को नए-नए रूपों में ढालता है।


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