क्या है मामला?
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो कथित तौर पर भारत में एक अनौपचारिक राजनीतिक शरण में हैं, के प्रत्यर्पण के लिए बांग्लादेश सरकार की ओर से भारतीय विदेश मंत्रालय को एक राजनयिक नोट प्राप्त हुआ है।
न केवल शेख हसीना, बल्कि उनके कई सांसद और कई अवामी लीग के नेता अपने परिवारों के साथ कोलकाता, दिल्ली और अन्य शहरों में शरण लिए हुए हैं।उनमें से कई पर्यटक वीजा पर आए हुए हैं, जबकि कुछ मेडिकल वीजा पर भी आए हुए हैं।
हालांकि भारत ने प्रत्यर्पण की मांग पर अभी तो कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन हमें समझना होगा कि भारत के पास क्या विकल्प मौजूद हैं?
क्या कहती है संशोधित प्रत्यर्पण संधि (2016)?
भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि पर शुरुआत में 2013 में हस्ताक्षर किए गए और 2016 में संशोधित किया गया, यह एक रणनीतिक उपाय था जिसका उद्देश्य दोनों देशों की साझा सीमाओं पर उग्रवाद और आतंकवाद के मुद्दे को संबोधित करना था।
2016 में, संसद में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उस समय के देश मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत एमजे अकबर ने कहा था, “सार्क देशों में, भारत की नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ प्रत्यर्पण संधियां हैं।श्रीलंका के साथ भी एक प्रत्यर्पण व्यवस्था मौजूद है।
इन द्विपक्षीय संधियों के अलावा, 1987 में आतंकवाद के दमन और संबंधित प्रत्यर्पणों पर सार्क क्षेत्रीय सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए गए थे।इस सम्मेलन के लिए एक अतिरिक्त प्रोटोकॉल पर 2004 में हस्ताक्षर किए गए थे।
28 जुलाई 2016 को भारत और बांग्लादेश ने द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 10 (3) में संशोधन करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।ताकि दोनों देशों के बीच भगोड़े अपराधियों के शीघ्र प्रत्यर्पण की सुविधा मिल सके।
प्रत्यर्पण संधि का अपवाद क्या है?
हालांकि संशोधित प्रत्यर्पण संधि में अनुच्छेद 8 – प्रत्यर्पण से इनकार करने के आधार को स्पष्ट किया गया है।इसके तहत किसी व्यक्ति को प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता है, यदि अनुरोधित राज्य को यह लगे कि सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, उसे प्रत्यर्पित करना अन्यायपूर्ण या दमनकारी होगा।
असाधारण परिस्थितियों में भारत किसी राजनीतिक नेता को प्रत्यर्पित करने से इनकार कर सकता है, खासकर जब उसकी जान को खतरा हो या निष्पक्ष सुनवाई पर संदेह हो
भारत के लिए चिंता क्या?
भारत को यह भी सुनिश्चित करना है कि हसीना के प्रति उसका समर्थन उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों, खासकर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और अंतरिम सरकार के प्रति खुले तौर पर दुश्मनी में न बदल जाए।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का पाकिस्तान की ओर बढ़ता झुकाव भारत के लिए तथा as a whole इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए चिंताजनक हो जाएगा।साथ ही चीन का बांग्लादेश के अंदर जड़ें जमाना भारत के लिए खतरे की घंटी है।
भारत के पास सबसे बेहतर विकल्प क्या होगा?
भारत इस मामले में एक कूटनीतिक समाधान की तलाश कर रहा है और शेख हसीना के लिए किसी तीसरे देश में शरण देने की संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है। यह विकल्प बांग्लादेश के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों में संतुलन बनाए रखने और राजनीतिक तनाव कम करने में मदद कर सकता है.