भारत में डेयरी उद्योग कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा व्यवसाय है, जो न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख आधार है, बल्कि लाखों किसानों की आजीविका का प्रमुख स्रोत भी है। 1970 के दशक में “श्वेत क्रांति” ने भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया और आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन चुका है। इस विरासत को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने “श्वेत क्रांति 2.0” की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य दुग्ध उत्पादन में वृद्धि, पशुधन के आनुवंशिक उन्नयन और डेयरी अवसंरचना को सुदृढ़ करना है।
श्वेत क्रांति 2.0 का उद्देश्य
भारत सरकार का पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) इस क्रांति का प्रमुख संचालक है। श्वेत क्रांति 2.0 का मुख्य उद्देश्य देश में दूध उत्पादन और गोजातीय पशुओं की उत्पादकता को बढ़ाना है। इस पहल के माध्यम से देशी नस्लों के संरक्षण, उनके विकास और गोजातीय आबादी के आनुवंशिक सुधार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार ने इस दिशा में कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य 2028-29 तक सहकारी क्षेत्र की दूध खरीद को 1,007 लाख किलोग्राम/दिन तक ले जाना है।
दुग्ध उत्पादन में प्रमुख राज्यों की स्थिति: वर्ष 2023-24
क्र. सं. | राज्य | दुग्ध उत्पादन (000 टन) | प्रति व्यक्ति उपलब्धता (ग्राम/दिन) | दूध बिक्री (लाख लीटर/दिन) |
1 | आंध्र प्रदेश | 13,994 | 719 | 14.27 |
2 | बिहार | 12,853 | 277 | 14.78 |
3 | गुजरात | 18,312 | 700 | 65.84 |
4 | कर्नाटक | 13,463 | 543 | 52.69 |
5 | महाराष्ट्र | 16,045 | 347 | 49.65 |
6 | पंजाब | 14,000 | 1245 | 12.88 |
7 | राजस्थान | 34,733 | 1171 | 29.88 |
8 | उत्तर प्रदेश | 38,780 | 450 | 21.06 |
– | अखिल भारतीय | 2,39,299 | 471 | 438.25 |
श्वेत क्रांति प्रथम क्या थी?
भारत में श्वेत क्रांति ने देश को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया और इसे विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बना दिया। इस क्रांति की शुरुआत 1970 के दशक में हुई, जिसका नेतृत्व डॉ. वर्गीज कुरियन ने किया। अब भारत श्वेत क्रांति 2.0 की ओर बढ़ रहा है, जो तकनीक, नवाचार और सतत विकास पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य केवल दुग्ध उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि किसानों की आय में वृद्धि, आधुनिक तकनीकों का उपयोग और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत को मजबूत बनाना है।
1960 के दशक में भारत में दूध की भारी कमी थी। देश को अपनी आवश्यकताओं के लिए विदेशों से दूध पाउडर और अन्य दुग्ध उत्पादों पर निर्भर रहना पड़ता था। इस समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की स्थापना की गई और ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम शुरू हुआ।
ऑपरेशन फ्लड के तीन चरण:
- पहला चरण (1970-1980): दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की नींव रखी गई।
- दूसरा चरण (1981-1985): डेयरी सहकारी समितियों का विकास और बाजार व्यवस्था में सुधार।
- तीसरा चरण (1985-1996): भारत दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बना।
इस अभियान के कारण भारत ने अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बनने की उपलब्धि हासिल की।
श्वेत क्रांति 2.0: एक नई शुरुआत
आज भारत में डेयरी उद्योग नई ऊंचाइयों को छू रहा है। श्वेत क्रांति 2.0 का उद्देश्य इस उपलब्धि को और आगे ले जाना है। इसमें आधुनिक तकनीकों, डिजिटल साधनों और सतत विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
वर्तमान में डीएएचडी के पास दूध की वर्तमान खपत का सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है। लेकिन राष्ट्रीय डेयरी योजना (एनडीपी–I) के तहत 2019 में हुए अध्ययन के अनुसार, भारत में दूध और दूध उत्पादों की कुल खपत 162.4 मिलियन मीट्रिक टन थी।
श्वेत क्रांति 2.0 के अंतर्गत प्रमुख योजनाएं
- राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी): इस योजना के तहत दूध खरीद और प्रसंस्करण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण और सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। इससे डेयरी उद्योग को आधुनिक तकनीक अपनाने में मदद मिल रही है।
- डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एसडीसीएफपीओ) को सहायता: इस पहल का उद्देश्य दुग्ध उत्पादन में संलग्न सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करना है। इससे छोटे और मध्यम स्तर के डेयरी किसानों को बाजार से जोड़ने में सहायता मिल रही है।
- पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ): यह योजना डेयरी उद्योग के बुनियादी ढांचे को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसका उद्देश्य डेयरी उत्पादों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन सुविधाओं को उन्नत करना है।
- दूध उत्पादन में वृद्धि और उपलब्धि: वर्ष 2023-24 में भारत का कुल दूध उत्पादन 30 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो पिछले 10 वर्षों में 63.56% की वृद्धि को दर्शाता है। इस वृद्धि में सरकारी योजनाओं और तकनीकी नवाचारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वर्तमान में 2.35 लाख दुग्ध सहकारी समितियां पूरे देश में कार्यरत हैं, जो किसानों को संगठित करके डेयरी उद्योग को मजबूत कर रही हैं।
- कर्नाटक में डेयरी विकास: कर्नाटक में डेयरी क्षेत्र के विस्तार में कर्नाटक दुग्ध महासंघ (KMF) ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वर्ष 2013-14 में औसत दूध खरीद 61 लाख किलोग्राम/दिन (एलकेजीपीडी) थी, जो 2023-24 में बढ़कर 82.98 एलकेजीपीडी हो गई।
श्वेत क्रांति 2.0 के प्रमुख उद्देश्य
- दूध उत्पादन में वृद्धि: नई तकनीक के उपयोग से उत्पादकता बढ़ाना।
- किसानों की आय में सुधार: किसानों को उचित मूल्य दिलाना और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करना।
- प्रसंस्करण और विपणन में सुधार: आधुनिक डेयरी संयंत्रों की स्थापना से दूध और डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता और वितरण को बेहतर बनाना।
- डिजिटलीकरण: दूध संग्रह और वितरण में डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करना।
- नवाचार को बढ़ावा: जैव-प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करना।
भविष्य की रणनीति और लक्ष्य
- सहकारी क्षेत्र का विस्तार: सरकार 2028-29 तक सहकारी क्षेत्र की दूध खरीद को 1,007 लाख किलोग्राम/दिन तक ले जाने का लक्ष्य रख रही है।
- तकनीकी नवाचार: दूध उत्पादन बढ़ाने और गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, और बायोटेक्नोलॉजी जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाया जा रहा है।
- किसानों को उचित मूल्य प्रदान करने के लिए मूल्य स्थिरीकरण योजनाएं लागू की जा रही हैं।
निष्कर्ष:
श्वेत क्रांति 2.0 न केवल भारत को दूध उत्पादन में वैश्विक नेता बनाए रखने में सहायक है, बल्कि इससे लाखों किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार भी हो रहा है। सरकारी योजनाओं और डेयरी सहकारी समितियों के सतत प्रयासों से आने वाले वर्षों में भारत का डेयरी उद्योग और अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर बनेगा। अंत: श्वेत क्रांति 2.0 केवल दुग्ध उत्पादन का विस्तार नहीं, बल्कि एक समावेशी और टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ने की क्रांति है।