भारतीय संविधान की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह संघीय ढांचे (Federal Structure) को स्थापित करता है। हालांकि, भारत किस प्रकार का संघीय राज्य है, इस पर लंबे समय से बहस होती रही है।
संघवाद क्या है?
- एक संस्थागत प्रणाली जो दो स्तरों की राजनीति को जोड़ती है, अर्थात् केंद्रीय या राष्ट्रीय स्तर और प्रांतीय या क्षेत्रीय स्तर को ‘संघ’ कहा जाता है।
- राजनीति के दोनों सेट अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्र हैं।
- राजनीति के प्रत्येक स्तर पर विशेष कर्तव्य और अधिकार होते हैं।
- लिखित संविधान आम तौर पर होता है जहां आप इस संघवाद की विशिष्टताएं पा सकते हैं।
- इस मामले में लिखित संविधान को सर्वोच्च और दोनों प्रकार की राजनीति के लिए अधिकार का स्रोत माना जाता है।
- किसी भी मामले पर केंद्र और राज्य के बीच असहमति होने पर न्यायपालिका को विवादों को निपटाने का अधिकार है।
- भारतीय संविधान एकात्मक-पक्षपाती संघीय ढांचे की स्थापना करता है। शब्द ‘एकात्मक पूर्वाग्रह’ संघीय सरकार द्वारा आयोजित अवशिष्ट शक्तियों को दर्शाता है।
- भारतीय संघ का गठन और संघ शब्द का चुनाव कैनेडियन संघ के समान है।
- हालाँकि, संविधान संघ शब्द का उपयोग नहीं करता है।
प्रारम्भिक विचार
- जे.बी. कृपलानी (1946, मेरठ अधिवेशन, कांग्रेस अध्यक्ष) ने कहा था कि संविधान संघीय स्वरूप का होना चाहिए और राज्यों को अधिकतम स्वायत्तता (autonomy) दी जानी चाहिए।
- विभाजन (Partition) के बाद परिस्थितियों ने मज़बूत केन्द्र की ज़रूरत को और बढ़ा दिया, लेकिन भारत जैसे विविधताओं वाले देश में संघीय ढांचा भी ज़रूरी था।
- इसलिए संविधान में संघीय ढांचा रखा गया लेकिन केन्द्र को भी पर्याप्त शक्तियाँ दी गईं।
डॉ. अम्बेडकर का दृष्टिकोण
- जब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने प्रारूप संविधान (Draft Constitution) पेश किया, तो उन्होंने कहा कि भारत का संविधान संघीय है।
- हालांकि अनुच्छेद 1 में ‘Union of States’ शब्द है, न कि ‘Federation’।
- संविधान सभा में यह सहमति थी कि केवल एकात्मक (unitary) प्रणाली भारत जैसे विशाल और विविध देश में काम नहीं करेगी।
संघवाद की परिभाषा और भारतीय संदर्भ
- पश्चिमी देशों (अमेरिका, यूएसएसआर आदि) के संघीय मॉडल का अध्ययन किया गया।
- एन. गोपालस्वामी अय्यंगार ने कहा कि संघीय संविधान का मूल सिद्धांत यह है कि केन्द्र और राज्यों की शक्तियों का स्पष्ट विभाजन हो।
- भारत में यह विभाजन पूरी तरह कठोर नहीं रखा गया, क्योंकि परिस्थितियाँ अलग थीं।
- डॉ. अम्बेडकर ने कहा कि भारत का संविधान सामान्य समय में संघीय है, लेकिन आपातकालीन स्थिति (अनुच्छेद 250, 352, 353) में यह एकात्मक (Unitary) रूप भी ले सकता है।
‘Union of States’ क्यों कहा गया?
- अनुच्छेद 1 में भारत को Union of States कहा गया।
- डॉ. अम्बेडकर ने स्पष्ट किया कि भारत का संघ राज्यों के समझौते से नहीं बना है। इसलिए कोई राज्य भारत से अलग नहीं हो सकता।
- संघ (Union) अविभाज्य (indissoluble) है।
- उन्होंने उदाहरण दिया कि दक्षिण अफ्रीका की एकात्मक सरकार को भी Union कहा जाता है।
निष्कर्ष
- भारत संघीय भी है और एकात्मक भी जो समय और परिस्थितियों के अनुसार अपना रूप लेता है।
- भारत तभी प्रगति करेगा जब सभी राज्य प्रगति करेंगे।
- केन्द्र और राज्यों में टकराव संघवाद और लोकतंत्र की नींव को कमजोर करेगा।
- भविष्य की सरकारों को विकेन्द्रीकरण (decentralization) और राज्यों की स्वायत्तता (autonomy) की मांगों को संतुलित तरीके से सुलझाना होगा।
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