➢ लोकतांत्रिक और संवैधानिक शासन प्रणालियों में सरकार के दो मुख्य अंग होते हैं विधानमंडल औरकार्यपालिका । इन दोनों के बीच संबंध के आधार पर शासन की दो मुख्य प्रणालियाँ होती हैं संसदीय प्रणाली और अध्यक्षीय प्रणाली ।जहाँ विधानमंडल और कार्यपालिका आपस में जुड़े होते हैं, उसेसंसदीय प्रणाली कहते हैं जैसे भारत, ब्रिटेन। और जहाँ दोनों अलग-अलग और स्वतंत्र होते हैं, उसे अध्यक्षीय प्रणाली कहते हैं जैसे अमेरिका।
संसदीय प्रणाली
➢ संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका संसद विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी होती है। सरकार संसद के भरोसे पर चलती है। इस प्रणाली की मुख्य विशेषता यह है कि अगर संसद को सरकार पर भरोसा नहीं रहता, तो सरकार को पद से हटना पड़ता है। इस प्रणाली में शासन का संचालन मंत्रिमंडल करता है, इसलिए इसेमंत्रिमंडलीय शासन प्रणाली भी कहा जाता है। इस प्रणाली मेंप्रधानमंत्री सरकार का वास्तविक प्रमुख होता है, जबकि राष्ट्रपति या राजा केवल औपचारिक प्रमुख होता है।
➢ उदाहरण भारत, ब्रिटेन, जापान आदि देशों में यही प्रणाली लागू है।संसदीय प्रणाली में शासन की वास्तविक शक्ति मंत्रिमंडल (Cabinet) के हाथों में होती है। मंत्रिमंडल ही विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी होता है। इस कारण यह प्रणाली मंत्रिमंडलीय शासन-प्रणाली (Cabinet Government) कहलाती है। ग्रेट ब्रिटेन और भारत की शासन प्रणालियाँ संसदीय प्रणाली के सबसे अच्छे उदाहरण हैं। इन देशों में कार्यपालिका या मंत्रिमंडल संसद के प्रति उत्तरदायी होता है। यदि मंत्रिमंडल संसद का विश्वास खो देता है, तो उसे त्यागपत्र देना पड़ता है।
संसदीय शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं
1. प्रतीकात्मक राज्याध्यक्ष इस प्रणाली में एक ऐसा राज्याध्यक्ष होता है, जो केवल औपचारिक और शिष्टाचारिक कार्य करता है। उसके पास वास्तविक राजनीतिक शक्ति नहीं होती।
उदाहरण के लिए
➢ राजा या रानी — ब्रिटेन, जापान
➢ राष्ट्रपति — भारत, जर्मनी, इटली
2. राजनीतिक कार्यपालिका (Political Executive): इसमेंप्रधानमंत्री या चांसलर और उसका मंत्रिमंडल शामिल होता है। यह कार्यपालिका विधानमंडल का हिस्सा होती है और विधानमंडल के विश्वास (Support) पर निर्भर करती है। अगर संसद कार्यपालिका पर से अपना समर्थन वापस ले लेती है, तो सरकार को त्यागपत्र देना पड़ता है।
3. संसदीय शासन प्रणाली में विधानमंडल (Legislature) का चुनावजनता (Electorate) द्वारा किया जाता है। आम नागरिक अपनेमतदान अधिकार के माध्यम से अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं।
4. सामान्यतः विधानमंडल का कार्यकाल निश्चित (Fixed Term) होता है, जैसे भारत में लोकसभा का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। लेकिन, यदि आवश्यकता हो, तो प्रधानमंत्री या चांसलर की सलाह पर राज्याध्यक्ष (जैसे भारत में राष्ट्रपति या ब्रिटेन में राजा/रानी) विधानमंडल को समय से पहले भंग कर सकता है और नए चुनाव कराए जा सकते हैं।
अध्यक्षीय प्रणाली
➢ अध्यक्षीय शासन प्रणाली में कार्यपालिका (Executive) विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी नहीं होती। विधानमंडल कार्यपालिका को पद से नहीं हटा सकता। परंतु इस प्रणाली मेंराष्ट्रपति (President) को निर्धारित अवधि के बाद जनता के सामने जाकर पुनः अपना विश्वास प्राप्त करना पड़ता है।
➢ अध्यक्षीय प्रणाली का सबसे प्रमुख उदाहरण संयुक्त राज्य अमेरिका है। अमेरिका के अलावा फ़िलीपीन्स, लाइबेरिया और मध्य व दक्षिणी अमेरिका के कई देशों में भी यही प्रणाली अपनाई गई है।
➢ अध्यक्षीय प्रणाली में राष्ट्रपति और उसके मंत्रिमंडल का अस्तित्वविधानमंडल के विश्वास पर निर्भर नहीं करता। उन्हें अमेरिकी कांग्रेस जिसमें प्रतिनिधि सभा (House of Representatives) और सीनेट (Senate) शामिल हैं में बोलने या मतदान करने का अधिकार भी नहीं होता।
➢ अमेरिका की शासन प्रणाली में कार्यपालिका और विधानमंडल के बीच बहुत सीमित संबंध होता है। राष्ट्रपति आमतौर पर साल में एक बार कांग्रेस को अपना संदेश देता है। यदि कोई विशेष परिस्थिति हो, तो वह विशेष अधिवेशन भी बुला सकता है। अमेरिका में कार्यपालिका पर नियंत्रण केवल चुनाव के माध्यम से होता है हर चार साल बाद राष्ट्रपति का चुनाव होता है। चुने जाने के बादराष्ट्रपति अपने मंत्रियों को स्वयं चुनता या हटा सकता है, लेकिन इसके लिए उसे सीनेट की स्वीकृति लेनी पड़ती है। सामान्य नियुक्तियों के लिए सीनेट का साधारण बहुमत पर्याप्त होता है।लेकिन अंतरराष्ट्रीय संधियों की स्वीकृति के लिए सीनेट का दो-तिहाई बहुमत जरूरी होता है।
➢ राष्ट्रपति को अपने कार्यकाल के दौरान साधारण रूप से पद से नहीं हटाया जा सकता। हालाँकि, यदि उस पर दुराचार या गंभीर अपराध का आरोप लगे, तो कांग्रेस (विधानमंडल) उसके खिलाफमहाभियोग की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। इस प्रक्रिया के तहत कांग्रेस राष्ट्रपति पर मुकदमा चलाकर उसे पद से हटा सकती है।
अध्यक्षीय शासन प्रणाली की विशेषताएँ:
➢ राष्ट्रपति ही वास्तविक प्रमुख होता है: इस प्रणाली में राष्ट्रपति हीराज्याध्यक्ष (Head of State) और शासनाध्यक्ष (Head of Government) दोनों होता है। यानी, प्रतीकात्मक और वास्तविक दोनों शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होती हैं।
राष्ट्रपति का चुनाव जनता करती है: राष्ट्रपति का चुनाव विधानमंडल नहीं, बल्कि जनता (Electorate) करती है। अमेरिका में नागरिकअपने राष्ट्रपति को निर्वाचक मंडल (Electoral College) के माध्यम से चुनते हैं। ये निर्वाचक मंडल के सदस्य विधानमंडल के सदस्य नहीं होते, बल्कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं। आज के समय में राजनीतिक दलों और मीडिया की ताकत के कारण यह चुनाव लगभग सीधे जनता द्वारा ही माना जाता है।
➢ राष्ट्रपति विधानमंडल का हिस्सा नहीं होता: राष्ट्रपति विधानमंडल (Legislature) का सदस्य नहीं होता, इसलिए विधानमंडल उसे उसके कार्यकाल के दौरान पद से नहीं हटा सकता। केवल महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया के ज़रिए ही राष्ट्रपति को हटाया जा सकता है, और यह बहुत ही दुर्लभ स्थिति होती है।
➢ विधानमंडल को भंग करने का अधिकार नहीं: राष्ट्रपति के पास यह अधिकार नहीं होता कि वह विधानमंडल को समय से पहले भंग (Dissolve) कर दे। आमतौर पर राष्ट्रपति और विधानमंडल दोनों का कार्यकाल निश्चित अवधि के लिए तय होता है।
➢ स्वतंत्र मंत्रिमंडल: राष्ट्रपति अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों (Secretaries) को अपनी इच्छा से नियुक्त या हटाने का अधिकार रखता है। ये मंत्रीविधानमंडल के सदस्य नहीं होते। नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को सीनेट की स्वीकृति (Approval) लेनी होती है, लेकिन हटाने के लिए सीनेट की अनुमति आवश्यक नहीं होती।
| | संसदीय शासन प्रणाली (Parliamentary System) | अध्यक्षीय शासन प्रणाली (Presidential System) |
| राज्याध्यक्ष (Head of State) | प्रतीकात्मक या औपचारिक (जैसे भारत का राष्ट्रपति, ब्रिटेन की रानी) | वास्तविक और कार्यकारी प्रमुख (जैसे अमेरिका का राष्ट्रपति) |
| | | जनता द्वारा प्रत्यक्ष या निर्वाचक मंडल के माध्यम से |
| कार्यपालिका की उत्तरदायित्व | संसद के प्रति उत्तरदायी, अविश्वास प्रस्ताव से हटाई जा सकती है | संसद के प्रति उत्तरदायी नहीं, केवल महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है |
| कार्यपालिका और विधायिका का संबंध | घनिष्ठ संबंध (एक-दूसरे पर निर्भर) | पूर्ण पृथक्करण (Separation of Powers) |
| | संसद के विश्वास पर निर्भर | निश्चित कार्यकाल (Fixed Term) |
| | | |
| विधानमंडल को भंग करने का अधिकार | प्रधानमंत्री को होता है (राज्याध्यक्ष की सहमति से) | |
| | सामूहिक निर्णय, मंत्रिपरिषद की सलाह पर | एक व्यक्ति (राष्ट्रपति) का अंतिम निर्णय |
| | अपेक्षाकृत अस्थिर (सरकार गिर सकती है) | स्थिर (निश्चित कार्यकाल के कारण) |
| दलीय राजनीति (Party Politics) | प्रबल, दलों का सीधा प्रभाव | |
| उत्तरदायित्व (Accountability) | संसद और जनता दोनों के प्रति उत्तरदायी | केवल जनता के प्रति प्रत्यक्ष उत्तरदायी |
| | धीमी, सामूहिक निर्णयों से | |
| | बहुत कम (समूह निर्णय प्रणाली) | अधिक (शक्ति का केंद्रीकरण) |
| | भारत, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, इटली | अमेरिका, फिलीपीन्स, लाइबेरिया |
निष्कर्ष
➢ लोकतांत्रिक और संवैधानिक शासन प्रणालियों में संसदीय प्रणालीऔर अध्यक्षीय प्रणाली दोनों का उद्देश्य जनता की इच्छा के अनुसार शासन चलाना है, लेकिन दोनों की कार्यप्रणाली अलग-अलग होती है।संसदीय प्रणाली में विधानमंडल और कार्यपालिका के बीच घनिष्ठ संबंध होता हैसरकार संसद के प्रति उत्तरदायी होती है और जनता के प्रतिनिधियों के माध्यम से नियंत्रित रहती है। इससे लोकतांत्रिक जवाबदेही बनी रहती है, परंतु सरकार की स्थिरता कभी-कभी प्रभावित हो जाती है।
➢ इसके विपरीत, अध्यक्षीय प्रणाली में शक्ति का पृथक्करण (Separation of Powers) होता है। इसमें राष्ट्रपति को निश्चित कार्यकाल के लिए जनता द्वारा चुना जाता है और वह संसद से स्वतंत्र होकर कार्य करता है। इससे शासन में स्थिरता और त्वरित निर्णय क्षमता आती है, लेकिन कभी-कभी शक्ति के केंद्रीकरण से तानाशाही प्रवृत्ति का खतरा भी बढ़ जाता है। इस प्रकार, संसदीय प्रणाली मेंजवाबदेही और जनसंपर्क अधिक होता है,जबकि अध्यक्षीय प्रणाली मेंस्थिरता और कार्यकुशलता अधिक होती है दोनों प्रणालियाँ अपने-अपने देश की राजनीतिक संस्कृति, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार उपयुक्त मानी जाती हैं।
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