1. उदारवादी लोकतंत्र (Liberal Democracy)
परिचय:
- व्यक्तिगत अधिकारों, स्वतंत्र चुनावों, कानून के शासन और बाजार-आधारित अर्थव्यवस्था पर आधारित।
- सरकार की शक्ति को सीमित करने और संवैधानिक सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर देता है।
प्रमुख विचारक:
- जॉन रॉल्स (John Rawls):
- प्रमुख कृति: ए थ्योरी ऑफ जस्टिस (1971)
- मुख्य विचार: लोकतंत्र न्याय को निष्पक्षता और समानता के सिद्धांतों के माध्यम से बढ़ावा देता है।
- उद्धरण: “न्याय सामाजिक संस्थाओं का पहला गुण है, जैसे सत्य विचार प्रणालियों का।”
- रॉबर्ट डाल (Robert Dahl):
- प्रमुख कृति: डेमोक्रेसी एंड इट्स क्रिटिक्स (1989)
- मुख्य विचार: “पॉलीआर्की” का सिद्धांत, जहां शक्ति कई समूहों में वितरित होती है।
- उद्धरण: “लोकतंत्र की एक प्रमुख विशेषता सरकार की अपने नागरिकों की प्राथमिकताओं के प्रति निरंतर जवाबदेही है।”
2. विचारशील लोकतंत्र (Deliberative Democracy)
परिचय:
- तर्कपूर्ण विचार-विमर्श और सूचित सार्वजनिक संवाद के माध्यम से लोकतंत्र को अधिक प्रामाणिक मानता है।
प्रमुख विचारक:
- जर्गन हैबरमास (Jürgen Habermas):
- प्रमुख कृति: बीटवीन फैक्ट्स एंड नॉर्म्स (1992)
- मुख्य विचार: लोकतंत्र में सार्वजनिक क्षेत्र तर्कसंगत संवाद और सहमति निर्माण के लिए केंद्रीय है।
- उद्धरण: “लोकतंत्र नागरिकों की उस क्षमता पर निर्भर करता है जो समाज को निर्देशित करने वाले मानदंडों पर आलोचनात्मक बहस में भाग ले सके।”
- एमी गुटमैन और डेनिस थॉम्पसन (Amy Gutmann & Dennis Thompson):
- प्रमुख कृति: व्हाई डेलिबरेटिव डेमोक्रेसी? (2004)
- मुख्य विचार: नीतियों को उचित संवाद और परस्पर सम्मान के आधार पर तय किया जाना चाहिए।
- उद्धरण: “विचार-विमर्श सिर्फ संघर्ष को हल करने के लिए नहीं है, बल्कि सभी प्रतिभागियों का सम्मान करते हुए प्राथमिकताओं को बदलने के लिए है।”
3. भागीदारी लोकतंत्र (Participatory Democracy)
परिचय:
- प्रतिनिधि प्रणालियों से आगे जाकर नागरिकों की सीधी और सक्रिय भागीदारी की वकालत करता है।
प्रमुख विचारक:
- कैरोल पेटमैन (Carol Pateman):
- प्रमुख कृति: पार्टिसिपेशन एंड डेमोक्रेटिक थ्योरी (1970)
- मुख्य विचार: नागरिकों की अधिक भागीदारी राजनीतिक प्रभावशीलता और लोकतांत्रिक संस्कृति को गहरा करती है।
- उद्धरण: “भागीदारी उन गुणों को बढ़ावा देती है जो इसके लिए आवश्यक हैं; जितना अधिक व्यक्ति भाग लेते हैं, वे ऐसा करने में उतने ही सक्षम हो जाते हैं।”
- बेंजामिन बार्बर (Benjamin Barber):
- प्रमुख कृति: स्ट्रॉन्ग डेमोक्रेसी: पार्टिसिपेटरी पॉलिटिक्स फॉर ए न्यू एज (1984)
- मुख्य विचार: लोकतंत्र को “मजबूत” होना चाहिए, नागरिकों को सतत भागीदारी में शामिल करना चाहिए।
- उद्धरण: “मजबूत लोकतंत्र नागरिकों द्वारा स्वशासन है, न कि नागरिकों के नाम पर प्रतिनिधि सरकार।”
4. कट्टरपंथी लोकतंत्र (Radical Democracy)
परिचय:
- लोकतंत्र के भीतर संघर्ष, विविधता और शक्ति की गतिशीलता को अपनाने पर जोर देता है।
- असमानताओं और उत्पीड़न को चुनौती देने के लिए लोकतंत्र को निरंतर संघर्ष के रूप में देखता है।
प्रमुख विचारक:
- चैंटल मूफ (Chantal Mouffe):
- प्रमुख कृति: द डेमोक्रेटिक पैराडॉक्स (2000)
- मुख्य विचार: लोकतंत्र को सहमति के बजाय बहुलवाद और प्रतिस्पर्धात्मक संघर्ष (एगोनिज़्म) को स्वीकार करना चाहिए।
- उद्धरण: “प्रतिस्पर्धात्मक संघर्ष विरोधात्मक नहीं है। यह वैध संघर्ष की अनुमति देता है बिना राजनीतिक व्यवस्था को नष्ट किए।”
- एर्नेस्टो लाक्लाउ (Ernesto Laclau):
- प्रमुख कृति: हेजेमनी एंड सोशलिस्ट स्ट्रैटेजी (1985) (चैंटल मूफ के साथ सह-लेखन)
- मुख्य विचार: लोकतांत्रिक पहचान और प्रथाओं की आकस्मिक और निर्मित प्रकृति पर जोर।
- उद्धरण: “लोकतांत्रिक क्रांति को नए व्यक्तित्वों और एकजुटता के नए रूपों को व्यक्त करने के तरीके से पुनर्विचार करना होगा।”
5. उत्तर-लोकतंत्र (Post-Democracy)
परिचय:
- यह बताता है कि आधुनिक लोकतंत्रों में आम जनता की भागीदारी घट रही है और नीतियों को अभिजात वर्ग नियंत्रित कर रहा है।
प्रमुख विचारक:
- कॉलिन क्राउच (Colin Crouch):
- प्रमुख कृति: पोस्ट-डेमोक्रेसी (2004)
- मुख्य विचार: आधुनिक लोकतंत्र औपचारिक रूप से लोकतांत्रिक दिखता है लेकिन शक्तिशाली हित समूहों द्वारा नियंत्रित है।
- उद्धरण: “लोकतंत्र को खोखला कर देना एक ऐसी व्यवस्था छोड़ देता है जो औपचारिक रूप से लोकतांत्रिक है लेकिन प्रभावी रूप से अभिजात वर्ग के प्रभुत्व में है।”
- वेंडी ब्राउन (Wendy Brown):
- प्रमुख कृति: अंडूइंग द डेमोस: नियो-लिबरलिज्म्स स्टेल्थ रिवोल्यूशन (2015)
- मुख्य विचार: नियो-लिबरलिज्म लोकतांत्रिक मूल्यों को बाजार की तर्कशक्ति के माध्यम से नष्ट कर रहा है।
- उद्धरण: “लोकतंत्र को सिर्फ अधिनायकवाद से ही नहीं, बल्कि इसे नियो-लिबरल परियोजना में बदलने से भी नुकसान होता है।”
6. विश्व लोकतंत्र (Cosmopolitan Democracy)
परिचय:
- वैश्विक चुनौतियों (जैसे जलवायु परिवर्तन, अंतरराष्ट्रीय शासन) से निपटने के लिए राष्ट्र-राज्य से परे लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बढ़ाने का प्रस्ताव।
प्रमुख विचारक:
- डेविड हेल्ड (David Held):
- प्रमुख कृति: डेमोक्रेसी एंड द ग्लोबल ऑर्डर (1995)
- मुख्य विचार: वैश्विक संस्थानों में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए “कॉस्मोपॉलिटन डेमोक्रेसी” का प्रस्ताव।
- उद्धरण: “लोकतंत्र को वैश्विक बनना होगा यदि इसे हमारे समय की पारराष्ट्रीय वास्तविकताओं का समाधान करना है।”
- डैनिएल आर्चिबुगी (Daniele Archibugi):
- प्रमुख कृति: द ग्लोबल कॉमनवेल्थ ऑफ सिटिजन्स (2008)
- मुख्य विचार: मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक आदर्शों का सम्मान करने वाले वैश्विक संस्थानों का निर्माण।
- उद्धरण: “वैश्विक समस्याओं के लिए ऐसे लोकतांत्रिक समाधान चाहिए जो राष्ट्रीय सीमाओं से परे हों।”
समकालीन सिद्धांतों में प्रमुख विषय
- बहुलवाद और विविधता:
- लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में विभिन्न पहचान, हितों और संघर्षों को स्वीकार करना।
- वैश्विक और स्थानीय तनाव:
- स्थानीय लोकतांत्रिक प्रथाओं और वैश्विक शासन की आवश्यकता के बीच संतुलन।
- भागीदारी के नए तरीके:
- डिजिटल उपकरण, नागरिक सभाएं, और सहभागी बजट जैसी प्रक्रियाओं को अपनाना।