अमेरिका में आज 5 नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं।दो प्रमुख पार्टियों में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से वर्तमान उप राष्ट्रपति कमला हैरिस चुनावी मैदान में हैं।
क्या है अमेरिकी राष्ट्रपति की चुनावी प्रक्रिया?
अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव एक अप्रत्यक्ष प्रक्रिया है जिसमें यूनाइडेट स्टेट्स के पचास राज्यों के नागरिक अथवा वाशिंगटन डीसी के नागरिक यूएस इलेक्टोरल कॉलेज के कुछ सदस्यों के लिए वोट डालते हैं। इन सदस्यों को इलेक्टर्स कहा जाता है।
इलेक्टर्स को आम चुनाव से पहले उनके जुड़े राजनीतिक दल द्वारा चुना जाता है। इलेक्टर का एकमात्र काम नवंबर के चुनाव के बाद अपने राज्य में बैठक करना और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए एक-एक वोट डालना होता है।
अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव कुल 5 चरणों में होता है। ये हैं प्राइमरी कॉकस, नेशनल कंवेशन, आम चुनाव, इलेक्टोरल कॉलेज और पांचवा शपथ ग्रहण। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्राइमरी और कॉकस दो तरीके हैं जिनसे लोग राज्यों और राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चुनने में मदद करते हैं। अमेरिका के ज्यादातर राज्य राष्ट्रपति चुनाव से 6-9 महीने पहले प्राइमरी चुनाव आयोजित कराते हैं। प्राइमरी के मतदाता सीक्रेट वोटिंग करके गुमनाम रूप से अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुनते हैं।
उम्मीदवारी कंवेंशन की तरफ जाती है जिस दौरान राजनीतिक पार्टियां एक उम्मीदवार चुनती हैं। यह राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार एक उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनता है। ये दोनों उम्मीदवार सारे देश में चुनावी प्रचार में जुट जाते हैं और अपने विचार रखते हैं।
नवंबर में इलेक्शन डे होता है। दिसंबर में चुने हुए इलेक्टर्स इलेक्टोरल कॉलेज के लिए वोट डालते हैं। जनवरी में कांग्रेस इलेक्टोरल वोटों की गिनती करती है। 20 जनवरी को इंऑर्गेरेशन डे होता है। इंऑर्गेरेशन डे से नए राष्ट्रपति का कार्यकाल शुरू होता है।
इलेक्टोरल कॉलेज और इसके चुनावी गणित को कैसे समझें?
इलेक्टोरल कॉलेज और इसकी प्रक्रिया यूएस के संविधान में आर्टिकल 2 के सेक्शन 1 के क्लाज़ 2 और 4 में दी गई है। इसके अलावा बारहवे बदलाव (जिसके द्वारा क्लाज़ 3 को बदला गया था) में भी इस प्रक्रिया का उल्लेख है।
पूरे अमेरिका में कुल 538 इलेक्टर हैं। इनमें से अमेरिका के सभी 50 राज्यों से आबादी के आधार पर 535 इलेक्टर और अमेरिकी राजधानी वाशिंगटन, डीसी (डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया) से तीन अतिरिक्त निर्वाचक होते हैं।
डीसी से अलग इन 535 इलेक्टोरल वोट को समझें तो अमेरिकी संसद की कुल सीटों संख्या 535 है जिनमें से 435 हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (एचओआर) और 100 सीनेट के सदस्य हैं।
नियमों के मुताबिक, हर राज्य में कम से कम एक या अधिक से अधिक आबादी के अनुसार हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव होंगे, जबकि सीनेटर हर राज्य से दो ही होंगे। यानी चुनाव में हर राज्य से कम से कम तीन इलेक्टोरल वोट तो होंगे ही।
राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवारों को कुल 538 में से 270 इलेक्टोरल वोट का बहुमत हासिल करना होता है।
अधिकांश राज्यों में विनर-टेक्स-ऑल सिस्टम लागू होता है। इसका मतलब है कि जो भी प्रत्याशी राज्य में सबसे अधिक वोट हासिल करता है, वह राज्य के सभी इलेक्टोरल वोट जीत लेता है। इसे उदाहरण से ऐसे समझें कि 2020 में करीब चार करोड़ की आबादी वाले राज्य कैलिफोर्निया में कुल 55 इलेक्टोरल वोट थे वहां कुल 1.71 करोड़ लोगों ने वोटिंग की थी। इनमें से 1.11 करोड़ वोट बाइडन के खाते में चले गए और 60 लाख वोट ट्रंप को मिले। अब जब कैलिफोर्निया जैसे अधिकतर राज्यों में विनर-टेक्स-ऑल सिस्टम लागू है तो अधिकतर वोट पाने वाले जो बाइडन कैलिफोर्निया के सभी 55 इलेक्टोरल वोट ले गए।
लोकप्रिय वोट कम फिर भी जीत कैसे?
अमेरिकी इतिहास में पांच राष्ट्रपति ऐसे रहे हैं जिन्हें लोकप्रिय वोट कम मिले और फिर भी चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। ऐसा करने वाले सबसे हाल के राष्ट्रपति 2016 में डोनाल्ड ट्रंप थे। 2016 के चुनाव की बात करें तो हिलेरी क्लिंटन ने देश भर में ट्रंप की तुलना में 28 लाख अधिक वोट जीते थे। हालांकि, क्लिंटन अहम राज्यों में हार गईं, जिससे विनर-टेक्स-ऑल सिस्टम के तहत उन्हें इलेक्टोरल कॉलेज में ट्रंप के 306 के मुकाबले 232 इलेक्टोरल वोट मिले।
वोटर्स की संख्या कितनी है और वोटिंग माध्यम क्या है?
अमेरिका में एक आंकड़े के अनुसार कुल 270 मिलियन वोटर हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 160 मिलियन वोटर ही वोटिंग के लिए रजिस्टर्ड हैं।कुल वोटर्स में लगभग 70 मिलियन से ज्यादा लोग डाक मतपत्रों या व्यक्तिगत मतदान केंद्रों के जरिए वोटिंग करते हैं। बाकी के ये 160 मिलियन वोटर्स मतदान केंद्रों पर जाकर वोटिंग कर रहे हैं। इनमें से 98 प्रतिशत वोटिंग बैलट पेपर से होती है।
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे।
रिपब्लिकन पार्टी के नेता ने राष्ट्रपति चुनाव में जरूरी 270 इलेक्टोरल वोट का बहुमत हासिल कर लिया है। ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को हरा दिया है। डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं। वह अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे
क्यों ऐतिहासिक है ट्रंप की यह जीत?
2016 में अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति बने ट्रंप 2020 के चुनाव में हार गए। ट्रंप से पहले बिल क्लिंटन, जॉर्ज बुश और बराक ओबामा तीनों ने लगातार दो कार्यकाल पूरे किए थे। अमेरिका में ट्रंप से पहले 21 राष्ट्रपति ऐसे रहे जिन्होंने दो बार देश के सर्वोच्च पद का चुनाव जीता। इनमें से सिर्फ एक राष्ट्रपति ऐसे थे जो पहली बार राष्ट्रपति बनने के बाद अगले चुनाव में हार गए। चार साल बाद तीसरी बार चुनाव लड़ा और जीतकर दूसरी बार राष्ट्रपति बने। ट्रंप से पहले ऐसा करने वाले इकलौते राष्ट्रपति का नाम ग्रोवर क्लीवलैंड था। कीवललैंड एक चुनाव हारने के बाद 1892 में दोबारा राष्ट्रपति चुने गए थे। यानी अमेरिका के इतिहास में 132 साल पहली बार पूर्व राष्ट्रपति एक चुनाव हारने के बाद दूसरे चुनाव में निर्वाचित हुआ है.
स्विंग स्टेट में कैसे रहे नतीजे?
अमेरिका में 7 स्विंग स्टेट हैं। ये राज्य ही अमेरिका चुनाव में जीत हार तय करते हैं। दरअसल, जहां अमेरिका के ज्यादातर राज्य पार्टियों के पारंपरिक समर्थन को ही तवज्जो देते हैं, वहीं इन स्विंग स्टेट्स में पार्टियों का समर्थन बदलता रहता है। ऐसे में जो भी उम्मीदवार इन स्विंग स्टेट्स को अपनी तरफ कर लेता है, वह चुनाव में विजेता के तौर पर उभरता है। इसीलिए स्विंग स्टेट्स को राष्ट्रपति उम्मीदवार का भाग्य तय करने वाला माना जाता है।
इन 7 राज्यों में पेंसिलवेनिया, उत्तरी कैरोलिना, जॉर्जिया, मिशिगन, एरिजोना, विस्कॉन्सिन, नेवाडा शामिल हैं। 2020 में इन सात में से छह राज्यों में जो बाइडन को जीत मिली थी। ट्रंप सिर्फ उत्तरी कैरोलिना में जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। इस बार ये सभी राज्य रिपब्लिकन पार्टी के लाल रंग में रंगते दिख रहे हैं। तीन राज्यों पेंसिलवेनिया, उत्तरी कैरोलिना और जॉर्जिया में ट्रंप जीत दर्ज कर चुके
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