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फौकॉल्ट की शक्ति की अवधारणा (Foucault’s concept of power )

मिशेल फुको का शक्ति पर दृष्टिकोण: एक समग्र अवलोकन

मिशेल फुको, एक प्रमुख फ्रांसीसी दार्शनिक और सामाजिक सिद्धांतकार, ने राजनीतिक सिद्धांत में शक्ति की हमारी समझ को गहराई से बदल दिया। उनके विचार पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देते हैं, जो शक्ति को केवल राज्य या विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा wield की गई एक साधन मानती हैं। यहाँ फुको के शक्ति के सिद्धांत का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उनके प्रमुख विचार, उद्धरण, आलोचनाएँ, उनके कामों का संदर्भ और उनकी महत्वपूर्ण पुस्तकें शामिल हैं।

फुको के शक्ति के सिद्धांत के प्रमुख विचार

  1. शक्ति संबंधी है (Relational Power)
    • फुको का तर्क है कि शक्ति कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे कोई व्यक्ति रखता है; बल्कि यह व्यक्तियों के बीच संबंधों और इंटरैक्शनों में मौजूद होती है। वे कहते हैं, “शक्ति को एक ऐसी चीज के रूप में विश्लेषित किया जाना चाहिए जो बहती है… यह एक जाल की तरह संगठन में कार्य करती है” (netlike organization का मतलब जटिल संबंधों का नेटवर्क है)। इसका मतलब यह है कि शक्ति नेटवर्क के माध्यम से बहती है और सभी सामाजिक इंटरैक्शनों में मौजूद होती है।
  2. अनुशासनात्मक शक्ति (Disciplinary Power)
    • फुको “अनुशासनात्मक शक्ति” की अवधारणा पेश करते हैं, जो उन तरीकों को संदर्भित करती है जिनसे संस्थान (जैसे स्कूल, जेल और अस्पताल) व्यवहार को निगरानी (surveillance) और सामान्यीकरण (normalization) के माध्यम से नियंत्रित करते हैं। यह शक्ति सूक्ष्म रूप से कार्य करती है, जिससे लोगों को बिना स्पष्ट बल प्रयोग के conform करने के लिए प्रेरित किया जाता है। वे बताते हैं कि अनुशासनात्मक शक्ति “विषयों की संभावित क्रियाओं का निर्णय करती है” (subjects का मतलब उन व्यक्तियों से है जो किसी प्राधिकरण के अधीन होते हैं) और मानदंडों को लागू करती है।
  3. जीवाशक्ति (Biopower)
    • एक अन्य महत्वपूर्ण अवधारणा जीवाशक्ति है, जो इस बात पर केंद्रित होती है कि सरकारें जनसंख्या को स्वास्थ्य, यौनता और प्रजनन से संबंधित नीतियों के माध्यम से कैसे नियंत्रित करती हैं। जीवाशक्ति जीवन के प्रबंधन पर केंद्रित होती है न कि केवल व्यक्तियों पर नियंत्रण करने पर।
  4. शक्ति/ज्ञान (Power/Knowledge)
    • फुको शक्ति और ज्ञान के बीच गहरे संबंध को प्रस्तुत करते हैं, यह तर्क करते हुए कि ये दोनों एक-दूसरे को आकार देते हैं (co-constitutive का मतलब आपसी रूप से आकार देना)। वे कहते हैं, “सत्य किसी जटिल संबंध की शक्ति/ज्ञान के बाहर नहीं होता,” जिसका अर्थ है कि जो हम सत्य मानते हैं वह सत्ता संरचनाओं द्वारा प्रभावित होता है।
  5. प्रतिरोध (Resistance)
    • फुको यह भी बताते हैं कि जहाँ शक्ति होती है, वहाँ प्रतिरोध भी होता है। उनका कहना है कि लोग दमनकारी प्रणालियों के खिलाफ चुनौती देने और उन्हें उलटने में असमर्थ नहीं होते; इसके बजाय, वे इन प्रणालियों को चुनौती दे सकते हैं। वे कहते हैं, “जहाँ शक्ति होती है, वहाँ प्रतिरोध होता है,” यह शक्ति संबंधों की गतिशीलता को उजागर करता है।
  6. ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context)
    • फुको का विश्लेषण अक्सर ऐतिहासिक संदर्भ में होता है, जिसमें वे विभिन्न प्रकार की शक्तियों के विकास का अध्ययन करते हैं—सर्वाधिकार (sovereign power) से लेकर आधुनिक अनुशासनात्मक और जीवाशक्ति रूपों तक।

महत्वपूर्ण उद्धरण

  • “शक्ति को एक ऐसी चीज के रूप में विश्लेषित किया जाना चाहिए जो बहती है, या एक श्रृंखला के रूप में कार्य करती है।”
  • “जहाँ शक्ति होती है, वहाँ प्रतिरोध होता है।”
  • “सत्य किसी जटिल संबंध की शक्ति/ज्ञान के बाहर नहीं होता।”
  • “अनुशासनात्मक शक्ति विषयों की संभावित क्रियाओं का निर्णय करती है।”
  • “शक्ति हर जगह होती है; न केवल इसलिए कि यह सब कुछ समाहित करती है, बल्कि इसलिए कि यह हर जगह से आती है।”

आलोचनाएँ

  1. शक्ति गतिशीलता में अस्पष्टता:
    • आलोचक तर्क करते हैं कि फुको का शक्ति का विचार अस्पष्ट हो सकता है और स्पष्ट परिभाषाओं की कमी हो सकती है। कुछ विद्वानों का मानना है कि उनके विचार एक सापेक्षवादी दृष्टिकोण की ओर ले जा सकते हैं जहाँ सभी क्रियाएँ शक्तियों के अभिव्यक्तियाँ मानी जाती हैं।
  2. आर्थिक कारकों की अनदेखी:
    • जबकि फुको सामाजिक संबंधों पर जोर देते हैं, कुछ आलोचक तर्क करते हैं कि वे आर्थिक संरचनाओं की भूमिका को समझने में कमी कर सकते हैं। मार्क्सवादी सिद्धांतकार तर्क करते हैं कि आर्थिक संबंध समाज में शक्तियों को समझने में मौलिक होते हैं।
  3. अनुशासनात्मक तंत्रों पर अधिक जोर:
    • कुछ आलोचनाएँ फुको पर केंद्रित होती हैं जो अनुशासनात्मक तंत्रों पर अधिक जोर देते हुए स्पष्ट बल प्रयोग और हिंसा को अनदेखा करते हैं।
  4. प्रतिरोध:
    • हालांकि फुको प्रतिरोध को मान्यता देते हैं, आलोचक तर्क करते हैं कि वे इस बात के लिए पर्याप्त तंत्र प्रदान नहीं करते कि यह प्रतिरोध कैसे प्रभावी ढंग से स्थापित प्रणालियों को चुनौती दे सकता है।

महत्वपूर्ण पुस्तकें

  1. Discipline and Punish: The Birth of the Prison (1975):
    • इस पुस्तक में फुको ने दंड प्रणाली के ऐतिहासिक विकास का अध्ययन किया और बताया कि कैसे पश्चिमी समाजों ने सार्वजनिक शारीरिक दंड से निगरानी और नियंत्रण की सूक्ष्म रूपों में संक्रमण किया।
  2. Madness and Civilization (1961):
    • यह पुस्तक मानसिक बीमारियों के उपचार के इतिहास की गहन और महत्वपूर्ण खोज करती है, मध्य युग से 18वीं शताब्दी तक पागलपन और विवेक के बीच बदलते सीमाओं का पता लगाती है।
  3. The Order of Things (1966):
    • इस पुस्तक में मानव विज्ञानों में ऐतिहासिक परिवर्तनों की दार्शनिक खोज की गई है और यह दिखाया गया है कि ज्ञान कैसे समय के साथ विकसित हुआ।
  4. The History of Sexuality (1976):
    • यह पुस्तक शक्ति और यौन संवाद के बीच जटिल संबंध की खोज करती है, यह तर्क करते हुए कि पश्चिमी समाजों ने यौनता को दबाने के बजाय इसे सार्वजनिक संवाद का विषय बनाया।
  5. The Archaeology of Knowledge (1969):
    • इस काम में फुको ने ज्ञान और इतिहास की संरचना पर ध्यान केंद्रित किया और अपने ऐतिहासिक अध्ययन की विधि को स्पष्ट किया।

उनके विचार हमें यह समझने के लिए प्रेरित करते हैं कि शक्ति केवल अधिकार या बल द्वारा नहीं बल्कि रोज़मर्रा की जिंदगी में संबंधों और संस्थानों के माध्यम से कार्य करती है।फुको का काम आज भी प्रासंगिक बना हुआ है क्योंकि यह शासन, सामाजिक नियंत्रण, पहचान राजनीति और प्रतिरोध आंदोलनों से संबंधित समकालीन मुद्दों का विश्लेषण करने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण प्रदान करता है। 

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