

न्याय सिद्धांत को विकसित करने में अमेरिकी राजनीतिक विचारक जॉनरॉल्स का महत्वपूर्ण योगदान है उन्होंने अपने ग्रंथ ‘ए थ्योरी ऑफ जस्टिस(A Theory of Justice)’ के माध्यम से उदार लोकतंत्र तथा सामा०न्याय के मध्य सामंजस्य स्थापित किया है। जहां एक ओर रॉल्स ने उदारलोकतंत्र का समयन किया तथा दूसरी ओर उसने समाज के दुर्बल वर्गों केहितों को संरक्षण प्रदान किया ।
रॉल्स के अनुसार न्याय ना तो प्राकृतिक कानून है और ना ही तर्क बुद्धि परआधारित है। न्याय का अर्थ है न्याय संगत प्रणाली के आधार पर न्यायसंगत वितरण। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो न्याय निष्पक्षता है।
रॉल्स न्याय निष्पक्षता के विचार में व्यक्ति को महत्वपूर्ण मानते हुए अपनेसिद्धांत में ऐसी स्थिति की कल्पना करते हैं जिसमें व्यक्ति अपनी सामा०और आर्थिक पृष्ठभूमि के बारे में नहीं जानते मनुष्य अपनी आवश्यकताओं, हितों, निपुषताओं, योग्यताओं आदि से बिल्कुल अनभिज्ञ होते हैं वह यहभी नहीं जानते कि समाज में कौन–कौन सी बातें संघर्ष पैदा करती हैं वहयह नहीं जानते कि किस प्रकार के परिवार में जन्म लिए हैं ऊंची जाति सेहैं या निम्न जाति से अमीर हैं या गरीब विशेष अधिकारों से संपन्न हैंअथवा उनसे वंचित। समाज में किस आधार पर भेदभाव किया जाता हैइसका भी ज्ञान नहीं होता। रॉल्स इसे अज्ञान का पर्दा कहते हैं तथा उसेकाल्पनिक स्थिति को मूल स्थिति (Original Condition)कहते हैं।
परंतु मूल स्थिति में रहने वाले लोगों को अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान कासाधारण ज्ञान होता है साथ ही इनमें न्याय की भावना भी होती है।
रॉल्स के सम्मुख मुख्य समस्या प्राथमिक वस्तुओं के वितरण की समस्याथी अतः (प्राथमिक वस्तुएं अधिकार तथा स्वतंत्रताएं आय और संपदाशक्तियों और अवसर आत्म सम्मान आदि )
रॉल्स कामत है कि उचित एवं न्यायिक शासन की स्थापना तभी की जासकती है जब किसी भी व्यक्ति को अपनी स्थिति का ज्ञान नहीं होगा तथायह अनुमान भी नहीं होगा की संभावित समाज में उसे कौन सा स्थान प्राप्तहोगा। ऐसी स्थिति में व्यक्ति समाज के लिए ऐसा कार्य करेगा जो सभीसदस्यों को माननीय होगा। ऐसी ही भावना सभी व्यक्तियों में अगर व्याप्तहोती है तो सभी ऐसा काम करना पसंद करेंगे जिससे सामूहिक हित कीरक्षा होगी। इसके अंतर्गत ऐसी नीतियां बनाई जाएगी जो किसी वर्गविशेष के लिए ना होकर सबके लिए फायदेमंद होगा तथा सबका कल्याणसंभव हो सकेगा।
रॉल्स ने मूल स्थिति के इन मनुष्यों को विवेकशील करता की संज्ञा दी जोनैतिकता के प्रतिबंधों से मुक्त हैं तथा न्याय के नियमों का पता लगाने केलिए तथा परस्पर सहमति पर पहुंचने के लिए एकत्रित हुए हैं इस स्थिति मेंसब लोग न्याय के निम्नलिखित नियमों को स्वीकार करेंगे।
प्रथम सिद्धांत:समान स्वतंत्रता का सिद्धांत– प्रत्येक व्यक्ति को सामानमूलभूत स्वतंत्रता की प्राप्ति का समान अधिकार है जो की सभी व्यक्तियोंको समान रूप से मिले।
द्वितीय सिद्धांत: सामाजिक व आर्थिक असमानताओं को किस प्रकारसंतुलित किया जाना चाहिए ताकि–(a) इसमें सबसे हीन मत (गरीब स्तर) स्थिति वाले को अधिकतम लाभ हो (भेदमूलक सिद्धांत )
(b) प्रत्येक को उचित अवसर की समानता की स्थिति में पद व प्रतिष्ठाकी आसानी से प्राप्ति हो सके।
इस प्रकार रॉल्स के न्याय सिद्धांत का पहली प्राथमिकता नियम स्वतंत्रताकी प्राथमिकता है तथा इसका प्राथमिकता नियम कुशलता एवं कल्याणपर न्याय की प्राथमिकता है।
रॉल्स के न्याय सिद्धांत को एक अति सरल उदाहरण द्वारा समझा जासकता है
जैसे– किसी की जन्मदिन की पार्टी में के काटने वाले के आंख पर यदिपट्टी बांध दी जाए तो उसकी कोशिश होगी कि सभी के केक का आकार(Size) बराबर हो परंतु यदि वह आंख पर बिना पट्टी बांधे के का वितरणकरता है तो पक्षपात की संभावना होगी कि वह अपने धनिष्ठा के लिएकेक का साइज बड़ा काटे।
इसी प्रकार यदि कक्षा में कक्षा अध्यापक द्वारा यह कहा जाए की क्लासके सभी बच्चे क्लास के लिए कुछ नियम बनाएंगे तथा बाद में तय कियाजाएगा कि मॉनिटर कौन होगा तो बच्चे वही नियम बनाएंगे जो उनका स्वयंस्वीकार्य होगा तथा सभी के हित के लिए (मॉनिटर तथा अन्य छात्र) होगाक्योंकि नियम बनाते समय किसी को नहीं पता है कि मॉनिटर कौन बनेगा।
रॉल्स रोल ने उपयोगितावाद का खंडन किया तथा अपने न्याय को शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय की संज्ञा प्रदान की।
इस प्रकार रॉल्स के न्याय कीअवधारणा के मूल तत्व निम्न है–
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