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ट्रम्प 2 .0 में कैसे होंगे भारत-अमेरिका संबंध

20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में अपनेदूसरे कार्यकाल की शुरुआत करेंगे ट्रंप को अनप्रिडिक्टेबलकहा जाताहै, यानी किसी भी मुद्दे पर उनका रुख़ क्या होगा, इसका अंदाज़ा पहले सेनहीं लगा सकते लेकिन ट्रंप 2.0 केवल अमेरिका की नीतियों कोप्रभावित करेगा, बल्कि इसका वैश्विक स्तर पर भी दूरगामी असर होगाहै इसका प्रभाव आर्थिक नीतियों से लेकर कूटनीतिक फ़ैसलों तक होसकता हैं

भारत को संभावित क्षेत्र में सहयोग की आशाए

1. आर्थिक सहयोग में सुधार: दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेशके अवसर बढ़ने की संभावना है, जिससे भारतीय कंपनियों को लाभहो सकता है।
2. आतंकवाद के खिलाफ समर्थन: ट्रंप प्रशासन से भारत कोआतंकवाद के खिलाफ मजबूत समर्थन मिलने की उम्मीद है।
3. वैश्विक मंच पर सहयोग: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अमेरिका कासमर्थन भारत की स्थिति को और मजबूत कर सकता है।
4. अमेरिकी कंपनियों का निवेश: ट्रंप की नीतियों के तहत भारतीयबाजार में अमेरिकी कंपनियों का निवेश बढ़ सकता है।
5. रक्षा सहयोग में वृद्धि: रक्षा और सैन्य क्षेत्र में सहयोग बढ़ सकता है, जिसमें उन्नत हथियारों की आपूर्ति और प्रौद्योगिकी का हस्तांतरणशामिल है।
6. चीन के प्रभाव को नियंत्रित करना: इंडोपैसिफिक क्षेत्र में चीन केबढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारतअमेरिका सहयोगमजबूत हो सकता है।

भारतअमेरिका संबंधो के संभावित चुनौतियो

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रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र

1.व्‍यापार और टेरिफ

1.दक्षिण एशिया में भारतअमेरिका

आप्रवासन पर प्रभाव

 

रक्षा और सुरक्षा सहयोग

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा और सैन्य सहयोग हाल के वर्षों मेंकाफी मजबूत हुआ है।
ट्रंप प्रशासन के तहत दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी और अधिकसुदृढ़ होने की संभावनाएं बनी हुई हैं।
ट्रंप के पिछले कार्यकाल में इंडोपैसिफिक क्षेत्र (भारत के हिंदमहासागर और अमेरिका के प्रशांत महासागर) में चीन का प्रभावकम करने के लिए क्वाड समूह (अमेरिका, भारत, जापान औरऑस्ट्रेलिया) के माध्यम से सुरक्षा साझेदारी को मजबूती प्रदान कीगई।
चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ तनावपूर्ण संबंधों केमद्देनजर, भारत के लिए अतिरिक्त संयुक्त सैन्य अभ्यास, हथियारोंकी बिक्री और तकनीकी हस्तांतरण, उसकी रक्षा क्षमताओं को औरअधिक मजबूत बना सकते हैं।

व्‍यापार और टेरिफ रणनीतिया

ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान उनकी आर्थिक और व्यापार नीतियांअमेरिका फर्स्टके सिद्धांत पर केंद्रित थीं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समझौतोंमें अमेरिका के हितों को प्राथमिकता दी। हाल ही में ट्रंप ने भारत परआयात शुल्क बढ़ाने की बात कही, जिससे भारत के आईटी, फार्मास्यूटिकल और टेक्सटाइल सेक्टर पर असर पड़ सकता है।

वर्ष 2023-24 में भारत ने अमेरिका से 42.2 बिलियन डॉलर मूल्य कीवस्तुओं का आयात किया।
इसी अवधि में भारत ने अमेरिका को लगभग 77.52 बिलियन डॉलरमूल्य का निर्यात किया।

यदि ट्रंप चीन से दूरी बनाने की नीति अपनाते हैं, तो यह भारत के लिए एकअवसर साबित हो सकता है। भारत इस परिस्थिति का फायदा उठाकरअमेरिकी कंपनियों को चीन से हटाकर भारत में निवेश करने के लिएप्रोत्साहित कर सकता है।

आप्रवासन पर प्रभाव

ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान आप्रवासन नीतियों पर सख्तरुख अपनाया था, विशेष रूप से H-1B वीजा कार्यक्रम के संदर्भ में।
उनके प्रशासन ने विदेशी कामगारों के लिए वेतन को कम करने औरवीजा प्रक्रिया पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाया था।
इन नीतियों का सबसे अधिक प्रभाव भारतीय आईटी पेशेवरों औरटेक्नोलॉजी कंपनियों पर पड़ा, जिससे उन्हें कई चुनौतियों कासामना करना पड़ा।
यदि यह कठोर नीति फिर से लागू होती है, तो इसका सीधा असरभारतीय प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा।
इसके परिणामस्वरूप भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में नौकरीकी संभावनाएं कम हो सकती हैं।

दक्षिण एशिया में भारतअमेरिका

दक्षिण एशिया में अमेरिका की रणनीति के तहत भारत, पाकिस्तान औरअफगानिस्तान के बीच संतुलन बनाए रखना एक महत्वपूर्ण पहलू होसकता है, क्योंकि इस क्षेत्र में इन देशों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।हालांकि, दक्षिण एशिया में भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और मालदीव जैसे कई देश शामिल हैं, लेकिनभारत इस क्षेत्र की एक तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में प्रमुखस्थान रखता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि यदि ट्रंप का दूसराकार्यकाल आता है, तो क्या भारत की स्थिति वैसी ही बनी रहेगी जैसीवर्तमान में है?

ट्रम्प से दुनिया की आशाए

भविष्य में अमेरिका और चीन के रिश्तों में किस प्रकार के बदलाव कीसंभावना है?
क्या इसराइल और हमास के बीच हुआ संघर्ष विराम समझौता मध्यपूर्व में स्थायी शांति स्थापित कर सकेगा?
क्या रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का शीघ्र अंत होने कीसंभावना है?
जलवायु परिवर्तन के प्रति अमेरिका का दृष्टिकोण क्या होगा, औरइसकी वैश्विक प्रभावशीलता कैसी होगी?
दक्षिण एशिया में भारत को अमेरिका से किन प्रकार की अपेक्षाएंरखनी चाहिए?

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में भारतअमेरिका संबंधों में कई अवसर औरचुनौतियां देखने को मिल सकती हैं। ट्रंप प्रशासन के दौरान दोनों देशों केबीच रक्षा, व्यापार और कूटनीति के क्षेत्रों में सहयोग मजबूत होने कीसंभावना है। विशेष रूप से, इंडोपैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव कोसंतुलित करने के प्रयासों में भारतअमेरिका साझेदारी महत्वपूर्ण भूमिकानिभा सकती है।

हालांकि, ट्रंप कीअमेरिका फर्स्टनीति भारत के लिए चुनौतियां भी लासकती है। इसके बावजूद, आतंकवाद विरोधी सहयोग, उन्नत हथियारोंकी आपूर्ति और अमेरिकी निवेश के लिए भारत के पास पर्याप्त अवसर हैं।भारत को इन नीतियों का लाभ उठाकर अपनी अर्थव्यवस्था और वैश्विकस्थिति को मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा। इसलिए, ट्रंप कादूसरा कार्यकाल भारत के लिए एक मिश्रित तस्वीर पेश करता है जिसमेंचुनौतियां और अवसर दोनों मौजूद हैं। भारत को इन परिस्थितियों काआकलन करते हुए रणनीतिक निर्णय लेने होंगे।

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