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कूटनीति में AI का उपयोग बदलता वैश्विक परिदृश्य

चीन की ARTIFICIAL INTELLIGENCE (AI) कंपनी DeepSeekने हाल ही में एक नया ARTIFICIAL INTELLIGENCE मॉडल, DeepSeek-R1, लॉन्च किया है, जिसमें थर्मल कैलकुलेशन से लेकरनीतिगत सिफारिशें करने तक की क्षमता है अब चीन ही नही बल्कि पूरीदुनिया तीव्र गति से बदल रही है, जिसका प्रमुख कारण आर्टिफिशियलइंटेलिजेंस (ARTIFICIAL INTELLIGENCE) में तेजी से हो रहीप्रगति है। जिसमे तकनीकी क्रांति उद्योगों, अर्थव्यवस्थाओं और समाजोंको नया आकार देने की पूरी क्षमता है, और कूटनीति भी इससे अछूती नहींहै।

AI क्या है?

ARTIFICIAL INTELLIGENCE में विभिन्न प्रकार के कार्यो औरक्षेत्रो की में दक्षता बढ़ाने की क्षमता है, और कूटनीति भी उनमें से एकपहलू है। Artificial Intelligence यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक ऐसीतकनीक है जो कंप्यूटर और मशीनों को इंसानों की तरह सोचने, सीखने, निर्णय लेने और समस्याओं को हल करने की क्षमता देती है। यह मशीनलर्निंग (Machine Learning), डीप लर्निंग (Deep Learning), नेचुरललैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) और कंप्यूटर विज़न (Computer Vision) जैसीतकनीकों पर आधारित होती है। AI किसी प्रणाली की बाहरी डेटा कोसही ढंग से व्याख्या करने, उस डेटा से सीखने और लचीले अनुकूलन केमाध्यम से विशिष्ट लक्ष्य और कार्य प्राप्त करने की क्षमता है (Kaplan और Haenlein, 2019)

 

अंतरराष्ट्रीय संबंधो में AI का स्थान

ARTIFICIAL INTELLIGENCE के कारण कूटनीतिक के तरीको,संचार और संबंध निर्माण के तरीके बदल रहे हैं। हालांकि, कूटनीति मेंARTIFICIAL INTELLIGENCE को शामिल करने और इससे बाहररखने के विषय पर अभी भी कूटनीतिज्ञों में विभेद है लेकिन यह समझनामहत्वपूर्ण है ARTIFICIAL INTELLIGENCE को अपनाने और इसनए परिदृश्य को नेविगेट करने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करनेका यह उपयुक्त समय है।

कूटनीति में AI

कूटनीति में AI का उपयोग विभिन्न भाषाओं का अनुवाद करने में हो रहाहै। जो अंतर्राष्ट्रीय वार्ता को सुगम और तेज़ हो रही हैं। AI तकनीकसंधियों और अन्य कूटनीतिक समझौतों को तैयार करने में भी उपयोगी होसकती है। साथ ही, AI भविष्य के संभावित परिणामों के डिजाइन औरउनकी योजना बनाने में सहायता कर सकता है। जैसेजैसेARTIFICIAL INTELLIGENCE विकसित हो रहा है, ARTIFICIAL INTELLIGENCE का उपयोग समाचार लेखों, सोशलमीडिया, और राजनयिक संचार सहित विशाल डेटा का विश्लेषण करने मेंकिया जा सकता है। इससे नीतिनिर्माताओं को महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि औररुझान प्राप्त करने में मदद मिल सकती है ARTIFICIAL INTELLIGENCE कौशल विकसित करके, राजनयिक अपनीप्रभावशीलता, दक्षता और प्रभाव को बढ़ा सकते हैं। AI टूल्स नियमितकार्यों को स्वचालित कर सकते हैं, जिससे राजनयिकों के लिए रणनीतिकसोच और संबंध निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मूल्यवान समयबच सकता है। राजनयिकों को रीयलटाइम जानकारी और विश्लेषणतक पहुंच प्रदान कर सकता है, जिससे वे जटिल और तेजी से बदलतीस्थितियों में सूचित निर्णय ले सकते हैं। AI की शक्ति का उपयोग करके, राजनयिक समय से आगे रह सकते हैं और वैश्विक मामलों में अधिकप्रभावी ढंग से योगदान कर सकते हैं।

दक्षिणपूर्व एशिया में AI

दक्षिणपूर्व एशियाई सरकारों ने AI प्रशासन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्णकदम उठाए हैं। सिंगापुर ने 2019 में अपनी राष्ट्रीय AI रणनीति(National AI Strategy) लॉन्च की। इसके बाद, इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, और वियतनाम ने अपनीअपनी राष्ट्रीय रणनीतियां और रोडमैपजारी किए जिसमे AI के विकास और कार्यान्वयन के प्रति प्रतिबद्धताजताई गयी जैसेजैसे AI को वैश्विक मामलों में शामिल किया जा रहाहै, वैसे वैसे उत्तरदायी कूटनीति और नैतिक विचारों को बढ़ावा देनामहत्वपूर्ण हो रहा है, ताकि यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर सकारात्मक प्रभावडाल सके।

भारत में AI का विकास

भारत सरकार ने AI के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहलकी हैं। 2018 में, नेशनल स्ट्रैटेजी फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कीघोषणा की गई थी। इसका उद्देश्य AI तकनीकों को देश की अर्थव्यवस्थामें समाहित करना और भारत को वैश्विक AI केंद्र के रूप में स्थापितकरना है। भारत ने इस क्षेत्र में कई स्टार्टअप्स जैसे कि NiramAI, SigTuple, और Elucidata शुरू किये है, जो AI के क्षेत्र में नवाचार कोप्रोत्साहित करते है AI के क्षेत्र में भारत में शिक्षा और प्रशिक्षण पर भीध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसे किCoursera, Udacity, और edX भी AI पर आधारित कोर्स उपलब्धकरवा रहे हैं, जो छात्रों और पेशेवरों को इस क्षेत्र में दक्षता प्राप्त करने मेंमदद कर रहे हैं।

AI की सीमाएं

AI की इतनी खूबियों के बावजूद इसकी स्वय भी अपनी सीमाए है
AI सिस्टम के विकास और उपयोग के साथ डेटा सुरक्षा औरगोपनीयता की चिंताएँ भी बढ़ गई हैं। सरकार और कंपनियों कोचाहिए कि वे डेटा प्रोटेक्शन और प्राइवेसी के लिए मजबूत नीतियोंऔर उपायों को लागू करें।
AI का परिणाम पूरी तरह उस डेटा पर निर्भर करता है जो उसमें डालाजाता है। यदि डाला गया डेटा भ्रष्ट या गलत है, तो परिणाम भीत्रुटिपूर्ण होगा। AI एल्गोरिदम में पूर्वाग्रह (bias) भी शामिल होसकता है, जिससे परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
AI में रचनात्मकता और सहानुभूति की कमी है।
यदि लोग AI तकनीकों पर अधिक निर्भर होने लगें, तो कुछआवश्यक मानवीय कौशल कमज़ोर हो सकते हैं।

 

निष्कर्ष

AI क्रांति को अपनाना अब कोई विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है।राजनयिकों को इस परिवर्तन को पूर्ण रूप से अपनाना चाहिए, आवश्यकAI कौशल विकसित करना चाहिए, और कूटनीति के भविष्य को आकारदेने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

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