यह सिर्फ एक नीति नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की मूल आत्मा है। उनके प्रशासनिक निर्णयों, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और घरेलू नीतियों में यह दर्शन स्पष्ट रूप से झलकता है। मोदी ने वैश्विक स्तर की सोच को भारतीय परंपरा, संस्कृति और ज़मीनी हकीकत के साथ जोड़कर एक अनोखा मॉडल प्रस्तुत किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बीते वर्षों में भारत को वैश्विक मंच पर एक प्रभावशाली आवाज के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने विश्व नेताओं से व्यक्तिगत संबंध बनाए, 73 से अधिक देशों की यात्राएँ कीं, और भारत की रणनीतिक स्थिति को हर क्षेत्र में मज़बूत किया – चाहे वह जलवायु परिवर्तन, डिजिटल इंडिया, रक्षा सौदे हों या व्यापारिक समझौते।
- अमेरिका, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से मजबूत साझेदारियाँ बनीं।
- मोदी सरकार WAVES (World Audio Visual & Entertainment Summit) जैसे आयोजनों से भारत को वैश्विक रचनात्मक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है।
- वैश्विक सेलेब्रिटी और नेताओं को बुलाकर भारत की “सॉफ्ट पावर” को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- मोदी ने 73 विदेश यात्राएँ की हैं और 46 देशों का दौरा किया है।
- अमेरिका (10 बार) और रूस (8 बार) का दौरा करके वैश्विक शक्तियों के साथ संबंध मजबूत किए हैं।
- भारत की एक्ट ईस्ट और लुक वेस्ट नीति को बढ़ावा मिला है।
- घरेलू भारत की भूमिका G20, BRICS, और QUAD जैसे वैश्विक मंचों पर निर्णायक बनी।
मोदीनॉमिक्स की रणनीति
21वीं सदी की शुरुआत में जब भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में पहचान बना रहा था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता संभाली और एक नया आर्थिक दर्शन प्रस्तुत किया। जिसे आज हम ‘मोदीनॉमिक्स’ के नाम से जानते हैं। यह शब्द महज एक नारा नहीं, बल्कि एक व्यापक आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण का प्रतीक है, जो विकास, आत्मनिर्भरता, डिजिटल परिवर्तन, सामाजिक न्याय, और वैश्विक सहभागिता जैसे मूल स्तंभों पर आधारित है। ‘मोदीनॉमिक्स’ को समझना सिर्फ आर्थिक नीतियों को जानना नहीं है, बल्कि यह भी समझना है कि कैसे एक नेता अपनी व्यक्तिगत दृष्टि, सांस्कृतिक जड़ों और वैश्विक सोच को एक राष्ट्रीय परिवर्तन में रूपांतरित कर देता है।

वैचारिक आधार: राष्ट्रवाद और विकासवाद
मोदीनॉमिक्स का मूल विचार ‘राष्ट्रहित सर्वोपरि’ पर टिका है। नरेंद्र मोदी ने भारत की आर्थिक नीतियों को राष्ट्रवादी भावना से जोड़ते हुए विकास को केवल GDP तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे जनधन, जनभागीदारी और जनकल्याण से जोड़ा है।
- ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ – यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि आर्थिक समावेशन की आधारशिला बना।
- आत्मनिर्भर भारत अभियान – वैश्विक निर्भरता को कम कर, भारत को निर्माण और नवाचार का केंद्र बनाना।
Think Global, Act Local का क्रियान्वयन
ग्लोबल स्तर पर सोचने के बावजूद, नरेंद्र मोदी का ज़ोर स्थानीय कार्यों और विकास योजनाओं पर हमेशा बना रहा। उन्होंने ग्रामीण विकास, स्वच्छता, स्वास्थ्य और डिजिटल सशक्तिकरण जैसे कार्यक्रमों को जमीनी स्तर तक पहुंचाया।
- स्वच्छ भारत मिशन: एक वैश्विक स्वास्थ्य और स्वच्छता एजेंडा को स्थानीय स्वच्छता आंदोलन में बदला।
- जन धन योजना: वित्तीय समावेशन का वैश्विक विचार, भारत के गरीब तबके के लिए बैंकों तक पहुंच का माध्यम बना।
- मेक इन इंडिया: वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित कर स्थानीय निर्माण को प्रोत्साहन।
- GST: “एक राष्ट्र, एक कर” नीति से कर संग्रह में सुधार।
- कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती: भारत को निवेश के लिए आकर्षक बनाना।
- इंस्पेक्टर राज से मुक्ति: ऑनलाइन प्रणाली से पारदर्शिता।
- उज्ज्वला योजना: जलवायु सुरक्षा को बढ़ावा देने के साथ ग्रामीण महिलाओं को लाभ।
मोदीनॉमिक्स और वोकल फॉर लोकल: आर्थिक दृष्टिकोण
COVID-19 के बाद जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई, तब मोदी ने “आत्मनिर्भर भारत” की घोषणा की – जो स्थानीय उत्पादों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में लाने की दिशा में एक साहसिक कदम था।
- Vocal for Local अभियान शुरू किया गया।
- MSMEs (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों) को वैश्विक मानकों पर खड़ा करने की योजना बनी।
उदाहरण: ₹3 लाख करोड़ की आपातकालीन क्रेडिट गारंटी योजना (ECGLS), उद्योग आधार पंजीकरण और ऑनलाइन वित्तीय सहायता
- ‘One District, One Product’ योजना (ODOP); हर जिले के लिए विशिष्ट उत्पाद का प्रचार – जैसे वाराणसी की साड़ी, कानपुर का चमड़ा, श्रीनगर का पश्मीना आदि।
- GeM (Government e-Marketplace) पोर्टल पर छोटे विक्रेताओं को सरकारी खरीद से जोड़ा गया।
‘मोदीनॉमिक्स’ के इस पहलू में “वोकल फॉर लोकल” का उद्देश्य है- स्थानीय उत्पादकों, MSMEs, और शिल्पकारों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में समर्थ बनाना, ताकि भारत की स्थानीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक ब्रांडिंग मिले।
सांस्कृतिक जुड़ाव और पहचान
मोदी ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया, जैसे कि योग दिवस की शुरुआत, रामायण और महाभारत का अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में उल्लेख, और इंडियन डायस्पोरा से मजबूत संवाद। “विश्व को भारतीयता से जोड़ना, और भारत को विश्व दृष्टि देना” – यही मोदी की रणनीति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “Think Global, Act Local” नीति ने यह सिद्ध कर दिया है कि एक राष्ट्र सांस्कृतिक रूप से जड़ों से जुड़ा हुआ रहते हुए भी वैश्विक दृष्टिकोण अपना सकता है। उनके नेतृत्व में भारत न केवल एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभरा है, बल्कि एक ऐसी प्रेरणा भी बना है जो अन्य विकासशील देशों को राह दिखा सकती है। आज भारत, वैश्विक विचारधाराओं को आत्मसात कर, उन्हें भारतीय संदर्भ में लागू करने वाला एक नया मॉडल बन चुका है, और इसका श्रेय जाता है एक ऐसे नेता को, जिसने अपनी सोच को सीमाओं से परे रखा और अपने कार्य को अपनी धरती से जोड़े रखा।
वोकल फॉर लोकल का वैश्विक परिप्रेक्ष्य
भारत की आत्मा उसकी धरती से जुड़े उन कारीगरों, शिल्पकारों और छोटे उद्योगों में बसती है, जो पीढ़ियों से अपनी कला और कौशल के माध्यम से न केवल जीविकोपार्जन करते हैं, बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत को भी समृद्ध करते आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रारंभ किया गया “वोकल फॉर लोकल” अभियान, इस आत्मा को पहचान देने और उसे वैश्विक पहचान में बदलने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
- वोकल फॉर लोकल का अंतिम उद्देश्य- ‘स्थानीय को वैश्विक बनाना’। मोदी जी का स्पष्ट संदेश है: “Be vocal for local, but take local to global”, अर्थात हमें न केवल स्थानीय उत्पादों का समर्थन करना है, बल्कि उन्हें इतनी गुणवत्ता, प्रतिष्ठा और विस्तार देना है कि वे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
- वोकल फॉर लोकल का वैश्विक परिप्रेक्ष्य इस बात में निहित है कि आज का भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते हुए भी वैश्वीकरण की प्रक्रिया से पीछे नहीं हटता। भारत यह मानता है कि आत्मनिर्भरता का अर्थ संकीर्णता नहीं, बल्कि स्वावलंबन के साथ आत्मविश्वास और आत्मबल का निर्माण है। इसी विश्वास के साथ स्थानीय उत्पादों को ऐसी शक्ति और पहचान दी जा रही है कि वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान प्राप्त कर सकें।
- वोकल फॉर लोकल ने स्थानीय कारीगरों, महिलाओं, कुटीर उद्योगों और ग्रामीण उद्यमियों को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त किया है, बल्कि उन्हें आत्मगौरव की भावना से भी भर दिया है। जब कोई ग्रामीण महिला अपने घर में बने उत्पाद को ऑनलाइन मंच के माध्यम से देश-विदेश में बेचती है, तो वह केवल एक वस्तु नहीं बेचती — वह भारत की सांस्कृतिक चेतना को विश्व तक पहुँचाती है।
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार के संदर्भ में भी भारत का यह कदम बहुत सार्थक सिद्ध हो रहा है। भारत ने कई उत्पादों को GI टैग प्रदान कर उनकी विशिष्टता को वैश्विक रूप में मान्यता दिलाई है। जैसे वाराणसी की साड़ी, कोल्हापुर की चप्पल, कश्मीर का पश्मीना इत्यादि। ये केवल वस्त्र या उपयोगी वस्तुएँ नहीं, बल्कि भारत की विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा के प्रतीक हैं।
निष्कर्ष
“Vocal for Local” सिर्फ आर्थिक नीति नहीं है, यह एक सांस्कृतिक आंदोलन है – भारत के ग्रामीण, पारंपरिक, शिल्प आधारित और छोटे उद्योगों को सम्मान देने, सशक्त करने और वैश्विक पहचान दिलाने का प्रयास। मोदीनॉमिक्स ने इस अभियान को एक जन–जन का आंदोलन बना दिया है, जहाँ हर उपभोक्ता एक राष्ट्र निर्माता बन गया है। “वोकल फॉर लोकल में छिपा है भारत का आत्मनिर्भर भविष्य।” – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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