सर्वोदय और अंत्योदय में अंतर (Sarvodaya vs Antyodaya)
परिभाषा एवं मूल विचार
सर्वोदय:
सर्वोदय का अर्थ है “सभी का उदय” या “सर्वजन हिताय”। यह विचार महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित है, जिसका उद्देश्य समाज के प्रत्येक व्यक्ति के समग्र और सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करना ।
सर्वोदय एक ऐसे समाज की कल्पना करता है जो वर्ग, जाति, धर्म, भाषा आदि के भेदभाव से मुक्त हो और सभी को समान अवसर, सम्मान और सुरक्षा मिले।
गांधीजी ने सर्वोदय के लिए कहा—“सर्वभूतहिते रताः” (सभी प्राणियों के हित में लगे रहना)।
प्रसिद्ध पुस्तक: सर्वोदय (1908) – महात्मा गांधी, प्रेरणा: जॉन रस्किन की “Unto This Last”।
अंत्योदय:
अंत्योदय का अर्थ है “अंतिम व्यक्ति का उदय”—यानी समाज के सबसे गरीब, वंचित और पिछड़े व्यक्ति का उत्थान।
यह विचार गांधीजी से प्रेरित होकर विनोबा भावे और पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने आगे बढ़ाया।
अंत्योदय का लक्ष्य है—सबसे कमजोर, वंचित, असहाय, गरीब, अनाथ, विकलांग आदि तक सरकारी योजनाओं, सुविधाओं और समाज के संसाधनों की पहुँच सुनिश्चित करना।
प्रसिद्ध पुस्तक: अंत्योदय (विनोबा भावे), एकात्म मानववाद (पं. दीनदयाल उपाध्याय)।
2. मुख्य अंतर (Main Differences)
| पहलू | सर्वोदय (Sarvodaya) | अंत्योदय (Antyodaya) |
|---|---|---|
| अर्थ | सभी का समग्र कल्याण | अंतिम, सबसे कमजोर व्यक्ति का कल्याण |
| प्रेरक व्यक्ति | महात्मा गांधी, विनोबा भावे | महात्मा गांधी, दीनदयाल उपाध्याय |
| प्रमुख पुस्तकें | सर्वोदय (गांधी), “Unto This Last” (रस्किन) | अंत्योदय (विनोबा भावे), एकात्म मानववाद (उपाध्याय) |
| दृष्टिकोण | समग्र समाज का विकास | समाज के सबसे वंचित व्यक्ति का विकास |
| नीति | वर्ग, जाति, धर्म रहित समाज, समान अवसर, शोषणमुक्तता | सरकारी योजनाओं, आरक्षण, कौशल विकास, गरीबी उन्मूलन |
| प्रसिद्ध उद्धरण | “मैं अपने पीछे कोई पंथ या संप्रदाय नहीं छोड़ना चाहता हूँ।” – गांधी | “समाज की अंतिम पंक्ति के व्यक्ति का उत्थान ही राष्ट्र का उत्थान है।” – उपाध्याय |
भारतीय संदर्भ में प्रासंगिकता
सर्वोदय भारतीय संविधान की मूल भावना “समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व” से मेल खाता है। यह विचार ग्राम स्वराज, स्वदेशी, शोषणमुक्त समाज और सामाजिक समरसता का आधार बनता है।
अंत्योदय आज सरकारी नीतियों (जैसे—गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों के लिए योजनाएँ, आरक्षण, दीनदयाल अंत्योदय योजना) का मूल आधार है, जिसमें समाज के सबसे कमजोर वर्ग को प्राथमिकता दी जाती है।
प्रसिद्ध उद्धरण
गांधीजी:
“मैं ऐसे समाज की कल्पना करता हूँ जिसमें सबसे कमजोर व्यक्ति को भी समान अवसर और सम्मान मिले।”
“अंत्योदय से सर्वोदय संभव है।”पं. दीनदयाल उपाध्याय:
“समाज की अंतिम पंक्ति के व्यक्ति का उत्थान ही राष्ट्र का उत्थान है।”
“अंत्योदय का अर्थ है—समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की किरण पहुँचना।”
तथ्य
सर्वोदय शब्द गांधीजी ने जॉन रस्किन की पुस्तक “Unto This Last” से लिया।
विनोबा भावे ने सर्वोदय आंदोलन को बढ़ाया और भूदान आंदोलन चलाया।
अंत्योदय योजना (1978) और दीनदयाल अंत्योदय योजना (2016) भारत सरकार की प्रमुख योजनाएँ हैं, जिनका उद्देश्य गरीबों का उत्थान है।
संविधान में अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा वर्ग, दिव्यांगजन आदि के लिए विशेष प्रावधान अंत्योदय की भावना से जुड़े हैं।
सार
सर्वोदय का लक्ष्य है—समाज के हर व्यक्ति का सर्वांगीण विकास।
अंत्योदय का फोकस है—सबसे अंतिम, वंचित व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाना।
दोनों विचार भारतीय समाज के समावेशी, न्यायपूर्ण और समरस विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
“अंत्योदय से सर्वोदय”—यानी अंतिम व्यक्ति के उत्थान से ही समग्र समाज का कल्याण संभव है।
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