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कार्ल मार्क्स और एंटोनियो ग्राम्शी: प्रैक्सिस (Praxis) का सिद्धांत

प्रैक्सिस (Praxis) का सिद्धांत क्या है ?

प्रैक्सिस क्या है? (What is Praxis?)

प्रैक्सिस शब्द मूल रूप से यूनानी शब्द πρᾶξις (praxis) से आया है, जिसका सामान्य अर्थ है: ‘क्रिया’ या ‘व्यवहारिक कार्य’।

लेकिन मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य में, यह महज़ व्यवहार नहीं है, बल्कि वह क्रियाशील चेतना है जो विचार (theory) और व्यवहार (practice) को एकजुट करती है। यह वह प्रक्रिया है जिसमें विचार को सामाजिक क्रिया के ज़रिए बदला जाता है।

Karl Marx के सिद्धांतों में प्रैक्सिस (Praxis in Karl Marx)

ऐतिहासिक सन्दर्भ

  • Praxis की धारणा Marx ने विशेष रूप से 1844–1846 के बीच विकसित की, विशेष रूप से ‘Theses on Feuerbach’ में लिखा है।
  • यह विचार बाद में द जर्मन आइडियोलॉजी (The German Ideology) और Critique of Hegel’s Philosophy of Right में विस्तारित हुआ।

मुख्य अवधारणाएँ क्या है?

  • प्रैक्सिस = विचार + क्रियात्मक रूपांतरण
  • मार्क्स के अनुसार, मनुष्य की वास्तविकता उसकी संवेदनशील क्रियात्मकता (sensuous human activity) में निहित है।
  • क्रांति की अवधारणा-‘Revolutionary Praxis’- वह बिंदु है जहाँ व्यक्ति स्वयं को और अपने परिवेश को बदलता है।
  • Praxis तब क्रांतिकारी होती है जब व्यक्ति न सिर्फ समाज को बदलता है, बल्कि स्वयं को भी रूपांतरित करता है। यानी ‘self-change’ और ‘social change’ एक साथ होता है।

❝ ‘The coincidence of the changing of circumstances and of human activity or self-change can be conceived and rationally understood only as revolutionary practice.’ — Marx, Theses on Feuerbach।

मार्क्सवादी परंपरा में प्रैक्सिस का द्वैधता

(1) एक ओर प्रैक्सिस = व्यवहार, उत्पादन आदि।

(2) दूसरी ओर प्रैक्सिस = वैचारिक, वैयक्तिक, समाजिक बदलाव की प्रक्रिया।
दोनों दृष्टिकोणों को मिलाना जरूरी है।

Antonio Gramsci के सिद्धांतों में प्रैक्सिस (Praxis in Gramsci)

‘Philosophy of Praxis’

  • ग्रैम्शी ने ‘Marxism’ को एक जीवंत, ऐतिहासिक, और सैद्धांतिक अभ्यास के रूप में पुनर्परिभाषित किया जिसे उन्होंने ‘फिलॉसफी ऑफ प्रैक्सिस’ कहा।
  • यह दृष्टिकोण धर्म, दैववाद, और परंपरा के विरुद्ध है।
  • यह इतिहास और समाज को मानव क्रिया द्वारा समझने और बदलने पर केंद्रित है।
  • यह शब्द केवल सेंसरशिप से बचाव नहीं था, बल्कि एक सैद्धांतिक हस्तक्षेप था जो मार्क्सवाद को सांस्कृतिक और वैचारिक संघर्ष की भूमि पर लाता है।

वैचारिक हेजेमनी (Ideological Hegemony)

  • लोगों की ‘सामान्य समझ’ (common sense) को चुनौती देना और ‘संगठित वैचारिकता’ के माध्यम से जनता में नई चेतना लाना प्रैक्सिस की प्रक्रिया है।

❝ ‘Philosophy of praxis is absolute historicism, the absolute secularization and earthiness of thought, an absolute humanism of history.’ — Gramsci।

प्रैक्सिस की विशेषताएँ

विशेषताKarl MarxAntonio Gramsci
मूल भावक्रियात्मक क्रांति (Revolutionary Action)सांस्कृतिक एवं वैचारिक संघर्ष
उद्देश्यसामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को बदलनासामाजिक चेतना को बदलना
प्रैक्सिस की भूमिकाचेतन क्रियाशीलता जो विचार को साकार बनाती हैजनता की ‘सामान्य समझ’ को वैकल्पिक वैचारिक ढांचे में बदलना
मुख्य शब्दSensuous human activity, Revolutionary practicePhilosophy of praxis, Hegemony, Organic intellectuals

Post-Gramscian उपयोग: Freire, Sartre, Lukács

  • Paulo Freire: शिक्षा में प्रैक्सिस का प्रयोग किया। oppressed वर्ग के लिए चेतना जागरण हेतु।
  • Sartre: अस्तित्ववाद के साथ क्रांतिकारी प्रैक्सिस की बात की।
  • Lukács: इतिहास को समझने के लिए ‘class consciousness’ की क्रियाशीलता हेतु।

Derrida और Agamben द्वारा आलोचना

  • Jacques Derrida ने बताया कि प्रैक्सिस भी पश्चिमी मानववादी अवधारणाओं का हिस्सा है।
  • Giorgio Agamben ने ‘inoperativity’ का विचार दिया। जहाँ मानव क्रिया प्रयोग नहीं, बल्कि मुक्त, होती है।
  • प्रैक्सिस को एक स्थिर, पूर्ण विचार नहीं माना जा सकता। यह एक गतिशील प्रक्रिया है जो समाज, इतिहास, चेतना और क्रिया के माध्यम से विकसित होती है।
  • Marx और Gramsci दोनों के लिए, यह सामाजिक परिवर्तन का औजार है, लेकिन उनका फोकस अलग है। Marx उत्पादन-संबंधी क्रांति की ओर, और Gramsci सांस्कृतिक चेतना की ओर।

 

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