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स्टैनली आई. बेन की A Theory of Freedom

मानव सभ्यता के इतिहास में “स्वतंत्रता” (Freedom) सबसे गहन और विवादास्पद विचार रहा है। कभी इसे केवल बाहरी बंधनों से मुक्ति माना गया, तो कभी इसे अपनी इच्छा से जीवन जीने का अवसर समझा गया। राजनीतिक दर्शन और नैतिक दर्शन में यह प्रश्न बार-बार उठता है कि

स्वतंत्रता का असली अर्थ क्या है?
क्या स्वतंत्रता केवल बाधाओं की अनुपस्थिति है या कुछ सकारात्मक क्षमताओं की उपस्थिति भी?
क्या स्वतंत्रता का संबंध इच्छाओं (desires) से है या सिद्धांतों (principles) से?
इन्हीं प्रश्नों का दार्शनिक उत्तर देने का प्रयास Stanley I. Benn ने अपनी पुस्तक A Theory of Freedom (1988) में किया।

व्यक्ति और मूल्य (Persons and Values)

बेन का पहला तर्क यह है कि स्वतंत्रता को समझने के लिए हमें “व्यक्ति” (Person) और “मूल्य” (Values) की अवधारणाओं को समझना होगा।

व्यक्ति (Person) वह है जो सोच सकता है, निर्णय ले सकता है और अपने निर्णयों के परिणामों की जिम्मेदारी ले सकता है।
मूल्य (Values) वे मान्यताएँ हैं जिनके आधार पर हम सही-गलत, अच्छा-बुरा, उचित-अनुचित का निर्णय करते हैं।

बेन कहते हैं कि स्वतंत्रता तभी सार्थक है जब व्यक्ति अपने मूल्यों और सिद्धांतों को समझकर कार्य करे। अगर व्यक्ति केवल बाहरी दबाव या दूसरों की इच्छा से कार्य करता है तो वह वास्तव में स्वतंत्र नहीं है।

व्यावहारिक तर्कशीलता और प्रतिबद्धता (Practical Rationality and Commitment)

आम धारणा है कि हम जो भी काम करते हैं, वह हमारी इच्छाओं (desires) या लालसाओं (wants) से प्रेरित होता है। जैसे – भूख लगी है तो खाना खा लिया, लालच है तो धन कमा लिया।
लेकिन बेन इस विचार को अस्वीकार करते हैं। उनका कहना है कि
इंसान सिर्फ़ इच्छाओं का गुलाम नहीं है।
इंसान अपने सिद्धांतों (principles) और प्रतिबद्धताओं (commitments) से भी प्रेरित हो सकता है।

उदाहरण:
अगर कोई व्यक्ति ईमानदार है और उसे रिश्वत लेने का अवसर मिलता है, तो उसकी “इच्छा” पैसा लेने की हो सकती है, लेकिन उसका “सिद्धांत” ईमानदारी उसे रोक देगा। यहाँ उसका व्यवहार सिद्धांत से प्रेरित है, इच्छा से नहीं।

मूल्य संघर्ष (Values in Conflict)

जीवन में अक्सर मूल्य आपस में टकराते हैं। जैसे सच बोलना बनाम किसी की भावनाओं को आहत न करना।
स्वतंत्रता बनाम सामाजिक जिम्मेदारी।
बेन कहते हैं कि ऐसे संघर्षों को हल करने के लिए हमें तर्कसंगत (rational) ढंग अपनाना होगा। हर मूल्य की तात्कालिकता, महत्व और परिणामों का आकलन करना होगा।
इससे पता चलता है कि स्वतंत्रता का उपयोग तभी अर्थपूर्ण है जब वहअन्य मूल्यों के साथ संतुलन में हो

मूल्य और वस्तुनिष्ठता (Values and Objectivity)

क्या मूल्य केवल व्यक्तिगत पसंद हैं?
जैसे एक व्यक्ति शराब पीना अच्छा मानता है, दूसरा बुरा।

बेन कहते हैं कि सभी मूल्य पूरी तरह सापेक्ष (relative) नहीं होते। कुछ मूल्य वस्तुनिष्ठ (objective) हैं। जैसे

न्याय (Justice)
सम्मान (Respect)
ईमानदारी (Honesty)

ये मूल्य किसी भी समाज और किसी भी काल में महत्वपूर्ण रहते हैं। इसीलिए स्वतंत्रता को परिभाषित करते समय केवल व्यक्तिगत पसंद नहीं, बल्कि सार्वभौमिक मूल्यों को भी ध्यान में रखना चाहिए।

नैतिक व्यक्तित्व (Moral Personality)

स्वतंत्रता का सवाल केवल “मैं क्या करना चाहता हूँ?” से जुड़ा नहीं है, बल्कि “मैं कौन हूँ?” से भी जुड़ा है।
बेन कहते हैं कि व्यक्ति को “नैतिक व्यक्तित्व” (Moral Personality) के रूप में समझना होगा। इसका अर्थ है:
व्यक्ति अपने निर्णयों के नैतिक परिणाम समझे।
दूसरों के अधिकारों और अस्तित्व का सम्मान करे।
केवल अपने लाभ को न देखे, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी निभाए।

व्यक्तियों का सम्मान (Respect for Persons)

स्वतंत्रता का अर्थ केवल अपनी इच्छा चलाना नहीं है।
अगर मैं स्वतंत्र हूँ तो मुझे दूसरों की स्वतंत्रता का भी सम्मान करना होगा।

बेन कहते हैं

“Respect for Persons” स्वतंत्रता की नींव है।
बिना आपसी सम्मान के स्वतंत्रता अराजकता (anarchy) में बदल जाएगी।

उदाहरण:
अगर मैं अपने संगीत को तेज़ आवाज़ में बजाता हूँ, तो यह मेरी स्वतंत्रता है। लेकिन अगर इससे पड़ोसी की नींद ख़राब होती है, तो यह उसकी स्वतंत्रता का हनन है

स्वतंत्र क्रिया (Freedom of Action)

बेन स्पष्ट करते हैं कि स्वतंत्रता केवल “बाहरी बाधा की अनुपस्थिति” नहीं है।

अगर मुझे जेल में बंद कर दिया जाए, तो मैं स्वतंत्र नहीं हूँ।
लेकिन अगर मुझे बाहर निकलने की अनुमति है और फिर भी डर या अज्ञान के कारण बाहर नहीं जाता, तो भी मैं वास्तव में स्वतंत्र नहीं हूँ।

स्वतंत्र क्रिया का मतलब है कि व्यक्ति को अवसर (opportunity) और क्षमता (capacity) दोनों हों ताकि वह अपने निर्णय पर अमल कर सके।

आत्म-विकास और समुदाय (Self-development and Community)

बेन बताते हैं कि व्यक्ति अकेले स्वतंत्र नहीं हो सकता। उसकी स्वतंत्रता सामाजिक संबंधों, संस्कृति और समुदाय से जुड़ी है।

समाज व्यक्ति को अवसर देता है।
समुदाय व्यक्ति की पहचान गढ़ता है।
स्वतंत्रता तभी संभव है जब समाज और व्यक्ति का संबंध संतुलित हो।

मानव अधिकार और नैतिक जिम्मेदारी (Human Rights and Moral Responsibility)

बेन के अनुसार स्वतंत्रता का सबसे महत्वपूर्ण रूप है मानव अधिकारों की सुरक्षा।

अधिकार (Rights) और जिम्मेदारी (Responsibility) एक-दूसरे से जुड़े हैं।
अगर हमें स्वतंत्रता चाहिए तो हमें दूसरों की स्वतंत्रता की रक्षा करनी होगी।

बेन की थ्योरी के मुख्य निष्कर्ष

स्वतंत्रता केवल इच्छाओं की पूर्ति नहीं है, बल्कि सिद्धांतों पर आधारित जीवन जीना है।
स्वतंत्रता नकारात्मक और सकारात्मक दोनों रूपों में समझनी होगी।
स्वायत्तता (Autonomy) स्वतंत्रता का मूल है।
व्यक्ति और समाज दोनों की साझेदारी से ही वास्तविक स्वतंत्रता संभव है।
मानव अधिकार, सम्मान और जिम्मेदारी स्वतंत्रता के स्थायी स्तंभ हैं।

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