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चार्ल्स फूरियर : द यूटोपियन विजन ऑफ

प्रारंभिक जीवन और विचार

फूरियर एक छोटे व्यापारी के बेटे थे। वे अपने पिता के व्यापार के बजाय वास्तुकला (architecture) में ज़्यादा रुचि रखते थे।
वे इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन उस समय इंजीनियरिंग स्कूल में केवल अमीरों के बच्चे ही जा सकते थे। बाद में, उन्होंने कहा कि यह अच्छा हुआ कि वे इंजीनियर नहीं बने, क्योंकि इससे उनका समय बर्बाद हो जाता और वे मानवता की मदद करने की अपनी असली इच्छा को पूरा नहीं कर पाते।
जब उनके पिता की मृत्यु हुई, तो उन्हें अपनी विरासत में 200,000 फ़्रैंक से ज़्यादा मिले, जिससे उन्हें यूरोप घूमने का मौका मिला।

प्रमुख कार्य

1791 से 1816 तक, फूरियर ने एक ट्रैवलिंग सेल्समैन और क्लर्क के रूप में कई शहरों में काम किया, लेकिन वे इस काम से खुश नहीं थे। उन्होंने इसे व्यापारियों की बेईमानी और धोखेबाज़ी भरे कर्तव्यों की सेवा करना बताया।
उन्होंने अपनी लेखन यात्रा शुरू की और उनकी पहली किताब 1808 में प्रकाशित हुई।
फूरियर एक प्रभावशाली विचारक थे। उनके कुछ सामाजिक और नैतिक विचार, जो उनके समय में बहुत क्रांतिकारी माने जाते थे, आज आधुनिक समाज के मुख्य हिस्से बन गए हैं।

प्रभाव और विरासत

फूरियर के दर्शन का प्रभाव पूरे पश्चिमी दुनिया में महसूस किया गया। उनके विचार 1848 की क्रांति और पेरिस कम्यून जैसे आंदोलनों में भी दिखाई दिए।
फूरियर होमियोपैथी के समर्थक थे और उनका इलाज प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. लियोन फ्रांकोइस एडोल्फ साइमन ने किया था।
वे नारीवाद (feminism) शब्द को गढ़ने वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं।

द यूटोपियन विजन ऑफ चार्ल्स फूरियर: मुख्य विचार

चार्ल्स फूरियर (Charles Fourier) की किताब द यूटोपियन विजन ऑफ चार्ल्स फूरियर का मुख्य विचार यह है कि इंसान की मूल इच्छाएँ (passionate attraction) समाज को चलाने का सबसे अच्छा तरीका हैं। उनका मानना था कि हमारा मौजूदा समाज (जिसे वे “सभ्यता” कहते थे) इन इच्छाओं को दबाता है, जिससे लोग दुखी और परेशान होते हैं। इसके बजाय, उन्होंने एक आदर्श समाज की कल्पना की जहाँ हर व्यक्ति अपनी पसंद का काम करेगा और अपनी इच्छाओं के अनुसार जिएगा। यह आदर्श समाज छोटे-छोटे समुदायों में बंटा होगा जिन्हें “फलैंक्स” (Phalanxes) कहा जाता है।

1. सभ्यता की आलोचना

फूरियर अपने समय के समाज, यानी सभ्यता के कड़े आलोचक थे। उनका मानना था कि यह सभ्यता झूठ, धोखाधड़ी और जबरदस्ती पर आधारित है।

दमनकारी नैतिकता: फूरियर का मानना था कि समाज में नैतिकता के जो नियम हैं, वे लोगों की प्राकृतिक इच्छाओं (खासकर प्यार और कामुकता) को दबाते हैं। इससे लोग पाखंडी और दुखी हो जाते हैं।
काम की प्रकृति: वे मानते थे कि मौजूदा समाज में काम एक बोझ है, जिसे लोग सिर्फ पैसे के लिए करते हैं। यह नीरस और दोहराव वाला होता है, जिससे इंसान अपनी रचनात्मकता खो देता है।
व्यापार और प्रतिस्पर्धा: फूरियर के अनुसार, व्यापार में बेईमानी और धोखाधड़ी आम बात है। समाज में लोग एक-दूसरे से मुकाबला करते हैं, जिससे भाईचारा खत्म हो जाता है।

फूरियर इन सभी समस्याओं का हल अपने यूटोपियन मॉडल में देते हैं। उनका मानना था कि अगर हम इंसान की प्रकृति को समझ लें, तो हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ हर कोई खुश रहेगा।

2. कामुक आकर्षण का सिद्धांत (Theory of Passionate Attraction)
फूरियर का सबसे बड़ा सिद्धांत कामूक आकर्षण (passionate attraction) है। उनके अनुसार, यह आकर्षण एक सार्वभौमिक नियम है, जैसे न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम। फूरियर का मानना था कि हर इंसान में 12 मूल इच्छाएँ या जुनून (passions) होते हैं। ये इच्छाएँ ही हमें प्रेरित करते हैं।

इन 12 इच्छाएँ को उन्होंने तीन श्रेणियों में बांटा:

काम करने के इच्छाएँ ये हमें कुछ करने या किसी चीज़ से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं (जैसे पाँच इंद्रियाँ)।
स्नेही इच्छाएँ (Affective passions): ये हमें दूसरों से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं (जैसे दोस्ती, प्यार, परिवार)।
वितरणकारी इच्छाएँ (Distributive passions): ये जुनून हमें अलग-अलग समूह बनाने और काम को बदलने के लिए प्रेरित करते हैं।
कंपोज़िट (Composite): एक ही काम में कई तरह की खुशियाँ खोजना।
कैबेलिस्ट (Cabalist): प्रतिस्पर्धा करना और अलग-अलग गुटों में काम करना।
बटरफ्लाई (Butterfly): एक काम से दूसरे काम पर जल्दी-जल्दी जाना ताकि ऊब न हो।

फूरियर का विचार था कि अगर हम इन सभी इच्छाएँ को सही तरीके से इस्तेमाल करें, तो एक ऐसा समाज बनाया जा सकता है जहाँ हर कोई अपनी इच्छा से काम करेगा और खुश रहेगा।

3. फलैंक्स (Phalanx) – आदर्श समुदाय

फूरियर ने एक ऐसे समुदाय की कल्पना की जिसे फलैंक्स कहा जाता था। हर फलैंक्स में करीब 1600 लोग होते थे जो एक ही बड़ी इमारत में रहते थे, जिसे फलैंक्स्टरी (Phalanstery) कहा जाता था। यह कोई सादी इमारत नहीं थी, बल्कि एक भव्य महल जैसी थी जिसमें सभी आधुनिक सुख-सुविधाएँ मौजूद थीं।

फलैंक्स में जीवन कुछ इस तरह होता था:

आकर्षक काम (Attractive Work): फलैंक्स में कोई भी व्यक्ति एक ही काम पूरा दिन नहीं करता था। बटरफ्लाई जुनून के कारण, लोग हर कुछ घंटों में अपना काम बदल लेते थे। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति सुबह बागवानी कर सकता है, दोपहर में खाना बना सकता है और शाम को संगीत सीख सकता है। काम को खेल की तरह माना जाता था।
उत्पादन में भागीदारी: सभी लोग फलैंक्स के उत्पादन में हिस्सा लेते थे। आय का एक हिस्सा काम, एक हिस्सा पूँजी, और एक हिस्सा प्रतिभा के आधार पर बांटा जाता था। फूरियर का मानना था कि हर कोई अपनी-अपनी योग्यता के अनुसार योगदान करेगा।
बच्चों की परवरिश: बच्चों को उनकी इच्छा के अनुसार काम करने और सीखने की आज़ादी दी जाती थी। वे अक्सर अपनी पसंद के काम को चुनते थे, और उनके जुनून को प्रोत्साहित किया जाता था।
प्यार और संबंध: फूरियर ने प्यार और यौन संबंधों को लेकर भी पारंपरिक विचारों को खारिज कर दिया था। उनका मानना था कि सभी को अपनी पसंद से प्यार करने की आज़ादी होनी चाहिए। वे विवाह जैसी संस्थाओं के भी खिलाफ थे क्योंकि वे प्राकृतिक इच्छाओं को दबाती हैं।

4. यूटोपिया से विश्व शांति तक

फूरियर का मानना था कि अगर दुनिया भर में ऐसे फलैंक्स बनाए जाएँ, तो वे मिलकर एक विश्व एकता (global unity) बना सकते हैं। इन समुदायों के बीच कोई युद्ध या प्रतिस्पर्धा नहीं होगी, क्योंकि हर कोई अपनी इच्छा से काम कर रहा होगा और समाज में कोई असंतोष नहीं होगा।

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