जाति का राजनीतिकरण और राजनीति में जाति
1. परिभाषा और मूलभूत समझ
- जाति का राजनीतिकरण : जब जाति एक सामाजिक संरचना से बदलकर राजनीतिक सत्ता प्राप्ति का साधन बन जाए।
- राजनीति में जाति : राजनीति की दिशा और स्वरूप पर जाति आधारित समीकरणों का प्रभाव।
2. ऐतिहासिक विकास
- औपनिवेशिक काल :
- ब्रिटिश जनगणना (1901, 1931) ने जातीय पहचान को मजबूत किया।
- 1932 का Communal Award और उसके बाद Poona Pact (अंबेडकर–गांधी समझौता) ने जाति और राजनीति के संबंध को नया आयाम दिया।
- स्वतंत्रता के बाद :
- संविधान में जातिगत भेदभाव निषिद्ध (अनुच्छेद 15, 17, 46)।
- आरक्षण नीति ने जाति आधारित राजनीतिक गतिशीलता को बढ़ाया।
- 1970s के बाद :
- मंडल आयोग (1980, लागू 1990) ने जाति आधारित राजनीति को निर्णायक रूप दिया।
- पिछड़े वर्गों की राजनीति का उदय – जैसे यादव (SP, RJD), कुर्मी (JD(U)), दलित (BSP)।
3. जाति का राजनीतिकरण – प्रक्रिया
- संगठन निर्माण – जैसे अखिल भारतीय यादव महासभा, अंबेडकर आंदोलन।
- आरक्षण की माँग – नौकरियों और शिक्षा में हिस्सेदारी।
- वोट बैंक की राजनीति – चुनावों में जातीय एकजुटता।
- नेतृत्व का उदय – जाति आधारित नेताओं का राष्ट्रीय/प्रांतीय राजनीति में उदय।
4. राजनीति में जाति – स्वरूप
- टिकट वितरण जातीय आधार पर।
- गठबंधन सरकारें जातीय समीकरणों पर निर्भर।
- नीतियाँ अक्सर जातीय समर्थन को ध्यान में रखकर।
- उदाहरण :
- उत्तर प्रदेश – यादव बनाम दलित समीकरण।
- बिहार – लालू प्रसाद यादव का “MY (Muslim-Yadav) समीकरण।”
- तमिलनाडु – द्रविड़ आंदोलन और जाति आधारित पार्टियाँ।
5. विचारक और उनके दृष्टिकोण
- राजनीति में जाति पर सबसे प्रमुख अध्ययन :
- राजनीतिशास्त्रियों के दृष्टिकोण :
- राजनीतिशास्त्र और समाजशास्त्र का संगम → Myron Weiner, Rajni Kothari, Yogendra Yadav।
- राजनी कोठारी : Caste in Indian Politics (1970) – “जाति राजनीति को विभाजित भी करती है और संगठित भी।”
- आंद्रे बेताइये (André Béteille) : जाति और वर्ग के अंतर्संबंध को रेखांकित किया।
- एम.एन. श्रीनिवास : Dominant Caste Theory – “प्रमुख जातियाँ स्थानीय राजनीति की धुरी बन जाती हैं।”
- बिपिन चंद्र : स्वतंत्रता आंदोलन में जाति की भूमिका।
- गेल ओमवेड्ट (Gail Omvedt) : दलित राजनीति और जाति आधारित आंदोलनों पर लेखन।
- राजनीतिशास्त्रियों के दृष्टिकोण :
6. प्रमुख पुस्तकें
- Caste in Indian Politics – Rajni Kothari
- Politics in India – Myron Weiner
- Dominant Caste and Other Essays – M.N. Srinivas
- Dalits and the Democratic Revolution – Gail Omvedt
- Democracy and Discontent – Atul Kohli
- India: Development and Participation – Amartya Sen & Jean Dreze
7. महत्वपूर्ण उद्धरण
- बी.आर. अंबेडकर : “Political democracy cannot last unless there lies at the base of it social democracy.”
- राजनी कोठारी : “Caste provides the basic support for political mobilization in India.”
- राम मनोहर लोहिया : “Jati todna samajik kranti ki aavashyak shart hai.”
- गेल ओमवेड्ट : “Dalit politics is not only a politics of identity but also a politics of liberation.”
8. तथ्य और आँकड़े (Recent Facts)
- 2011 Census : SCs – 16.6%, STs – 8.6%, OBCs – लगभग 41% (अनुमानित, कोई आधिकारिक आँकड़ा नहीं)।
- लोकसभा 2019 : लगभग 120 सांसद SC/ST/OBC श्रेणी से।
- UP Vidhan Sabha 2022 : लगभग 50% विधायक OBC श्रेणी से।
9. सकारात्मक पक्ष
- हाशिये पर रही जातियों को सशक्तिकरण।
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व में विविधता।
- लोकतंत्र का सामाजिक आधार विस्तृत।
10. नकारात्मक पक्ष
- जातीय ध्रुवीकरण।
- विकास और नीतियों का जातिगत आधार पर झुकाव।
- लोकतांत्रिक आदर्श (equality, merit) को चुनौती।
11. समकालीन परिप्रेक्ष्य
- आरक्षण बहस – EWS Reservation (2019) ने जाति से बाहर “आर्थिक आधार” को राजनीति में लाया।
- नए गठजोड़ – जातीय राजनीति धीरे-धीरे क्षेत्रीय दलों और राष्ट्रीय दलों के बीच संतुलन बना रही है।
- युवा पीढ़ी में परिवर्तन – जातीय पहचान बनी हुई है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में राजनीतिक प्राथमिकता विकास और रोजगार की ओर।
12. निष्कर्ष
- जाति और राजनीति का संबंध भारतीय लोकतंत्र का यथार्थ है।
- जाति का राजनीतिकरण सत्ता में हिस्सेदारी और सामाजिक न्याय का माध्यम बना।
- लेकिन राजनीति में जाति के अति-प्रभाव से लोकतंत्र के आदर्श कमजोर होते हैं।
- भविष्य का रास्ता यही है कि जाति आधारित प्रतिनिधित्व समानता और सुशासन के साथ संतुलित किया जाए।
MCQs: जाति का राजनीतिकरण और राजनीति में जाति
प्रश्न 1: भारतीय राजनीति में जाति आधारित आरक्षण की शुरुआत किस आयोग की सिफारिशों के आधार पर हुई थी?
A) सच्चर समिति
B) मंडल आयोग
C) रंगनाथ मिश्र आयोग
D) शाह आयोग
उत्तर: B) मंडल आयोग
व्याख्या: मंडल आयोग (1980) की सिफारिशों के आधार पर ओबीसी (Other Backward Classes) के लिए 27% आरक्षण की व्यवस्था की गई, जिससे जाति आधारित राजनीति को एक नया मोड़ मिला।
प्रश्न 2: “जाति आधारित राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए एक चुनौती है” इस कथन से कौन सा विचारक संबंधित है?
A) कांशीराम
B) डॉ. भीमराव अंबेडकर
C) राम मनोहर लोहिया
D) पेरियार
उत्तर: C) राम मनोहर लोहिया
व्याख्या: राम मनोहर लोहिया ने जातिवाद को भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी चुनौती माना और इसके खिलाफ संघर्ष किया।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान में “जाति आधारित आरक्षण” की व्यवस्था किस अनुच्छेद के तहत की गई है?
A) अनुच्छेद 15
B) अनुच्छेद 16
C) अनुच्छेद 17
D) अनुच्छेद 46
उत्तर: B) अनुच्छेद 16
व्याख्या: अनुच्छेद 16 में राज्य को पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
प्रश्न 4: भारतीय राजनीति में “कास्ट काउंटर” (Caste Counter) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की थी?
A) राजीव गांधी
B) नरेंद्र मोदी
C) कांशीराम
D) मुलायम सिंह यादव
उत्तर: C) कांशीराम
व्याख्या: कांशीराम ने “कास्ट काउंटर” की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने दलितों और पिछड़ों को सशक्त करने के लिए जाति आधारित राजनीति की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रश्न 5: भारतीय राजनीति में “मंडल आंदोलन” किस वर्ष हुआ था?
A) 1985
B) 1990
C) 1992
D) 2000
उत्तर: B) 1990
व्याख्या: 1990 में मंडल आयोग की सिफारिशों के खिलाफ व्यापक आंदोलन हुआ, जिसे “मंडल आंदोलन” कहा जाता है।
प्रश्न 6: भारतीय राजनीति में “जाति आधारित राजनीति” का मुख्य उद्देश्य क्या है?
A) सामाजिक समानता
B) धार्मिक एकता
C) आर्थिक विकास
D) राजनीतिक सशक्तिकरण
उत्तर: D) राजनीतिक सशक्तिकरण
व्याख्या: जाति आधारित राजनीति का मुख्य उद्देश्य सामाजिक और राजनीतिक रूप से पिछड़े वर्गों को सशक्त करना है, ताकि वे सत्ता में भागीदार बन सकें।
प्रश्न 7: भारत में जाति व्यवस्था की उत्पत्ति किस सिद्धांत से की जाती है?
A) धार्मिक सिद्धांत
B) राजनीतिक सिद्धांत
C) व्यावसायिक सिद्धांत
D) रैसल सिद्धांत
उत्तर: C) व्यावसायिक सिद्धांत
प्रश्न 8: मंडल आयोग की सिफारिशों के अनुसार, ओबीसी के लिए आरक्षण की प्रतिशतता क्या थी?
A) 15%
B) 27%
C) 33%
D) 50%
उत्तर: B) 27%