वर्तमान समय में भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) फिर से चर्चा का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि पश्चिम एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और लाल सागर क्षेत्र में व्यापारिक बाधाओं ने इस परियोजना की भविष्यगत व्यवहार्यता और रणनीतिक क्रियान्वयन पर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न की हैं।
IMEC क्या है?
- IMEC की परिकल्पना भारत और अरब प्रायद्वीप के बीच समुद्री संपर्क को उन्नत करने की है, साथ ही संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बंदरगाहों से सऊदी अरब और जॉर्डन होते हुए इज़राइल के हैफा बंदरगाह तक तेज गति की ट्रेनें चलाने की भी योजना है।
- 2023 में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले G20 शिखर सम्मेलन के एक भाग के रूप में परिकल्पित, IMEC का उद्देश्य आर्थिक एकीकरण को बढ़ाने और रसद लागत को कम करने के लिए समुद्री और रेलवे अवसंरचना को मिलाकर एक निर्बाध बहुविध नेटवर्क प्रदान करना है।
- इस गलियारे में भारतीय बंदरगाहों को संयुक्त अरब अमीरात के बंदरगाहों से जोड़ने वाला एक समुद्री मार्ग, उसके बाद सऊदी अरब, जॉर्डन और इज़राइल से होते हुए हाइफ़ा बंदरगाह तक पहुँचने वाला एक उच्च गति वाला रेल नेटवर्क शामिल है, जहाँ से माल यूरोपीय गंतव्यों तक पहुँचाया जाएगा।
- परिवहन के अलावा, IMEC एक बिजली ग्रिड, हाइड्रोजन पाइपलाइन और समुद्र के नीचे डिजिटल कनेक्टिविटी स्थापित करने की भी योजना बना रहा है, जिससे यह ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और व्यापार प्रणालियों को एकीकृत करने वाला एक व्यापक आर्थिक गलियारा बन जाएगा।
भू–राजनीतिक पृष्ठभूमि
- 2023 में भू-राजनीतिक माहौल भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) की शुरुआत के लिए अनुकूल था। अब्राहम समझौते, जिनके तहत इज़राइल और कई अरब देशों के बीच संबंध सामान्य किए गए, ने पश्चिम एशिया में स्थिरता को लेकर आशा की एक नई लहर पैदा की।
- इन्हीं विकासों के आधार पर, इज़राइल के हैफा बंदरगाह को जॉर्डन और खाड़ी क्षेत्र से जोड़ने वाले एक रेलवे नेटवर्क के निर्माण पर चर्चा शुरू हुई।
- उसी समय, भारत के संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और सऊदी अरब के साथ संबंध रणनीतिक भरोसे के नए शिखर पर पहुँच गए। जिसे ऊर्जा व्यापार, रक्षा सहयोग और निवेश साझेदारी में निरंतर वृद्धि ने और मजबूत किया।
- इसके अतिरिक्त, I2U2 समूह (भारत, इज़राइल, UAE और अमेरिका) का गठन भी इस क्षेत्र में व्यापार, प्रौद्योगिकी और अवसंरचना सहयोग को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- इसी संदर्भ में, सितंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान IMEC की घोषणा की गई, जिसे अमेरिका, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली, सऊदी अरब और UAE का समर्थन प्राप्त था।
- इस परियोजना को व्यापक रूप से चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक रणनीतिक विकल्प और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ और लचीला बनाने की दिशा में एक प्रमुख कदम माना गया।
भूमध्यसागर से जुड़ी चिंताएँ
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जलवायु परिवर्तन केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि उसने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और परिवहन के मानचित्र को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। हाल के वर्षों में, आर्कटिक क्षेत्र के पिघलते बर्फीले मार्गों ने नए समुद्री रास्ते खोल दिए हैं, जिनसे अमेरिका, रूस, चीन और उत्तरी यूरोपीय देशों को विशेष लाभ हो रहा है। इन मार्गों के खुलने से यह संभावना प्रबल हुई है कि आर्कटिक के बंदरगाह भविष्य में नए वैश्विक वाणिज्यिक केंद्र के रूप में उभर सकते हैं।
- इस परिप्रेक्ष्य में, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) के संदर्भ में भूमध्यसागर की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। IMEC के यूरोपीय हस्ताक्षरकर्ताओं में फ्रांस को भूमध्यसागर और अटलांटिक महासागर दोनों तटों का रणनीतिक लाभ प्राप्त है। इसके विपरीत, इटली केवल भूमध्यसागरीय तट तक सीमित है, जिसके कारण वह इस पहल को अपने क्षेत्रीय प्रभाव और आर्थिक प्रभाव को बनाए रखने के अवसर के रूप में देख रहा है।
- भूमध्यसागर से जुड़े देशों की धारणा है कि भविष्य का वैश्विक व्यापार नए साझेदारों, नवाचारपूर्ण आर्थिक सहयोग और पारस्परिक विश्वास पर आधारित होगा। भारत, जिसकी अर्थव्यवस्था चार ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर पहुँच चुकी है और जो निरंतर विकास कर रही है, को ऐसे विश्वसनीय साझेदार के रूप में देखा जा रहा है जो आर्थिक और तकनीकी रूप से मजबूत विकल्प प्रदान कर सकता है।
- हालाँकि, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि आर्कटिक मार्ग वास्तव में परिवहन लागतों को कम कर पाएंगे या नहीं। इन मार्गों से जुड़ी भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और पर्यावरणीय जोखिमों को देखते हुए भारत के लिए पारंपरिक यूरोपीय बाजारों के साथ स्थायी आर्थिक संबंध बनाए रखना अत्यावश्यक है।
- वर्तमान में भारत और यूरोपीय संघ के बीच लगभग 136 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार होता है, जिससे यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। इस गहरे आर्थिक संबंध को और सशक्त करने के लिए दोनों पक्षों को लचीले आपूर्ति नेटवर्क और परिवहन ढांचे को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
इस प्रकार, भूमध्यसागर केवल भौगोलिक दृष्टि से नहीं, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी भारत की विदेश नीति और वैश्विक आर्थिक सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है।
भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक महत्व
- भारत के लिए भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) एक महत्वपूर्ण रणनीतिक अवसर है, जो न केवल उसके व्यापार मार्गों में विविधता लाने में मदद करेगा, बल्कि स्वेज नहर जैसे पारंपरिक मार्गों पर निर्भरता को भी कम करेगा।
- यह गलियारा भारत को भूमध्यसागर के माध्यम से यूरोपीय बाजारों तक सीधी और सुरक्षित पहुँच प्रदान करेगा, जिससे चीन के प्रभुत्व वाले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) नेटवर्क का एक प्रभावी विकल्प तैयार होगा।
- वर्तमान में, यूरोपीय संघ (EU) भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है — वर्ष 2024 में द्विपक्षीय व्यापार 136 अरब डॉलर के आँकड़े को पार कर गया। यूरोप की उच्च प्रति व्यक्ति आय, तकनीकी प्रगति और स्थिर बाज़ार संरचना को देखते हुए, IMEC के माध्यम से मज़बूत संपर्क भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ा सकता है।
- IMEC, भारत की ‘Act West’ नीति को भी पूरक करता है, जो मध्य पूर्व के साथ भारत की रणनीतिक और आर्थिक सहभागिता को गहरा बनाती है। यह क्षेत्र भारत की ऊर्जा सुरक्षा, विदेशी प्रेषण (remittances), और प्रवासी भारतीय समुदाय के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- इसके अलावा, IMEC के माध्यम से बढ़ते आर्थिक संबंध पाकिस्तान के क्षेत्रीय गठबंधन प्रयासों को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं, विशेषकर खाड़ी देशों के साथ उसकी कूटनीतिक सक्रियता के संदर्भ में।
अवसंरचना और प्रौद्योगिकीय दृष्टि
IMEC केवल एक परिवहन गलियारा नहीं है, यह एक बहुआयामी संरचना है, जो ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और सतत विकास जैसे कई क्षेत्रों को एकीकृत करती है। इस पहल के अंतर्गत निम्नलिखित प्रमुख घटक शामिल हैं:
- स्वच्छ हाइड्रोजन पाइपलाइन — जो भारत और यूरोप को मध्य पूर्व के माध्यम से जोड़ेगी, और वैश्विक ऊर्जा संक्रमण (energy transition) के लक्ष्यों का समर्थन करेगी।
- अंतरराष्ट्रीय बिजली ग्रिड — जो विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा के सीमापार व्यापार (cross-border power trade) को सुगम बनाएगा।
- डिजिटल कनेक्टिविटी नेटवर्क — जिसमें उच्च गति वाली समुद्र के नीचे डाटा केबलें (undersea cables) शामिल होंगी, जो डिजिटल व्यापार और डाटा इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करेंगी।
- लॉजिस्टिक और बंदरगाह अवसंरचना का उन्नयन — जिससे समुद्री और रेल नेटवर्क के बीच माल परिवहन की निरंतरता और दक्षता सुनिश्चित होगी।
इस प्रकार, IMEC केवल एक आर्थिक गलियारा नहीं, बल्कि एक इक्कीसवीं सदी का रणनीतिक और तकनीकी ढाँचा है। जो भारत की हरित विकास (green growth) और डिजिटल परिवर्तन (digital transformation) की महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप है।
अन्य प्रमुख क्षेत्रीय परिवहन गलियारे
- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर–दक्षिण परिवहन गलियारा (International North–South Transport Corridor – INSTC)
यह 7,200 किमी लंबा व्यापारिक गलियारा है, जिसे मूल रूप से वर्ष 2000 में भारत, रूस और ईरान द्वारा प्रारंभ किया गया था। इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच व्यापार और परिवहन संपर्क (trade and transport connectivity) को सुदृढ़ करना है।
- वर्तमान में इसके 13 सदस्य देश हैं – भारत, ईरान, रूस, अज़रबैजान, आर्मेनिया, कज़ाख़िस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की, यूक्रेन, बेलारूस, ओमान और सीरिया।
- इसके अतिरिक्त, बुल्गारिया ने पर्यवेक्षक देश (Observer State) के रूप में इसमें भाग लिया है।
- चीन की अगुवाई वाली बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative – BRI)
यह पहल वर्ष 2013 में चीन द्वारा शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य एशिया को अफ्रीका और यूरोप से भूमि तथा समुद्री मार्गों (land and maritime networks) के माध्यम से जोड़ना है।
इस पहल के दो प्रमुख घटक हैं –
- सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट (Silk Road Economic Belt):
यह एक स्थलीय (land-based) मार्ग है जो चीन को दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ता है। - मैरीटाइम सिल्क रोड (Maritime Silk Road):
यह एक समुद्री मार्ग (sea route) है जो चीन के तटीय क्षेत्रों को दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, दक्षिण प्रशांत क्षेत्र, मध्य पूर्व, पूर्वी अफ्रीका और अंततः यूरोप से जोड़ता है।
- ट्रांस–कैस्पियन अंतर्राष्ट्रीय परिवहन मार्ग (Trans-Caspian International Transport Route – TITR)
इसे ‘मिडल कॉरिडोर (Middle Corridor)’ के नाम से भी जाना जाता है।
- यह एक बहु-माध्यमीय (multi-modal) परिवहन गलियारा है जो चीन को यूरोपीय संघ (EU) से जोड़ता है। इसका मार्ग मध्य
- एशिया, काकेशस (Caucasus), तुर्किये और पूर्वी यूरोप से होकर गुजरता है।
यह गलियारा 2017 में प्रारंभ किया गया था।
निष्कर्ष
यद्यपि राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ गंभीर हैं, फिर भी भारत और इसके साझेदार देशों को IMEC को एक दीर्घकालिक रणनीतिक परियोजना के रूप में देखना चाहिए, न कि केवल एक अल्पकालिक वाणिज्यिक उद्यम के रूप में।
इस गलियारे की सबसे बड़ी ताकत इसका लचीलापन (flexibility) है, जो इसे समय के साथ विस्तार योग्य बनाता है। उदाहरण के लिए, सऊदी अरब और मिस्र के बंदरगाहों का एकीकरण इसे क्षेत्रीय व्यवधानों के प्रति अधिक सुदृढ़ और लचीला (resilient) बना सकता है।
IMEC की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सदस्य देशों को निम्नलिखित ठोस कदम उठाने होंगे:
- स्थायी संयुक्त समन्वय तंत्र (Joint Coordination Mechanism) की स्थापना — जिससे नीति-निर्माण और कार्यान्वयन की निरंतरता बनी रहे।
- सार्वजनिक–निजी भागीदारी (Public–Private Partnerships) और बहुपक्षीय वित्तपोषण (Multilateral Financing) को आकर्षित करना — ताकि बुनियादी ढांचे के बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए पूंजी और तकनीकी सहयोग मिल सके।
- व्यापार मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर सहमति (Security Guarantees) बनाना — ताकि भू-राजनीतिक जोखिमों के बावजूद व्यापार निरंतर चलता रहे।
- वैश्विक ढाँचों के साथ तालमेल (Synchronization) — विशेष रूप से यूरोपीय संघ की Global Gateway पहल और अमेरिका-नेतृत्व वाली Partnership for Global Infrastructure and Investment (PGII) के साथ समन्वय स्थापित करना।
IMEC केवल एक भौगोलिक मार्ग नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक दृष्टि है जो भारत को मध्य पूर्व और यूरोप से गहराई से जोड़ती है — ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की मजबूती के माध्यम से। यदि साझेदार देश दीर्घकालिक दृष्टिकोण से सहयोग जारी रखते हैं, तो यह गलियारा 21वीं सदी की एक ऐतिहासिक आर्थिक उपलब्धि साबित हो सकता है।
PRACTICE QUESTION
- भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) पहल का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
(a) भारत और अफ्रीका के बीच नौवहन (maritime) व्यापार को प्रोत्साहित करना
(b) भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच बहु-मॉडल संपर्क एवं व्यापार मार्गों को विकसित करना
(c) एशिया और ऑस्ट्रेलिया को रेल नेटवर्क से जोड़ना
(d) भारत और दक्षिण अमेरिका के बीच निर्यात–आयात बढ़ाना
सही उत्तर: (b) भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच बहु-मॉडल संपर्क एवं व्यापार मार्गों को विकसित करना
- भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए —
- IMEC की घोषणा सितंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी।
- इसका उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को रेल, सड़क तथा समुद्री मार्गों के माध्यम से जोड़ना है।
- इस परियोजना को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के विकल्प के रूप में देखा जाता है।
- इसके सदस्य देशों में भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, इटली, फ्रांस और जर्मनी शामिल हैं।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल दो
(b) केवल तीन
(c) सभी चार
(d) केवल एक
सही उत्तर: (c) सभी चार कथन सही हैं।
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